tag:blogger.com,1999:blog-24770698.post115861138336810508..comments2024-03-27T11:21:05.807+05:30Comments on एक शाम मेरे नाम: झेलिये एक कविता मेरी भी...Unknownnoreply@blogger.comBlogger10125tag:blogger.com,1999:blog-24770698.post-46100614273076321792013-07-25T21:18:48.253+05:302013-07-25T21:18:48.253+05:30बहुत सुन्दर अभिव्यक्ति मनीष जी। 'थ'को हम भ...बहुत सुन्दर अभिव्यक्ति मनीष जी। 'थ'को हम भी धन्यवाद देना चाहेंगे।Anonymoushttps://www.blogger.com/profile/13127771927292993754noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-24770698.post-81980922078990515052012-05-10T13:58:37.614+05:302012-05-10T13:58:37.614+05:30Rachana ke bahane hi sahi ek badhiya rachana padhi...Rachana ke bahane hi sahi ek badhiya rachana padhi aaj....shukriyaArchana Chaojihttps://www.blogger.com/profile/16725177194204665316noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-24770698.post-1159333072264854022006-09-27T10:27:00.000+05:302006-09-27T10:27:00.000+05:30शुक्रिया सिन्धु !शुक्रिया सिन्धु !Manish Kumarhttps://www.blogger.com/profile/10739848141759842115noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-24770698.post-1159322942224846572006-09-27T07:39:00.000+05:302006-09-27T07:39:00.000+05:30वाह मनीष भाई, वाह!!! क्या बात है। अब झेलिए एक तारी...वाह मनीष भाई, वाह!!! <BR/>क्या बात है। <BR/>अब झेलिए एक तारीफ़ मेरी भी :)Anonymousnoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-24770698.post-1158949270882475772006-09-22T23:51:00.000+05:302006-09-22T23:51:00.000+05:30जगदीश , रचना, शोएब, उन्मुक्त एवं रत्ना जी मेरा ये ...<B>जगदीश , रचना, शोएब, उन्मुक्त एवं रत्ना जी </B>मेरा ये प्रयास आप सबको अच्छा लगा जानकर बेहद खुशी हुई ।<BR/><B>शोएब भाई </B> इस चिट्ठे पर ये हमारी पहली पूरी कविता है । और और राज की बात बताऊँ तो पूरी जिंदगी की तीसरी :)<BR/>अब तक शायरी या कविता आप यहाँ पढ़ते आए हैं वो तो मेरी पसंद की रचनाएँ थीं । आप पुरानी पोस्टों पर गौर करें तो स्पष्ट हो जाएगा ।Manish Kumarhttps://www.blogger.com/profile/10739848141759842115noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-24770698.post-1158911475293985152006-09-22T13:21:00.000+05:302006-09-22T13:21:00.000+05:30भाषा सराहें या भाव, दोनों ही अनुपम है।लगता है हमें...भाषा सराहें या भाव, दोनों ही अनुपम है।लगता है हमें अब थ से खत्म होने वाली कविता लिखनी पड़ेगी ताकि आपकी एक सुन्दर कृति देखने को मिले। पर हमारी कविता झेलने से अच्छा है आप स्वयं ही कविता की सरिता बहाते रहें।Anonymousnoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-24770698.post-1158826746823744722006-09-21T13:49:00.000+05:302006-09-21T13:49:00.000+05:30क्या तारीफ भी थाम के की जायक्या तारीफ भी थाम के की जायAnonymousnoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-24770698.post-1158770462115712162006-09-20T22:11:00.000+05:302006-09-20T22:11:00.000+05:30क्यों मज़ाक कर रहे हो भाई - हम तो खामोशी से आपकी कव...क्यों मज़ाक कर रहे हो भाई - हम तो खामोशी से आपकी कविताएं पढते ही रहते हैं। और आज आपने अपने दिल की बात लिख ही दी तो दिल ने चाहा कि अब हमारा टिप्पनी लिखना भी ज़रूरी है। और आपकी कवीताऔं का असर इतना है कि अब क्या बताऐं। पहले तो हमे शायरी आती नही मगर कोई कुछ आच्छा लिखे तो बार बार पढने के लिए दिल चाहता है जैसे के आप :)Anonymousnoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-24770698.post-1158647358702378002006-09-19T11:59:00.000+05:302006-09-19T11:59:00.000+05:30हम तो 'थ' को धन्यवाद ही कहेँगे,और अपने धैर्य को भी...हम तो 'थ' को धन्यवाद ही कहेँगे,और अपने धैर्य को भी,कि हमने 'थ' से शुरु होने वाले 'बच्चन' जी के दो छन्द मालूम होने के बाद भी प्रविष्टि नही डाली...वरना आपकी बेहतरीन पन्क्तियाँ पढ ही नही पाते!! बहुत खूब कविता लिखी है आपने....<BR/>Rachanarachanahttps://www.blogger.com/profile/14183659688400073503noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-24770698.post-1158637435258554602006-09-19T09:13:00.000+05:302006-09-19T09:13:00.000+05:30मनीष जी, अच्छा हुआ कि थ ने "था था थैया" करवा दिया ...मनीष जी, अच्छा हुआ कि थ ने "था था थैया" करवा दिया और इतनी अच्छी कविता बन गई कि तारीफ तरने से अपनेआप को थाम नहीं पा रहा हूं।Anonymousnoreply@blogger.com