tag:blogger.com,1999:blog-24770698.post6534994793192019241..comments2024-03-27T11:21:05.807+05:30Comments on एक शाम मेरे नाम: 'एक इंच मुस्कान', राजेंद्र यादव और मन्नू भंडारी का साझा उपन्यासUnknownnoreply@blogger.comBlogger10125tag:blogger.com,1999:blog-24770698.post-52097919594569080052022-09-27T09:07:51.233+05:302022-09-27T09:07:51.233+05:30कोई भी उपन्यास या कहानी हमें तभी रुचिकर लगती है जब...कोई भी उपन्यास या कहानी हमें तभी रुचिकर लगती है जब उसमें अपनापन पाते है। उस काव्य में हमारे निजी जीवन की साम्यता हो तो और भी रुचिकर लगेगी। Anonymousnoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-24770698.post-38692397816254647142007-11-09T15:35:00.000+05:302007-11-09T15:35:00.000+05:30किताब के विषय में तो कोई खास रुचि नही रह गई, लेकिन...किताब के विषय में तो कोई खास रुचि नही रह गई, लेकिन आपके प्रश्न एक नया प्रश्न ज़रूर छोड़ गये मेरे मन में, अभी तक तो यही सोचती थी कि यदि आप कलाकार हैं और अपनी कला को मारना भी नही चाहते है, तो सीधा सा फंडा है कि ऐसा जीवनसाथी चुनिये जो आप जितना ही समर्पित हो आपकी कला के प्रति, लेकिन ये तो सोचा ही नही कि <BR/>"उनमें, एक को दूसरे के प्रति ना आस्था होती है, ना श्रृद्धा। कला सृजन के अंतरसंघर्ष के प्रति कंचन सिंह चौहानhttps://www.blogger.com/profile/12391291933380719702noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-24770698.post-20434688113507224532007-11-02T09:56:00.000+05:302007-11-02T09:56:00.000+05:30किताब और प्रश्नों के बारे मे तो मुझे कुछ नही पता ल...किताब और प्रश्नों के बारे मे तो मुझे कुछ नही पता लेकिन आपकी समीक्षाओँ से ये समझ मे आता है कि किताबें हमारी सोच और समझ को नये आयाम देती हैं..rachanahttps://www.blogger.com/profile/14183659688400073503noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-24770698.post-18106863158760979602007-11-01T22:03:00.000+05:302007-11-01T22:03:00.000+05:30समीर जी सही फै़सला है आपका, इसीलिए पाठकों को चेता...<B>समीर जी</B> सही फै़सला है आपका, इसीलिए पाठकों को चेताने के लिए मैंने इसके जगह जगह नीरस और अझेल होने का उल्लेख किया था। <BR/><BR/><B>यूनुस भाई</B> मैंने राजेंद्र यादव को ज्यादा तो नहीं पढ़ा पर उनका लेखन मुझे रुचिकर नहीं लगता। <BR/><BR/><B>अनूप जी, आशीष</B> शुक्रिया !<BR/><BR/><B>अमित</B> बाइक दौड़ाने से फुर्सत मिले तब तो उपन्यास पढ़ने का वक्र्त मिले :)<BR/><BR/><B>प्रत्यक्षा जी</B> जरूर देखिए..Manish Kumarhttps://www.blogger.com/profile/10739848141759842115noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-24770698.post-46929386184085087612007-10-31T23:14:00.000+05:302007-10-31T23:14:00.000+05:30बहुत अच्छा लिखा किताब के बारे में।बहुत अच्छा लिखा किताब के बारे में।अनूप शुक्लhttps://www.blogger.com/profile/07001026538357885879noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-24770698.post-12738705326428179122007-10-31T17:01:00.000+05:302007-10-31T17:01:00.000+05:30पुस्तक काफी पहले पढ़ने की कोशिश की थी । सुहाई नही...पुस्तक काफी पहले पढ़ने की कोशिश की थी । सुहाई नहीं । शायद बीच में ही छोड़ दी थी । हां मन्नू भंडारी का लेखन वाक़ई कमाल का है । मुझे राजेंद्र यादव की स्वतंत्र रूप से लिखी पुस्तकें भी पसंद हैं । और वो संकलन भी जिसमें राजेंद्र यादव, मन्नू भंडारी, कमलेश्वर, मोहन राकेश वगैरह सभी मित्रों ने एक दूसरे के बारे में लिखा है ।Yunus Khanhttps://www.blogger.com/profile/12193351231431541587noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-24770698.post-1419874566191163332007-10-31T02:10:00.000+05:302007-10-31T02:10:00.000+05:30मैं तो देख ही नहीं रहा उपन्यास की ओर जी, बहुत सी क...मैं तो देख ही नहीं रहा उपन्यास की ओर जी, बहुत सी किताबें भरी पड़ी हैं जो अभी पिछले महीने खरीदी हैं(और तनख्वाह कहाँ निकल जाती है इस पर मैं अचरज करता हूँ फिर बाद में), उनमें से एक भी नहीं निपटी है। अपना तो साल भर का कोटा पूरा हो गया है! ;)Anonymousnoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-24770698.post-16678339883260272802007-10-30T20:45:00.000+05:302007-10-30T20:45:00.000+05:30मैने तो पढ़ा नहीं. रोचक समीक्षा के बावजूद नहीं लगता...मैने तो पढ़ा नहीं. रोचक समीक्षा के बावजूद नहीं लगता कि जल्द पढ़ूंगा. :)Udan Tashtarihttps://www.blogger.com/profile/06057252073193171933noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-24770698.post-28314224429339476482007-10-30T15:41:00.000+05:302007-10-30T15:41:00.000+05:30बहुत पहले पढ़ा था । अब फिर से उलटते पलटते हैं ।बहुत पहले पढ़ा था । अब फिर से उलटते पलटते हैं ।Pratyakshahttps://www.blogger.com/profile/10828701891865287201noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-24770698.post-39221363841611987042007-10-30T15:28:00.000+05:302007-10-30T15:28:00.000+05:30thnak u so much for this imp bookthnak u so much for this imp bookAshish Maharishihttps://www.blogger.com/profile/04428886830356538829noreply@blogger.com