शनिवार, मार्च 15, 2014

वार्षिक संगीतमाला 2013 सरताज गीत : सपना रे सपना, है कोई अपना... (Sapna Re Sapna..Padmnabh Gaikawad)

वक़्त आ गया है वार्षिक संगीतमाला 2013 के सरताजी बिगुल के बजने का ! यहाँ गीत वो जिसमें लोरी की सी मिठास है, सपनों की दुनिया में झाँकते एक बाल मन की अद्भुत उड़ान है और एक ऐसी नई आवाज़ है जो उदासी की  चादर में आपको गोते लगाने को विवश कर देती है। बाल कलाकार पद्मनाभ गायकवाड़ के हिंदी फिल्मों के लिए गाए इस पहले गीत को लिखा है गुलज़ार साहब ने और धुन बनाई विशाल भारद्वाज ने। Zee सारेगामा लिटिल चैम्स मराठी में 2010 में अपनी गायिकी से प्रभावित करने वाले पद्मनाभ गायकवाड़ इतनी छोटी सी उम्र में इस गीत को जिस मासूमियत से निभाया है वो दिल को छू लेता है।

पद्मनाभ गायकवाड़

ये तीसरी बार है कि गुलज़ार और विशाल भारद्वाज की जोड़ी एक शाम मेरे नाम की वार्षिक संगीतमालाओं में के सरताज़ गीत का खिताब अपने नाम कर रही है। अगर आपको याद हो तो वर्ष 2009 मैं फिल्म कमीने का गीत इक दिल से दोस्ती थी ये हुज़ूर भी कमीने और फिर 2010 में इश्क़िया का दिल तो बच्चा है जी ने ये गौरव हासिल किया था।

विशाल भारद्वाज सपनों की इस दुनिया में यात्रा की शुरुआत गायकवाड़ के गूँजते स्वर से करते हैं। गिटार और संभवतः पार्श्व में बजते पियानो से निकलकर पद्मनाभ की ऊँ ऊँ..जब आप तक पहुँचती है तो आप चौंक उठते हैं कि अरे ये गीत सामान्य गीतों से हटकर है। गुलज़ार के शब्दों को आवाज़ देने  में बड़े बड़े कलाकारों के पसीने छूट जाते हैं क्यूँकि उनका लिखा हर एक वाक्य भावनाओं की चाशनी में घुला होता है और उन जज़्बातों को स्वर देने, उनके अंदर की पीड़ा को बाहर निकालने के लिए उसमें डूबना पड़ता है जो इतनी छोटी उम्र में बिना किसी पूर्व अनुभव के पद्मनाभ ने कर के दिखाया है।


गुलज़ार को हम गुलज़ार प्रेमी यूँ ही अपना आराध्य नहीं मानते। ज़रा गीत के अंतरों पर गौर कीजिए सपनों की दुनिया में विचरते एक बच्चे के मन को कितनी खूबसूरती से पढ़ा हैं उन्होंने। गुलज़ार लिखते  हैं भूरे भूरे बादलों के भालू, लोरियाँ सुनाएँ ला रा रा रू...तारों के कंचों से रात भर  खेलेंगे सपनों में चंदा और तू। काले काले बादलों को भालू और तारों को कंचों का रूप देने की बात या तो कोई बालक सोच सकता है या फिर गुलज़ार !अजी रुकिये यहीं नहीं दूसरे अंतरे में भी उनकी लेखनी का कमाल बस मन को चमत्कृत कर जाता है। गाँव, चाँदनी और सपनों को उनकी कलम कुछ यूँ जोड़ती है पीले पीले केसरी है गाँव, गीली गीली चाँदनी की छाँव, बगुलों के जैसे रे, डूबे हुए हैं रे, पानी में सपनों के पाँव...उफ्फ

विशाल भारद्वाज का संगीत संयोजन सपनों की रहस्यमयी दुनिया में सफ़र कराने सा अहसास दिलाता है। पता नहीं जब जब इस गीत को सुनता हूँ आँखें नम हो जाती हैं। पर ये आँसू दुख के नहीं संगीत को इस रूप में अनुभव कर लेने के होते हैं।

सपना रे सपना, है कोई अपना
अँखियों में आ भर जा
अँखियों की डिबिया भर दे रे निदिया
जादू से जादू कर जा
सपना रे सपना, है कोई अपना
अँखियों में आ भर जा.....


