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रविवार, फ़रवरी 04, 2024

वार्षिक संगीतमाला 2023 कि रब्बा जाणदा, तैनूँ कितनी मोहब्बताँ दिल करदा

जुबीन नौटियाल वैसे तो करीब एक दशक से पार्श्व गायिकी में अपने गाए रूमानी गीतों की वज़ह से युवाओं के चहेते गायक रहे हैं पर जबसे उनका गीत बजाओ ढोल स्वागत में, मेरे घर राम आए हैं वायरल हुआ है तबसे क्या बच्चे और क्या बड़े सब उनके गाए गीत के साथ भक्तिमय हुए जा रहे हैं। देहरादून से ताल्लुक रखने वाले इस उभरते गायक ने कई सारे फिल्मी और गैर फिल्मी एल्बमों में गाने गाए हैं पर मुझे बजरंगी भाईजान के लिए उनका गाया हुआ नग्मा कुछ तो बता जिंदगी मेरा पता जिंदगी... सबसे प्रिय है।

गीतमाला को आगे बढ़ाते हुए आज पेश है उन्हीं का गाया फिल्म मिशन मजनू का एक बेहद सुरीला नग्मा जिसके मुखड़े की मेलोडी आपको कहीं से भी खींच कर ये गीत सुनने को मजबूर कर देगी।

इस गीत की धुन बनाई है तनिष्क बागची ने और हिंदी पंजाबी मिश्रित बोल लिखे हैं शब्बीर अहमद ने। आपको याद होगा कि पिछले साल तनिष्क बागची और जुबीन की इसी जोड़ी का गीत राता लंबियाँ हर महफिल की रौनक बना था।

जुबीन की आवाज़ का तो कहना ही क्या! सीधे दिल को जा कर लगती है। मुखड़ा तो जितनी बार गुनगुनाया जाए मन नहीं भरता पर अंतरों में ऊँचे सुरों में उनका ये माधुर्य थोड़ा फीका जरूर पड़ जाता है। तनिष्क की धुन तो मधुर है पर पर मुखड़े के पहले और  इंटरल्यूड्स में राताँ लंबियाँ वाले संगीत संयोजन का दोहराव स्पष्ट दिखता है।


मिशन मजनू की नायिका नेत्रहीन हैं और बला की खूबसूरत भी। ज़ाहिर है हमारे मज़नूँ जी का दिल उन पर आ जाता है। जो आँखें देख ना सकें वो अपने भावों से बहुत कुछ सिखा जाती हैं सामने वाले इंसान को। शब्बीर इसी भाव को गीत में अपने सहज शब्दों से सँवारते हैं।

कि रब्बा जाणदा, कि रब्बा जाणदा, 
तैनूँ कितनी मोहब्बताँ दिल करदा
हाँ तेरे वाजू जी नहीं लगदा
रोग ये लगा इशक का
हर दुआ में तैनूँ मँगदा
कि रब्बा जाणदा, कि रब्बा जाणदा, 

ओ रे ओ रे तेरे नैना, 
छीन ले गए  दिल का चैना
इनमें झलके है ना ये जग सारेया

इश्क़ ये कैसे होता है
रंग ये कैसे खिलते हैं
देखूँ ये तेरी इन आँखों में

चाँदनी ये क्या होती है
दीप ये जलते कैसे हैं
देखूं ये तेरी इन आँखों में

हो ना जाने कब दिन चढ़ दा
कुछ वी पता नही चलदा
हर दुआ में तैनूँ मँगदा
कि रब्बा जाणदा, कि रब्बा जाणदा, 
तैनूँ कितनी मोहब्बताँ दिल करदा..

देख दुनिया मेरी आँखियों से
मैं रखाँगा तैनूँ पलकों पर
इक उम्र का सौदा ना करिये
वादे कर दूँ सातों जन्मों के
कि रब्बा जाणदा, कि रब्बा जाणदा...



