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सोमवार, जनवरी 21, 2019

वार्षिक संगीतमाला 2018 पायदान # 9 : मुड़ के ना देखो दिलबरो Dilbaro

शंकर एहसान लॉय की तिकड़ी के लिए पिछला साल सुरीला रहा। राजी के संगीत ने यो वाहवाही बटोरी ही। सूरमा के भी कुछ गीत प्रशंसनीय रहे। लगातार पिछले दो दशकों से उन्होंने दिखाया है कि वक़्त के साथ उनका संगीत की धार का पैनापन कम नहीं हुआ है। इस साल वो इस संगीतमाला में  पहली बार प्रवेश ले रहे हैं  राज़ी के विदाई गीत दिलबरो के साथ जिसे गाया है हर्षदीप कौर और विभा सर्राफ ने और लिखा गुलज़ार ने। गुलज़ार यूँ तो विशाल भारद्वाज के आलावा अन्य संगीतकारों के साथ यदा कदा ही काम करते हैं पर शंकर एहसान लॉय के साथ उनकी अच्छी निभती है। 


ये सुखद संयोग ही था की इस फिल्म में एक ओर राजी का ये गीत विदाई बेला में पिता और बेटी की भावनाओं को दर्शा रहा था तो पर्दे के पीछे भी गीतकार पिता और निर्देशक बेटी की जोड़ी काम कर रही थी। शंकर बताते हैं कि मेघना गुलज़ार की इस गाने के संगीत से बस एक ही अपेक्षा थी कि वो कथानक की पृष्ठभूमि और परिवेश से बिल्कुल जुड़ा होना चाहिए। 


इस परिवेश को लाने के लिए शंकर एहसान लॉय ने गीत की शुरुआत एक बेहद प्रचलित कश्मीरी विवाह गीत से की जिसे विभा सर्राफ ने अपनी आवाज़ दी है। कश्मीरी लोक संगीत सा असर लाने के लिए मुखड़े में रबाब और इ्टरल्यूड में गिटार के साथ इसराज़ का प्रयोग हुआ। ताल वाद्यों में घटम की आवाज़ आप गीत की शुरुआत में  सुन सकते हैं। मुखड़े और अंतरे के बीच इसराज पर बजाया गया अरशद खान का खूबसूरत टुकड़ा बिदाई के लमहे को और ग़मगीन बनाता है। 

गुलज़ार के साथ काम करने के अपने अनुभव को लेकर शंकर कहते हैं कि गीतों को लेकर उनके साथ लंबी बातें होती रहीं। इतने बड़े गीतकार होने के बाद भी वो हमारे हर सुझाव को सुनकर वो शब्दों में बदलाव लाने को तत्पर रहते थे। इस गीत से जुड़ा एक मजेदार वाक़या एक बार उन्होंने बाँटा था..

"मैं नवी मुंबई में रहता हूँ। हर रोज़ नौ साढ़े नौ के बीच उनका एक कॉल आता था। मुझे पूछेंगे कि तुम पुल के इस पार हो या उस पार। उससे उनको समझ आ जायेगा की हम लोग कितनी लंबी बातचीत कर सकते हैं। फ़ोन पे जैसे ही उनको कोई विचार आता है बोलों के बारे में, तो वे झट से फोन करते हैं और हैलो बोलने से पहले ही गीत के लिरिक्स बोलने लगते हैं ऊँगली पकड़ के तूने, चलना सिखाया था ना..दहलीज़ ऊँची है ये पार करा दे। मुझे दो मिनट के लिए लगता है कि ये कौन से गाने का है। फिर ख़्याल आता है कि वो दिलबरो की बात कर रहे हैं। ऐसे ही गीत बनता चला जाता है।"

शंकर एहसान लॉय की तिकड़ी के साथ गुलज़ार 
इस गीत में तो आप जानते ही हैं कि नायिका की शादी तो हो ही रही है, साथ ही उसे विवाह के बाद दूसरे  मुल्क में ज़िंदगी बसर करनी है वो भी एक जासूस के रूप में। गुलज़ार ने इस गीत के मुखड़े में उस  घर की ही नहीं बल्कि की दहलीज़ की ओर भी इशारा किया है  जिसे नायिका को लाँघना था। गीत के मुखड़े के साथ साथ मुझे उनकी ये पंक्तियाँ भावुक कर देती है। ..  फसलें जो काटी जाएँ उगती नहीं हैं.. बेटियाँ जो ब्याही जाएँ मुड़ती नहीं हैं। 

