परसों आफिस की एक पार्टी में ये गीत बहुत दिनों बाद सुना। हमारे जिन सहयोगी ने इस गीत को अपनी आवाज़ दी वो अक्सर मन्ना डे के गीत ही गाते हैं। उनके अंदाज़ से मुझे पूरा यकीं हो गया कि ये मन्ना डे का ही गाया हुआ है। पर रविवार को जब गूगलदेव के दरबार में गए तो पता चला कि ये तो लहू के दो रंग फिल्म का गीत है जो 1979 में रिलीज हुई थी और इसे गाया था येशुदास जी ने।
दरअसल 1979 ही वो साल था जब पिताजी सारे परिवार को राजश्री प्रोडक्शन की फिल्म 'सावन को आने दो' दिखाने ले गए थे। और तभी मेरा पहला परिचय येशुदास की आवाज़ से हुआ था। उस फिल्म के दो गीत बाल मन में छा से गए थे। एक था चाँद जैसे मुखड़े पर बिंदिया सितारा.... और दूसरा तुझे गीतों में ढालूँगा, सावन को आने दो........। बाद में विविध भारती के जरिए येशुदास के बाकी गीतों से भी परिचय होता रहा। 68 वर्षीय कट्टाशेरी जोसफ येशुदास (Kattassery Joseph Yesudas) केरल की उन विभूतियों मे से हैं जिन्होंने हिन्दी फिल्म संगीत पर अपनी अमिट छाप छोड़ी है। 1973 में पद्मश्री और 2002 में पद्मभूषण से सम्मानित, कनार्टक शास्त्रीय संगीत में प्रवीण, डा. येशुदास अब तक विभिन्न भाषाओं में 40000 के करीब गीत गा चुके हैं।
मातृभाषा मलयालम होने के बावज़ूद उनका हिंदी गीतों में शब्दों का उच्चारण लाज़वाब था। अब इस गीत को ही देखें। इस रूमानी गीत को जिस भाव प्रवणता के साथ उन्होंने निभाया है उसे सुनकर मन भी गीत के मूड में बह जाता है। कल से इस गीत का कई बार सुन चुका हूँ। सीधे सच्चे लफ़्ज और उससे बढ़कर येशुदास जी की अदाएगी ऐसी कि इसे गुनगुनाए बिना रहा ही नहीं जाता...
इस गीत को लिखा था फारूख क़ैसर साहब ने। फारूख साहब मेरे पसंदीदा गीतकारों में नहीं रहे। पर इस गीत के आलावा उनके लिखे गीतों में मुझे वो जब याद आए बहुत याद आए .... बेहद पसंद है। यूँ तो बप्पी लाहिड़ी को अस्सी के दशक में हिंदी फिल्म संगीत के गिरते स्तर के लिए मुख्य रूप से जिम्मेवार मानता हूँ पर ऐसे कई गीत हैं जहाँ उन्होंने अपनी क़ाबिलियत की पहचान दी है। ये गीत वैसे ही गीतों में से एक है।
तो आइए अब सुनते हैं येशुदास की आवाज़ में ये खूबसूरत नग्मा
जिद ना करो अब तो रुको
ये रात नहीं आएगी
माना अगर कहना मेरा तुमको वफ़ा आ जाएगी...
सज़दा करूँ, पूजा करूँ, तू ही बता क्या करूँ
लगता है ये तेरी नज़र मेरा धरम ले जाएगी
जिद ना करो अब तो रुको ........
रुत भी अगन, तपता बदन, बढ़ने लगी बेखुदी
अब जो गए, सारी उमर दिल में कसक रह जाएगी
जिद ना करो अब तो रुको... ....
पाँच साल पहले 'सा रे गा मा ' ने येशुदास के गाए बेहतरीन गीतों का एक गुलदस्ता पेश किया था। अगर आप चाहें तो इसे यहाँ से खरीद सकते हैं।
वैसे अगर आप गीत से जुड़ गए हैं तो लता जी का गाया वर्सन भी सुनते जाइए.
जिद ना करो अब तो रुको
ये रात नहीं आएगी
माना अगर कहना मेरा तुमको वफ़ा आ जाएगी...
तनहाई है और तू भी है,चाहा वही मिल गया
लग जा गले, खुशबू तेरी, तन मन मेरा महकाएगी
जिद ना करो अब तो रुको...
सजना मेरे, चुनरी ज़रा मुख पे मेरे डाल दो
देखा अगर खुल के तूने तुमको नज़र लग जाएगी
जिद ना करो अब तो रुको...
मुझे तो येशुदास वाला वर्सन ज्यादा पसंद आता है। आपका क्या खयाल है ?