सोमवार, जुलाई 09, 2018

जो न मिल सके वही बेवफा, ये बड़ी अजीब सी बात है Jo Na Mil Sake Wahi Bewafa

पिछले हफ्ते मशहूर शायर नासिर काज़मी की कुछ ग़ज़लें तलाश कर रहा था कि भटकते भटकते इस गीत पर जा कर मेरे कानों की सुई अटक गयी। इक प्यारा सा दर्द था इस गीत में जो एकदम से दिल में उतरता चला गया। पहली बार सुना था ये नग्मा तो उत्सुकता हुई पता करने कि इसे किसने  लिखा है? कुछ जाल पृष्ठों पर गीतकार ख़्वाजा परवेज़ का नाम देखा। बाद में ये जानकारी हाथ लगी कि मलिका ए तरन्नुम नूरजहाँ के गाए सैकड़ों गीतों में ख़्वाजा परवेज़ ही गीतकार रहे हैं।

जिन्होंने ख़्वाजा परवेज़ का नाम पहली बार सुना है उनको बता दूँ कि ख़्वाजा परवेज़ का वास्तविक नाम गुलाम मोहिउद्दीन था और उनकी पैदाइश पंजाब के अमृतसर जिले में हुई थी। परवेज़ साहब का नाम पाकिस्तान के अग्रणी गीतकारों में लिया जाता है। अपने चार दशकों के फिल्मी जीवन में उन्होंने पंजाबी और उर्दू में करीब आठ हजार से ऊपर गीत लिखे। वे एक संगीतकार भी थे। उनके लिखे तमाम गीतों को नूरजहाँ के आलावा मेहदी हसन, नैयरा नूर, रूना लैला जैसे अज़ीम फनकारों ने अपनी आवाज़ दी। मेहदी हसन का गाया गीत जब कोई प्यार से बुलाएगा.. तुमको एक शख़्स याद आएगा  भी ख़्वाजा परवेज़ का ही लिखा है।



परवेज़ साहब ने इस गीत किसी के ज़िदगी में आकर चले जाने के बाद की मनःस्थितियों को सहज शब्दों में बड़ी बारीकी से पकड़ा है। ऐसे किसी शख़्स को एकदम से भूल कहाँ पाते हैं। वो नज़रों से ओझल तो रहता है पर उसके साथ बिताए लमहों की गर्माहट दिल को रौशन करती रहती है। ये रोशनी रह रह कर हमारा मन पुलकित करती रहती है और इस दौरान हम इस बात को भी भूल जाते हैं कि वो इंसान अब हमारे साथ नहीं है। इसीलिए परवेज़ लिखते हैं..

मेरी जुस्तज़ू को खबर नहीं, न वो दिन रहे न वो रात है
जो चला गया मुझे छोड़ कर वही आज तक मेरे साथ है

जब हम आपनी ख्यालों की दुनिया से बाहर निकलते हैं तो अपने अकेलेपन का अहसास  दिल में इक हूक सी उठा देता  है और मन में दर्द का सैलाब उमड़ पड़ता है। एक साथ कई शिकायतें सर उठाने लगती हैं पर फिर भी उसके अस्तित्व का तिलिस्म टूटता नहीं। देखिए गीतकार की कलम क्या खूब चली है इन भावों को व्यक्त करने में.

करे प्यार लब पे गिला न हो, ये किसी किसी का नसीब है
ये करम है उसका ज़फा नहीं, वो जुदा भी रह के करीब है
वो ही आँख है मेरे रूबरू, उसी हाथ में मेरा हाथ है
जो चला गया मुझे छोड़ कर वही आज तक मेरे साथ है

नूरजहाँ ने तो अपनी आवाज़ से परवेज़ जी के इस गीत को यादगार बनाया ही है। पर उनकी आवाज़ में जो ठसक है उसे सुनकर ऐसा लगता है कि किसी महीन मुलायम सी आवाज़ में ये गीत और जमता। हालांकि इंटरनेट पर मैंने कई अन्य गायकों को भी इस गीत पर अपना गला आज़माते सुना पर उनमें नूरजहाँ का वर्सन ही सबसे शानदार लगा। उम्मीद है कि किसी भारतीय कलाकार की आवाज़ से भी ये गीत निखरेगा। गीत का संगीत भी बेहद मधुर है। तबले की संगत तो खास तौर पर कानों को लुभाती है।  तो आइए सुनते हैं ये प्यारा सा नग्मा।


जो न मिल सके वही बेवफा, ये बड़ी अजीब सी बात है
जो चला गया मुझे छोड़ कर वही आज तक मेरे साथ है
जो न मिल सके वो ही बेवफा ...

जो किसी नज़र से अता हुई वही रौशनी है ख्याल में
वो न आ सके रहूँ मुंतज़र, ये खलिश कहाँ थी विसाल में
मेरी जुस्तज़ू को खबर नहीं, न वो दिन रहे न वो रात है
जो चला गया मुझे छोड़ कर वही आज तक मेरे साथ है
जो न मिल सके वो ही बेवफा ...

करे प्यार लब पे गिला न हो, ये किसी किसी का नसीब है
ये करम है उसका ज़फा नहीं, वो जुदा भी रह के करीब है
वो ही आँख है मेरे रूबरू, उसी हाथ में मेरा हाथ है
जो चला गया मुझे छोड़ कर वही आज तक मेरे साथ है
जो न मिल सके वो ही बेवफा ..

