
रविवार, जून 26, 2022
चन कित्थाँ गुज़ारी रात वे Chan Kithan Guzari by Ali Sethi



बुधवार, जून 08, 2022
निठल्ले की डायरी : हरिशंकर परसाई


मिसाल के तौर पर कुछ बानगी देखिए। भारतीय विश्वविद्यालयों में शोध की स्थिति पर देखिए परसाई जी क्या तड़का लगा रहे हैं
डॉक्टर साहब बोले पहले रिसर्च का अर्थ समझ लो इसका अर्थ है फिर से खोजना यानी जो पहले ही खोजा जा चुका है उसे फिर से खोजना रिसर्च कहलाता है। जो हमारे ग्रंथों में है उसे तुम्हें फिर से खोजना है। भारत के विश्वविद्यालयों में जो प्रोफ़ेसर आज हमारे विरोधी हैं उनके ग्रंथों और निष्कर्षों को तुम्हें नहीं देखना है क्योंकि तब तुम्हारा काम रिसर्च ना होकर सर्च हो जाएगा। दूसरी बात यह है कि विश्वविद्यालय ज्ञान का विशाल कुंड है। इसमें जितना ज्ञान भर सकता है उतना भरा हुआ है। लबालब भरा है यह कुंड। इसमें अगर बाहर से और ज्ञान लाकर भरा जाएगा तो यह कुंड फूट जाएगा। तुम जानते हो घासा बांध टूटने से दिल्ली के आसपास कितना विनाश हुआ था। हर अध्यापक और हर छात्र का यह कर्तव्य है कि इस कुंड में बाहर से ज्ञान जल न जाने दे वरना बांध टूटेगा और विनाश फैले का ऐसे हर छेद पर उंगली रखे रहो जहां से ज्ञान भीतर घुस रहा हो।
मैंने कहा जनाब यह बात झूठ है 500 वाले ने तो स्टॉक यहां वहां कर दिया है पर 5000 वाले का गोदाम भरा है। आप अभी चलकर जब्त कर सकते हैं। साहब ने कहा - "जब कुछ है ही नहीं तो जब्त क्या किया जाएगा"? मुझे तो राजधानी से भी खबर मिली है कि उसके पास कुछ नहीं है। यहां खबर जब राजधानी से आती है तब वही सच होती है। हमारी सब खबरें उससे कट जाती हैं। राजधानी की एक आंख हमारी लाख आंखों से तेज होती है। जब वह खुलती है हमारी चौंधियां जाती हैं।😁😁अगले ही दिन मेरे पीछे सरकार की गुप्तचर विभाग का आदमी लग गया। मैं उसे पहचानता था। पूछा भाई मेरे पीछे क्यों वक्त बर्बाद कर रहे हो? उसने कहा आप पर नज़र रखने का हुक्म हुआ है। मैंने पूछा मगर मैंने ऐसा किया क्या ? उसने जवाब दिया सरकार को खबर मिली है कि आप राष्ट्र विरोधी काम करते हैं। मेरे मुंह से निकला राष्ट्र विरोधी! तो क्या वे लोग ही राष्ट्र हैं?
जो लोग टैंक भेदी तोपों की तारीफ करते हैं, वे भूल जाते हैं कि टैंक तो आज बने हैं, पर टैंक भेदी तोपें हमारे यहां त्रेता युग में बनती थीं। भाइयों, कल्पना कीजिए उस दृश्य की। राम सुग्रीव से कह रहे हैं कि मैं बालि को मारूंगा। सुग्रीव संदेह प्रकट करता है। कहता है बालि महाबलशाली है। मुझे विश्वास नहीं होता कि आप उसे मार सकेंगे। तब क्या होता है कि मर्यादा पुरुषोत्तम धनुष उठाते हैं। बाण का संधान करते हैं और ताड़ के वृक्षों की एक कतार पर छोड़ देते हैं। बाण एक के बाद एक साथ ताड़ों को छेद कर निकल जाता है। सुग्रीव चकित है। वन के पशु-पक्षी खग-मृग और लता-वल्लरी चकित हैं। सज्जनों जो एक बाण से 7 ताड़ छेद डालते थे उनके पास मोटे से मोटे टैंक को छेड़ने की तोप क्या नहीं होगी? भूलिए मत हम विश्व के गुरु रहे और कोई हमें कुछ नहीं सिखा सकता।😀

