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रविवार, अक्टूबर 28, 2007

राँची में निजी एफ एम रेडिओ चैनल बिग , मंत्रा और धमाल का आगमन

पिछले तीन-चार दिनों से वाइरल की चपेट में हूँ चिट्ठा पढ़ना लिखना बेहद कम हो गया है। पर आज मन फिर भी बेहद खुश है। आखिर वो दिन आ ही गया जिसका मुझे कई दिनों से बेसब्री से इंतजार था। छोटे शहरों में निजी एफ एम चैनल का हाल के दिनों में तेजी से विस्तार हो रहा है और इसी क्रम में हुआ है राँची में तीन नए चैनल का एक साथ प्रवेश : बिग एफ एम, दैनिक जागरण वालों का रेडियो मंत्रा और रेडियो धमाल।

ये खुशी सिर्फ मेरी आँखों में हो ऍसी बात नहीं। कल जब मैं बिस्तर पर पड़े पड़े रेडिओ के गानों पर अपने बच्चे और हमारे यहाँ काम करने वाली लड़की को थिरकते देख रहा था तो मुझे बिलकुल संदेह नहीं रहा कि इनके चेहरे से निकलने वाली खुशी सारे राँची वासियों की खुशी का प्रतिनिधित्व करती है जिनके लिए रेडिओ अभी भी मनोरंजन का प्रमुख साधन है।

पर एक सहज प्रश्न जो किसी भी संगीत प्रेमी के मन में जरूर आता है वो ये है कि आखिर निजी रेडिओ चैनल के बढ़ते प्रचार प्रसार से 'विविध भारती' के भविष्य पर क्या प्रभाव पड़ेगा ? क्या आपको नहीं लगता कि जहाँ भी विकल्प मौजूद है, किशोरों और युवा वर्ग में निजी चैनल विविध भारती की तुलना में कहीं ज्यादा लोकप्रिय होते जा रहे हैं? इस बदलते समय में आपकी विविध भारती से क्या अपेक्षाएँ रही हैं? मैंने इसी विषय को रेडिओनामा पर यहाँ विचार विमर्श के लिए उठाया है।

आशा है इस बहस का आप हिस्सा बनेंगे।

मंगलवार, सितंबर 18, 2007

क्या आप भी करते हैं रेडिओ से प्यार ?

बचपन से किशोरावस्था तक रेडिओ मेरे जीवन का अभिन्न अंग रहा है। बीबीसी वर्ल्ड सर्विस का Sports Round Up हो या रेडिओ सीलोन की सिबाका गीत माला , विविध भारती का हवा महल हो या आकाशवाणी पटना का खदेड़न को मदर... ये सब के सब कार्यक्रम एक समय में हमारी दिनचर्या का हिस्सा होते थे। और शायद ऐसे ही कुछ कार्यक्रम आपके भी पसंदीदा रहे होंगे...

रेडियो से जुड़ी यादों और आज के समय में उसके महत्त्व पर विचारों को बाँटने के लिए एक सामूहिक चिट्ठा बनाया गया है रेडियोनामा । आप भी उससे जुड़ सकते हैं बशर्ते रेडियो ने आपके जीवन को भी किसी ना किसी रूप में छुआ हो और आप अपने विचारों को हम सब के साथ बाँटने को इच्छुक हों।

इसी सिलसिले में १९७९ के ओवल क्रिकेट टेस्ट के दौरान आँखों देखा हाल सुनाने वाले सुशील दोशी से जुड़ी कुछ यादें बाँटी हैं मैंने रेडियोनामा पर जो आप यहाँ पढ़ सकते हैं।

मंगलवार, जून 26, 2007

दिल्ली के चिट्ठाकार बंधुओं के लिए सूचना !

हफ्ते भर बाहर था। वापस आया तो देखा कंम्पयूटर पर कुछ टाइप नहीं कर सकता। कम्पयूटर वायरस ने ब्लॉगिंग बंद करा दी है और तमाम Antivirus बेकार साबित हो रहे हैं। इसलिए चिट्ठा लिखने ओर पढ़ने का काम ठप्प है।

मैं कार्यालय के काम से २७‍-२९ तक दिल्ली में रहूँगा, संभवतः करोलबाग इलाके में। इससे पहले कानपुर और कोलकाता जाकर भी लोगों से मिल नहीं पाया। इस बार भी कितना समय मिल पाएगा मुझे मालूम नहीं। कोशिश करूंगा कि वहाँ आप में से जिससे संभव हो पाए मिल सकूँ। आप अपना दिल्ली का पता ठिकाना मुझे ई मेल कर सकते हैं या यहाँ प्रतिक्रिया दें।
 

मेरी पसंदीदा किताबें...

सुवर्णलता
Freedom at Midnight
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Madhushala
कसप Kasap
Great Expectations
उर्दू की आख़िरी किताब
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English, August: An Indian Story
Five Point Someone: What Not to Do at IIT
Mitro Marjani
Jharokhe
Mailaa Aanchal
Mrs Craddock
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मुझे चाँद चाहिए Mujhe Chand Chahiye
Lolita
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स्पष्टीकरण

इस चिट्ठे का उद्देश्य अच्छे संगीत और साहित्य एवम्र उनसे जुड़े कुछ पहलुओं को अपने नज़रिए से विश्लेषित कर संगीत प्रेमी पाठकों तक पहुँचाना और लोकप्रिय बनाना है। इसी हेतु चिट्ठे पर संगीत और चित्रों का प्रयोग हुआ है। अगर इस चिट्ठे पर प्रकाशित चित्र, संगीत या अन्य किसी सामग्री से कॉपीराइट का उल्लंघन होता है तो कृपया सूचित करें। आपकी सूचना पर त्वरित कार्यवाही की जाएगी।

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