tag:blogger.com,1999:blog-24770698.post7011224363272590442..comments2024-03-17T14:34:42.285+05:30Comments on एक शाम मेरे नाम: शिव कुमार बटालवी : प्रसिद्धि की आड़ में घुलती, पिघलती ज़िंदगी Ikk Kudi Jihda Naam Mohabbat Part IIUnknownnoreply@blogger.comBlogger8125tag:blogger.com,1999:blog-24770698.post-31625159427777555682017-11-15T19:35:20.499+05:302017-11-15T19:35:20.499+05:30शिव को पढने या सुनने के बाद दिल मे कुछ अन्दर. होन...शिव को पढने या सुनने के बाद दिल मे कुछ अन्दर. होने लगता है और किसी को सुनने या पढने मन ही नहीं करता ...ऐसा लगता है अब और किसी को सुनने जरूरत नहीं सब कुछ पा लिया.... कई दिनों तक मन उसी मे गोते लगाता रहता है.. मै पंजाब से सम्बन्ध रखता हूँ इस लिए शब्दों के भावों को भी समझता हूँ.... आपका दिल से आभार हिन्दी भाषियो को शिव के व्यक्तित्व व साहित्य से परिचित कराने के लिए.. केवल कृष्ण Anonymoushttps://www.blogger.com/profile/17916290874465285467noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-24770698.post-25538319228214614532016-06-24T08:44:01.095+05:302016-06-24T08:44:01.095+05:30लूना" किताबों की फेहरिस्त में इसका नाम भी जुड़...लूना" किताबों की फेहरिस्त में इसका नाम भी जुड़ गया। एक शाम मेरे नाम की वजह से शायद...मन्टू कुमारhttps://www.blogger.com/profile/00562448036589467961noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-24770698.post-77074081506000404202016-06-05T19:47:09.880+05:302016-06-05T19:47:09.880+05:30Sundar prastuti, badhaiSundar prastuti, badhaiRashmi Bhttps://www.blogger.com/profile/01704140885400863474noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-24770698.post-11998385006683757032016-05-28T00:49:43.029+05:302016-05-28T00:49:43.029+05:30I have been reading your blog for quite some time,...I have been reading your blog for quite some time, really like it.After reading the one about Shiv Batalvi , I found an an interwiew of his on BBC. that took me to a link to a song written by him and sung by Nusrat Fateh Ali Khan.The song is in chaste Punjabi, very delicate emotions of a young maidem.Only Shiv could write it and Nusrat Fateh Ali Khan could sing it..took me to a different level. Pravina Janihttps://www.facebook.com/pravina.janinoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-24770698.post-34708089485240851022016-05-27T17:20:36.802+05:302016-05-27T17:20:36.802+05:30मेरे लिये बिल्कुल नई जानकारी है लेकिन है बहुत सुन्...मेरे लिये बिल्कुल नई जानकारी है लेकिन है बहुत सुन्दर मार्मिक . हाँ , यहाँ जो लोककथा है लगभग वैसी ही लोकनाटिका हमारे गाँव में मंचित की जाती थी नाम था रूप-वसंत . उसमें रूप के साथ उसके राजा पिता की नवोढ़ा पत्नी प्रेम निवेदन करती है अस्वीकृति मिलने वही सजा ...गिरिजा कुलश्रेष्ठhttps://www.blogger.com/profile/07420982390025037638noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-24770698.post-86553153129388888572016-05-27T14:37:23.018+05:302016-05-27T14:37:23.018+05:30जगजीत सिंह की एक पंजाबी गज़ल सुनी थी "मैंनु त...जगजीत सिंह की एक पंजाबी गज़ल सुनी थी "मैंनु तेरा शबाब ले बैठा "सुनने की रौ में सुन जाती थी कल जब आपकी पोस्ट पढ़ी तो पता चला कि ये तो शिव जी की रचना है , पोस्ट पढ़ने के बाद यू टुयब पर शिव जी की कई रचनाएँ सुनी , पूरी तरह से समझ में न आने के बावजूद सभी बेहद खूबसूरतू थी ! शिव कुमार से परिचय कराने के लिए तहे दिल से शुक्रिया मनीष जी ! SeemaSinghhttps://www.blogger.com/profile/16509388228693159401noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-24770698.post-41292768975525522322016-05-26T23:30:31.624+05:302016-05-26T23:30:31.624+05:30बटालवी जी के सारे गीतों से मैं परिचित नहीं हूँ। अम...बटालवी जी के सारे गीतों से मैं परिचित नहीं हूँ। अमित त्रिवेदी के संगीतबद्ध गीत से मेरी उत्सुकता इस गीत और उस के पीछे की कुड़ी के प्रति जगाई और जो कहानी खुली उसी को इन दो आलेखों में समेटा है।<br /><br />आपने गर मज़ाज का <a href="http://www.ek-shaam-mere-naam.in/2006/12/blog-post_6.html" rel="nofollow"><i>ऐ गमे दिल क्या करूँ</i></a> सुना होगा वो उनके जीवन की कहानी कह जाता है वैसे ही मुझे इस गीत के Manish Kumarhttps://www.blogger.com/profile/10739848141759842115noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-24770698.post-41495975313005852662016-05-26T23:01:52.685+05:302016-05-26T23:01:52.685+05:30मनीष जी, शिव कुमार बटालवी के ऊपर लिखी आपकी दोनों प...मनीष जी, शिव कुमार बटालवी के ऊपर लिखी आपकी दोनों पोस्ट पढ़ी मैंने. पढ़कर लुत्फ़ आया. पढ़कर लगा कि शायद और जिंदा रहते तो क्या- क्या लिख जाते. यही ख़याल मुझे राजकमल चौधरी की रचनाओं को पढ़कर आता है. <br /><br />इक कुडी जिदा नाम....कई सालों से सुना है. पर आपकी लेखनी के साथ उसे सुनना और आनंददायक था. हाँ! ये शिकायत ज़रूर कि ..बटालवी के चर्चा होकर इस गाने कि चर्चा कैसे छूट गयी.........रात चानणी मैं तुरां ओंकारनाथ मिश्र https://www.blogger.com/profile/11671991647226475135noreply@blogger.com