गुरुवार, अप्रैल 01, 2021

वार्षिक संगीतमाला 2020 सरताज गीत: एक टुकड़ा धूप का अंदर अंदर नम सा है Ek Tukda Dhoop

वक़्त आ गया है एक शाम मेरे नाम के सालाना जलसे वार्षिक संगीतमाला के सरताजी बिगुल को बजाने का। ये कहने में मुझे कोई झिझक नहीं कि पिछले साल के तमाम गीतों में से इस गीत को चोटी पर रखने में मुझे ज्यादा दुविधा नहीं हुई। पायदान दो से छः तक के गीतों में आपस में ज्यादा अंतर नहीं था पर थप्पड़ से लिया गया ये गीत अपने गहरे शब्दों. धुन और गायिकी के सम्मलित प्रभावों के मेरे आकलन में अपने प्रतिद्वन्दियों से कहीं आगे रहा ।


अनुभव सिन्हा ने जबसे गंभीर और लीक से हट कर विषयों पर फिल्में बनानी शुरु कीं तबसे उनकी फिल्मों के गीत संगीत पर मेरा हमेशा ध्यान रहता है। अपनी पिछली कुछ फिल्मों में उन्होंने संगीत निर्देशन की जिम्मेदारी जहाँ अनुराग सैकिया को सौंपी है वहीं उनकी फिल्मों के अधिकांश गीतों के बोल शायर शकील आज़मी साहब ने लिखे हैं। 

इस जोड़ी का फिल्म मुल्क के लिए बनाया  गीत जिया में मोरे पिया समाए 2018 में वार्षिक संगीतमाला का हिस्सा बना था। इन दोनों द्वारा रचा आर्टिकल 15 का इंतज़ारी भी बेहद चर्चित रहा था। जहाँ तक थप्पड़ का सवाल है ये एक बेहद संवेदनशील विषय पर बनी फिल्म थी। नायक नायिका के वैवाहिक जीवन को एक पार्टी में सबके सामने लगाया गया थप्पड़ चरमरा कर रख देता है। नायिका इस थप्पड़ की वज़ह से अपने रिश्ते का पुनर्मूल्यांकन करते हुए कई ऐसे छोरों पर पहुँचती है जहाँ से वापसी की राह बेहद धुँधली दिखाई देती है।

अनुराग सैकिया व शकील आज़मी

असम के प्रतिभावान युवा संगीतकार अनुराग सैकिया का अनुभव सिन्हा से रिश्ता एक गाइड या पथ प्रदर्शक का है। ये अनुभव की ही फिल्में थीं जिनकी वज़ह से अनुराग को बतौर संगीतकार मुंबई में पहचान मिली है। यही वज़ह है कि अनुराग जब भी कोई धुन बनाते हैं तो उसे अनुभव सिन्हा को जरूर भेजते हैं। इस गीत की भी धुन अनुराग ने पहले बनाई। अनुभव को धुन पसंद आई और उन्होंने अनुराग को अगले ही दिन थप्पड़ की पटकथा सुनाई।गीत लिखने की जिम्मेदारी एक बार फिर शकील के कंधों पर थी। शकील आज़मी ने कहानी को इतने करीने से समझते हुए इस धुन पर अपने बोल लिखे कि बस कमाल ही हो गया। 

जो भी शायराना तबियत रखता है उनके लिए शकील आज़मी किसी पहचान के मुहताज नहीं है। वे जिस मुशायरे में जाते हैं अपने बोलने के अंदाज़ और अशआरों की पुख्तगी से सबका दिल जीत लेते हैं। आजमगढ़ से ताल्लुक रखने वाले पचास वर्षीय शकील का नाम माता पिता ने शकील अहमद खाँ रखा था पर शकील ने जब अदब की दुनिया में कदम रखा तो कैफ़ी आज़मी का नाम बुलंदियों पर था। उनकी शोहरत का उन पर ऐसा असर हुआ कि उन्होंने अहमद हटाकर अपने नाम के आगे आज़मी लगाना शुरु कर दिया। उनके करीब आधा दर्जन कविता संग्रह प्रकाशित हो चुके हैं जिसमें परों को खोल उनका सबसे ताज़ा संग्रह है। 

शकील साहब मानते हैं कि एक कवि या शायर गीत के बोलों के साथ ज्यादा न्याय कर सकता है क्यूँकि उसने उन शब्दों को सालों साल जिया और तराशा है। अच्छे बोल गीतों की उम्र बढ़ा देते हैं। मैं शकील साहब की इस बात से पूरा इत्तिफाक रखता हूँ । अब इसी गीत को देखें। ये उनकी शायरी की काबिलियत का ही नमूना है कि वो मुखड़े की चंद पंक्तियों में पूरी कहानी का दर्द सहज शब्दों में गहराई से उतार लाए हैं ..