 
मिशन मजनू का ये गीत फिल्माया गया है सिद्धार्थ और रश्मिका पर


वार्षिक संगीतमाला 2023 में मेरी पसंद के पच्चीस गीत
  1. वो तेरे मेरे इश्क़ का
  2. तुम क्या मिले
  3. पल ये सुलझे सुलझे उलझें हैं क्यूँ
  4. कि देखो ना बादल..नहीं जी नहीं
  5. आ जा रे आ बरखा रे
  6. बोलो भी बोलो ना
  7. रुआँ रुआँ खिलने लगी है ज़मीं
  8. नौका डूबी रे
  9. मुक्ति दो मुक्ति दो माटी से माटी को
  10. कल रात आया मेरे घर एक चोर
  11. वे कमलेया
  12. उड़े उड़नखटोले नयनों के तेरे
  13. पहले भी मैं तुमसे मिला हूँ
  14. कुछ देर के लिए रह जाओ ना
  15. आधा तेरा इश्क़ आधा मेरा..सतरंगा
  16. बाबूजी भोले भाले
  17. तू है तो मुझे और क्या चाहिए
  18. कैसी कहानी ज़िंदगी?
  19. तेरे वास्ते फ़लक से मैं चाँद लाऊँगा
  20. ओ माही ओ माही
  21. ये गलियों के आवारा बेकार कुत्ते
  22. मैं परवाना तेरा नाम बताना
  23. चल उड़ चल सुगना गउवाँ के ओर
  24. दिल झूम झूम जाए
  25. कि रब्बा जाणदा

    शनिवार, जनवरी 22, 2022

    वार्षिक संगीतमाला 2021 Top 15 आसान किस्तों में तू प्यार कर Kiston

    जैसा मैंने पहले भी आपको बताया कि इस बार की वार्षिक संगीतमाला में गीत बिना किसी क्रम यानी रैंकिंग के बज रहे हैं। मेरी कोशिश है कि हर मूड के गीत को बारी बारी से पेश करूँ। राताँ लंबियाँ सुनकर आप जहाँ झूम उठे थे, वहीं जीतेगा जीतेगा में एक जोश पैदा करनी की ताकत थी जबकि पिछली पोस्ट दिल उड़ जा रे में नायिका के मन की मायूसी गीत में उभर कर आई थी। मायूसी के बादलों से बाहर निकलते हुए आज बारी है रूमानियत की नदी में गोते लगाने की एक प्यारी सी सोच के साथ। 



    आज का गीत है फिल्म रूही से जिसकी भूत प्रेत वाली कहानी के बारे कुछ ना ही कहा जाए तो बेहतर रहेगा क्यूँकि बहुत लोगों को ये अझेल लगी थी। फिल्म का आइटम नंबर नदियों पार सजन दा थाना ही सिर्फ प्रमोट किया गया था। यही वज़ह थी कि सचिन जिगर का इतना प्यारा सा नग्मा आसान किस्तों में तू प्यार कर अनसुना ही रह गया।

    बड़ा खूबसूरत संयोजन किया है सचिन जिगर ने इस गीत की शुरुआत में। पियानो के आंरंभिक नोट्स और फिर वॉयलिन की खूबसूरत बयार जो कि अमिताभ भट्टाचार्य के लिखे बेहतरीन शब्दों के साथ गीत का रोमांटिक मूड तय कर देती है।

    जीवन में जब कोई चीज़ हमें बेहद पसंद आती है तो हम कोशिश करते हैं कि देर तक उसका लुत्फ उठाते रहें। अपनी कहूँ तो बचपन में जब मेहमान आते थे तभी घर में शर्बत बनता था और मैं उसे घूँट घूँट कर  पीता था ताकि जीभ पर उसका स्वाद देर तक बना रहे। अमिताभ ने वही बात प्रेम रूपी शर्बत के लिए कही है। अपने प्रियतम के लिए तो मन में ढेर सारी भावनाएँ उमड़ती घुमड़ती रहती हैं। उनको एक साथ प्रकट कर खाली हो जाएँगे तो फिर प्यार करने का क्या आनंद? प्रेम में जितना ज्यादा कहा उससे कहीं ज्यादा अनकहा रह जाता है और उसे समझने बूझने की मन की वर्जिश जीवन में रस घोलती रहती है। इसीलिए अमिताभ कहते हैं