भूरे भूरे बादलों के भालू
लोरियाँ सुनाएँ ला रा रा रू
तारों के कंचों से रात भर  खेलेंगे
सपनों में चंदा और तू
सपना रे सपना, है कोई अपना
अँखियों में आ भर जा


पीले पीले केसरी है गाँव
गीली गीली चाँदनी की छाँव
बगुलों के जैसे रे, डूबे हुए हैं रे
पानी में सपनों के पाँव
सपना रे सपना, है कोई अपना
अँखियों में आ भर जा....

वार्षिक संगीतमाला 2013 का ये सफ़र आज यहीं पूरा हुआ। आशा है मेरी तरह आप सब के लिए ये आनंददायक अनुभव रहा होगा । होली की असीम शुभकामनाओं के साथ...
Related Posts with Thumbnails

6 टिप्पणियाँ:

Archana Chaoji on मार्च 15, 2014 ने कहा…

वाह!क्या गीत है ......बधाई एक अद्भुत गीत चुनने की .....एक शानदार संगीतमय सफ़र की ......बहुत शुभकामनाएँ होली की

Manish Kumar on मार्च 15, 2014 ने कहा…

शुक्रिया अर्चना जी आपको भी होली की शुभकामनाएँ।

richa on मार्च 16, 2014 ने कहा…

वाह! बच्चों के सपनों सा ही प्यारा गीत... बेहद खूबसूरत कम्पोज़ीशन है... गुलज़ार साब की मुरीद हूँ और सोच रही हूँ इतना प्यारा गीत मिस कैसे कर दिया... हमें इस तक पहुँचाने का शुक्रिया मनीष जी...

erohsik on मार्च 19, 2014 ने कहा…

Absolutely mind blowing and heartfelt song, singer, music and lyrics...

Thank you for this offering....

Kish...

Manish Kumar on अप्रैल 02, 2014 ने कहा…

ॠचा, इरोशिक मेरी तरह आपको भी ये गीत बेहद पसंद आया जानकर खुशी हुई।

संजय भास्‍कर on अप्रैल 30, 2014 ने कहा…

वाह!क्या गीत है

 

मेरी पसंदीदा किताबें...

सुवर्णलता
Freedom at Midnight
Aapka Bunti
Madhushala
कसप Kasap
Great Expectations
उर्दू की आख़िरी किताब
Shatranj Ke Khiladi
Bakul Katha
Raag Darbari
English, August: An Indian Story
Five Point Someone: What Not to Do at IIT
Mitro Marjani
Jharokhe
Mailaa Aanchal
Mrs Craddock
Mahabhoj
मुझे चाँद चाहिए Mujhe Chand Chahiye
Lolita
The Pakistani Bride: A Novel


Manish Kumar's favorite books »

स्पष्टीकरण

इस चिट्ठे का उद्देश्य अच्छे संगीत और साहित्य एवम्र उनसे जुड़े कुछ पहलुओं को अपने नज़रिए से विश्लेषित कर संगीत प्रेमी पाठकों तक पहुँचाना और लोकप्रिय बनाना है। इसी हेतु चिट्ठे पर संगीत और चित्रों का प्रयोग हुआ है। अगर इस चिट्ठे पर प्रकाशित चित्र, संगीत या अन्य किसी सामग्री से कॉपीराइट का उल्लंघन होता है तो कृपया सूचित करें। आपकी सूचना पर त्वरित कार्यवाही की जाएगी।

एक शाम मेरे नाम Copyright © 2009 Designed by Bie