बुधवार, मई 11, 2022
मैं कैसे कहूँ जानेमन, तेरा दिल सुने मेरी बात : जगजीत का गीत जननी कामाक्षी की आवाज़ में


जगजीत सिंह यूं तो आधुनिक ग़ज़ल के बेताज बादशाह थे पर उन्होंने समय समय पर हिंदी फिल्मों के लिए भी बेहतरीन गीत गाए। अर्थ, साथ साथ, प्रेम गीत, सरफरोश जैसी फिल्मों में उनके गाए गीत तो आज तक बड़े चाव से सुने और गुनगुनाए जाते हैं। पर इन सब से हट कर उन्होंने कुछ ऐसी अनजानी फिल्मों के गीत भी निभाए जो बेहद कम बजट की थीं और ज्यादा नहीं चलीं या फिर ऐसी जो बनने के बाद रिलीज भी नहीं हो पाईं।

गुरुवार, अप्रैल 07, 2022
वार्षिक संगीतमाला 2021 Top Songs of 2021 तेरी झलक अशर्फी श्रीवल्ली Srivalli


वार्षिक संगीतमाला में पिछले साल के शानदार पन्द्रह गीतों की कड़ी में आख़िरी गीत फिल्म पुष्पा से। ये गीत कौन सा है ये तो आप समझ ही गये होंगे क्यूँकि पिछले साल के अंतिम महीने से लेकर आज तक ये गीत लगातार बज रहा है वो भी अलग अलग भाषाओं में। देशी कलाकार तो एक तरफ, ये गीत विदेशी कलाकारों को भी अपने मोहपाश में बाँध चुका है। हाल ही में मुंबई पुलिस के बैंड द्वारा सामूहिक रूप इसकी धुन की प्रस्तुति चर्चा का विषय बनी हुई है। जी हाँ ये गीत है श्रीवल्ली जिसकी अद्भुत संगीत रचना करने वाले देवी श्री प्रसाद बताते हैं कि इस धुन की रूप रेखा उन्होंने पाँच मिनट में ही गिटार पर बजा कर बना डाली थी। इस गीत की धुन इतनी पसंद की जायेगी ये उन्होंने सपने में भी नहीं सोचा था🙂
उत्तर भारतीय संगीत प्रेमियों के लिए देवी श्री प्रसाद भले ही अनजान हों पर तेलुगू फिल्म उद्योग में वो जाना पहचाना नाम हैं। शायद ही आपको पता हो कि उन्हें उनके प्रशंसक प्यार से DSP RockStar के नाम से बुलाते हैं। पच्चीस सालों के अपने लंबे कैरियर में नौ फिल्मफेयर पुरस्कार से सम्मानित DSP अपनी धमाकेदार धुनों के लिए जाने जाते हैं। इसी फिल्म के लिए उनका गीत उ अन्टवा मावा..उ उ अन्टवा मावा.. इस साल का सबसे जबरदस्त डांस नंबर साबित हुआ है पर जहां तक श्रीवल्ली का सवाल है तो वो एक ऐसे आशिक का प्रेम गीत है जिसे ये शिकायत है कि उसकी महबूबा उसके प्यार को अनदेखा कर रही है।
दक्षिण भारतीय फिल्में जब डब होकर हिंदी में आती हैं तो गीतकार के पास वो रचनात्मक आज़ादी नहीं होती क्यूँकि तब तक मूल भाषा में गीत बन चुका होता है और हिंदी में बस उसका भावानुवाद करना होता है। रक़ीब आलम को जब इसके मूल तेलुगू बोल मिले तो मुखड़े की एक पंक्ति का अर्थ कुछ यूँ था कि तुम्हारी झलक सोने की चमक सी बेशकीमती है। अब हिंदी में मुखड़े का मीटर जम नहीं पा रहा था तो रक़ीब उर्दू जुबान की शरण में गए और नायिका के लिए जो विशेषण चुना वो था अशर्फी।
अशर्फी में सोना और चमक दोनों मायने निहित थे। उर्दू से अनजान लोग मुखड़े में इस्तेमाल किए जुमले "बातें करे दो हर्फी" को सुनकर असमंजस में पड़ जाते हैं। दरअसल फिल्म की नायिका नायक को ज़रा भी भाव नहीं देती और कुछ पूछने पर भी दो हर्फी जवाब देती है जैसे हाँ, ना, क्यूँ, अच्छा। यहाँ हर्फ का मतलब अक्षर से है।
वहीं मदक बर्फी से गीतकार का अभिप्राय नायिका की नशीली मादक आँखों से हैं। गीत में हिंदी का वही मादक शब्द मीटर में लाने के लिए मदक में बदल दिया गया है। हालांकि आंखों की तुलना बर्फी से करना सोहता तो नहीं पर अशर्फी से तुक मिलान के लिए शायद गीतकार को ये करना पड़ा। कई लोगों ने मुझसे मुखड़े की इस गुत्थी को सुलझाने के लिए कहा था। तो अब तो आप समझ गए होंगे मुखड़े के पीछे गीतकार की सोच
तेरी झलक अशर्फी श्रीवल्ली, बातें करे दो हर्फी
भगवान जो कि छुपा हुआ है उस के लिए तो नायिका पूजा अर्चना में लीन है पर नायक की आँखों में बसा प्रेम उसे नज़र नहीं आता। इसी भाव को गीत में उतारते हुए रक़ीब ने लिखा
कैसी ये हया तेरी, जो तू पलकों को झुकाये
रब जो पोशीदा है, उसको निहारे तू
और जो गरवीदा है, उसको टाले तू
वार्षिक संगीतमाला 2021
- राताँ लंबियाँ
- जीतेगा जीतेगा इंडिया जीतेगा
- दिल उड़ जा रे रस्ता दिखला रे
- आसान किस्तों में तू प्यार कर
- हाय चकाचक चकाचक हूँ मैं
- छोटी सी चिरैया उड़के चली किस गाँव
- मन केसर-केसर महके, रेशम-रेशम लागे रे
- रेत ज़रा सी
- रत्ती रत्ती रेज़ा रेज़ा
- लहरा दो लहरा दो
- मन भरया
- तू यहीं है, आँखों के कोने में
- थोड़े से कम अजनबी
- तेरे रंग रंगा मन महकेगा तन दहकेगा
- तेरी झलक अशर्फी श्रीवल्ली
इस संगीतमाला के सारे गीतों की चर्चा तो हो चुकी। अब इन पन्द्रह गीतों को अपनी पसंद के क्रम में सजाइए और मुझे भेज दीजिए मेरे फेसबुक पेज मेल या यहाँ कमेंट में। जिसकी पसंद का क्रम मेरे से सबसे ज्यादा मिलेगा वो होगा हर साल की तरह एक छोटे से इनाम का हक़दार।
- राताँ लंबियाँ
- जीतेगा जीतेगा इंडिया जीतेगा
- दिल उड़ जा रे रस्ता दिखला रे
- आसान किस्तों में तू प्यार कर
- हाय चकाचक चकाचक हूँ मैं
- छोटी सी चिरैया उड़के चली किस गाँव
- मन केसर-केसर महके, रेशम-रेशम लागे रे
- रेत ज़रा सी
- रत्ती रत्ती रेज़ा रेज़ा
- लहरा दो लहरा दो
- मन भरया
- तू यहीं है, आँखों के कोने में
- थोड़े से कम अजनबी
- तेरे रंग रंगा मन महकेगा तन दहकेगा
- तेरी झलक अशर्फी श्रीवल्ली

गुरुवार, मार्च 24, 2022
वार्षिक संगीतमाला Top Songs of 2021 : तेरे रंग रंगा मन महकेगा तन दहकेगा Tere Rang


