tag:blogger.com,1999:blog-24770698.post6267420814483024133..comments2024-03-27T11:21:05.807+05:30Comments on एक शाम मेरे नाम: दुष्यंत कुमार की एक ग़ज़ल : दोस्तों ! अब मंच पर सुविधा नहीं है, आजकल नेपथ्य में संभावना हैUnknownnoreply@blogger.comBlogger16125tag:blogger.com,1999:blog-24770698.post-78553955990419279992019-08-09T12:26:57.955+05:302019-08-09T12:26:57.955+05:30मुझे बहुत पसंद है हर ग़ज़ल कामयाब ग़ज़ल है समाज का...मुझे बहुत पसंद है हर ग़ज़ल कामयाब ग़ज़ल है समाज का,देशकाल का हर आईना स्पष्ट है sube singh sujanhttps://www.blogger.com/profile/08999197954498947018noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-24770698.post-47848795187158459552014-01-16T07:33:14.306+05:302014-01-16T07:33:14.306+05:30yadi aap Dushyant Kumar aur hindi sahitya ke kaalj...yadi aap Dushyant Kumar aur hindi sahitya ke kaaljayee sahityakaron ki hastlikhit dharohar ka avalokan karna chahte hai to BHOPAL k DUSHYANT KUMAR SMARAK PANDULIPI SANGRAHALAY aaiye.<br /><br />Mob 9425007710RAJURKAR RAJnoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-24770698.post-74412767772851955562009-06-04T00:19:58.021+05:302009-06-04T00:19:58.021+05:30साये में धूप मेरी प्रिय पुस्तक है
गजल पढ़वाने के ...साये में धूप मेरी प्रिय पुस्तक है <br />गजल पढ़वाने के लिए धन्यवाद <br />वीनस केसरीवीनस केसरीhttps://www.blogger.com/profile/08468768612776401428noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-24770698.post-60132244009404256772009-03-19T10:23:00.000+05:302009-03-19T10:23:00.000+05:30’साये मे धूप’ एक ऐसी किताब है जिस की कोई गज़ल तो क्...’साये मे धूप’ एक ऐसी किताब है जिस की कोई गज़ल तो क्या , कोई एक ’शेर’ भी हल्का या भरती का नहीं है । <BR/><BR/>दुष्यन्त जी नें अपने युग की पीड़ा को पूरी शिद्दत के साथ महसूस किया है और उसे पूरी इमानदारी के साथ कागज़ पर उतारा है । <BR/>युनुस भाई ! आप की जानकारी के लिये मीनू पुरुषोत्तम जी आजकल यहां (अमेरिका में) बस गई हैं , कुछ ही दिन पहले उन से मिलना हुआ था । अगली बार मिला तो उन से पूछूँगा दुष्यन्त जी अनूप भार्गवhttps://www.blogger.com/profile/02237716951833306789noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-24770698.post-35718070684750073592009-03-16T15:28:00.000+05:302009-03-16T15:28:00.000+05:30इस गज़ल का पहला शेर एक अलग तरह से आकर्षित करता है....इस गज़ल का पहला शेर एक अलग तरह से आकर्षित करता है.....! दुष्यंत जी ने जो भी लिखा , वो अपनी ओर खींचता है...!कंचन सिंह चौहानhttps://www.blogger.com/profile/12391291933380719702noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-24770698.post-45116463012667871782009-03-15T02:07:00.000+05:302009-03-15T02:07:00.000+05:30jaisa Yunusji ne kaha, kai baar kharidani pari ye ...jaisa Yunusji ne kaha, kai baar kharidani pari ye kitab. kisi mitra ne lautai nahi. <BR/>thanks for giving an opportunity to remember dushyantAnonymousnoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-24770698.post-57236144700834520002009-03-14T12:08:00.000+05:302009-03-14T12:08:00.000+05:30दुष्यंत कुमार के तो अपन भी फैन हैं...पर अब तक उन्...दुष्यंत कुमार के तो अपन भी फैन हैं...पर अब तक उन्हें इंटरनेट पर ही पढ़ रहे थे...अब खरीदकर पढ़ना शुरू करते हैं...bhuvnesh sharmahttps://www.blogger.com/profile/01870958874140680020noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-24770698.post-59537296102773654372009-03-14T09:32:00.000+05:302009-03-14T09:32:00.000+05:30हाईस्कूल के ज़माने में 'साये में धूप' ख़रीदी थी ।...