शहर के बदलते स्वरूप के बारे में पंकज अपनी किताब की शुरुआत में कहते हैं..
नए मध्यमवर्ग की कुलीनता बनारस में भी दिखने लगी है। सदियों से हिन्दुओं का ये पवित्र तीर्थ स्थल जहाँ लोग पुनर्जन्म के चक्र से मुक्ति पाने आते थे, अब एक छोटा भीड़ भरा व्यवसायिक शहर बन चुका है। इसीलिए पंकज आगे कहते हैं
".....This is as it should be: one can't feel too sad about such, changes. Benares -destroyed & rebuilt so many times during centuries of Muslim & British rule - is, the Hindus say the abode of Shiva, the god of perpetual creation & destruction.The world constantly renews itself and when you look at it that way, regret & nostalgia seem equally futile. ...."
सच ही तो है वक़्त के पहिए को कौन रोक पाया है।
पंकज ने तो बनारस की पृष्ठभूमि में अपनी कथा को आगे बढ़ाया था पर उस किताब और इस गीत में साम्य बस इतना है कि यहाँ भी उसी पृष्ठभूमि में 'लागा चुनरी में दाग' फिल्म की कथा विकसित होती है। सुबह की बेला .. मंदिर से बजती घंटियाँ और दूर किसी साधक का स्वर, मवेशियों और लोगों से पटी ऐसी ही चंद आवाज़ों के साथ बनारस की गलियों का ये संगीतमय सफ़र शुरु होता है दो बहनों की आपसी बातचीत से।
स्वानंद किरकिरे ने कुछ मिनटों के गीत में बनारस के कई रूपों को छूने की कोशिश की है । शहर के बारे में कहते-कहते वो एक निम्न मध्यमवर्गीय परिवार की समस्याओं को भी बड़ी खूबसूरती से बोलों में बाँध जाते हैं। स्वानंद निश्चित रूप से अपने इस प्रयास के लिए बधाई के पात्र हैं। इस गीतमाला में स्वानंद आगे भी हाज़िरी देंगे तब उनके बारे में विस्तार से चर्चा होगी।
बोलों के आलावा सुनिधि चौहान और श्रेया घोषाल की बेहतरीन युगल गायिकी को सुन कर मन से वाह वाह निकलती है। इसमें कोई शक नहीं की १२ वीं पायदान का ये गीत इस साल का सर्वश्रेष्ठ युगल गीत है। समव्यस्क बहनों के बीच जो अपनापन होता है वो इन दोनों गायिकाओं ने क्या खूब उभारा है। सुनिधि का पान खाए हुए व्यक्ति की तरह गाना तो मुझे बिलकुल कमाल लगा।
पहले स्वानंद किरकिरे के बोलों का आनंद लें..
जेब में हमरी दू ही रूपैया
दुनिया को रखें ठेंगे पे भैया
सुख दुख को खूँटी पे टांगे
और पाप पुण्य चोटी से बाँधें
नाचे हैं ताता थैया
हम तो ऐसे हैं भैया
ये अपना फैशन है भैया
हम तो ऐसे हैं भैया
एक गली बम बम भोले
दूजी गली में अल्ला-मियां
एक गली में गूंजें अज़ानें
दूजी गली में बंसी बजैया
सबकी रगों में लहू बहे है
अपनी रगों में गंगा मैया
सूरज और चंदा भी ढलता
अपने इशारों पे चलता
दुनिया का गोल गोल पहिया
हम तो ऐसे हैं भैया ....
आजा बनारस का रस चख ले आ
गंगा में जाके तू डुबकी लगा
रबड़ी के संग संग चबा लेना उंगली
माथे पे भांग का रंग चढ़ा
चूना लगई ले,पनवा खिलईदे
उसपे तू ज़र्दे का तड़का लगई दे
पटना से अईबे, पेरिस से अईबे
गंगा जी में हर कोई नंगा नहइबे
जीते जी जो कोई काशी ना आए
चार चार कांधों पे वो चढ़के आए
हम तो ऐसे हैं भईया..हम तो ऐसे हैं भईया..