लट गयी रे उलझ गयी, कैसे कोई हट गया, मन से लिपट अनजाना
वो नील अंग सा रूप रंग, लिए सघन समाधि प्रेम भंग
कर दे प्रेम का, प्रीत का, , मोह का शगुन
मुरली की ये धुन सुन राधिके...
हो आना जो आके कभी, फिर जाना जाना नहीं
जाना हो तूने अगर, तो आना आना नहीं
तेरे रंग रंगा, तेरे रंग रंगा
मन महकेगा तन दहकेगा
तुमसे तुमको पाना, तन मन तुम..तन मन तुम
तन से मन को जाना..उलझन गुम...उलझन गुम
तुमसे तुमको पाना तन मन तुम
जिया रे नैना, चुपके चुपके हारे
मन गुमसुम, मन गुमसुम
देखे मैंने तो, सब रंग तेरे सब रंग तेरे
फीके ना हो छूटे ना ये रंग
तेरे रंग रंगा.. शगुन
जिस फिल्म की कथा देश के एक कोने से दूसरे कोने तक जा पहुँचती है तो बदलती जगहों और किरदारों के अनुसार संगीत को भी अलग अलग करवट लेनी पड़ती है। मैं शुक्रगुजार हूँ ऐसी कहानियों को जो संगीत में कुछ नया करने का अवसर हमें दे पाती हैं।
वार्षिक संगीतमाला 2021 में अब तक

गुरुवार, मार्च 17, 2022
वार्षिक संगीतमाला Top Songs of 2021 थोड़े से कम अजनबी Thode Se Kam Ajnabi


