सोमवार, दिसंबर 10, 2012

सा रे गा मा पा पर शास्त्रीय संगीत की अद्भुत बयार लाए हैं मोहम्मद अमन !

आज एक शाम मेरे नाम में महफिल सजी है राग बागेश्री की। काफी थाट से उत्पन्न ये राग यूँ तो रात्रि के अंतिम प्रहर में गाया जाता है पर राजस्थान के शास्त्रीय संगीत गायक मोहम्मद अमन की वजह से इस राग से जुड़ी कुछ बंदिशों को पिछले हफ्ते से क्या सुबह क्या शाम बस समझिए लगातार ही सुन रहा हूँ।

अगर आप टीवी पर सा रे गा मा पा 2012 देख रहे हों तो मोहम्मद अमन की बेमिसाल गायिकी से आप अब तक परिचित हो चुके होंगे। पिछले हफ्ते  विचित्र वीणा के जादूगर पंडित विश्व मोहन भट्ट के सम्मुख अमन ने बागेश्री की दो बंदिशों को जिस सुरीले अंदाज़ में तानों पर अपनी महारत दिखाते हुए प्रस्तुत किया कि मन बाग बाग हो गया और आँखों में इस बेजोड़ शास्त्रीय गायक की दिल लुभाने वाली गायिकी सुनकर खुशी के आँसू निकल आए।


शास्त्रीय संगीत के बारे में आम जनता यही समझती रही है कि ये बेहद उबाऊ होता है। वहीं अगर संगीत के सच्चे रसिया से पूछें तो वे बिल्कुल उलट ये कहेंगे कि संगीत सुनने का असली सुख यही है। पर शास्त्रीय संगीत की समझ रखने वालों और आम संगीत प्रेमी जनता के बीच शास्त्रीय संगीत की सोच से जुड़ी दूरी को पाटने में  सा रे गा मा पा जैसे रियालटी शो ने एक अद्भुत काम किया है।

वैसे तो घंटों चलने वाले शास्त्रीय संगीत की महफिलों में डूबने के लिए सब्र और संगीत की समझ दोनों होनी चाहिए। संगीत की समझ तो रुचि होने से धीरे धीरे आ ही जाती है। पर उसके लिए वक़्त चाहिए जो आजकल के युवाओं के पास होता ही कहाँ है? संगीत के इन कार्यक्रमों में समय सीमा की वज़ह से प्रतिभागी तीन से पाँच मिनट में रागों की कठिन से कठिन लयकारी को इस क़रीने से निभाते हैं कि क्या आम क्या खास सभी मंत्रमुग्ध से हो जाते हैं। आज युवाओं में शास्त्रीय संगीत और ग़ज़लों के प्रति उदासीनता इस विधा से जुड़े लोगों के लिए चिंता का विषय है। इन हालातों में ग़ज़लों की तरह शास्त्रीय संगीत को सा रे गा मा पा का मंच मिलना एक बेहद सार्थक कदम है जिसकी जितनी भी सराहना की जाए कम है।

मोहम्मद अमन ने भी अपनी हर प्रस्तुति में जो तानें ली है उन्हें सुनकर दाँतो तले अँगुली दबानी पड़ती है। मोहम्मद अमन का संगीतमय परिवार पटियाला घराने से ताल्लुक रखता है। उनके दादा आमिर मोहम्मद खाँ और पिता जफ़र मोहम्मद दोनों तबला वादक हैं और AIR जयपुर से जुड़े रह चुके हैं। इस कार्यक्रम के दौरान विश्व मोहन भट्ट ने  अमन के बारे में कहा कि 
"अभी भले ही वो बीस वर्ष के हैं पर दस साल की आयु में जब उन्होंने अमन को पहली बार सुना तो तब भी उनकी तैयार तानें उनकी आज की गायिकी से बीस नहीं तो उन्नीस ही रही होंगी।निश्चय ही इनकी प्रतिभा से भारतीय शास्त्रीय संगीत और समृद्ध होगा।"
तो आइए सुनते हैं मोहम्मद अमन द्वारा राग बागेश्री में गाई दो बंदिशें पहले अपने गरज पकड़ लीनी बैयाँ मोरी और फिर ए री ऐ मैं कैसे घर जाऊँ..


मोहम्मद अमन को अगर आपने अब तक नहीं सुना तो अवश्य सुनें और उनके पक्ष में वोट करें। जितनी देर तक वो इस कार्यक्रम में बने रहेंगे, संगीत की इस विधा को चुनने की इच्छा रखने वालों के लिए वे एक प्रेरणास्रोत साबित होंगे।
Related Posts with Thumbnails

13 टिप्पणियाँ:

पारुल "पुखराज" on दिसंबर 10, 2012 ने कहा…

bahut taiyaar aur behtreen gaayak hain..

