जिंदगी में भूलें तो हम सभी करते है पर इन भूलों के बारे में कितनों से चर्चा की होगी आपने ? शायद अपने नजदीकियों से !
अब ये आइडिया तो कभी आपके मन में नहीं ही आया होगा कि अपनी गलतियों से तंग आकर आप आत्महत्या करने की सोचें और उसे कार्यान्वित करने से पहले एक बहुचर्चित उपन्यासकार के ई मेल कर दें। खैर मैं जानता हूँ इतना धाँसू आइडिया आपके मन में कभी नहीं आया, क्योंकि अगर ऍसा होता तो आप अपना वक़्त मेरी इस पोस्ट को पढ़ने में बर्बाद नहीं कर रहे होते। :)
अब देखिए अहमदाबाद के गोविंद पटेल ने यही किया और चेतन भगत की तीसरी किताब '
The 3 Mistakes of My Life' के नायक बन बैठे। गोविंद भाग्यशाली रहे कि वो बच गए और अपनी कहानी चेतन को सुना पाए। और परसों ही टीवी पर एक प्रोमो दिखा जिसमें हीरो कहता है कि मैं गोविंद हूँ तो तुरत समझ आ गया कि अब '
Hello' की तरह इस किताब पर भी फिल्म बनने जा रही है।
चेतन भगत की ये कहानी अहमदाबाद की है और गुजरात की तात्कालिक घटनाओं भूकंप, दंगों और भारत आस्ट्रेलिया क्रिकेट श्रृंखला आदि के बीच बनती पनपती है। पूरी कहानी उन तीन निम्न मध्यमवर्गीय दोस्तों के इर्द गिर्द घूमती है जिनकी रुचियाँ अलग अलग विषयों (धर्म, क्रिकेट और व्यापार) से जुड़ी हुई हैं। मैंने इससे पहले उनकी Five Point Someone और One Night at Call Centre पढ़ी थी और Five Point Someone को तो पढ़ने में बहुत मजा आया था। अगर किसी उपन्यासकार की पहली किताब बहुत पसंद की जाए तो वो एक मापदंड सी बन जाती है और अक्सर उसकी तुलना बाद की किताबों से होने लगती है।
और इस हिसाब से २५७ पृष्ठों की ये किताब मुझे उतनी पसंद नहीं आती। हालांकि चेतन की लेखन शैली हमेशा की तरह रोचक है। उनके चरित्रों से आम आदमी भी जल्द ही जुड़ा महसूस करता है। युवाओं के दिल में उठ रही बातों को बेबाकी से लिखने में चेतन माहिर हैं। उन्होंने गुजरातियों के व्यापार में Never Say Die वाली निष्ठा के साथ एक आम व्यापारी की सोच को भी टटोलने का काम किया है।
पर किताब से गुजरने के बाद आपको ये नहीं लगता कि आपने कुछ विशिष्ट पढ़ा। पूरी किताब एक व्यवसायिक हिंदी फिल्म की पटकथा ज्यादा नज़र आती है जिसमें राजनीति, धर्म, हिंसा, प्रेम, क्रिकेट का उचित अनुपातों में समावेश है और यही कारण है कि फिल्मवालों ने इस कहानी को जल्द ही झटक लिया।
अंततः यही कहना चाहूँगा कि अगर आपके पास कुछ और करने को ना हो तो ये किताब पढ़ सकते हैं जैसा मैंने अस्पताल में अपनी ड्यूटी निभाते वक्त किया और अगर किताब से ज्यादा फिल्मो का शौक रखते हों तो इस पर आधारित फिल्म देख लें ..
प्रकाशक - रूपा एंड कंपनी
मूल्य - ९५ रुपये मात्र
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