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मंगलवार, फ़रवरी 27, 2024

वार्षिक संगीतमाला 2023 : चल उड़ चल सुगना गउवाँ के ओर जहाँ माटी में सोना हेराइल बा

कई बार फिल्मों में ऐसे गीत बनते हैं जो उस वक्त देश और समाज के हालातों को अपने शब्दों में पिरो डालते हैं और एक तरह से देश के इतिहास का हिस्सा बन जाते हैं। अभी हाल ही में सदन में प्रधानमंत्री ने विपक्ष पर तंज कसते हुए एक गीत की चर्चा की ये कहते हुए कि विपक्ष के शासन के दौरान मँहगाई इतनी बढ़ गयी थी कि मँहगाई डायन खाए जात है जैसे गीत बनने लगे थे। पिछले साल के पच्चीस शानदार गीतों की इस वार्षिक संगीतमाला में जो गीत आज आपके समक्ष प्रस्तुत कर रहा हूँ शायद इसमें वर्णित घटनाओं की चर्चा कुछ सालों बाद कोई और करे। कोविड की महामारी के दौरान प्रवासी मजदूरों की अपने घरों की ओर लौटने में जो बदतर हालत हुई थी ये गीत उसी का यथार्थवादी चित्रण करता है।  

फिल्म भीड़ के इस गीत की धुन बनाई संगीतकार अनुराग सैकिया ने और इसे गाया है लोक गायक ओम प्रकाश यादव ने। डा. सागर के लिखे गीतों की चर्चा  पहले भी वार्षिक संगीतमाला में हुई है। सागर मेरे गृह जिले बलिया से आते हैं और जीवन में बहुत तप कर बॉलीवुड के संसार में अपने कदम जमा पाए हैं। उनके संघर्ष के दिनों की बात लिखी थी मैंने पहले यहाँ। हिंदी फिल्मों में उनके गीत हर साल आते ही रहे हैं पर मुंबई में का बा की सफलता के बाद उनके काम को और सम्मान से देखा जाने लगा है।


मज़े की बात ये है कि ये गीत हिंदी में नहीं नहीं बल्कि भोजपुरी है। बिहार यूपी के पुरवइया मजदूरों का दर्द बयाँ करने के लिए भोजपुरी से अच्छी भाषा क्या हो सकती थी। मैंने सागर के हिंदी फिल्मी और गैर फिल्मी गीतों को सुना है पर इस गीत में इतना बढ़िया खाका खींचा है उन्होंने उस वक़्त की परिस्थितियों का कि ये गीत उनके सबसे अच्छे कामों में आगे भी गिना जाएगा। मुखड़े में सागर लिखते हैं...खुनवा-पसीना सहरिया में भैया, कउड़ी के भाव में बिकाइल बा...चल उड़ चल सुगना गउवाँ के ओर, जहाँ माटी में सोना हेराइल बा। भोजपुरी में सुगना तोते को कहते हैं और हेराइल मतलब छिपा हुआ। अंतरों में भी उनके बिंब कमाल के हैं.. भीड़ में ऐसे छिंटा गईनी ऐसे...बोरा से सरसों छिंटाइल बा या फिर धुआँ धुआँ हो गइल अल्हड़ जवनियाँ...चूल्हा में ऐसे झोंकाइल बा...हाकिम लोग कीड़ा मकौड़ा बूझे..कीटनाशक हमरा पे छिड़काइल बा



क्या क्या नहीं सहा हमारे मजदूरों ने और उनके दिल का सारा दर्द सागर ने महज कुछ अंतरों में हमारे आगे उड़ेल दिया। आज के माहौल में लाउड स्पीकर पर बजते भोजपुरी गीत किस लिए जाने जाते हैं ये मुझे बताने की आवश्यकता नहीं है। ऐसे में सागर जैसे प्रतिभाशाली गीतकार चैती, कजरी, सोहर, बिरहा से सम्पन्न भोजपुरी संस्कृति को अपने गीतों से एक नई दिशा दे रहे हैं जिसकी जितनी तारीफ़ की जाए कम होगी। 

खुनवा-पसीना सहरिया में भैया, 
कउड़ी के भाव में बिकाइल बा...
चल उड़ चल सुगना गउवाँ के ओर, 
जहाँ माटी में सोना हेराइल बा