दीपिका रानी on दिसंबर 10, 2012 ने कहा…

वाकई चमत्कृत कर देते हैं मोहम्मद अमान.. इस उम्र में इतना पक्‍का होना और साथ में पांव जमीन पर रहना बड़ी बात है। सा रे गा मा पा वाकई हुनरमंदों का मंच है और बाकी रियलिटी शोज वाली नौटंकी से अब तक बचा हुआ है।

दिगम्बर नासवा on दिसंबर 10, 2012 ने कहा…

झंकृत कर देने वाली आवाज़ है अमान की ... सुनके सुकून मिलता है रूह को ... ओर बागेश्री वाला एपिसोड मिने देखा था .. कह सकता हूं आपने सही लिखा है ...

ANULATA RAJ NAIR on दिसंबर 10, 2012 ने कहा…

बिना नागा किये देखते हैं सा रे गा मा पा...
मोहम्मद अमान तो कोई करिश्मा सा लगते हैं..
जब वो बाहर निकल गए थे शो से तब जनता की सोच और समझ पर बड़ा गुस्सा आया था...
शास्त्रीय संगीत ज्यादा समझ तो नहीं आता मगर सुनने में बहुत रुचता है....
शुभकामनाएँ अमान को....
आभार

अनु

सागर on दिसंबर 10, 2012 ने कहा…

thank you. suna. aur madmast ho gaye....

रजनीश के झा (Rajneesh K Jha) on दिसंबर 10, 2012 ने कहा…

बेहतर लेखन !!!

Manish Kumar on दिसंबर 10, 2012 ने कहा…

जी पारुल सही कहा आपने

दीपिका बिल्कुल सहमत हूँ आपसे। इसलिए इस कार्यक्रम का हर साल बेसब्री से इंतजार रहता है।

दिगंबर जी तानों में इनका उतार चढ़ाव ऐसा है कि लगता है कि उससे खेल रहे हों।

सागर आपको अमन का गायन पसंद आया जान कर खुशी हुई।

रजनीश धन्यवाद !

Manish Kumar on दिसंबर 10, 2012 ने कहा…

अनु जी बिना नागा हम्म्म ये कार्यक्रम है ही ऐसा। मैं खुद इसे पिछले छः सालों से देख रहा हूँ। बीच में हीमेश जी की उपस्थिति से इसमें भी नौटंकी का पुट भर दिया गया था पर गायन का स्तर हमेशा ही अच्छा रहा और पिछले दो सालों में तो जूरी मेम्बरान ऐसे लाए गए हैं जो सौम्यता से प्रतिभागी के गायन पर टिप्पणी करते हैं।

मोहम्मद अमन की गायिकी ऐसी है जो शास्त्रीय संगित की पेचीदगी को एक तरफ रखती हुई सीधे दिल पर असर करती है।

Leena Mehendale ने कहा…

सूरक्षेत्र में यशराज का गाया नमः शिवाय और दिलजान का तेरे बिना जिया मोरा भी अद्भुत आनंददायी थे। उन्हें भी सुनवाइये प्लीज.

Pihu Di ने कहा…

dhanyawaad manishji sa re ga ma pa ke khushnumaa shastriy sangeet ko dobara sunwane ka or apne lekh ke zariye uski tarif karne ka..

Alok Kumar Tripathi on दिसंबर 11, 2012 ने कहा…

Ye nai cheez shuru ki hai aapne Manishji, bahut bahut shukriya..keep this thread going.. God Bless..

Ranjeet Singh on दिसंबर 12, 2012 ने कहा…

At the moment mr. AMAN is the best singer of shastriya gayan ...

Naveen Kumar Pathak on जनवरी 02, 2013 ने कहा…

bahut umda prayaas hai. keep it up. my wishes.

follwing is my blog pls take look
http://www.naveenkumarpathak.blogspot.in/

 

मेरी पसंदीदा किताबें...

सुवर्णलता
Freedom at Midnight
Aapka Bunti
Madhushala
कसप Kasap
Great Expectations
उर्दू की आख़िरी किताब
Shatranj Ke Khiladi
Bakul Katha
Raag Darbari
English, August: An Indian Story
Five Point Someone: What Not to Do at IIT
Mitro Marjani
Jharokhe
Mailaa Aanchal
Mrs Craddock
Mahabhoj
मुझे चाँद चाहिए Mujhe Chand Chahiye
Lolita
The Pakistani Bride: A Novel


Manish Kumar's favorite books »

स्पष्टीकरण

इस चिट्ठे का उद्देश्य अच्छे संगीत और साहित्य एवम्र उनसे जुड़े कुछ पहलुओं को अपने नज़रिए से विश्लेषित कर संगीत प्रेमी पाठकों तक पहुँचाना और लोकप्रिय बनाना है। इसी हेतु चिट्ठे पर संगीत और चित्रों का प्रयोग हुआ है। अगर इस चिट्ठे पर प्रकाशित चित्र, संगीत या अन्य किसी सामग्री से कॉपीराइट का उल्लंघन होता है तो कृपया सूचित करें। आपकी सूचना पर त्वरित कार्यवाही की जाएगी।

एक शाम मेरे नाम Copyright © 2009 Designed by Bie