एक शाम मेरे नाम ने पिछले हफ्ते अपने अस्तित्व का आठवाँ साल पूरा किया। आठ साल की इस यात्रा में ब्लॉगिंग ने मुझे बहुत कुछ दिया है। आज मेरे मित्रों और जानने वालों की फेरहिस्त में संगीत और साहित्य से स्नेह रखने वाले सैकड़ों जन हैं जिनमें से कईयों की प्रतिभा का मैं क़ायल हूँ। भला बताइए पेशे से एक इंजीनियर के लिए ब्लॉगिंग के बिना क्या ये संभव होता ? इसलिए मैं इस माध्यम का और इससे जुड़े मित्रों व पाठकों का तहे दिल से शुक्रगुजार हूँ। सच मानिए मेरी इन आठ सालों की मेहनत का प्रतिफल बस आपके प्रेम की पूँजी है।
साल दर साल इस ब्लॉग से जुड़ने वाले लोगों का काफ़िला बढ़ता रहा है। सात लाख के करीब पेज लोड, हजार से ऊपर ई मेल सब्सक्राइबर्स, आठ सौ के करीब नेटवर्क ब्लॉग फौलोवर्स और तीन सौ के करीब गूगल फौलोवर्स और पिछले साल नवाज़ा गया इंडीब्लॉगर एवार्ड.. ये सभी इस इस बात का द्योतक है कि संगीत और साहित्य के प्रति अपनी रुचियों को आप तक पहुँचाने का जो तरीका मैंने चुना है वो आप सब को भा रहा है।
आजकल सब लोग सवाल करते हैं कि क्या सोशल मीडिया के आने के बाद ब्लॉगिंग का औचित्य समाप्त नहीं हो गया? सच बताऊँ तो मुझे ये प्रश्न बेतुका लगता है। ब्लॉग और सोशल मीडिया पर लेखन की प्रकृति और उद्देश्य दोनों भिन्न हैं। अगर क्रिकेट के खेल से इसकी तुलना करूँ तो मैं यही कहूँगा कि जहाँ ब्लॉग पर लिखना टेस्ट क्रिकेट है तो वही फेसबुक पर वन डे और ट्विटर पर T 20। ज़ाहिर सी बात है भीड़ T 20 ज्यादा जुटती है। पर इनमें कितने क्रिकेट देखने वाले होते हैं और कितने तमाशाबीन उसका फैसला आप ख़ुद कर सकते हैं।पर जिसने ये खेल खेला हुआ है या जिसे क्रिकेट से सच्चा प्यार है वो ये भली भांति जानता है कि टेस्ट क्रिकेट ही इस खेल की असली धरोहर है।
मैं ख़ुद भी सोशल मीडिया पर सक्रिय रहा हूँ पर उसका उद्देश्य एक ओर तो पाठकों तक इस ब्लॉग की पहुँच का विस्तार करना है तो दूसरी तरफ़ वैसी महान विभूतियों से सीधा संपर्क साधना रहा है जिनके बारे में मैं इस ब्लॉग पर लिखता रहा हूँ। मुझे इस बात की खुशी है कि मुझे अपने इन दोनों उद्देश्यों में अच्छी सफलता मिली है।
वार्षिक संगीतमालाओं के महीने को छोड़ दें तो इस ब्लॉग पर प्रति हफ्ते मैं एक पोस्ट लिखने की कोशिश करता हूँ क्यूँकि यही कोशिश मुझे अपने यात्रा ब्लॉग मुसाफ़िर हूँ यारों के लिए भी करनी पड़ती है। अब कुछ रिसालों के लिए भी नियमित रूप से लिखना शुरु किया है। ज़ाहिर है ये सारी बातें आपका वक़्त माँगती हैं जो दिन भर की नौकरी के बाद नाममात्र ही बच पाता है। दरअसल एक ब्लॉगर के लिए सीमित समय ही उसके लेखन की विविधता और गुणवत्ता को बनाए रखने में सबसे बड़ी बाधा है। नित इसी संघर्ष के बीच आप तक अपनी पसंद को पहुँचाता रहा हूँ और आपका प्रेम इस ब्लॉग के लिए यूँ ही बना रहा तो भविष्य में भी पहुँचाता रहूँगा। एक बार फिर एक शाम मेरे नाम के पाठकों को मेरा ढेर सारा प्यार !