tag:blogger.com,1999:blog-24770698.post2537630266580981047..comments2024-03-17T14:34:42.285+05:30Comments on एक शाम मेरे नाम: दर्द रुसवा ना था ज़माने में...इब्ने इंशाUnknownnoreply@blogger.comBlogger9125tag:blogger.com,1999:blog-24770698.post-40379923866794770852015-06-25T17:36:47.442+05:302015-06-25T17:36:47.442+05:30Manishbhai,
Ek sham mere nam -aap kahte hai
Ham aa...Manishbhai,<br />Ek sham mere nam -aap kahte hai<br />Ham aapke nam kai sham karenge!Govindnoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-24770698.post-82108896073162286802012-11-02T19:20:31.937+05:302012-11-02T19:20:31.937+05:30कल चौदहवीं की रात थी
पूरा गज़ल -
कल चौदहवीं की र...कल चौदहवीं की रात थी<br /><br />पूरा गज़ल -<br /><br />कल चौदहवीं की रात थी, शब भर रहा चर्चा तेरा|<br />कुछ ने कहा ये चाँद है, कुछ ने कहा चेहरा तेरा|<br /><br />हम भी वहीं मौजूद थे, हम से भी सब पूछा किए,<br />हम हँस दिए, हम चुप रहे, मंज़ूर था परदा तेरा|<br /><br />इस शहर में किस से मिलें, हम से तो छूटी महफ़िलें,<br />हर शख्स तेरा नाम ले, हर शख्स दीवाना तेरा|<br /><br />कूचे को तेरे छोड़ कर, जोगी Anonymoushttps://www.blogger.com/profile/04583130758431506372noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-24770698.post-80783095346743821332007-09-18T09:59:00.000+05:302007-09-18T09:59:00.000+05:30यूनुस भाई मुझे भी उस नज़्म को सुने अर्सा हो गया। प...<B>यूनुस भाई</B> मुझे भी उस नज़्म को सुने अर्सा हो गया। पोस्ट लिखते समय खोज रहा था कि नेट पर मिल जाए पर मिली नहीं। कभी मिलेगी तो अवश्य प्रस्तुत की जाएगी।<BR/><BR/><B>कंचन</B> चलिए युनूस ने जिक्र किया तो आपकों पुरानी यादें बाँटने का मौका मिला जिसे पढ़कर अच्छा लगा। हम भाई बहन भी इसी तरह साथ साथ संगीत का आनंद उठाते थे।<BR/><BR/><B>अजय</B> इंशा जी की ये नज़्म आपको पसंद आई जानकर खुशी हुई।Manish Kumarhttps://www.blogger.com/profile/10739848141759842115noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-24770698.post-85618973642296736292007-09-13T13:33:00.000+05:302007-09-13T13:33:00.000+05:30लगभग आठ साल तो हो ही गये होंगे इस बात को.... ग़ुला...लगभग आठ साल तो हो ही गये होंगे इस बात को.... ग़ुलाम अली का की गज़ल का कैसेट घर में आया, मैं और मेरे दोनो बड़े भाई (एक मुझसे १० साल बड़े, दूसरे २० साल)बैठ कर गज़ल सुनने लगे, अब इसमें आया शब्द तुम इंशा जी का नाम न लो... और हम तीनों भाई बहन परेशान.. सुनने में कुछ गलती हो रही है क्या? बार बार कैसेट रिवर्स किया जा रहा है, लेकिन इंशा जी का अर्थ नहीं समझ में आ रहा तो नही समझ में आ रहा... मैने भी कहा कि जोUnknownhttps://www.blogger.com/profile/16391664542571175020noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-24770698.post-91147278100273361392007-09-13T11:58:00.000+05:302007-09-13T11:58:00.000+05:30खूबसूरत नज़्म को पढ़वाने के लिये शुक्रिया, मनीष भाई!...खूबसूरत नज़्म को पढ़वाने के लिये शुक्रिया, मनीष भाई!SahityaShilpihttps://www.blogger.com/profile/12784365227441414723noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-24770698.post-53785484891493408492007-09-13T09:57:00.000+05:302007-09-13T09:57:00.000+05:30सजीव शुक्रिया इब्न इस नज़्म को पसंद करने का। जगजीत...<B>सजीव</B> शुक्रिया इब्न इस नज़्म को पसंद करने का। जगजीत जी की गाई किसी अन्य ग़ज़ल का तो ख्याल नहीं आता पर गुलाम अली साहब ने इंशा जी की दो तीन ग़ज़लों / नज़्मों को गाया जुरूर हैManish Kumarhttps://www.blogger.com/profile/10739848141759842115noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-24770698.post-11881984144792446022007-09-13T08:14:00.000+05:302007-09-13T08:14:00.000+05:30मनीष मेरे प्रिय शायर हैं इब्ने इंशा ।गुलाम अली ने...मनीष मेरे प्रिय शायर हैं इब्ने इंशा ।<BR/>गुलाम अली ने उनकी बेहतरीन गजल गाई है । याद है । <BR/>ये बातें झूठी बातें हैं ये लोगों ने फैलाई हैं <BR/>तुम इंशा जी का नाम ना लो कि इंशा तो सौदाई हैं ।<BR/>अदभुत है इस गजल का चलन । <BR/>इंशा अपनी साफगोई और सादगी के लिए याद किये जायेंगे ।<BR/>अगर आप गुलाम अली की गाई ये गजल भी ले आएं तो <BR/>मजा आ जाए ।Yunus Khanhttps://www.blogger.com/profile/12193351231431541587noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-24770698.post-21524676090605966922007-09-12T20:10:00.000+05:302007-09-12T20:10:00.000+05:30बहुत खूब प्रतुत किया इब्रे इंसा साहब की शायरी को. ...बहुत खूब प्रतुत किया इब्रे इंसा साहब की शायरी को. आभार.<BR/><BR/>एक दिन जो उन्हें खयाल आया<BR/>पूछ बैठे उदास क्यूँ हो तुम<BR/>यूँ ही ..! मुस्कुरा के मैंने कहा<BR/>देखते देखते, सर-ए-मिज़हगाँ*<BR/>एक आंसू मगर ढ़लक आया...<BR/><BR/>उम्दा!!Udan Tashtarihttps://www.blogger.com/profile/06057252073193171933noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-24770698.post-12982832643939100222007-09-12T20:09:00.000+05:302007-09-12T20:09:00.000+05:30मनीष भाई इब्ने इंशा की शायरी लाजावाब है वैसे क्या ...मनीष भाई इब्ने इंशा की शायरी लाजावाब है वैसे क्या जगजीत ने इनकी कोई और ग़ज़ल गाई है ?Sajeevhttps://www.blogger.com/profile/08906311153913173185noreply@blogger.com