पिछले साल के शानदार गीतों की शृंखला में आज बात फिल्म पगलैट के एक दिलकश गीत की जिसे पहली बार सुनते ही गीत मन में रम सा गया था। कहना मुश्किल था कि ये हिमानी की जादुई आवाज़ का असर था या अरिजीत की सुरीली बहती सी धुन का या फिर नीलेश मिश्र के शब्द जिसको महसूस करते हुए इस गीत के लिए श्रोताओं के दिल की खिड़की खोल दी थी। इस गीत का मर्म समझने के लिए आपको पगलैट फिल्म की कहानी से परिचय कराना बेहद जरूरी हैं क्यूँकि फिल्म का गीत संगीत उसी में अपनी राह बनाता हुआ चलता है।
जैसा मैंने आपको पहले भी बताया था कि पगलैट एक ऐसी लड़की की कथा है जो शादी के चंद महीने बाद ही अपने पति को खो बैठती है। इतने कम समय में पति के साथ उसके मन के तार ठीक से जुड़ भी नहीं पाते हैं और तभी उसे पता चलता है कि जो अनायास ही ज़िंदगी से चला गया उसकी एक प्रेमिका भी थी। अपने पति के बारे में और जानने के लिए वो उसकी प्रेमिका से मिलती है और धीरे धीरे अपने पति के प्रति उसकी नाराज़गी व गलतफहमी दूर होने लगती है और इसलिए गीत के मुखड़े में नीलेश लिखते हैं थोड़े से कम अजनबी..मेरे दिल के घर में, खिड़की नयी है खुल गयी।
मन के अंदर का चक्रवात शांत होगा तभी तो व्यक्ति सकारात्मक ढंग से भविष्य के बारे में सोच सकेगा। ज़िदगी से एक बार फिर प्यार कर सकेगा। नीलेश नायिका के मन को पढ़ते हुए इसी भाव को गीत में व्यक्त करते हैं।
अरिजीत, नीलेश और हिमानी इस गीत के साथ कैसे जुड़े ये जानना भी आपके लिए दिलचस्प होगा। फिल्म की निर्माता गुनीत मोंगा ये चाहती थीं कि फिल्म का संगीत अरिजीत दें, हालांकि इससे पहले अरिजीत ने स्वतंत्र रूप से बतौर संगीतकार कभी काम नहीं किया था। वहीं अरिजीत की शर्त थी कि कहानी पसंद आएगी तभी वे संगीत निर्देशन का काम सँभालेंगे। ज़ाहिर है उन्हें कहानी पसंद आई।
नीलेश मिश्र पिछले कई सालों से फिल्मी गीतों को लिखना छोड़ चुके थे। उन्हें इस काम में मज़ा नहीं आ रहा था क्यूँकि जिस तरह की रचनात्मक स्वतंत्रता वो चाहते थे वो मिल नहीं रही थी। फिल्म के पटकथा लेखक और निर्देशक उमेश बिष्ट ने उनकी ये इच्छा पगलैट में पूरी कर दी। एक बार पटकथा सुनाकर संगीतकार गीतकार की जोड़ी को बीच मझधार में छोड़ दिया ख़ुद ब ख़ुद किनारे तक पहुँचने के लिए। नीलेश और अरिजीत चाहते भी यही थे कि उन्हें अपनी नैया ख़ुद चलाने का मौका मिले।
ये तो हम सभी जानते हैं कि अरिजीत सिंह ने गायिकी के साथ साथ प्रीतम दा के लिए सहायक के तौर पर काम किया है। प्रीतम और रहमान उनके लिए हमेशा प्रेरणा के स्रोत रहे हैं। यहाँ तक कि आख़िर आख़िर तक गीत में बदलाव की आदत भी उन्हें प्रीतम से मिली है। पगलैट के संगीत के बारे में अरिजीत कहते हैं कि उन्होंने पहले से कुछ संगीतबद्ध कर नहीं रखा था। नीलेश ने गीत के बोल लिखे और उन बोलों से ही मन में धुन बनती चली गयी। कहना होगा कि नीलेश और अरिजीत दोनों ने ही संध्या के मन को कहानी की पटकथा से खूब अच्छी तरह जाँचा परखा और इसी वज़ह से फिल्म का संगीत इतना प्रभावी बन पाया।