हाईस्कूल के ज़माने में 'साये में धूप' ख़रीदी थी । उसके बाद कई बार खरीदनी पड़ी । हर बार कोई उठाईगीर मित्र ले गया । <BR/>एक ग़ज़ल बेहद पसंद है । <BR/>एक जंगल है तेरी आंखों में जिसमें मैं गुम हो जाता हूं । <BR/>तू किसी रेल सी गुजरती है मैं किसी पुल सा थरथराता हूं । <BR/>शायद मीनू पुरूषोत्तम ने गाई भी है । <BR/>अब याद आया है तो खोजते हैं और सुनवाते हैं मनीष ।Yunus Khanhttps://www.blogger.com/profile/12193351231431541587noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-24770698.post-76891700048600103802009-03-14T09:16:00.000+05:302009-03-14T09:16:00.000+05:30बिल्कुल मन वाह!वाह! कर उठता है!बिल्कुल मन वाह!वाह! कर उठता है!Anonymousnoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-24770698.post-3087941825410355342009-03-14T07:51:00.000+05:302009-03-14T07:51:00.000+05:30शुक्रिया!! आपके सौजन्य से एक और उम्दा गजल हम तक पह...शुक्रिया!! आपके सौजन्य से एक और उम्दा गजल हम तक पहुंची... <BR/>और आपने उपलब्ध कराई कविता की सूची भी जब तब देखती रहती हूं.. :)Anonymousnoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-24770698.post-26258967248344576372009-03-13T21:27:00.000+05:302009-03-13T21:27:00.000+05:30दुष्यंत जी से तब मिलना होता था जब हम बच्चे थे और उ...दुष्यंत जी से तब मिलना होता था जब हम बच्चे थे और उनकी विदुषी पत्नी से पढते थे. तब ये पता नही था कि हम इस युग के एक आला दर्ज़े के शायर से मुखातिब थे. अब उनकी गज़लें पढने और समझने का शऊर हमें भगवान नें दिया तो ये बात कचोटती है.दिलीप कवठेकरhttps://www.blogger.com/profile/16914401637974138889noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-24770698.post-45882145997127824542009-03-13T20:41:00.000+05:302009-03-13T20:41:00.000+05:30बढ़िया गजल प्रस्तुति के लिए धन्यवादबढ़िया गजल प्रस्तुति के लिए धन्यवादसमयचक्रhttps://www.blogger.com/profile/05186719974225650425noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-24770698.post-61309095473935445672009-03-13T18:33:00.000+05:302009-03-13T18:33:00.000+05:30यूँ तो साये में धूप की कोई सी भी गज़ल उठा लें..आनन्...यूँ तो साये में धूप की कोई सी भी गज़ल उठा लें..आनन्द आ जाता है किन्तु इसकी बाद भी निश्चित ही जुदा है:<BR/><BR/>मत कहो, आकाश में कुहरा घना है,<BR/>यह किसी की व्यक्तिगत आलोचना हैUdan Tashtarihttps://www.blogger.com/profile/06057252073193171933noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-24770698.post-86444721572560808372009-03-13T13:32:00.000+05:302009-03-13T13:32:00.000+05:30दुष्यंत जी की गजले आज के सच को उजागर करती हैदुष्यंत जी की गजले आज के सच को उजागर करती हैरंजू भाटियाhttps://www.blogger.com/profile/07700299203001955054noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-24770698.post-9838431404892241752009-03-13T13:06:00.000+05:302009-03-13T13:06:00.000+05:30दोस्तों! अब मंच पर सुविधा नहीं है,आजकल नेपथ्य में...दोस्तों! अब मंच पर सुविधा नहीं है,<BR/>आजकल नेपथ्य में सम्भावना है.<BR/><BR/>कहीं आप अमर सिंह, अहमद पटेल आदि की बात तो नहीं कर रहे.निशाचरhttps://www.blogger.com/profile/17104308070205816400noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-24770698.post-52636981451334209652009-03-13T12:01:00.000+05:302009-03-13T12:01:00.000+05:30बिलकुल !! यह आज के हमारे समाज का ही सच है .बिलकुल !! यह आज के हमारे समाज का ही सच है .L.Goswamihttps://www.blogger.com/profile/03365783238832526912noreply@blogger.com