मंगलवार, जनवरी 30, 2007

गीत # 11: जगते जादू फूंकेंगे रे, नींदें बंजर कर देंगे, नैणा ठग लेंगे...

ग्यारहवीं पायदान पर गीतकार हैं एक बार फिर गुलजार अपनी एक सलाह के साथ !
और सलाह भी कैसी ?...उन मदहोश करने वाली आँखों से बच कर रहने की...
अब ये कोई आसान बात है क्या ?
तमाम शायर तो इनके तीखे बाणों से खुद को बचा नहीं पाए । (उसकी कहानी तो आपको
यहाँ पहले ही सुना चुके हैं ) अब ये हमें सिखा रहे हैं । आपको तो याद ही होगा कि स्वयं गुलजार ने पिछले साल कजरारी आँखों पर एक गीत क्या लिख दिया, जनता उन आँखों के जलवे देखने के लिए पूरी फिल्म ही देख आई । :p

खैर गंभीरता से देखें तो इस बात से इनकार भी तो नहीं किया जा सकता कि आँखें ठगती भी हैं । इनके इस रूप को गुलजार ने इन जुमलों में कितनी बारीकी से उभारा है..

जगते जादू फूकेंगी रे नीदें बंजर कर देंगी...नैणा ठग लेंगे..
या फिर
नैणों की जुबां पे भरोसा नहीं आता, लिखत पढ़त ना रसीद ना खाता !
इस गीत की धुन बनाई है विशाल भारद्वाज ने और इसे गाया है मशहूर सूफी गायक नुसरत फतेह अली खाँ के भतीजे राहत फतेह अली खाँ ने । राहत मेरी वार्षिक गीतमाला के लिए नये नहीं है । चाहे वो २००४ में पाप के लिए इनका गाया गीत लगन लागी तुम से मन की लगन हो या फिर २००५ में कलयुग का बेहद लोकप्रिय जिया धड़क धड़क जाए, ये हमेशा अपनी बेमिसाल गायकी से मेरे पसंदीदा गीतों में अपनी जगह बनाते रहे हैं ।

नैणों की मत मानियो रे, नैणों की मत सुनियो
नैणो की मत सुनियो रे ,नैणा ठग लेंगे
नैणा ठग लेंगे, ठग लेंगे, नैणा ठग लेंगे,
जगते जादू फूंकेंगे रे, जगते-जगते जादू
जगते जादू फूंकेंगे रे, नींदें बंजर कर देंगे, नैणा ठग लेंगे
नैणा ठग लेंगे, ठग लेंगे, नैणा ठग लेंगे
नैणों की मत मानियो रे.......

भला मन्दा देखे ना पराया ना सगा रे, नैणों को तो डसने का चस्का लगा रे
भला मन्दा देखे ना पराया ना सगा रे, नैणो को तो डसने का चस्का लगा रे
नैणो का जहर नशीला रे, नैणों का जहर नशीला.....
बादलों मे सतरंगियाँ बोवें, भोर तलक बरसावें
बादलों मे सतरंगियाँ बोवे, नैणा बावरा कर देंगे,नैणा ठग लेंगे
नैणा ठग लेंगे, ठग लेंगे, नैणा ठग लेंगे

नैणा रात को चलते-चलते, स्वर्गा मे ले जावें
मेघ मल्हार के सपने दीजे, हरियाली दिखलावें
नैणों की जुबान पे भरोसा नही आता, लिखत पढत ना रसीद ना खाता
सारी बात हवाई रे , सारी बात हवाई
बिन बादल बरसावें सावण, सावण बिण बरसाता
बिण बादल बरसाए सावन, नैणा बावरे कर देंगे, नैणा ठग लेंगे

नैणा ठग लेंगे, नैणा ठग लेंगे नैणा ठग लेंगे, नैणा ठग लेंगे
नैणों की मत मानियो रे.......
जगते जादू फूंकेंगे रे, जगते जगते जादू
नैणा ठग लेंगे, नैणा ठग लेंगे नैणा ठग लेंगे, नैणा ठग लेंगे




Related Posts with Thumbnails

3 टिप्पणियाँ:

Jitendra Chaudhary on जनवरी 31, 2007 ने कहा…

बहुत सुन्दर गीत है, मनीष भाई।
इसके बोल भी बहुत अच्छे है और गाया भी बहुत प्यार से गया है।

आगे की कड़ियों का बेसब्री से इन्तज़ार है।

Manish Kumar on फ़रवरी 01, 2007 ने कहा…

जी बिलकुल सही फरमाया आपने !

सुशील छौक्कर on फ़रवरी 23, 2010 ने कहा…

दोनो जगह हम तो नही सुन पाए जी। पर गाना वाकई बेहतरीन है इसमें कोई शक नही।

 

मेरी पसंदीदा किताबें...

सुवर्णलता
Freedom at Midnight
Aapka Bunti
Madhushala
कसप Kasap
Great Expectations
उर्दू की आख़िरी किताब
Shatranj Ke Khiladi
Bakul Katha
Raag Darbari
English, August: An Indian Story
Five Point Someone: What Not to Do at IIT
Mitro Marjani
Jharokhe
Mailaa Aanchal
Mrs Craddock
Mahabhoj
मुझे चाँद चाहिए Mujhe Chand Chahiye
Lolita
The Pakistani Bride: A Novel


Manish Kumar's favorite books »

स्पष्टीकरण

इस चिट्ठे का उद्देश्य अच्छे संगीत और साहित्य एवम्र उनसे जुड़े कुछ पहलुओं को अपने नज़रिए से विश्लेषित कर संगीत प्रेमी पाठकों तक पहुँचाना और लोकप्रिय बनाना है। इसी हेतु चिट्ठे पर संगीत और चित्रों का प्रयोग हुआ है। अगर इस चिट्ठे पर प्रकाशित चित्र, संगीत या अन्य किसी सामग्री से कॉपीराइट का उल्लंघन होता है तो कृपया सूचित करें। आपकी सूचना पर त्वरित कार्यवाही की जाएगी।

एक शाम मेरे नाम Copyright © 2009 Designed by Bie