tag:blogger.com,1999:blog-24770698.post522560344233787234..comments2024-03-27T11:21:05.807+05:30Comments on एक शाम मेरे नाम: ' मैं बोरिशाइल्ला ' : महुआ माजी का बाँग्लादेश स्वतंत्रता संग्राम पर लिखा पुरस्कृत उपन्यासUnknownnoreply@blogger.comBlogger14125tag:blogger.com,1999:blog-24770698.post-25814625398726587892010-02-11T10:23:39.121+05:302010-02-11T10:23:39.121+05:30सस्ती लोकप्रियता और नकली लेखन तथा एक पुरानी बिना छ...सस्ती लोकप्रियता और नकली लेखन तथा एक पुरानी बिना छ्पी, कही से मिली पांडुलिपि का अनुवाद करवा कर, संजीव से बाकायदा मय पारिश्रमिक ठीक करवा कर मी बोरिशाइल्ला से लेखिका बनी, महुआ माजी हैं। चाहे तो संजीव से पूछ ले वह इसे जीवन की भूल कह्ते है.<br /><br />खैर हमे क्या?Anonymousnoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-24770698.post-19583510437841669292009-04-26T12:39:00.000+05:302009-04-26T12:39:00.000+05:30महुआ मांझी के इस उपन्यास को आद्योपांत रस ले-लेकर म...महुआ मांझी के इस उपन्यास को आद्योपांत रस ले-लेकर मैंने पढ़ा है.........और विभिन्न जगहों पर उसकी अनुशंसाएं भी की....जहां-जहां भी उसके बारे में लिख पाया...मैंने जरूर लिखा...सच ही एक अद्भुत ही चीज़ लिख डाली है उन्होंने.....इसके लिए समस्त हिंदी संसार उनका शुक्रगुजार रहेगा.....!!.....सच.....!!राजीव थेपड़ा ( भूतनाथ )https://www.blogger.com/profile/07142399482899589367noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-24770698.post-66326928968200363272009-04-11T16:16:00.000+05:302009-04-11T16:16:00.000+05:30जानकारी के लिए आभार ...जानकारी के लिए आभार ...आशीष कुमार 'अंशु'https://www.blogger.com/profile/12024916196334773939noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-24770698.post-69065297889296333012009-04-09T22:44:00.000+05:302009-04-09T22:44:00.000+05:30अच्छी जानकारी के लिए शुक्रिया। उपन्यास पर टिप्पडी ...अच्छी जानकारी के लिए शुक्रिया। उपन्यास पर टिप्पडी पढ़ने के बाद।एस. बी. सिंहhttps://www.blogger.com/profile/09126898288010277632noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-24770698.post-798651684250841652009-04-09T22:20:00.000+05:302009-04-09T22:20:00.000+05:30maneesh jee is post ke liye dhanyavad. chapne par ...maneesh jee is post ke liye dhanyavad. chapne par iskee kafee charcha huyee aur tabhee se ise padhne ka man hai. abhee tak naheen ho paya. <BR/><BR/>jahan tak iskee aitihasikta kee baat hai kayee logon ne ise itihas ke kafee kareeb paya hai.<BR/><BR/>desh ,dharm,pravriti ko darshatee yeh katha jaroor hee rochak hogee . padhunga jaroor .<BR/><BR/>dhanyavad.RAJ SINHhttps://www.blogger.com/profile/01159692936125427653noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-24770698.post-78800949839794815842009-04-09T13:06:00.000+05:302009-04-09T13:06:00.000+05:30रवि जी और मेरी अनुशंसा गौर करें तो पाएँगी कि हम दो...रवि जी और मेरी अनुशंसा गौर करें तो पाएँगी कि हम दोनों इसी निष्कर्ष पर पहुँचे हैं कि जिसे बाँग्लादेश के इतिहास में रुचि है उसे ये किताब निश्चय ही रोचक साबित होगी। और इसके उलट अगर ऍसा नहीं है तो फिर इसे पढ़ना उतना आन्ददायक साबित नहीं होगा।Manish Kumarhttps://www.blogger.com/profile/10739848141759842115noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-24770698.post-87399351055765497722009-04-09T12:04:00.000+05:302009-04-09T12:04:00.000+05:30आप द्वारा उपन्यास के सकारात्मक पक्ष और रवि जी के द...आप द्वारा उपन्यास के सकारात्मक पक्ष और रवि जी के द्वारा कमजोर पक्षों की चर्चा पढ़ने के बाद अपना पक्ष तैयार रने के लिये आवश्यक हो गया है कि इस उपन्यास को पढ़ा जाये...! कहीं मिली तो अवश्य पढ़ूँगी और तब अपना मत रखूँगी।कंचन सिंह चौहानhttps://www.blogger.com/profile/12391291933380719702noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-24770698.post-63865066085361636372009-04-09T11:37:00.000+05:302009-04-09T11:37:00.000+05:30अच्छी लेखनी हे / पड़कर बहुत खुशी हुई / जानकारी केल...