मेरा नाम तक जो न ले सका, जो मुझे क़रार न दे सका
जिसे इख़्तियार तो था मगर, मुझे अपना प्यार न दे सका
वही शख्स मेरी तलाश है, वही दर्द मेरी हयात है
जो चला गया मुझे छोड़ कर वही आज तक मेरे साथ है
जो न मिल सके वो ही बेवफा...

नूरजहाँ की आवाज़ का साथ अभी कुछ दिन और रहेगा। अभी तो आपने उनकी आवाज़ में ये गीत सुना। आपकी कुछ शामों को नासिर काज़मी जी की लिखी ग़ज़लों से सुरीला बनाने का मेरा इरादा है।
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21 टिप्पणियाँ:

radha tiwari( radhegopal) on जुलाई 10, 2018 ने कहा…

आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल बुधवार (11-07-2018) को "चक्र है आवागमन का" (चर्चा अंक-3029) पर भी होगी।
--
चर्चा मंच पर पूरी पोस्ट नहीं दी जाती है बल्कि आपकी पोस्ट का लिंक या लिंक के साथ पोस्ट का महत्वपूर्ण अंश दिया जाता है।
जिससे कि पाठक उत्सुकता के साथ आपके ब्लॉग पर आपकी पूरी पोस्ट पढ़ने के लिए जाये।
--
हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
सादर...!
राधा तिवारी

आशा किरन on जुलाई 13, 2018 ने कहा…

लाज़वाब नग्मा

Manish Kumar on जुलाई 13, 2018 ने कहा…

हाँ आशा जी मुझे भी बेहद पसंद आया।

Kusum Kushwaha on जुलाई 15, 2018 ने कहा…

मेरा नाम तक जो न ले सका, जो मुझे क़रार न दे सका
जिसे इख़्तियार तो था मगर, मुझे अपना प्यार न दे सका

Bahut khoob

Manish Kumar on जुलाई 15, 2018 ने कहा…

हां बड़ा भावनात्मक गीत है । पसंद करने का शुक्रिया कुसुम !

Manish Kumar on जुलाई 15, 2018 ने कहा…

ब्लाग बुलेटिन और चर्चा मंच पर इस प्रविष्टि को स्थान देने के लिए शिवम और राधा आप दोनों का हार्दिक आभार।

kumar gulshan on जुलाई 16, 2018 ने कहा…

हमेशा की तरह ही कुछ अलग सुनने को मिला सुनकर अच्छा लगा। इस गीत से रूबरू करवाने के लिये शुक्रिया। आपके लिखने का अंदाज़ तो हमेशा ही मुझे बेहद पसंद आता है

Unknown on जुलाई 28, 2018 ने कहा…

शानदार जी पसंद आया

Manish Kumar on जुलाई 30, 2018 ने कहा…

गुलशन जानकर खुशी हुई।

सोहन शुक्रिया पसंदगी का !

Meena sharma on दिसंबर 02, 2018 ने कहा…

बहुत खूबसूरत नगमा है। शुक्रिया।

Manish Kumar on दिसंबर 27, 2018 ने कहा…

मीना आपको पसंद आया जानकर खुशी हुई।

Tapi Shukla on अप्रैल 29, 2020 ने कहा…

bahut badhiya

Tapi Shukla on अप्रैल 29, 2020 ने कहा…

dil ko chu gya

Manish Kumar on मई 08, 2020 ने कहा…

जानकर खुशी हुई तपी शुक्ला जी :)

Unknown on सितंबर 22, 2020 ने कहा…

Dil.....ki baation ko nah btane pr bhi sab kuch zahir kr diya is song❤️ne

Manish Kumar on सितंबर 25, 2020 ने कहा…

हर अंतरे में अपने प्रेमी को याद करते हुए टूटे दिल की कसक ही तो बयाँ हो रही हैं गुमनाम। वैसे अगर अपना नाम भी ज़ाहिर करते तो मुझे खुशी होती।

Navneet Yadav on अक्तूबर 08, 2020 ने कहा…

अरे वाह! बहुत ही खूबसरत अंदाज़ में पिरोया है आपने मेरे ही जज़्बातों को। शुक्रिया मनीष जी।

Narotam Ghag on जुलाई 26, 2021 ने कहा…

very nice information and poetry

Unknown on अगस्त 05, 2021 ने कहा…

Itni khoobsurat explanation ke lie shukriya, Manish ji🙏🙏

बेनामी ने कहा…

मै भी कोशिश करूंगी ये गाने की,,मैने इन्सटाग्राम पर सुना,और सुनने चौक गयी,,इतना दर्द, कसक,,फिर यूट्यूब मे सुना,,अब गूगल पर आयी लिरिक्स के लिए,,अब, मेरे चैनल @MUSICAL.MINERVA को सब्सक्राईब करलें आपको मेरी भी एक कोशिश सुनाना चाहती हूँ चाहे एक मिनट ही सही,सुनकर जरूर बताईऐगा

Manish Kumar on सितंबर 13, 2023 ने कहा…

@Musical Minerva जी बिलकुल आप लिंक शेयर कर दें। आपकी आवाज़ सुनना चाहूँगा।

 

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