    छुप छुप के दिलबर का दीदार कर
    ऐ दिल तू आहिस्ता इज़हार कर
    सारा का सारा ना करना अभी से
    आसान किस्तों में तू प्यार कर
     
    छुप छुप के दिलबर का दीदार कर
    ऐ दिल तू आहिस्ता इज़हार कर
    पगले, सारा का सारा ना करना अभी से
    आसान किस्तों में तू प्यार कर

    पहले निभा के देखी है तूने
    मँहेगी मोहब्बत विलायती
    पड़ जाए जिसमें लेने का देना
    घाटे का सौदा निहायती

    करना अगर ही है तू प्यार करले
    सस्ता स्वदेशी किफायती
    पहले तू जितना लापरवाह था
    उतना संभल के ही इस बार कर
    पगले, सारा का सारा ना करना अभी से
    आसान किस्तों में तू प्यार कर

    अंतरे में सचिन जिगर वॉयलिन के साथ बाँसुरी का मधुर इस्तेमाल करते हैं पर अंतरे के बाद गीत अचानक से खत्म हो जाता है तो लगता है कि शायद गीत का एक और अंतरा होता तो कितना अच्छा होता। जुबीन नौटियाल की आवाज़ में पहली बार सुनकर ही ये गाना गुनगुनाने का मन हो आया। अगर आपको भी मुलायम रूमानी संगीत पसंद है तो इस गाने का जरूर सुनिए और अपने दिलवर को भी सुनाइए..

     

    रविवार, जनवरी 16, 2022

    वार्षिक संगीतमाला 2021 की शुरुआत राताँ लंबियाँ से Raatan Lambiyan

    इस बार थोड़ी देर से ही सही वार्षिक संगीतमाला 2021 का आगाज़ हो रहा है थोड़े बदले हुए रूप में जिसके बारे में पिछली पोस्ट में आपको बता ही चुका हूँ। तो आज बात करते हैं पिछले साल के ऐसे गीत की जिसने ये सिद्ध कर दिया कि संगीत की कोई सरहद नहीं होती। भाषा की दीवार अच्छी धुनों के आड़े नहीं आती। जी हाँ मैं बात कर रहा हूँ राता लंबियाँ की जिसने कोविड के मायूसी के माहौल में करोड़ों संगीतप्रेमियों को खुशी के कुछ पल तो दिये ही औेर साथ ही थिरकने का मौका भी।


    जुबीन नौटियाल ने इस गीत को बखूबी गाया है पर इस गीत की लोकप्रियता के सच्चे हक़दार तनिष्क बागची हैं जिनके ऊपर पिछले कुछ सालों से रिमिक्स किंग का ठप्पा लगता रहा है। तनिष्क ने अपनी इस छवि को बदलने की खास कोशिश नहीं की हालांकि अपनी अच्छी मूल धुनों से भी कभी कभी वो प्रभावित करते रहे हैं। पिछले साल का मेरे लिए तुम काफी हो और उससे पहले कान्हा माने ना मुझे जरूर पसंद आए थे। मज़े की बात है कि तनिष्क ने इस गीत के बोल भी लिखे हैं। कई बार ऐसा होता है कि अगर अच्छी सी धुन हो तो उस पर बेहद सहज से बोल भी लोगों के दिल में गहरी पैठ कर जाते हैं। 

    तनिष्क बागची 

    फिल्म शेरशाह का ये गीत रिकार्ड तो आज से करीब तीन साल पहले हुआ था जब कोविड की धमक गूँजी भी नहीं थी। जुबीन नौटियाल युवाओं के चहेते गायक रहे हैं।  जुबीन कहते हैं कि जब ये गीत बना तभी उन्हें लगा कि ये कुछ ज्यादा ही कमाल करेगा और उनकी बात सच साबित हुई। इस गीत में जुबीन का साथ दिया है असीस कौर ने।