टूट के हम दोनों में, जो बचा वो कम सा है
एक टुकड़ा धूप का अंदर अंदर नम सा है
एक धागे में हैं उलझे यूँ, कि बुनते बुनते खुल गए
हम थे लिखे दीवार पे, बारिश हुई और धुल गए
टूट के हम दोनो में....नम सा है

उलझे धागों से बुनते बुनते खुल जाने का ख्याल हो या फिर पोपले धरातल पर बने रिश्ते के टूटने को दीवार पर लिखी इबारत के तेज बारिश में धुल जाने से की गई उनकी तुलना..मन वाह वाह कर ही उठता है। नायिका के मन की आंतरिक उथल पुथल को भी वो गीत के  तीनों अंतरों में बखूबी उभारते हैं। 

टूटे फूटे ख़्वाब की हाए...दुनिया में रहना क्या
झूठे मूठे वादों की हाए..लहरों में बहना क्या
दिल ने दिल में ठाना है, खुद को फिर से पाना है
दिल के ही साथ में जाना है
टूट के हम दोनों में....नम सा है 

सोचो ज़रा क्या थे हम हाय..क्या से क्या हो गए
हिज्र वाली रातों की हाय कब्रों में सो गए
तुम हमारे जितने थे..सच कहो क्या उतने थे ?
जाने दो मत कहो कितने थे
रास्ता हम दोनों में, जो बचा वो कम सा है
एक टुकड़ा धूप का, अंदर अंदर नम सा है
टूट के हम दोनों में....नम सा है 

इस गीत का एक अंतरा और भी है जो गीत के वीडियो में इस्तेमाल नहीं हुआ

तेरी ही तो थे हमपे हाय जितने भी रंग थे
बेख़्याली में भी हम हाय...तेरे ही तो संग थे 
रंग जो ये उतरे हैं, मुश्किलों से उतरे हैं 
जीते जी जाँ से हम गुजरे है 
रास्ता हम दोनों में, जो बचा वो कम सा है

गीत के आडियो वर्सन में आप इस अंतरे को सुन पाएँगे।



राघव चैतन्य

इतने खूबसूरत बोलों को कम से कम संगीत की जरूरत थी। अनुराग मात्र गिटार, वुडविंड वाद्यों और बाँसुरी की मदद से इस गीत के लिए कहानी के अनुरूप  एक बेहद गमगीन सा माहौल रचने में सफल हुए हैं। इस काम में उनकी मदद की है राघव चैतन्य ने जिनका बॉलीवुड के लिए शायद ये पहला ही गीत होगा। 

मेरठ में पले बढ़े 27 वर्षीय राघव पिछले छः साल से मुंबई में अपना संगीत बना रहे हैं। उनके रचे संगीत को यू ट्यूब और इंटरनेट के संगीत चैनलों पर खासी मकबूलियत मिली है । अनुराग ने पहले भी उनके साथ काम किया था और इस गीत के लिए उन्हें राघव की आवाज़ का ही ख्याल आया क्यूँकि उन्हें लगा कि उसमें लोगों का दिल छूने की ताकत है। राघव के लिए ये शुरुआती दिन हैं पर उन्होंने इतने कम अनुभव के बाद भी गीत की भावनाओं को बेहतरीन तरीके से अपनी आवाज़ में उतारा है।

वाद्य यंत्रों में वुडविंड वाद्यों जिनमें एक शहनाई जैसी सुनाई देती है पर आइ डी दास का काम मुझे बेहद प्रभावशाली लगा। मुखड़े और अंतरे के बीच भास्कर ज्योति की बाँसुरी भी कानों को सोहती है। तो एक बार फिर सुनते हैं चोटी पर के इस गीत को जिसके बारे में फिल्म की नायिका तापसी पन्नू का कहना था कि जब भी कोई मुश्किल सीन शूट करना होता तो मैं इस गाने को सुनकर अपना मूड बना लेती थी।

 
 
तो कैसा लगा आपको ये गीत? वार्षिक संगीतमाला की आखिरी कड़ी होगी पिछले साल के संगीत सितारों के नाम..

वार्षिक संगीतमाला 2020


Related Posts with Thumbnails

19 टिप्पणियाँ:

Kavita Singh on अप्रैल 02, 2021 ने कहा…

मेरी पसंद का गीत 👌👌👌

Manish Kumar on अप्रैल 02, 2021 ने कहा…

कविता जी जानकर खुशी हुई।

Swati Gupta on अप्रैल 02, 2021 ने कहा…

"अच्छे बोल गीतों की उम्र बढ़ा देते है"
कितनी सही बात कही...बहुत प्यारा गाना..

Manish Kumar on अप्रैल 02, 2021 ने कहा…

हाँ स्वाति बिल्कुल सही बात। गीत आपको भी पसंद आया जानकर अच्छा लगा।

Manish on अप्रैल 02, 2021 ने कहा…

फ़िल्म के माहौल के हिसाब से एकदम सही गीत! राघव चैतन्य ने बख़ूबी गाया है, Filmfare सम्मान के हक़दार भी बने हैं!