घर अँगनइया के सपना सजाकर 
मशिनियो से बेसी देहिया खटवनी
हाय रे करम यही पेटवा की ख़ातिर
अब वाचमैनी के ड्यूटी बजवनी
भीड़ में ऐसे छिंटा गईनी ऐसे
बोरा से सरसों छिंटाइल बा

कवने कानूनवा में हम घिरैलीं
कवन बहेलिया बिछावे रे जाल
काहे भइल बा एतना लाचारी
सुई, दवाई एगो टिकिया मुहाल
हाकिम लोग कीड़ा मकौड़ा बूझे
कीटनाशक हमरा पे छिड़काइल बा

भटके शहरिया में ए भइया जेकर 
खेत खलिहानवा हो बाटे छिनाइल 
गहना गुरिया के बतिया न पूछ 
बाटे समान मोरा बनकी धराइल 
धुआँ धुआँ हो गइल अल्हड़ जवनियाँ
चूल्हा में ऐसे झोंकाइल बा

जतिया धर्मवा के ऐसन अफीम हो
सुतही से केहू चटावे हो राम
हथवा में लेके नफ़रत के लाशा
धीरे से केहू सटावे हो राम
बचके जिय तनि बचके पिया
एही कुइयाँ में भाँगवा घोराइल बा 

अब कुछ बातें इस गीत में संगीत देने वाले अनुराग कीं। अनुराग सैकिया एक अद्भुत संगीतकार हैं। थप्पड़ में उनका संगीतबद्ध गीत एक टुकड़ा धूप का.. मेरी गीतमाला के सरताज गीत का तमगा में ले चुका है। दो साल पहले राजशेखर के साथ ऐसे क्यूँ ने तो युवाओं और बड़ों सबका दिल जीत लिया था। अनुराग असम से आते हैं और वहाँ के लोक संगीत में रच बस कर ही उन्होंने अपनी संगीत की कारीगरी सीखी है। शायद इसीलिए उन्होने इस गीत को गवाने के लिए बिरहा गायक ओम प्रकाश यादव को चुना। शब्द प्रधान इस गीत में संगीत नाममात्र सा ही है। फिर भी ऊस थोड़े से संगीत में तॉपस रॉय का दो तारा और तेजस की बजाई बाँसुरी मन को लुभाती है।

वार्षिक संगीतमाला 2023 में मेरी पसंद के पच्चीस गीत
  1. वो तेरे मेरे इश्क़ का
  2. तुम क्या मिले
  3. पल ये सुलझे सुलझे उलझें हैं क्यूँ
  4. कि देखो ना बादल..नहीं जी नहीं
  5. आ जा रे आ बरखा रे
  6. बोलो भी बोलो ना
  7. रुआँ रुआँ खिलने लगी है ज़मीं
  8. नौका डूबी रे
  9. मुक्ति दो मुक्ति दो माटी से माटी को
  10. कल रात आया मेरे घर एक चोर
  11. वे कमलेया
  12. उड़े उड़नखटोले नयनों के तेरे
  13. पहले भी मैं तुमसे मिला हूँ
  14. कुछ देर के लिए रह जाओ ना
  15. आधा तेरा इश्क़ आधा मेरा..सतरंगा
  16. बाबूजी भोले भाले
  17. तू है तो मुझे और क्या चाहिए
  18. कैसी कहानी ज़िंदगी?
  19. तेरे वास्ते फ़लक से मैं चाँद लाऊँगा
  20. ओ माही ओ माही
  21. ये गलियों के आवारा बेकार कुत्ते
  22. मैं परवाना तेरा नाम बताना
  23. चल उड़ चल सुगना गउवाँ के ओर
  24. दिल झूम झूम जाए
  25. कि रब्बा जाणदा

    बुधवार, फ़रवरी 05, 2020

    वार्षिक संगीतमाला 2019 Top 10 : तेरा साथ है Tera Saath Hai

    असम के गायक अंगराग महन्ता  जिन्हें हम सब पापोन के नाम से जानते हैं की आवाज़ अपनी अलग बनावट की वज़ह से मुझे हमेशा से प्रिय रही है। एक शाम मेरे नाम की संगीतमालाओं में उनकी आवाज़ का जादू दो बार सरताज गीत बनकर गूँजा है। एक तो दम लगा के हइसा का मोह मोह के धागे और दूसरा बर्फी का क्यूँ ना हम तुम। 