अच्छी लेखनी हे / पड़कर बहुत खुशी हुई / जानकारी केलिए दान्यवाद / <BR/><BR/>आप जो हिन्दी मे टाइप करने केलिए कौनसी टूल यूज़ करते हे...? रीसेंट्ली मे यूज़र फ्रेंड्ली इंडियन लॅंग्वेज टाइपिंग टूल केलिए सर्च कर रहा ता, तो मूज़े मिला " क्विलपॅड " / आप भी " क्विलपॅड " यूज़ करते हे क्या...? www.quillpad.inAnonymousnoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-24770698.post-37286837756576269752009-04-09T06:03:00.000+05:302009-04-09T06:03:00.000+05:30आपके पोस्ट और रवि रतलामी जी की टिप्पणी दोनो से म...आपके पोस्ट और रवि रतलामी जी की टिप्पणी दोनो से महुआ माजी के उपन्यास 'मै बोरिशाइल्ला' के बारे में विस्तृत जानकारी मिली।संगीता पुरी https://www.blogger.com/profile/04508740964075984362noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-24770698.post-46529569171683463152009-04-08T20:30:00.000+05:302009-04-08T20:30:00.000+05:30अनुराग हर युद्ध में जान माल के तौर पर तो बहादुर सै...अनुराग हर युद्ध में जान माल के तौर पर तो बहादुर सैनिक वीरगति प्राप्त करते ही हैं पर स्त्रियों का शारीरिक दोहन इतना होता हे कि त्रासदी खत्म होने के बाद उनकी मानसिक स्थिति विक्षिप्तों जैसी हो जाती है। इस किताब में भी ऐसी कई घटनाओं का जिक्र है। क़ैद में यौन शोषण के सा् निर्वस्त्र इसलिए रखा जाता था ताकि कपड़ा मिलने से कहीं वो फाँसी ना लगा लें।Manish Kumarhttps://www.blogger.com/profile/10739848141759842115noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-24770698.post-78023611378816110032009-04-08T20:18:00.000+05:302009-04-08T20:18:00.000+05:30बांग्लादेश की दो महिलाओं ने उस वक़्त के आन्दोलन पर ...बांग्लादेश की दो महिलाओं ने उस वक़्त के आन्दोलन पर फिल्म बनाई है ..उसके लिए जब उन्होंने शोध किया तो पाकिस्तानी सेना की क्रूरता ओर बर्बरता को जानकार वे दुःख ओर हताश में भर गयी ओर पाकिस्तानी सेना का सबसे ज्यादा शिकार स्त्र्यिया हुई ...फिर भी इस किताब को पढना चाहूँगा ...डॉ .अनुरागhttps://www.blogger.com/profile/02191025429540788272noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-24770698.post-91536617423882650052009-04-08T20:02:00.000+05:302009-04-08T20:02:00.000+05:30मनीष जी, मैं लिंक ही देना चाह रहा था, मगर निरंतर अ...मनीष जी, मैं लिंक ही देना चाह रहा था, मगर निरंतर अभी डाउन है. यह पाठ भी गूगल कैश से हासिल कर डाला है ताकि सनद रहे :)रवि रतलामीhttps://www.blogger.com/profile/07878583588296216848noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-24770698.post-89281573167059275302009-04-08T16:45:00.000+05:302009-04-08T16:45:00.000+05:30Ravi ji agar aap is post ke bare mein apne vichar ...Ravi ji agar aap is post ke bare mein apne vichar dete huye nirantar wali link de dete to behtar hota.<BR/><BR/>Mahua ji ki bhasha sadharan jaroor hai par mujhe aapki terah iska koyi ansh <B>ghor apathneey</B> nahin laga. Jise bangladesh ki muktigatha mein dilchaspi hogi use ye upanyas bojhil nahin lagna chahiye.Manish Kumarhttps://www.blogger.com/profile/10739848141759842115noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-24770698.post-36391579233765116002009-04-08T15:42:00.000+05:302009-04-08T15:42:00.000+05:30निरंतर पर मेरी भी एक समीक्षा थी -रवि रतलामी महुआ म...निरंतर पर मेरी भी एक समीक्षा थी -<BR/><BR/>रवि रतलामी <BR/><BR/>महुआ माजी का उपन्यास "मैं बोरिशाइल्ला" बांग्लादेश की मुक्ति-गाथा पर केंद्रित है। महुआ माजी ने इस उपन्यास को कई वर्षों के शोध उपरांत लिखा है और प्रामाणिक इतिहास लिखा है। यह उपन्यास बहुत ही कम समय में खासा चर्चित हुआ है और इस कृति को सम्मानित भी किया गया है। इस उपन्यास के अजीब से नाम के बारे में स्पष्टीकरण देती हुई महुआ, उपन्यास के रवि रतलामीhttps://www.blogger.com/profile/07878583588296216848noreply@blogger.com