    अब इस धुन का ही कमाल था जिससे प्रभावित होकर तंजानिया के टिक टॉकर किली पॉल ने अपनी बहन नईमा के साथ मिलकर ऐसा लिप सिंग किया कि वो वीडियो भारत में वायरल हो गया। आवारा का गीत मेरा जूता है जापानी जिस तरह रूस में लोकप्रिय हो गया था वहीं ये गीत भी तंजानिया में किली की वज़ह से भारतीय फिल्मों में लोगों की रुचि बढ़ाने वाला साबित हो रहा है। वैसे क्या आपको पता है कि स्वाभाव से विनम्र और बेहद मामूली परिवेश से आने वाले किली का नाम वैसे तो यूसुफ़ है पर पिताजी वहाँ स्थित माउंट किलीमंजारो के नाम की वज़ह से उन्हें बचपन से किली बुलाया करते थे। 

    पर इस गीत के चर्चे तंजानिया तक ही नहीं है बल्कि यूक्रेन की तेरह वर्षीय वॉयलिन वादक कैरोलीना प्रोटसेनको अमेरिका की सड़कों पर इस गीत की धुन को सड़कों पर बजा कर मंत्रमुग्ध दर्शकों और यू ट्यूब फॉलोवर्स की वाहवाही लूट रही हैं। कैरोलीना के माता पिता ख़ुद भी वादक रह चके हैं और अब अमेरिका में ही रहते हैं। बॉलीवुड के गीत वैसे भी विश्व के हर उस कोने में गूँजते रहे हैं जहाँ दक्षिण एशियाई मूल के लोग रहते हैं पर तनिष्क ने अपनी इस मधुर धुन से उसके आगे की भी सीमाएँ लाँघ ली हैं ।

     

    रही भारत की बात तो यहाँ इस गीत पर ढेर सारे डांस वीडियो बने हैं जिन्हें देखना चाहें तो आप नेट खँगाल सकते हैं। फिलहाल अगर ये गीत अब तक आपने ना सुना हो तो यहाँ सुन लीजिए।

     

    अगर आप सोच रहे हों कि मैंने हर साल की तरह इस गीत की रैंक क्यूँ नहीं बताई तो वो इसलिए कि इस साल परिवर्तन के तौर पर गीत नीचे से ऊपर के क्रम में नहीं बजेंगे और गीतों की मेरी सालाना रैंकिंग सबसे अंत में बताई जाएगी। 

    और हाँ अगर आप सब का साथ रहा तो अंत में गीतमाला की आख़िरी लिस्ट निकलने के पहले 2019 की तरह एक प्रतियोगिता भी कराई जाएगी जिसमें अव्वल आने वालों को एक छोटा सा पुरस्कार मिलेगा। ☺☺

    सोमवार, जनवरी 23, 2017

    वार्षिक संगीतमाला 2016 पायदान #18 : ले चला दिल कहाँ, दिल कहाँ... ले चला Le Chala

    वार्षिक संगीतमाला की अगली सीढ़ी पर गाना वो जिसकी मधुरता पिछले कुछ हफ्तों में मुझे उसे लगातार सुनने को मजबूर करती रही है। हाल ही में कच्छ की यात्रा पर निकला तो वहाँ खान पान के साथ चल रहे Live Music के दौरान मैंने इस गीत की फर्माइश की और बड़ा आनंद आया जब गायक ने इसका मुखड़ा और एक अंतरा सुनाकर मेरी वो फर्माइश पूरी की। रूमानी गीतों से मुझे हमेशा प्रेम रहा है। पर यहाँ तो प्रेम में रससिक्त शब्दों के साथ गायक की आवाज़ में जो सुकून है और संगीत में जो ठहराव, वो तो दिल ही ले जाता है।



