सोमवार, अक्तूबर 22, 2012

जगजीत, हसरत और कहकशाँ : तोड़कर अहद-ए-करम ना आशना हो जाइए

हसरत मोहानी का जन्म उत्तर प्रदेश के एक छोटे कस्बे मोहान में हुआ था। स्नातक की पढ़ाई करने के लिए हसरत अलीगढ़ गए और वहीं उनकी दिलचस्पी उर्दू शायरी में हुई। कॉलेज के बाद हसरत राजनीति में सक्रिय हो गए। उनकी विचारधारा कांग्रेस के गरम पंथियों से ज्यादा करीब रही। तिलक और अरविंदो घोष जैसे नेताओं से वे बेहद प्रभावित रहे। अपने रुख को वो अपने लेखों और कविताओं में व्यक्त करते रहे। नतीजन अंग्रेजों ने उनकी प्रिटिंग प्रेस बंद करा दी। हसरत ने फिर भी हार नहीं मानी और अपनी जीविका चलाने के लिए स्वदेशी वस्तुओं की दुकान खोल ली। अपने जीवन का एक बड़ा हिस्सा उन्हें जेल में बिताना पड़ा। पर इन कठोर परिस्थितियों में रहते हुए भी उनकी कविता में जीवन के प्रति नैराश्य नहीं उभरा। बल्कि इसके विपरीत उनकी लिखी रूमानी शायरी का एक बहुत बड़ा हिस्सा अंग्रेजों की क़ैद में ही सृजित हुआ।

के सी कांदा अपनी किताब Masterpieces of Urdu Ghazal में हसरत मोहानी की शायरी के बारे में एक रोचक टिप्पणी करते हैं। कांदा ने लिखा है..
हसरत के कथन में बेबाकी है चाहे वो राजनीति की बात करें या फिर प्रेम की। हसरत ने अपनी ग़ज़लों में एक ऐसी नायिका की तसवीर खड़ी की जिसके जज़्बात किसी आम लड़की के सपनों और भावनाओ को व्यक्त करते थे। उनकी कविताएँ आम परिस्थितियों से उभरती हुई बोलचाल की भाषा में अपना सफ़र तय करती हैं। इसलिए उनकी ग़ज़लों में फ़ारसी के शब्दों का हुजूम नहीं है।
कहकशाँ में यूँ तो हसरत मोहानी की लिखी पाँच ग़ज़लें हैं पर उनमें से तीन बेहद मशहूर हुयीं। चुपके चुपके रात दिन आँसू बहाना याद है को सुना कर तो ग़ुलाम अली साहब ने कितनों को अपनी गायिकी का दीवाना बना लिया। वही रोशन जमाल ए यार से है अंजुमन तमाम की रूमानियत को जगजीत की आवाज़ में महसूस कर ग़ज़ल प्रेमियों का दिल बाग बाग होता रहा। पर हसरत मोहानी के जिस अंदाजे बयाँ का उल्लेख के सी कांदा ने अपनी किताब में किया है वो उनकी ग़ज़ल तोड़कर अहद-ए-करम नाआशना हो जाइये में सबसे ज्यादा उभरकर आया है। हसरत मोहानी ने इस ग़ज़ल में बातचीत के लहज़े में अशआरों को कहते हुए इतनी खूबसूरती से आख़िरी शेर कहा है कि बस मन खुश हो जाता है।

तो आइए समझने की कोशिश करते हैं कि क्या कहना चाह रहे हैं हसरत इस ग़ज़ल में..

तोड़कर अहद-ए-करम ना आशना हो जाइए
बंदापरवर जाइये अच्छा ख़फ़ा हो जाइए

राह में मिलिये कभी मुझ से तो अज़राह-ए-सितम
होंठ अपने काटकर फ़ौरन जुदा हो जाइए

हमारे दिल ने तो आपको अपना रखवाला माना है। पर क्या कहें अगर इतना सब कहने के बाद भी आपके दिल में मेरे लिए नाराजगी है तो फिर मोहब्बत में किए गए उस वादे को तोड़कर बंधन मुक्त हो जाइए। आपकी सुंदरता की क्या तारीफ़ करूँ, बस इतना ही कहूँगा कि आपके चलने से तो राहों पे बिजलियाँ गिरती हैं। अगर भूल से किसी रास्ते पर आमना सामना हो भी जाए तो बस गुस्से में अपने होठ काटने की अदा दिखलाती हुए बस आँखों से ओझल हो जाइएगा।

जी में आता है के उस शोख़-ए-तग़ाफ़ुल केश से
अब ना मिलिये फिर कभी और बेवफ़ा हो जाइए

क्या कहूँ उस दिलकश बाला की इस लगातार बेरुखी ने दिल इतना खट्टा कर दिया है कि सोचता हूँ मैं उससे ना मिलूँ। आख़िर जब उसने वफ़ा का दामन छोड़ ही रखा है तो अब अगर मैं भी बेवफ़ाई पर उतर जाऊँ तो उसमें हर्ज ही क्या है?