    आज एक बार फिर पापोन के स्वर में संगीतमाला की चौथी पायदान पर अनजान सी फिल्म का बेहद मधुर गीत है। ये फिल्म थी पिछले साल अक्टूबर में रिलीज़ हुई Jacqueline I Am Coming  जो अपने एक अलग  विषय के बावज़ूद प्रचार प्रसार के अभाव में सिनेमा के पर्दों पर ज्यादा दिन तक टिक नहीं पाई। इस फिल्म के इस एकमात्र गीत का शानदार संगीत दिया है विपिन पटवा ने और इसके बोल लिखे हैं उनके कई सालों के जोड़ीदार डॉक्टर सागर ने। अगर आपको याद हो तो कुछ साल पहले भी इस तिकड़ी का एक गीत इस संगीतमाला में दाखिल हुआ था। फिल्म थी बॉलीवुड डायरीज़ और गीत के बोल थे ख्बाबों को सच करने के लिए तितली ने सारे रंग बेच दिए


    उत्तर प्रदेश के एक व्यापारी परिवार में जन्मे विपिन का शुरुआत से संगीत के प्रति रुझान और फिर शास्त्रीय संगीत की विधिवत शिक्षा लेकर बतौर संगीतकार और गायक मुंबई की ओर रुख करने की बात तो मैं आपको पहले यहाँ बता ही चुका हूँ। 

    रही बात गीतकार सागर की तो उनका ताल्लुक उत्तर प्रदेश के पूर्वी जिले बलिया से रहा है। अत्यंत गरीब परिवार में जन्मे सागर को स्कूल से ही भोजपुरी में कविता लिखने का शौक था। जिस स्कूल में वो पढ़ते थे वहाँ चार पाँच गाँवों के बच्चे पढ़ने आते थे। स्कूल में उनकी कविताई यूँ चमकी कि स्कूल तो स्कूल पूरे इलाके के लोकगीत कलाकार उनसे गीत लिखवाने के लिए उनके गाँव आने लगे। दो जून रोटी के संघर्ष ने उन्हें स्कूल के बाद कुछ सालों के लिए पढ़ाई लिखाई से दूर कर दिया पर उनकी जीवटता और कविता का प्रेम उन्हें ऐसे लोगों से मिलवाता गया जिनकी मदद से उन्होंने JNU से हिंदी में अपनी पीएचडी पूरी की। 

    विपिन पटवा और डॉ सागर
    दिल्ली में ही एक बार उनकी मुलाकात विपिन से हुई और बरसों बाद जब वे मुंबई पहुँचे तो ये पुरानी पहचान गीतकार संगीतकार की एक जोड़ी में तब्दील हो गई। विपिन के संगीत निर्देशन में उनका पहला गीत फिल्म ये स्टूपिड प्यार के लिए था जिसे विपिन के साथ श्रेया घोषाल ने गाया था। पिछले आठ सालों में इस जोड़ी ने बॉलीवुड डॉयरीज और दास देव जैसी फिल्मों के लिए अच्छा काम किया है। 

    बहरहाल लौटते हैं Jacqueline I Am Coming के इस गीत की तरफ। Jacqueline I Am Coming  की कहानी एक अधेड़ अविवाहित पुरुष की कहानी है जो अकेला जीवन जीते जीते एक युवा ईसाई स्त्री से प्रेम कर बैठता है। प्रेम, सामाजिक विरोध के बीच विवाह और फिर नायिका की मानसिक बीमारी की वजह से आने वाली परेशानियों के बीच फिल्म का एकमात्र गीत आता है और नायक के मन की भावनाओं और कठिनाइयों पर विजय पाने की उसकी उम्मीदों की बात कह जाता है। 

    आज ये गीत, गीतमाला के प्रथम दस गीतों में शामिल हुआ है तो उसकी सबसे बड़ी वजह विपिन पटवा की शानदार धुन और संगीत संयोजन है जिसे पापोन की दिल छूती गायिकी और सागर के सहज बोलों का भरपूर साथ मिला है। ये गीत इस बात को भी साबित करता है कि भारतीय वाद्य यंत्रों की अपनी एक अलग ही मिठास है जिसका स्वाद कभी फीका नहीं पड़ता।