    आइए वार्षिक संगीतमाला में स्वागत करें संगीतकार जीत गांगुली व गीतकार मनोज मुन्तसिर के साथ उभरते हुए उत्तराखंडी गायक जुबिन नौटियाल का। दरअसल पिछले साल जब मैंने जुबीन का बजरंगी भाईजान में गाया नग्मा  कुछ तो बता ज़िंदगी अपना पता ज़िंदगी सुना था तो मुझे ये भ्रम हो गया था कि कहीं ये जुबिन असम वाले तो नहीं हैं।

    जुबिन नौटियाल
    27 वर्षीय जुबिन की पैदाइश देहरादून में हुई। उनके पिता को गाने का शौक था। ये शौक जब उन तक पहुँचा तो उन्होंने संगीत को अपने स्कूल में एक विषय की तरह ले लिया। स्कूल के बाद उन्होंने अपनी गुरु वंदना श्रीवास्तव जी से हिंदुस्तानी शास्त्रीय संगीत की शिक्षा ली।  बनारस में कुछ वक़्त उन्होंने छन्नूलाल मिश्रा जी के साथ भी बिताया तो चेन्नई में रहकर पाश्चात्य संगीत पर अपनी पकड़ मजबूत की। बॉलीवुड में पिछले पाँच सालों से सक्रिय जुबिन की आवाज़ को बजरंगी भाईजान के आलावा दि शौकीन्स के गीत मेहरबानी से भी सांगीतिक हलकों में पहचाना जाने लगा। इस साल फिल्म One Night Stand के इस गीत के आलावा फितूर के लिए सुनिधि चौहान के साथ उनका गाया युगल गीत तेरे लिए भी चर्चा का केंद्र रहा।

    अमिताभ भट्टाचार्य की तरह ये साल अमेठी से ताल्लुक रखने वाले गीतकार मनोज मुन्तशिर के लिए भी बेहद अच्छा रहा है और क्यूँ ना रहे उनके शब्द प्यार में डूबे बेसब्र बेचैन दिलों की जुबान जो रहे हैं। आप ही देखिए ज़रा मनोज ने कितना प्यारा मुखड़ा रचा है इस गीत का

    छू गयीं उँगलियाँ जाने किस ख़्वाब से
    आज क्यूँ नींद से उठ गयीं ख्वाहिशें
    ये ख़लिश है नयी ये जुनूँ है नया
    ले चला... दिल कहाँ..., दिल कहाँ... ले चला..


    सचमुच उनके शब्द हमें कुछ क्षणों के लिए ही सही प्रेम की वादियों में भटकने के लिए प्रेरित जरूर कर देते हैं। कभी प्रीतम दा के सहयोगी रहे जीत गाँगुली पियानो के नोट्स से गीत की शुरुआत करते हैं और यही मधुर धुन पहले इंटरल्यूड् में फिर प्रकट होती है। जीत का संगीत संयोजन कभी गायिकी और लफ़्जों से आपको दूर नहीं जाने देता। जुबिन की आवाज़ में इस गीत को सुनना हवा में तैरना जैसा है।  जीवन में कभी आपको किसी से प्रेम हुआ हो ना तो ये फिर इस गीत को गुनगुनाते हुए अपने प्रिय को याद कर लीजिए। एकदम से मूड हल्का ना हो जाए तो कहिएगा..

    बस अभी तो मिले, और चले दो क़दम
    कैसे फिर आ गए हाँ इस क़दर पास हम
    सच है ये या वहम, क्या ख़बर, क्या पता
    ले चला... दिल कहाँ..., दिल कहाँ... ले चला..

    यूँ लहर की तरह, ज़िन्दगी बह गयी
    खो गया मैं कहीं, सिर्फ तू रह गयी
    क्या यही है सफ़र जिस्म से रुह का
    ले चला... दिल कहाँ..., दिल कहाँ... ले चला..


    वार्षिक संगीतमाला  2016 में अब तक
     

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