हाये रे बेइख़्तियारी ये तो सब कुछ हो मगर,
उस सरापा नाज़ से क्यूंकर ख़फ़ा हो जाइए


हसरत ग़ज़ल के आखिरी शेर में नायक का विचारक्रम तोड़ते हैं और मन ही मन उसे क्षोभ होता है कि हे भगवन अपनी प्रियतमा के बारे में मैं ये क्या ऊलजुलूल सोच रहा था? इस बेइख़्तियारी ने  मेरे दिमाग को ही अवश कर दिया है। आख़िर सर से पाँव तक खूबसूरत उस नाजुक परी से मैं  क्यूँ ख़फ़ा होने लगा?

बिना संगीत की इस ग़ज़ल में जगजीत जी की मधुर स्वर लहरी विशुद्ध रूप में आपके कानों तक पहुँचती है। तो देर किस बात की आइए सुनते हैं इस ग़ज़ल को..

एक शाम मेरे नाम पर जगजीत सिंह और कहकशाँ 

Related Posts with Thumbnails

11 टिप्पणियाँ:

दीपिका रानी on अक्तूबर 22, 2012 ने कहा…

लाजवाब...

yashoda Agrawal on अक्तूबर 22, 2012 ने कहा…

शानदार

yashoda Agrawal on अक्तूबर 22, 2012 ने कहा…

आपकी यह बेहतरीन रचना बुधवार 24/10/2012 को http://nayi-purani-halchal.blogspot.in पर लिंक की जाएगी. कृपया अवलोकन करे एवं आपके सुझावों को अंकित करें, लिंक में आपका स्वागत है . धन्यवाद!

ANULATA RAJ NAIR on अक्तूबर 22, 2012 ने कहा…

वाह....
इस बार तो हमारे पसंदीदा......

शुक्रिया जी शुक्रिया...

अनु

शारदा अरोरा on अक्तूबर 23, 2012 ने कहा…

bahut badhiya ...shukriya.

Yashwant R. B. Mathur on अक्तूबर 24, 2012 ने कहा…

बहुत ही बढ़िया


सादर

rashmi ravija on अक्तूबर 24, 2012 ने कहा…

ओरिजिनल लाइन "चलते चलते आंसू बहाना याद है " है
हमें तो "चुपके चुपके" ही पता था।

आभार बढ़िया परिचय

Stone on अक्तूबर 25, 2012 ने कहा…

Aapne galti se 'chupke chupke' ki jagah chalte chaltey likh diya hai :-)
Shukriya, maayeiney samjhaney ke liye.

Manish Kumar on अक्तूबर 25, 2012 ने कहा…

Rashmi ji stone ghalti se chalte chalte likh gaya hai. Ghar se bahar hone ki wazah se durust nahin kar paya.

rashmi ravija on अक्तूबर 25, 2012 ने कहा…

Aapne reply to kar diya par mera comment ab tak spam me hi hai :(

Par chaliye itna to tay ho gaya ki hum post dhyaan se padhte hain :)

Manish Kumar on नवंबर 24, 2012 ने कहा…

दीपिका, यशोदा, अनु, यशवंत, शारदा जी, स्टोन, रश्मि जी इस पोस्ट को पसंद करने के लिए हार्दिक आभार !

 

मेरी पसंदीदा किताबें...

सुवर्णलता
Freedom at Midnight
Aapka Bunti
Madhushala
कसप Kasap
Great Expectations
उर्दू की आख़िरी किताब
Shatranj Ke Khiladi
Bakul Katha
Raag Darbari
English, August: An Indian Story
Five Point Someone: What Not to Do at IIT
Mitro Marjani
Jharokhe
Mailaa Aanchal
Mrs Craddock
Mahabhoj
मुझे चाँद चाहिए Mujhe Chand Chahiye
Lolita
The Pakistani Bride: A Novel


Manish Kumar's favorite books »

स्पष्टीकरण

इस चिट्ठे का उद्देश्य अच्छे संगीत और साहित्य एवम्र उनसे जुड़े कुछ पहलुओं को अपने नज़रिए से विश्लेषित कर संगीत प्रेमी पाठकों तक पहुँचाना और लोकप्रिय बनाना है। इसी हेतु चिट्ठे पर संगीत और चित्रों का प्रयोग हुआ है। अगर इस चिट्ठे पर प्रकाशित चित्र, संगीत या अन्य किसी सामग्री से कॉपीराइट का उल्लंघन होता है तो कृपया सूचित करें। आपकी सूचना पर त्वरित कार्यवाही की जाएगी।

एक शाम मेरे नाम Copyright © 2009 Designed by Bie