Manish Kumar on अप्रैल 02, 2021 ने कहा…

Manish : फिल्मफेयर का सम्मान मिल जाये तो अच्छा है ना भी मिले तो कोई बात नहीं। क़ायदे से अगर किसी को इस गीत के लिए सबसे पहले पुरस्कार मिलना चाहिए तो वो शकील आज़मी साहब थे। गनीमत रही कि इस बार बोलों के लिहाज़ से एक और अच्छे गीत को वो सम्मान मिला वर्ना पिछले साल तेरी मिट्टी की बजाय फिल्मफेयर ने किस को चुना था वो तुम्हें याद ही होगा। 🙂

Manish Kumar on अप्रैल 02, 2021 ने कहा…

Manish : रही बात राघव की तो निश्चय ही उन्होंने इस भावपूर्ण गीत को पूरे दिल से गाया। फिल्मी कैरियर की शुरुआत में भाग्यशाली हैं कि फिल्मफेयर ने उन्हें चुन लिया नहीं तो अक्सर ऐसे नवोदित कलाकार नॉमिनी तक का ही सफ़र पूरा कर पाते हैं।

Manish on अप्रैल 02, 2021 ने कहा…

पिछले साल का फ़िल्मफेयर तो किसी भी श्रेणी में सही हक़दार से दूर ही रहा, और जो गीत चुना गया, कायदे से तो उसे गीत कह भी नहीं सकते। इस साल भी फ़िल्मफेयर में कुछ कमियाँ रहीं, पर पिछले साल से थोड़ा बेहतर है।

Manish Kumar on अप्रैल 02, 2021 ने कहा…

कम से कम नहीं तो पिछले तीस सालों में फिल्मफेयर एवार्ड के तौर तरीकों को देखने के बाद मेरे मन में इनके लिए कोई खास अहमियत नहीं रह गई है इसलिए आलेख में मुझे इस बात का जिक्र करने की भी इच्छा नहीं हुई।

Pooja Singh on अप्रैल 02, 2021 ने कहा…

ये लिस्ट पसंद वाली बन गयी अब तो, टॉप पर मेरे पसंद का गाना

Manish Kumar on अप्रैल 02, 2021 ने कहा…

@Pooja चलो अच्छा हुआ ये तो नहीं तो तुम पूरी लिस्ट ही खारिज़ कर देती 😃

Navdeep Saxena ने कहा…

My fav as well����

Manish Kumar on अप्रैल 03, 2021 ने कहा…

Nice to know Navdeep

Amita Mishra on अप्रैल 03, 2021 ने कहा…

सरताज बनने के लिए एकदम परफेक्ट और खूबसूरत

Manish Kumar on अप्रैल 03, 2021 ने कहा…

शुक्रिया अमिता जी🙂

Sonal Singh on अप्रैल 03, 2021 ने कहा…

Totally agree with this ranking .

Manish Kumar on अप्रैल 03, 2021 ने कहा…

जानकर अच्छा लगा सोनल 🙂

Sumit on अप्रैल 05, 2021 ने कहा…

Of course this was the best song of the best countdown. Beautiful song with deep lyrics. I liked the singer though I could feel the influence of Arijit Singh on his rendition but overall a fresh addition to list of good singers.

Thank you once again for continuous wonderful effort by you Manish Ji which brings to us super songs of the year. Your inimitable, personal and warm style of writing for each song make them sound even more meaningful and beautiful. Thanks!

Manish Kumar on अप्रैल 11, 2021 ने कहा…

शुक्रिया सुमित! इस गीत ने पति पत्नी के रिश्तों की गिरहों को इतनी खूबसूरती से शब्दों में ढाला कि इसे सुनकर मन भींग गया। गीत के बोलों के अनुरूप धुन और गायिकी भी रही।

सहमत हूँ गायक के बारे में आपके आकलन से। इस संगीतमाला के लिए की गई मेहनत आप जैसों के पाठकीय सानिध्य से ही संभव हो पाती है। साथ बने रहने के लिए शुक्रिया।

 

मेरी पसंदीदा किताबें...

सुवर्णलता
Freedom at Midnight
Aapka Bunti
Madhushala
कसप Kasap
Great Expectations
उर्दू की आख़िरी किताब
Shatranj Ke Khiladi
Bakul Katha
Raag Darbari
English, August: An Indian Story
Five Point Someone: What Not to Do at IIT
Mitro Marjani
Jharokhe
Mailaa Aanchal
Mrs Craddock
Mahabhoj
मुझे चाँद चाहिए Mujhe Chand Chahiye
Lolita
The Pakistani Bride: A Novel


Manish Kumar's favorite books »

स्पष्टीकरण

इस चिट्ठे का उद्देश्य अच्छे संगीत और साहित्य एवम्र उनसे जुड़े कुछ पहलुओं को अपने नज़रिए से विश्लेषित कर संगीत प्रेमी पाठकों तक पहुँचाना और लोकप्रिय बनाना है। इसी हेतु चिट्ठे पर संगीत और चित्रों का प्रयोग हुआ है। अगर इस चिट्ठे पर प्रकाशित चित्र, संगीत या अन्य किसी सामग्री से कॉपीराइट का उल्लंघन होता है तो कृपया सूचित करें। आपकी सूचना पर त्वरित कार्यवाही की जाएगी।

एक शाम मेरे नाम Copyright © 2009 Designed by Bie