अरिजीत ने जब गीत की धुनें बनायीं तो उनके दिमाग में नीति मोहन, हिमानी कपूर , मेघना मिश्रा, चिन्मयी श्रीपदा और झूंपा मंडल की आवाज़ें थीं। उन्होने क्या कि सारे गीत सभी गायिकाओं को भेजे। सबने हर गीत को गाया और यही वज़ह है कि एलबम में आप एक ही गीत को दो वर्जन में भी सुन पाएँगे।
हिमानी कपूर अरिजीत सिंह के साथ
हिमानी मेरी पसंदीदा गायिका हैं और उसकी खास वज़ह उनकी आवाज़ कि एक विशिष्ट बुनावट या tonal quality है जिसे सुनकर आप तुरंत पहचान लेंगे कि ये गीत हिमानी गा रही हैं। वैसे तो हिमानी ने पंजाबी रॉक से लेकर सूफी, रूमानी गीतों से लेकर ग़ज़लें भी गायी हैं पर मुझे उनकी आवाज़ संज़ीदा गीतों और ग़ज़लों के बिल्कुल मुफ़ीद लगती है। हिमानी और अरिजीत ने रियालटी शो की दुनिया से संगीत जगत में कदम रखा है। इसलिए वे एक दूसरे की गायिकी से भली भांति परिचित रहे हैं।
पिछले साल अगस्त के महीने में हिमानी के जन्मदिन पर अरिजीत ने संदेशा भिजवाया कि वो उनसे अपनी फिल्म का एक गीत गवाना चाहते हैं। हिमानी के लिए जन्मदिन का इससे प्यारा तोहफा हो ही नहीं सकता था क्यूँकि अरिजीत के साथ काम करना उनके एक सपने का पूरा होना था। हिमानी का कहना है कि अरिजीत जैसे गुणी कलाकार के साथ सहूलियत ये है कि वो गायक को पूरी छूट देते हैं अपनी समझ से गीत में बदलाव लाने के लिए। गीत सुनने के बाद आश्चर्य होता है ये जानकर कि इतना प्यारा नग्मा लॉकडाउन की वज़ह से आनलाइन मोड में ही बना।
शुरुआत और अंतरों के बीच में गिटार के बहते नोट्स और अंत में निर्मल्य डे की बजाई बाँसुरी मन को सुकून पहुँचाती है। हिमानी की आवाज़ तो मन मोहती ही है और बीच में पार्श्व से उठता अरिजीत का उठता स्वर गीत को एक विविधता प्रदान करता है। इसमें कोई शक़ नहीं कि ये फिल्मों के लिए हिमानी का गाया अब तक का सबसे बेहतरीन गीत है। तो आइए सुनें हिमानी को पगलैट के इस गीत में
थोड़े ग़म कम अभी, थोड़े से कम अजनबी
थोड़े से कम अजनबी, थोड़े से कम अजनबी..ख्वाहिशें नयी,
होठों के मुंडेरों पे छिपी है ढेरों..छोटी छोटी सी ख़ुशी
थोड़े से कम अजनबी, अच्छी सी लगे है ज़िन्दगी
मुस्कुराएँ हम क्यों बेवजह, ताका झाँकी टोका टाकी
करता जाए दिल ज़िद पे अड़ा, मैंने ना की इसने हाँ की
धूप छाँव बुनते साथ कभी
भूल भुलैया में मिल जो जाते रस्ते तेरे मेरे सभी, ख्वाहिशें नयी
होठों के.. है ज़िन्दगी
वार्षिक संगीतमाला 2021 में अब तक

