शनिवार, जनवरी 18, 2014

वार्षिक संगीतमाला 2013 पॉयदान संख्या 17 : मैं रंग शरबतों का, तू मीठे घाट का पानी (Main Rang Sharbaton ka..)

वार्षिक संगीतमाला 2013 के पिछले दो हफ्तों के सफ़र के बाद हम आ पहुँचे हैं संगीतमाला की 25 वीं पॉयदान से 17 वीं पॉयदान पर। गीतमाला की सत्रहवीं सीढ़ी पर है एक बड़ा प्यारा  नग्मा जिसे खूबसूरत बोलों से नवाज़ा है एक बार फिर इरशाद क़ामिल ने। फिल्म फटा पोस्टर निकला हीरो का ये गीत इस साल के बेहतरीन रूमानी नग्मों में से एक है।

इस गीत की जान इसका मुखड़ा है। शरबती रंग को मीठे पानी से घोलने की कल्पना दो प्यार भरे दिलों के मिलन का सटीक रूपक बन पड़ी है जो किसी संगीतप्रेमी श्रोता का ध्यान पहली बार में ही अपनी ओर खींचती है। अंतरों में भी प्यार का ये रंग फीका नहीं पड़ा है। इरशाद क़ामिल के लिए पिछला साल बतौर गीतकार उतना अच्छा नहीं रहा था पर इस साल उन्होंने अपनी कलम का  वो जलवा दिखाया है जो 'अजब प्रेम की गजब कहानी', 'रॉकस्टार', 'जब वी मेट', 'Once upon a time in Mumbai' और 'मौसम' जैसी कामयाब फिल्मों में दिखा था। 


वैसे क्या आपको पता है कि इरशाद क़ामिल को प्रेम गीतों को लिखने का चस्का कैसे लगा ? कॉलेज के ज़माने में उनके मित्र उनसे प्रेम पत्र लिखवाया करते थे। अब शेर ओ शायरी के बिना पत्रों से रूमानियत टपकती तो कैसे? इस वज़ह से कविता व शायरी पढ़ने लिखने में उनकी दिलचस्पी बढ़ गई। अपने दोस्तों में वो सुंदर लिखावट के लिए भी वे मशहूर थे तो मित्र उनसे किसी अज़ीम शायर की ग़ज़ल लिखवा कर अपने पत्रों में डलवा देते। ये सिलसिला इतना बढ़ गया कि एक ही शायरी को बार बार डालने में इरशाद को उकताहट होने लगी और इस हमेशा की परेशानी से बचने के लिए उन्होंने खुद से ही लिखना शुरु कर दिया।

फटा पोस्टर निकला हीरो के संगीतकार प्रीतम ने इस गीत के दो वर्सन रिकार्ड किये। एक को तो उन्होंने युगल गीत के रूप में पाकिस्तानी गायक आतिफ असलम और चिन्मयी श्रीपदा से गवाया जब कि दूसरे वर्सन में एकल गीत के तौर पर इसे अरिजित सिंह से गवाया। दोनों वर्सनों को सुनने के बाद मुझे आतिफ़ और चिन्मयी का युगल गीत ही ज्यादा पसंद आता है। आपका इस बारे में क्या ख़्याल है?



ख्वाब है तू, नींद हूँ मैं, दोनो मिलें, रात बने
रोज़ यही माँगूँ दुआ, तेरी मेरी बात बने

मैं रंग शरबतों का, तू मीठे घाट का पानी
मुझे खुद में घोल दे तो,मेरे यार बात बन जानी


ओ यारा तुझे प्यार की बतियाँ क्या समझावाँ
जाग के रतियाँ रोज़ बितावाँ, इससे आगे अब मैं क्या कहूँ
ओ यारा तुझे बोलती अँखियाँ सदके जावाँ
माँग ले पकियाँ आज दुआवाँ, इससे आगे अब मैं क्या कहूँ

मैंने तो धीरे से, नींदों के धागे से, बाँधा है ख्वाब को तेरे
मैं ना जहान चाहूँ, ना आसमान चाहूँ, आजा हिस्से में तू मेरे

तू ढंग चाहतों का, मैं जैसे कोई नादानी
मुझे खुद से जोड़ दे तो ,मेरे यार बात बन जानी
रंग शरबतों का…

तेरे ख़यालों से, तेरे ख़यालों तक, मेरा तो है आना जाना
मेरा तो जो भी है, तू ही था, तू ही है
बाकी जहान है बेगाना,

तुम एक मुसाफ़िर हो, मैं कोई राह अनजानी

मनचाहा मोड़ दे तो, मेरे यार बात बन जानी
मैं रंग शरबतों का, तू मीठे घाट का पानी

फिल्म में इस गीत को फिल्माया गया है शाहिद कपूर और इलीना पर..


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10 टिप्पणियाँ:

Sumit Prakash on जनवरी 18, 2014 ने कहा…

Sahi kaha hai aapne. Mukhda jaan hai Irshaad Kamil ke is geet ka. Very fresh metaphor. Kabhi pahle nahi suna aisa expression.

प्रवीण पाण्डेय on जनवरी 19, 2014 ने कहा…

अरिजीत की आवाज़ में एक अजब सी कशिश है..

AlokTheLight on जनवरी 19, 2014 ने कहा…

Aatif's voice is more monotonous though suits this song.. Arijit's version haas more variations and range.. I love both versions.. :)

Manish Kumar on जनवरी 19, 2014 ने कहा…

आपका तो ये फेवरट गीत है ना अनिल सहारण 'सोनङी

अनिल सहारण सोनङी on जनवरी 19, 2014 ने कहा…

Aapne sahi farmaya manish ji. Mai soch rha tha ki ye geet konsi paydan pe hoga. Hame yad rakhne ke liye bahut bahu aabhar

Unknown on जनवरी 20, 2014 ने कहा…

शब्द और गायिकी दोनों सुन्दर है।आभार।

कंचन सिंह चौहान on जनवरी 20, 2014 ने कहा…

इस गीत को सुनना अच्छा लगता है।

Mrityunjay Kumar Rai on जनवरी 21, 2014 ने कहा…

बहुत सुंदर गाना

Prashant Suhano on जनवरी 21, 2014 ने कहा…

अब आया मेरी पसंद का गाना.. मैं पिछले कई पायदानों से इसी का इंतजार कर रहा था...

Manish Kumar on जनवरी 28, 2014 ने कहा…

प्रवीण, कंचन, मृत्युंजय, सुनीता जी, प्रशांत गीत पसंद करने के लिए धन्यवाद

सुमित पूरी तरह सहमत हूँ आपके कथन से।

 

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