शुक्रवार, अक्तूबर 19, 2007

दुनिया करे सवाल तो हम क्या जवाब दें.. :आइए सुनें साहिर का लिखा ये खूबसूरत नग्मा

इंसान जब इश्क करता है तो उसका जुनूं उसे सारी दुनिया से लड़ने की ताकत दे देता है। लगता है कि अगर आपका महबूब आपके साथ हो तो फिर ज़हान साथ रहे, ना रहे क्या फ़र्क पड़ता है। पर जिसके भरोसे सारे जग की दुश्मनी मोल ली, अगर वही हमारी भावनाएँ समझ ना सके तो दिल का टूटना लाज़िमी है। किस किस को सफाई देते रहें और अगर दें भी तो किस अवलंब पर ? आखिर तुम्हारे ना समझ पाने का गम क्या कम है कि सारे ज़माने से लड़ते फिरें।

साहिर लुधयानवी ने इसी बात को अपनी इस नज़्म में पिरोया है। उनके सवाल के अंदर की बेबसी, लफ़्जों में उभर कर आई है। और लता जी की गायिकी साहिर के इस सवाल को दिल तक पहुँचाती है इक टीस के साथ। तो पेशे खिदमत है, रोशन का संगीतबद्ध किया हुआ फिल्म 'बहू बेगम' का ये गीत...



दुनिया करे सवाल तो हम क्या जवाब दें
तुमको न हो ख़याल तो हम क्या जवाब दें
दुनिया करे सवाल ...

पूछे कोई कि दिल को कहाँ छोड़ आये हैं
किस किस से अपना रिश्ता-ए-जाँ तोड़ आये हैं
मुश्किल हो अर्ज़-ए-हाल तो हम क्या जवाब दें
तुमको न हो ख़याल तो ...

पूछे कोई कि दर्द-ए-वफ़ा कौन दे गया
रातों को जागने की सज़ा कौन दे गया
कहने से हो मलाल तो हम क्या जवाब दें
तुमको न हो ख़याल तो ...


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9 टिप्पणियाँ:

Udan Tashtari on अक्तूबर 19, 2007 ने कहा…

पूछे कोई कि दिल को कहाँ छोड़ आये हैं
किस किस से अपना रिश्ता-ए-जाँ तोड़ आये हैं


---इस गीत को पेश कर आप नहीं जानते कि आप हमें कहाँ उड़ा ले गये मनीष बाबू!!! बहुत दूर!!!!

आनन्द आ गया.

Atul Chauhan on अक्तूबर 19, 2007 ने कहा…

'कहने से हो मलाल तो हम क्या जवाब दें' जनाब! मजा आ गया। वहुत खूबसूरत लिखा है। वाकई!

Asha Joglekar on अक्तूबर 20, 2007 ने कहा…

आपने तो मन चाहे गीतों वाले दिन याद दिला दिये ।

Manish Kumar on अक्तूबर 21, 2007 ने कहा…

समीर जी उस बहुत दिन दूर वाली दास्तां कब सुनाएंगे आप !

अतुल और आशा जी गीत पसंद करने का शुक्रिया !

Unknown on अक्तूबर 22, 2007 ने कहा…

मेरे प्रिय गीतों में एक ये गीत सुनाने का धन्यवाद! आप द्वार किया गया विश्लेषण बहुत अच्छा था।

पर जिसके भरोसे सारे जग की दुश्मनी मोल ली, अगर वही हमारी भावनाएँ समझ ना सके न का टूटना लाज़िमी है। किस किस को सफाई देते रहें और अगर दें भी तो किस अवलंब पर

Neelima Arora on अक्तूबर 28, 2007 ने कहा…

I visited your blog after such a long time, found my all time favourite song on it and felt nostalgic.

Parveen Sibal on अक्तूबर 29, 2007 ने कहा…

प्रतिभावान मनीष जी:
आपकी संगीत सेलेक्शन श्रेष्ठ है

Manish Kumar on अक्तूबर 30, 2007 ने कहा…

कंचन अच्छा लगा कि आपको मेरी बातें दिल के करीब नज़र आयीं
नीलिमा जी अच्छा लगा आपको इतने दिनों बाद देख कर. सारे गीत आपके पसंद के निकले जान कर खुशी हुयी .
parveen sibal जी शुक्रिया !

बेनामी ने कहा…

Hi VEry nice posts i'sure i'sts nice

 

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