शुक्रवार, मार्च 04, 2022
वार्षिक संगीतमाला Top Songs of 2021 : तू यहीं है, आँखों के कोने में Tu Yahin Hai


जगने सोने में, यहीं है तू
तू यहीं है, हर पल रुसाने
मुझको मनाने, यहीं है तू
ये दूरी है दिल का वहम, संग मेरे है तू हरदम
दम दम दम
तू यहीं है, होने, ना होने में
ख़ुद को खोने में, यहीं है तू
हमें सुबह से इसका इंतज़ार है कि जल्दी जल्दी शाम हो
कि पूरे दिन के क़िस्से हम बताएँगे तसल्लियों से रात को
जुगनू-जुगनू बन के, साथ-साथ जागे
जादू-जादू सब ये, जादुई सा लागे
टिमटिमा के देखो, हँस रहा वो तारा
क्या सुना लतीफ़ा, उसने फिर हमारा
जहाँ मिलते हैं रात और दिन
वहीं चुपके से मिल लेंगे हम हम हम
तू यहीं है, आँखों के कोने में....यहीं है तू.
तू यहीं है, होने, ना होने में... यहीं है तू
ये दूरी है...

रविवार, फ़रवरी 27, 2022
वार्षिक संगीतमाला Top Songs of 2021 मन भरया Man Bharryaa


लता मंगेशकर जैसे महान कलाकार के गुजर जाने की वज़ह से मैं अपनी गीतमाला को आगे बढ़ाने की स्थिति में नहीं था। रह रह कर उनके गाए गीत और उनसे जुड़ी बातें में मन में उमड़ घुमड़ रही थीं। इसलिए मैंने इस गीतमाला को ढाई हफ्तों का एक विराम दिया था। आज इस सिलसिले को फिर से आगे बढ़ा रहा हूँ। पिछले साल के पंद्रह शानदार गीतों की फेरहिस्त में दस की चर्चा आपसे पिछले महीने हो ही चुकी है।अब अब सिर्फ पाँच गीत बचे हैं। हालांकि इस बार वार्षिक संगीतमाला में किसी क्रम से नहीं बज रहे पर ये पाँचों गीत मेरे बेहद प्रिय हैं।
कुछ गीत ऐसे होते हैं जिनमें निहित भावों को हम फिल्म की कहानी के इतर भी अपने आस पास की ज़िंदगी से जोड़ लेते हैं। फिल्म शेरशाह के गीत मन भरया को आप ऐसे ही गीत की श्रेणी में रख सकते हैं। ज़िदगी के अलग अलग पड़ावों में हम सबने किसी ना किसी करीबी को खोया ही होगा। कुछ लोग तो उस दुख के साथ जीना सीख लेते हैं तो कुछ उस व्यक्ति के चले जाने से आई शून्यता को आजीवन भर नहीं पाते। इस गीत की पंक्तियाँ ऐसे ही लोगों के मन की व्यथा व्यक्त करती हैं।
ये फिल्म कैप्टन विक्रम बात्रा के जीवन पर बनी फिल्म है। मरणोपरान्त परम वीर चक्र से सम्मानित विक्रम बात्रा के कारगिल युद्ध में पराक्रम के किस्से पढ़कर आज भी रोंगटे खड़े हो जाते हैं। देश की सीमाओं की रक्षा करने वाले जब देश के लिए शहीद होते हैं तो हम सभी की आँखें नम होती हैं, सम्मान में सर झुक जाता है पर फिर हम सब भूल कर अपने काम में लग जाते हैं। विक्रम तो पच्चीस साल की अल्पायु में ही शहीद हो गए। अपने जवान बेटे या नवविवाहिता के लिए अपना पति खो देना कितना कष्टप्रद है ये शायद वही समझ सकें जिसने वो दर्द सहा हो।
पंजाबी संगीत उद्योग में बी प्राक का नाम हमेशा सुरीले और संवेदनशील नग्मों के लिए लिया जाता रहा है। हिंदी फिल्मों में वो तेरी मिट्टी गाकर सबके चहेते बन गए। सच तो ये है कि ये गीत बी प्राक ने मूलतः शेरशाह के लिए संगीतबद्ध नहीं किया था। अपनी प्रेमिका के लिए उलाहना देते इस गीत को तब भी जानी ने ही लिखा था। मुखड़ा भी वही था पर अंतरे थोड़े अलग थे। संगीत संयोजन भी गिटार पर आधारित था। 2017 में स्पीड रिकार्डस के द्वारा रिलीज़ वो सिंगल काफी लोकप्रिय हुआ था।
वार्षिक संगीतमाला 2021 में अब तक

