शुक्रवार, अक्तूबर 04, 2019

देखो आलोय आलो आकाश....अरिजीत सिंह Dekho Aaloy Alo Akash

नए गायकों में अरिजीत सिंह युवाओं के सबसे चहेते हैं। जब भी किसी नई हिंदी फिल्म का संगीत रिलीज़ होता है तो अक्सर मैंने देखा है कि लोग बाग उसमें अरिजीत का गाया हुआ गाना ढूँढते हैं। उनकी लोकप्रियता का आलम ये है कि संगीतकार भी उनके लिए फिल्म की सबसे अच्छी कम्पोजीशन सुरक्षित रखते हैं। ये भी सच है कि अरिजीत ने पिछले एक दशक से अपनी गायिकी पर काफी मेहनत की है। भले ही वो अपने रूमानी गीतों के लिए जाने जाते हैं पर उन्होंने शास्त्रीय गीतों और ग़ज़लों को भी उतनी ही रवानी से गाया है और इसीलिए वो हम सबके प्रिय गायक हैं।


हिंदी फिल्मों के लिए उनके गाए गीतों को तो आप सब इस ब्लॉग की वार्षिक संगीतमाला में सुनते ही रहे हैं। आपमें से शायद बहुतों को ना पता हो कि अरिजीत मूलतः पश्चिम बंगाल के मुर्शीदाबाद से ताल्लुक रखते हैं यानी उनकी मातृभाषा बंगाली है। चलिए आज मैं आपको उनका बेहद नर्म संज़ीदा सा एक बंगाली गीत सुनवाता हूँ उसके अनुवाद के साथ। ये गीत है फिल्म खाद (Khad) का जो 2014 में रिलीज़ हुई थी।। हिंदी में इस बंगाली शब्द का अर्थ है खाई । 

बड़ी अलग सी कहानी थी इस फिल्म की। कुछ अनजाने लोग एक साथ सफ़र पर हैं और उनकी बस दुर्घटनाग्रस्त हो कर एक खाई में गिर जाती है। सबको हल्की चोट आती है। ऊपर जाने के लिए इतना समय नहीं बचता तो वे लोग एक रात एक साथ इकठ्ठा बिताते हैं। उनमें से कोई ये सुझाव देता है कि एक खेल खेला जाए जिसमें सब अपनी ज़िदगी के ऐसे रहस्यों का खुलासा करें जिसे कहने से वो झिझकते हों। शायद ऐसा करने से उनके मन की ग्लानि उस अंतहीन खाई में समा जाएँ और वो अगली सुबह एक नई ज़िदगी जीने के लिए निकलें। सब एक एक कर अपनी दिल में ज़मीं काली परतों को उधेड़ते हैं और ऐसा करते करते सुबह हो जाती है और तब आता है कहानी का झकझोर देने वाला मोड़।

हालांकि मैं बताना तो नहीं चाहता था फिर भी इस गीत के संदर्भ के लिए बताना पड़ेगा मुझे कि दरअसल ये सारे लोग मर चुके थे और उनकी आत्माएँ उनके शरीर से निकलने के पहले ग्लानिबोध से मुक्त होने के लिए ये खेल खेल रही थीं। 
इन्द्रदीप दासगुप्ता व श्रीजतो बंदोपाध्याय

कौन जानता है कि मरने के पहले मनुष्य के मन में कैसी भावनाएँ पैदा होती हैं। बंगाली फिल्मों के लोकप्रिय गीतकार श्रीजतो बंदोपाध्याय उपनिषद के मंत्र के साथ इस गीत में आती हुई मृत्यु के ठीक पहले की मानसिक अवस्था को टटोलने की कोशिश करते हैं। पर आशा के विपरीत उनका ये चित्रण डरावना नहीं बल्कि खुशी और निश्चिंतता से भरा है। आत्मा जब ग्लानि मुक्त होकर उड़ चले तो शायद उसमें ऐसे ही भाव उमड़ते हों।

असतो मा सद्गमय। 
तमसो मा ज्योतिर्गमय। 
मृत्योर मां अमृतम गमय ॥ 
शान्ति शान्ति ओम
शान्ति ओम शान्ति ओम हरि ओम तत्सत


देखो आलोय  आलो आकाश, देखो आकाश ताराए भोरा
देखो जावार पोथेर पाशे, छूटे हवा पागोल परा
ऐतो आनंदो आयोजोन, शोबी  बृथा आमाय छाड़ा
धोरे थाकुक आमार मूठो, दुई चोखे थाकुक धारा
एलो समोय राजार मोतो, होलो काजेर हीसेब सारा
बोले आए रे छूटे, आए रे तोरा
हेथा नाइको मृत्तू नाइको जोरा

असतो मा सद्गमय...

देखो तारों से भरा हुआ कितना चमकीला आकाश है ये !
रास्ते के साथ साथ ये कैसी मस्ती में बहकी हुई  हवा बह रही है
प्रकृति में ये जो उत्सव सा माहौल है वो सब निरर्थक है मेरे बिना
मेरा हाथ अच्छी तरह पकड़े रखना
ये तुम्हारी आँखों से जो आँसू बहने वाले हैं उन्हें रोक कर रखना
ये समय तो राजा जैसा है
जिंदगी के कामों का जो हिसाब था वो पूरा हो गया
दौड़ के आओ कि अब मरने का कोई डर नहीं।

मुझे असत्य से सत्य की ओर ले चलो। मुझे अन्धकार से प्रकाश की ओर ले चलो। मुझे मृत्यु से अमरता की ओर ले चलो।

अरिजीत की आवाज़ में श्रीजतो के शब्द और इन्द्रदीप दासगुप्ता की प्यारी धुन चित्त को बिल्कुल शांत कर देती है। संगीत की पहुँच भाषा से कहीं आगे है और मुझे यकीन है कि इस अगर इस गीत का अर्थ आप नहीं भी जानते तो भी इससे प्रेम करने लगते।

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8 टिप्पणियाँ:

अभिषेक मिश्र on अक्तूबर 05, 2019 ने कहा…

वाकई प्रभावी शब्द और गीत

Manish Kumar on अक्तूबर 05, 2019 ने कहा…

हाँ अभिषेक बेहद प्यारा लगा मुझे भी :)

Disha Bhatnagar on अक्तूबर 05, 2019 ने कहा…

उफ्फ बहुत प्यारा..! न जाने ये कैसा जादू है.. जो शब्दों का अर्थ न जानने पर भी हिंदी भाषी के मन पर चल जाता है..अद्भुत

Manish Kumar on अक्तूबर 05, 2019 ने कहा…

हाँ दिशा मैंने भी पहले इसकी उड़ती उड़ती दो पंक्तियाँ सुनीं। मुखड़े का जादू गीत खोजने पर मजबूर कर गया। फिल्म और इस गीत के अंदर की सोच तो बाद में समझ आई।फिलहाल रिपीट मोड में सुन रहा हूँ ।

Smita Jaichandran on अक्तूबर 05, 2019 ने कहा…

Mogambo Khush huaa! Behatareen! Bangla behad pasand hai humein!

Manish Kumar on अक्तूबर 05, 2019 ने कहा…

Smita सच ये गाना दिल छू गया।

sumant kumar tiwari on अक्तूबर 06, 2019 ने कहा…

बहुत सुंदर मनीष तू ने कमाल कर दिया बहुत सुंदर गाना बहुत सुंदर बंगाली गाना मिजाज खुश हो गया

Manish Kumar on अक्तूबर 10, 2019 ने कहा…

सुमंत जानकर खुशी हुई कि तुम्हें भी ये गीत पसंद आया।

 

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