ये अपनी नगरी है भईया..अरे हम तो ऐसे हैं भईया..
दीदी अगर तुझको होती जो मूँछ
मैं तुझको भईया बुलाती तू सोच
अरे छुटकी अगर तुझको होती जो पूँछ
तो मैं तुझको गैया बुलाती तू सोच
दीदी ने ना जाने क्यूँ छोड़ी पढ़ाई
घर बैठे अम्मां संग करती है लड़ाई
अम्मां बेचारी पिसने है आई
रात दिन सुख दुख की चक्की चलाई
घर बैठे बैठे बाबूजी हमारे
लॉटरी में ढूंढते हैं किस्मत के तारे
3...2....1272
मंझधार में हमरी नैया
फिर भी देखो मस्त हैं हम भैया
हम तो ऐसे हैं भैया
दिल में आता है यहाँ से
पंछी बनके उड़ जाऊँ
शाम ढले फिर दाना लेकर
लौट के अपने घर आऊँ
हम तो ऐसे हैं भैया , अरे हम तो ऐसे हैं भैया ...
तो अनीता कुमार जी और मनीष जोशी साहब इंतज़ार की घड़ियाँ हुई समाप्त। जितना ये गीत आप दोनों को पसंद है उतना मुझे भी है तो लीजिए सुनिए शान्तनु मोइत्रा द्वारा संगीतबद्ध इस गीत को
इस संगीतमाला के पिछले गीत
- पायदान १३ - ना है ये पाना, ना खोना ही है गीत - इरशाद कामिल संगीत- प्रीतम चलचित्र - जब वी मेट
- पायदान १४ - चंदा रे चंदा रे धीरे से मुसका.. गीत - स्वानंद किरकिरे संगीत- शान्तनु मोइत्रा चलचित्र - एकलव्य दि रॉयल गार्ड
- पायदान १५ - जब भी सिगरेट जलती है.. गीत - गुलज़ार संगीत - विशाल भारद्वाज चलचित्र - नो स्मोकिंग'
- पायदान १६ - रोज़ाना जिये रोज़ाना मरें.. गीत - मुन्ना धीमन संगीत - विशाल भारद्वाज चलचित्र - निशब्द
- पायदान १७ - बम बम बोले..... गीत - प्रसून जोशी संगीत - शंकर-अहसान-लॉए चलचित्र - तारे जमीं पर
- पायदान १८ - हलके हलके रंग छलके ..... गीत - जावेद अख्तर संगीत - विशाल-शेखर चलचित्र - हनीमून ट्रैवल्स प्राइवेट लिमिटेड
- पायदान १९ - लमहा ये जाएगा कहाँ..... गीत - प्रशांत पांडे संगीत - अग्नि चलचित्र - दिल दोस्ती ईटीसी
- पायदान २० - जिंदगी ने जिंदगी भर गम दिए... गीत - सईद क़ादरी संगीत - मिथुन चलचित्र - दि ट्रेन
- पायदान २१ - आँखों में तेरी अज़ब सी ... गीत - जावेद अख्तर संगीत - विशाल शेखर चलचित्र - ओम शांति ओम
- पायदान २२- तो फिर आओ.. मुझको सताओ गीत - सईद कादरी संगीत - प्रीतम चलचित्र - आवारापन
- पायदान २३- कसक उठी मेरे मन में पिया गीत-आनंद राज 'आनंद' संगीत-आनंद राज 'आनंद' चलचित्र छोड़ो ना यार
- पायदान २४ : झूम बराबर झूम... गीत-गुलज़ार संगीत-शंकर-अहसान-लॉए चलचित्र झूम बराबर झूम
- पायदान २५ : बस दीवानगी दीवानगी है.... गीत जावेद अख्तर संगीत विशाल- शेखर चलचित्र - ओम शांति ओम