मंगलवार, फ़रवरी 05, 2013

वार्षिक संगीतमाला 2012 पॉयदान # 12 : तोरे नैना बड़े दगाबाज रे...

हिंदी फिल्म संगीत में आज का दौर प्रयोगधर्मिता का दौर है। युवा संगीतकार लीक से हटकर नए तरह के संगीत संयोजन को बेहतरीन आयाम दे रहे हैं। पिछले कुछ सालों से अमित त्रिवेदी और पिछले साल गैंग आफ वासीपुर में स्नेहा खानवलकर का काम इसी वज़ह से सराहा भी गया था। पर प्रयोगधर्मिता तभी तक अच्छी लगती है जब तक उसका सुरीलापन बरक़रार रहे। मेलोडी के बिना कभी कभी ये प्रयोग कौतुक तो जगाते हैं पर इनका असर कुछ दिनों में ही हल्का पड़ने लगता है।

वार्षिक संगीतमाला की बारहवीं पॉयदान पर विशुद्ध भारतीय मेलोडी की चाशनी में डूबा गीत पाश्चात्य संक्रमण और प्रयोगधर्मिता की परिधि से परे है और एक बार में ही कानों के रास्ते सीधे हृदय में जगह बना लेता है। संगीतकार साज़िद वाज़िद का संगीतबद्ध ये गीत है फिल्म दबंग 2 का और इसे लिखा है समीर ने।

गाने की परिस्थिति ऐसी है कि नायक अपनी रूठी पत्नी को मना रहा है। ज़ाहिर सी बात है समीर को गीत में मीठी तकरार का पुट देना था। समीर सहज शब्दों में ही इस नोंक झोंक को गीत के दो अंतरों की सहायता से आगे बढ़ाते हैं। समीर ने गीत के बोलों में इस बात का ध्यान रखा है कि उसमें उत्तर प्रदेश की बोली का ज़ायका मिले आखिर हमारे चुलबुल पांडे इस प्रदेश के जो ठहरे।

पर गीत का असली आनंद है राहत की सुकून भरी गायिकी और साज़िद वाज़िद के मधुर संगीत संयोजन में। मुखड़े में तबले ताली और हारमोनियम का अद्भुत मिश्रण गीत की मस्ती को आत्मसात किए चलता है। इंटरल्यूड्स में पहले सितार और फिर हारमोनियम का प्रयोग बेहद मधुर लगता है। जिस मुलायमियत की जरूरत इस गीत को थी उसे राहत अपनी दिलकश आवाज़ से साकार करते दिखते हैं। उनकी गायिकी का असर ये होता है कि मन श्रेया के हिस्से से जल्द निकलने को करने लगता है।

तो आइए सुनें इस गीत को राहत और श्रेया की आवाज़ों में..



तोरे नैना बड़े दगाबाज रे
कल मिले, कल मिले ई हमका भूल गए आज रे
दगाबाज रे, हाए दगाबाज रे..तोरे नैना बड़े दगाबाज रे


काहे ख़फा ऐसे, चुलबुल से बुलबुल
काहे ना तू माने बतियाँ
काहे पड़ा पीछे, जान पे बैरी
ना जानूँ क्या तोरी बतियाँ
ज़िंदगी अपनी हम तोका दान दई दें
मुस्कुराके जो माँगे परान दई दें
कल मिले, कल मिले ई हमका भूल गए आज रे..
दगाबाज रे, हाए दगाबाज रे..तोरे नैना बड़े दगाबाज रे

डरता ज़हाँ हमसे, हम तोसे डरते
इ सब जानें मोरी रनिया हाए
मसका लगाओ ना छोड़ो जी छोड़ो
समझती है तोरी धनिया
इस अदा पे तो हम कुर्बान गए जी
तोहरी ना ना में हामी है जान गए जी
कल मिले, कल मिले ई हमका भूल गए आज रे..
तोरे नैना बड़े दगाबाज रे
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9 टिप्पणियाँ:

प्रवीण पाण्डेय on फ़रवरी 05, 2013 ने कहा…

वाह, मधुर गीत..

Ankur Jain on फ़रवरी 05, 2013 ने कहा…

सुंदर प्रस्तुति।।

Unknown on फ़रवरी 05, 2013 ने कहा…

लाजवाब.......

Unknown on फ़रवरी 05, 2013 ने कहा…

लाजवाब.......

Abhishek Mishra on फ़रवरी 08, 2013 ने कहा…

गीतों पर आपकी जानकारी और प्रेम काबिलेतारीफ है. आपने 'गैंग्स ऑफ वासेपुर 1/2' पर भी कोई पोस्ट लिखी है क्या ?

Mrityunjay Kumar Rai on फ़रवरी 08, 2013 ने कहा…

full of melody

Annapurna Gayhee on फ़रवरी 08, 2013 ने कहा…

nice song

Manish Kumar on फ़रवरी 12, 2013 ने कहा…

Abhishek GOW का एक गीत मेरा जूता फेक लेदर http://ek-shaam-mere-naam.blogspot.in/2013/01/2012-23.html
इस गीतमाला का हिस्सा बना चुका है और एक आगे बनेगा।

प्रवीण, अंकुर, अन्नपूर्णा जी, सज्जन, मृत्युंजय गीत पसंद करने के लिए शुक्रिया।

Ankit on मार्च 08, 2013 ने कहा…

थोड़ी देर हो गई यहाँ आने में ..........
साजिद-वाजिद के अधिकतर गीतों में मेलोडी बरक़रार रखने की कोशिश की जाती है। वैसे दबंग 2, उसके पहले भाग से संगीत के मामले में भी कमज़ोर है। साजिद-वाजिद के एक इंटरव्यू में पढ़ा था कि जब अरबाज़ खान दबंग 2 की स्क्रिप्ट लेकर उनके पास संगीत के लिए आये थे तो 2 घंटे के भीतर ही उन्होंने फिल्म के सभी गीतों का ख़ाका खींच लिया था।

फिल्म के बाकी गीतों में से ये गीत थोड़ा भाता है।

 

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