मंगलवार, फ़रवरी 08, 2022
वार्षिक संगीतमाला Top Songs of 2021 लहरा दो लहरा दो, सरकशीं का परचम लहरा दो Lehra Do


ऐसे जागो रे साथियों, दुनिया की आँखें खोल दो...खोल दो
लहरा दो लहरा दो, सरकशीं का परचम लहरा दो
गर्दिश में फिर अपनी, सरजमीं का परचम लहरा दो
हो हाथ धर के बैठने से, क्या भला कुछ होता है
हो हाथ धर के बैठने से क्या भला कुछ होता है
जा लकीरों को दिखा क्या ज़ोर बाजू होता है
हिम्मत-ए-मर्दा अगर हो संग खुदा भी होता है
जा ज़माने को दिखा दे खुद में दम क्या होता है
लहरा दो लहरा दो, सरकाशी का परचम लहरा दो
गर्दिश में फिर अपनी, सर ज़मीन का परचम लहरा दो
लहरा दो लहरा दो...परचम लहरा दो
लहरा दो लहरा दो...लहरा दो लहरा दो
लहरा दो लहरा दो...लहरा दो लहरा दो..

शुक्रवार, फ़रवरी 04, 2022
वार्षिक संगीतमाला Top Songs 2021 रत्ती रत्ती रेज़ा रेज़ा, जो है तेरा ले जाना Ratti Ratti


