बुधवार, सितंबर 22, 2021

नैना रे नैना... तोसे लागे Naina Re Naina

पुराने संगीत की मधुरता को बरक़़रार रखते हुए जिस अंदाज़ में हमारे नए नवेले युवा चेहरे उसमें नयी जान फूँक रहे हैं उसी को मैं एक शाम मेरे नाम की इस अनपल्गड शृंखला मैं पेश कर रहा हूँ। आज आपको सुनाते हैं हंसिका और देवानंद के युगल स्वरों में गाया एक गीत जिसे मूल रूप से आशा जी और गुलाम अली साहब ने अपनी आवाज़ दी थी।

गुलाम अली और आशा ताई की जोड़ी की बात करते हुए उनके साथ में किये गए एलबम मेराज ए ग़ज़ल की याद ख़ुद ब ख़ुद आ जाती है। 1983 में रिलीज़ हुए इस एलबम में कुछ कमाल की ग़ज़लें थी जिन्हें हम सब आज भी बड़े प्यार से गुनगुनाते हैं। मिसाल के तौर पर सलोना सा सजन है, दयार ए दिल की याद में, यू सजा चाँद, करूँ ना याद उसे,  रात जो तूने दीप बुझाए और कई और। यानी ये एलबम कैसेट प्लेयर के ज़माने में भी उतना ही लोकप्रिय हुआ था जितना आज है।

इसके बाद भी इन दोनों कलाकारों ने 2010 में साथ आने का एक और प्रयास किया। वो एलबम पहले Generations और फिर ख़ैर के नाम से बाजार में आया। एलबम में गुलाम अली व आशा जी के साथ साथ आमिर अली की भी आवाज़ थी जो गुलाम अली साहब के सुपुत्र हैं। एलबम की कुछ कृतियाँ मधुर थीं पर आशा जी और गुलाम अली साहब की आवाज़ में तब तक वो खनक नहीं रह गयी थी जिसने  उनके पहले एलबम को यादगार बनाया था ।



इसी एलबम का एक गीत था नैना रे नैना तोसे लागे जिसके एक अंतरे को हाल ही में युवा गायकों की उदीयमान जोड़ी हंसिका पारिक और एस पी देवानंद ने गाया। बेहद मधुर आवाज़ की स्वामिनी हंसिका अजमेर से हैं और एक शानदार गायिका हैं। ग़ज़ल हो या नए पुराने गीत हंसिका की गायिकी और आवाज़  की मधुरता मन मोह लेती है।

एस पी देवानंद  ग़ज़ल गायक पद्मकुमार के पुत्र हैं और पढ़ाई के साथ साथ संगीत में भी प्रवीणता हासिल कर रहे हैं। दोनों गायक कवर versions के साथ स्वतंत्र संगीत में भी अपना हाथ आजमा रहे हैं। इन प्रतिभाशाली युवा गायकों को शीघ्र ही और बड़े प्लेटफार्म पर आप सुनेंगे ऐसा मेरा विश्वास है।

नैना रे नैना तोसे लागे, सारी सारी रैना जागे
तुम बिन मोहे कहीं आए ना चैना
जागी ना सोई सोई, रहती हूँ खोई खोई
जान से प्यारा है तू कहीं जान ले ना कोई
दिल की ये बातें किसी और से ना कहना
नैना रे नैना तोसे लागे, सारी सारी रैना जागे..



वैसे आशा जी और गुलाम अली का गाया पूरा गीत भी सुन लीजिए जिससे ये समझ आ जाएगा कि इस युवा जोड़ी ने कितने करीने से इस गीत को निभाया है। इस गीत को लिखा था अहमद अनीस ने और इस गीत की धुन बनाई थी आमिर गुलाम अली ने।



अब बात मेराज ए ग़ज़ल की हो रही है तो उस एलबम में आशा जी की गायी मेरी पसंदीदा ग़ज़ल का एक टुकड़ा हंसिका की आवाज़ में चलते चलते सुन लीजिए।

 

6 टिप्‍पणियां:

  1. पुरानी गजलें नए गायकों की आवाज में सुनना अच्छा लगता है दोनों ही गायको ने बहुत अच्छा गाया है पर गुलाम अली और आशा भोंसले की बात ही कुछ और थी.....इस एलबम मैं उनकी जोड़ी बहुत जमी थी इसकी सारी ही ग़ज़लें बहुत अच्छी हैं ...सलोना सा सजन है मेरी पसंदीदा है

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    1. हाँ मेराज ए ग़ज़ल शानदार एलबम था। उसकी सारी ग़ज़लें कमाल की थीं। पर ये वाला गीत उस एलबम का नहीं बल्कि Generations का है जो काफी बाद का है और वो असर नहीं छोड़ सका था।
      मूल संस्करण की अपेक्षा इन दोनों की आवाज़ में वो गीत और ख़ुशनुमा हो गया है।

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  2. Meraz e Ghazal was a miracle और miracle बार बार नहीं होते

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  3. ग़ज़लों की यादों से भरी सुंदर प्रस्तुति....

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  4. धन्यवाद चतुर्वेदी जी।

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