सोमवार, जनवरी 03, 2011

वार्षिक संगीतमाला 2010 : पॉयदान संख्या 25 - तुम हो कमाल, तुम बेमिसाल, तुम लाजवाब हो आयशा, सुनो आयशा...

वार्षिक संगीतमाला 2010 में आप सबका स्वागत है। तो हमेशा की तरह उलटी गिनती शुरु करते हैं पच्चीस वी पॉयदान के गीत के साथ। संगीतमाला की 25 वीं पॉयदान पर विराजमान इस गीत को लिखा है जावेद अख्त साहब ने। दरअसल ये शीर्षक गीत एक ऐसा गीत है जो फिल्म में नायिका के संपूर्ण चरित्र को अपने मुखड़े और दो अंतरों में भली भांति परिभाषित कर देता है। जी हाँ ये गीत है फिल्म आयशा का ! देखिए तो जावेद साहब कितनी खूबसूरती से आयशा का पहला परिचय हमें देते हुए लिखते हैं

तुम हो कमाल, तुम बेमिसाल, तुम लाजवाब हो आयशा
ऐसी हसीन हो, जिस को छू लो उसको हसीन कर दो
तुम सोचती हो दुनिया में कोई भी क्यूँ खराब हो आयशा
तुम चाहती हो तुम कोई रंग हर ज़िन्दगी में भर दो, भर दो


अगर ये मुखड़ा नायिका के चरित्र के धनात्मक पहलुओं को दिखाता है तो बाकी के अंतरे में आयशा की चारित्रिक दुर्बलताओं की झलक भी दिखला जाते हैं जावेद साहब। पर अगर ये गीत एक ही बार में आपका ध्यान अपनी ओर खींचता है तो इसकी वजह है इसका बेहतरीन संगीत संयोजन। गिटार ताली और अन्य वाद्यों के फ्यूज़न से अमित त्रिवेदी जो ध्वनि उत्पन्न करते हैं वो कानों को आगे आने वाले गीत की ओर बाँधे रखने में कामयाब होती है। अमित ने इस गीत में ट्रम्पेड का इंटरल्यूड्स और मुखड़े में बेहतरीन इस्तेमाल किया है।

इस गीत के बारे में अपने एक साक्षात्कार में अमित कहते हैं  

सुनो आयशा' गीत का संगीत बनाना बहुत मुश्किल था। इसमें बहुत बहस हुई। कई धुनों को हटाना पड़ा। कोई धुन रिया (निर्मात्री) को पसंद थी तो राजश्री (फिल्म की निर्देशिका) को कोई और धुन पसंद आती थी और यदि उन दोनों को धुन पसंद आती थीं तो मुझे पसंद नहीं होती थी।

इस गीत को अमित त्रिवेदी ने ऐश किंग और नकाश अज़ीज़ ने गाया है। जहाँ अजीज़ इंडियन आइडल दो के प्रतिभागी रहे हैं वहीं ऐश किंग बिट्रेन में रहते हैं और पॉप जगत में अपनी पहचान बनाने की कोशिशों में लगे हैं।




वार्षिक संगीतमाला 2010 से जुड़ी प्रविष्टियो को अब आप फेसबुक पर यहाँ भी देख सकते हैं।
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6 टिप्पणियाँ:

रंजना on जनवरी 03, 2011 ने कहा…

सच कहूँ तो आज पहली बार इस गीत को ध्यान से सुना है...कर्णप्रिय लगा..शायद फिल्म देखा होता तो विवेचना से तादात्म्य और ठीक ठाक बैठा पाती..

आभार आपका...

राज भाटिय़ा on जनवरी 03, 2011 ने कहा…

नए साल की बहुत बहुत बधाई और शुभकामनायें !! अजी यह गीत तो चल ही नही रहा सुने क्या?

कंचन सिंह चौहान on जनवरी 04, 2011 ने कहा…

यूँ अभी आफिस में सुन भी नही पा रही हूँ, मगर एक एमपी३ वर्ज़न भी मिल जाये तो बढ़िया था श्रीमान ये बफर होने में बहुत समय लेगा घर पर....!!

इस अति प्रतीक्षित संगीतमाला के आगमन से मन खुश है। सच पूछिये तो साल भर जो गीत सुने जाते हैं, उसमे भी ये खयाल आता है कि मनीष जी को सजेस्ट कर दें कि ये अपनी संगीत माला में शामिल कर लें ....:)

गौतम राजऋषि on जनवरी 04, 2011 ने कहा…

लीजिये हम शामिल हो गये हर बार की तरह फिर से इस उल्टी गिनती में। ये गाना कभी गौर से सुना नहीं है मैंने वैसे।

...और हाँ, शीला केजवाणी के रहस्य का पर्दा उठाने के लिये शुक्रिया। बेवजह मैं भी उलझा हुआ था इस चक्कर में।

Archana Chaoji on जनवरी 07, 2011 ने कहा…

सुन रही हूँ मै भी....

Manish Kumar on जनवरी 07, 2011 ने कहा…

राज जी, कंचन आपकी समस्या को देखते हुए आडिओ प्लेयर भी लगा दिया है।

 

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