अतरंगी रे की ही तरह मीनाक्षी सुंदरेश्वर बतौर एलबम मुझे काफी पसंद आया और इसीलिए इस फिल्म के भी कई गीत इस वार्षिक संगीतमाला में शामिल हैं। आज इसके जिस गीत की बात मैं करने जा रहा हूँ उसे आप Long Distance Relationship पर बनी इस फिल्म का आज की शब्दावली में ब्रेक अप सॉन्ग कह सकते हैं। ये गीत है रत्ती रत्ती रेज़ा रेज़ा, जो है तेरा ले जाना.....।
मन केसर केसर का जिक्र करते हुए मैंने आपको बताया था कि इस फिल्म के संगीतकार जस्टिक प्रभाकरन तमिल हैं और हिंदी फिल्मों में संगीत देने का ये उनका पहला मौका था। आप ही सोचिए कहाँ हिंदी पट्टी से आने वाले खालिस बिहारी राजशेखर और कहाँ जस्टिन (जिन्हें तमिल और अंग्रेजी से आगे हिंदी का क, ख, ग भी नहीं पता) ने आपस में मिलकर इतना बेहतरीन गीत संगीत रच डाला।
मैं इनके बीच की कड़ी ढूँढ ही रहा था कि राजशेखर का एक साक्षात्कार सुना तो पता चला कि वो सेतु थे फिल्म के युवा निर्देशक विवेक सोनी। फिल्म के गीत संगीत पर तो लॉकडाउन में काम चलता रहा पर स्थिति सुधरने के बाद ये तिकड़ी साथ साथ ही सिटिंग में बैठती रही। राजशेखर बताते हैं कि उन्हें बड़ी दिक्कत होती थी जस्टिन को गीतों के भाव समझाने में।
राजशेखर का हाथ अंग्रेजी में तंग था और जस्टिन अंग्रेजी के शब्दों का उच्चारण भी तमिल लहजे में करते थे। जब राजशेखर ने रत्ती रत्ती रेज़ा रेज़ा मुखड़ा रचा तो उसे सुनकर जस्टिन का मासूम सा सवाल था What ..meaning ? अब राजशेखर अगर शाब्दिक अनुवाद bits & pieces बताएँ तो शब्दों के पीछे की भावनाएँ गायब हो जाती थीं तो वे ऐसे मौकों पर चुप रह जाते। ऐसे में विवेक दुभाषिए का रोल अदा करते थे।
फिल्म के गीतों पर काम करते करते जस्टिन को राजशेखर ने हिंदी के तीन चार शब्द तो रटवा ही दिए। एक मज़ेदार बात उन्होने ये सिखाई कि जस्टिन If someone asks you about lyrics you have to just say बहुत अच्छा 😀😀।
फिल्म की कथा शादी के बाद अलग अलग रह रहे नवयुगल के जीवन से जुड़ी है। वो कहते हैं ना कि जिनसे प्यार होता है उनसे उतनी जल्दी नाराज़गी भी हो जाती है। पास रहें तो थोड़ी नोंक झोंक के बाद मामला सलट जाता है पर दूरियाँ कभी कभी कई ऐसी गलतफहमियों को जन्म देती हैं जो नए नवेले रिश्ते की नर्म गाँठ को तार तार करने में ज्यादा वक़्त नहीं लगाती।
एक बार मन टूट जाए फिर उस शख़्स से लड़ने की भी इच्छा नहीं होती। इसलिए राजशेखर लिखते हैं
ना यकीं हो रहा, संग हम दोनो का था
बस इतना ही क्या
क्या ही कहें, क्या ही लड़ें
जब प्यार ही ना रहा
यादें बातें दिन और रातें, सब ले जा तू
क्या करें कि जल्दी-जल्दी, तुझे भूल जाएँ अब
साथ वाली सारी शामें, याद फिर ना आए अब
छोटी-छोटी यादों में हम अटके रहें क्यूँ
पीछे जाती सड़कों पे भटके रहें क्यूँ
जो धागा-धागा उधड़ा है -क्या ही है बचा
जो रेशा रेशा पकड़ा है - कर दे ना रिहा
रत्ती रत्ती..सब ले जा तू
वार्षिक संगीतमाला 2021 में अब तक
अगर आप सोच रहे हों कि मैंने हर साल की तरह इस गीत की रैंक क्यूँ नहीं बताई तो वो इसलिए कि इस साल परिवर्तन के तौर पर गीत किसी क्रम में नहीं बजेंगे और गीतों की मेरी सालाना रैंकिंग सबसे अंत में बताई जाएगी।

बुधवार, फ़रवरी 02, 2022
वार्षिक संगीतमाला Top Songs of 2021 जैसे रेत ज़रा सी Rait Zara Si


राँझणा और तनु वेड्स मनु जैसी कामयाब फिल्में बनाने वाले आनंद राय जब एक बार फिर धनुष को अपनी नयी फिल्म अतरंगी रे में सारा और अक्षय कुमार के साथ ले कर आए तो आशा बँधी कि फिल्म कुछ वैसा ही जादू दोहरा पाएगी। धनुष के शानदार अभिनय के बावज़ूद अपनी लचर पटकथा की वज़ह से फिल्म तो कोई कमाल दिखला नहीं सकी जैसी आशा थी अलबत्ता संगीतकार ए आर रहमान एलबम में अपनी छाप छोड़ने में पूरी तरह सफल हुए। यही वज़ह है कि इस फिल्म के तीन गीत पिछले साल के शानदार गीतों की इस संगीतमाला में अपनी जगह बना पाए हैं।
वार्षिक संगीतमाला 2021 में अब तक
अगर आप सोच रहे हों कि मैंने हर साल की तरह इस गीत की रैंक क्यूँ नहीं बताई तो वो इसलिए कि इस साल परिवर्तन के तौर पर गीत किसी क्रम में नहीं बजेंगे और गीतों की मेरी सालाना रैंकिंग सबसे अंत में बताई जाएगी।
