बुधवार, अप्रैल 23, 2025

वार्षिक संगीतमाला 2024 Top 25 : निरमोहिया Bandish Bandits

पृथ्वी गंधर्व को मैं पिछले कुछ सालों से एक ऐसे ग़ज़ल गायक के रूप में देखता आया था जो मुंबई कि छोटी बड़ी महफिलों में हारमोनियम लिए कभी ख़ुद तो कभी अपने साथी कलाकारों के साथ गाते गुनगुनाते नज़र आते थे। उनकी गायिकी में गुलाम अली, मेहदी हसन व हरिहरण का प्रभाव स्पष्ट ही दिखता है। मेहदी हसन के साथ तो उन्होंने वक़्त बिताया ही है आजकल भी  गुलाम अली के साथ विदेशों में एक साथ मंच साझा करते रहे हैं।

पृथ्वी गंधर्व एक संगीत से जुड़े परिवार से आते हैं। दादा, पिता, बहन सब किसी न किसी वाद्य यंत्र में महारत रखते हैं। गायिकी में मां की रुचि थी पर ऐसे संगीतमय माहौल में शास्त्रीय संगीत और ग़ज़ल गायिकी सीखने के लिए पृथ्वी हरिहरण जी के पास पहुंचे और उनके पुत्र के साथ रियाज़ करते करते उनका विश्वास जीता।



इन्हीं महफिलों का असर था कि बंदिश बैंडिट्स के निर्देशक आनंद तिवारी और आकाशसेन गुप्ता को किसी ने पृथ्वी का नाम सुझाया। आनंद ने चार पाँच घंटे के संगीत सत्र में उनसे 16 बंदिशें गवाई पर मामला कुछ जमा नहीं। हालांकि संगीत के ये दौर चलते रहे। ऐसे ही एक सत्र में उनसे कुछ अपना स्वरचित सुनाने की फर्माइश हुई और तब जो गीत पृथ्वी गंधर्व के ज़ेहन में आया वो था निर्मोहिया जिसकी धुन उन्होंने पियानो पर कोविड काल में उज्जैन में घर बैठे रिकार्ड की थी।

पृथ्वी गंधर्व और  सुवर्णा तिवारी

निर्मोहिया में शास्त्रीयता के साथ साथ कानों पर तुरंत चढ़ जाने का असर भी था। इसलिए इस वेब सीरीज के लिए तुरंत ही उनकी ये बंदिश चुन ली गई। राग यमन पर आधारित इस बंदिश में पृथ्वी गंधर्व का साथ दिया सुवर्णा तिवारी ने जो ख़ुद ही एक मँजी हुई शास्त्रीय गायिका हैं। सुवर्णा की गहरी और धारदार आवाज़ के साथ पृथ्वी गंधर्व की मुलायमित खूब सराही गयी। यूँ तो बंदिश बैंडिट्स में पृथ्वी ने कई गीतों में अपनी उपस्थिति गायक या संगीतकार के रूप में दर्ज की है पर  निर्मोहिया की बात कुछ अलग है।

आजकल फ्यूजन के नाम पर सुकून देते हुए शास्त्रीय या उप शास्त्रीय संगीत में पश्चिमी वाद्यों का बढ़ता शोर अक्सर उस मूड का सत्यानाश कर देता है जिसकी गिरफ्त में हम हौले हौले आ रहे होते हैं। निर्मोहिया में प्रेम की विकलता है, सरगम के टुकड़े हैं, सारंगी, तबले और बाँसुरी की मधुर संगत है, पश्चिमी वाद्यों में ड्रम्स हैं जो कभी कभी अपनी झंकार सुना देते हैं और यही वजह है कि ये गीत वार्षिक संगीतमाला की बीसवीं पायदान पर अपनी जगह बना पाया है।

निरमोहिया, हरजाइया, बैरी जिया रे मोरा बैरी जिया
बावरा मन तेरी लगन में
डूब ना जाए तेरे नयन में
आ भी जाओ ना सताओ
आ भी जाओ ना सताओ
कैसे मैं कहूँ सखी बातें
काटे ना कटे वैरी रातें
इक पलछिन ना छँट रही उनकी यादें हैं
भोर तलक ना लग रही मेरी आँखें
जोगन बन गयी मैं तो जोगिया


गीत के इन बोलों को लिखा है मैडी गिल ने। तो आइए सुनते हैं इस गीत को यहाँ

4 टिप्‍पणियां:

  1. Bandish Bandits 2 का संगीत इसके पहले सीजन से थोड़ा कमतर ही रहा, पर बेहतरीन है। मुझे लगभग सभी गीत पसंद आये। खासकर, मेरी अरज सुनो बनवारी...❗😊

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    1. Manish मैंने भी ऐसा कहीं पढ़ा था। पर पहले सीजन को पूरा ठीक से सुन नहीं पाया था। दूसरा पूरा सुना । औसत से बेहतर एल्बम है पर ये गीत बाकियों की वनस्पति कुछ ज्यादा देर तक दिल में रहा।

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  2. Mujhe ye kamtar to nahi par pahle se kaafi alag aur refreshing laga isme pahle wale se jyada variety hai par thodi Kam soulful hai, missing the shankars magic

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    1. Sajeev Sarathie टुकड़ों में इस एल्बम के कई गीत मुझे भी अच्छे लगे पर इसे गुनगुनाने में कुछ ज्यादा मजा आया।

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