    गीत की शुरुआत में विपिन ने ताल वाद्य के रूप में घड़े का इस्तेमाल किया है तो अंतरे में सितार की झुनझुनाहट है। गीत के अंत में मुखड़े के साथ शहनाई बजती है और उसके बाद आख़िर के आधे मिनट में जो संगीत बजता है वो मेरी आँखें तो हमेशा नम कर जाता है। 

    इन सब के बीच मुखड़े की मोहक धुन पापोन की आवाज़ के साथ फूल और खुशबू बन कर मन में समा जाती है। इतना ही नहीं पर्दे पर जब आप रघुबीर यादव जैसे अद्भुत कलाकार को इस गीत को अभिनीत करते देखते हैं तो गीत की सीधी सादी भावनाएँ और गहरी होकर उतर जाती हैं।


    तेरा साथ है हाथों में हाथ है
    फूलों सा दिन अब मेरा
    खुशबू सी रात है

    तेरे बिना कैसे रहूँ
    मेरा अधूरा है आशियाँ
    तेरे सिवा जाऊँ कहाँ
    कोई  नहीं है मेरा यहाँ

    तेरा साथ है हाथों में हाथ है
    फूलों सा दिन अब मेरा
    खुशबू सी रात है

    पूरब से आने लगा है उजाला
    बादल जो घेरे हैं वो छट जाएँगे
    तेरे संग अब मेरी ज़िंदगी के
    लमहे सुकूँ से कट जाएँगे

    तेरा साथ है हाथों में हाथ है
    फूलों सा दिन अब मेरा
    खुशबू सी रात है

    तो आइए सुनें पापोन की दिलकश आवाज़ में ये नग्मा जो पहले आपने शायद ही सुना हो



    वार्षिक संगीतमाला 2019 
    01. तेरी मिट्टी Teri Mitti
    02. कलंक नहीं, इश्क़ है काजल पिया 
    03. रुआँ रुआँ, रौशन हुआ Ruan Ruan
    04. तेरा साथ हो   Tera Saath Ho
    05. मर्द  मराठा Mard Maratha
    06. मैं रहूँ या ना रहूँ भारत ये रहना चाहिए  Bharat 
    07. आज जागे रहना, ये रात सोने को है  Aaj Jage Rahna
    08. तेरा ना करता ज़िक्र.. तेरी ना होती फ़िक्र  Zikra
    09. दिल रोई जाए, रोई जाए, रोई जाए  Dil Royi Jaye
    10. कहते थे लोग जो, क़ाबिल नहीं है तू..देंगे वही सलामियाँ  Shaabaashiyaan
    11 . छोटी छोटी गल दा बुरा न मनाया कर Choti Choti Gal
    12. ओ राजा जी, नैना चुगलखोर राजा जी  Rajaji
    13. मंज़र है ये नया Manzar Hai Ye Naya 
    14. ओ रे चंदा बेईमान . बेईमान..बेईमान O Re Chanda
    15.  मिर्ज़ा वे. सुन जा रे...वो जो कहना है कब से मुझे Mirza Ve
    16. ऐरा गैरा नत्थू खैरा  Aira Gaira
    17. ये आईना है या तू है Ye aaina
    18. घर मोरे परदेसिया  Ghar More Pardesiya
    19. बेईमानी  से.. 
    20. तू इतना ज़रूरी कैसे हुआ? Kaise Hua
    21. तेरा बन जाऊँगा Tera Ban Jaunga
    22. ये जो हो रहा है Ye Jo Ho Raha Hai
    23. चलूँ मैं वहाँ, जहाँ तू चला Jahaan Tu chala 
    24.रूह का रिश्ता ये जुड़ गया... Rooh Ka Rishta 
     

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    स्पष्टीकरण

    इस चिट्ठे का उद्देश्य अच्छे संगीत और साहित्य एवम्र उनसे जुड़े कुछ पहलुओं को अपने नज़रिए से विश्लेषित कर संगीत प्रेमी पाठकों तक पहुँचाना और लोकप्रिय बनाना है। इसी हेतु चिट्ठे पर संगीत और चित्रों का प्रयोग हुआ है। अगर इस चिट्ठे पर प्रकाशित चित्र, संगीत या अन्य किसी सामग्री से कॉपीराइट का उल्लंघन होता है तो कृपया सूचित करें। आपकी सूचना पर त्वरित कार्यवाही की जाएगी।

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