हर्षदीप कौर
शंकर एहसान लॉय ने गीत के मुख्य भाग को गाने के लिए हर्षदीप कौर को चुना। उन्हें बुलाकार धुन गुनगुनाई। उन्हें गवाकर उनका स्केल जाँचा और गीत उनका झोली में दाल दिया । हर्षदीप ने तो ख़ैर अपना हिस्सा बखूबी निभाया पर शंकर महादेवन ने तो गीत को इतने ऊँचे सुरों तक ले जाकर उसमें एक नई जान जान ही फूँक दी। 

गीत की शुरुआत में कश्मीरी लोक गीत कि कुछ पंक्तियाँ ली गयी हैं जिनका अर्थ है तुम मुझे एक सहेजी हुई गुड़िया की तरह प्यार करते हो ना? अब विदा आने का वक़्त आ गया है पर ये दूरी हमारे प्यार को कभी कम नहीं करेगी। वैसे नेट पर ये गीत अपने पूरे रूप में मौज़ूद हैं। कश्मीरी लोक संगीत में दिलचस्पी हो तो सुनिए



उंगली पकड़ के तूने, चलना सिखाया था ना
दहलीज़ ऊँची है ये पार करा दे
बाबा मैं तेरी मल्लिका, टुकड़ा हूँ तेरे दिल का
इक बार फिर से दहलीज़ पार करा दे
मुड़के ना देखो दिलबरो, दिलबरो
मुड़के ना देखो दिलबरो

फसलें जो काटी जाएँ उगती नहीं हैं
बेटियाँ जो ब्याही जाएँ मुड़ती नहीं हैं
ऐसी बिदाई हो तो, लम्बी जुदाई हो तो
दहलीज़ दर्द की भी पार करा दे
बाबा मैं ....पार करा दे
मुड़ के ना देखो दिलबरो, दिलबरो

मेरे दिलबरो, बर्फ़ें गलेंगी फिर से
मेरे दिलबरो, फसलें पकेंगी फिर से
तेरे पाँवों के तले, मेरी दुआ चले, दुआ मेरी चले


उंगली पकड़ के तूने... दिलबरो


इस गीत को फिल्माया गया है आलिया भट्ट, रजत कपूर और अन्य सह कलाकारों पर



वार्षिक संगीतमाला 2018  
1. मेरे होना आहिस्ता आहिस्ता 
2जब तक जहां में सुबह शाम है तब तक मेरे नाम तू
3.  ऐ वतन, वतन मेरे, आबाद रहे तू
4.  आज से तेरी, सारी गलियाँ मेरी हो गयी
5.  मनवा रुआँसा, बेकल हवा सा 
6.  तेरा चाव लागा जैसे कोई घाव लागा
7.  नीलाद्रि कुमार की अद्भुत संगीत रचना हाफिज़ हाफिज़ 
8.  एक दिल है, एक जान है 
9 . मुड़ के ना देखो दिलबरो
10. पानियों सा... जब कुमार ने रचा हिंदी का नया व्याकरण !
11 . तू ही अहम, तू ही वहम
12. पहली बार है जी, पहली बार है जी
13. सरफिरी सी बात है तेरी
14. तेरे नाम की कोई धड़क है ना
15. तेरा यार हूँ मैं
16. मैं अपने ही मन का हौसला हूँ..है सोया जहां, पर मैं जगा हूँ 
17. बहुत दुखा रे, बहुत दुखा मन हाथ तोरा जब छूटा
18. खोल दे ना मुझे आजाद कर
19. ओ मेरी लैला लैला ख़्वाब तू है पहला
20. मैनू इश्क़ तेरा लै डूबा  
21. जिया में मोरे पिया समाए 
24. वो हवा हो गए देखते देखते
25.  इतनी सुहानी बना हो ना पुरानी तेरी दास्तां

बुधवार, जनवरी 04, 2012

वार्षिक संगीतमाला 2011 पॉयदान संख्या 24 : आख़िर 'कतिया करूँ' का मतलब क्या है?

अपनी 'शबाना'को तो मना लिया ना आपने तो चलिए थोड़ा चरखा कात कर आते हैं। क्या कहा ये गाँधी जयन्ती नहीं नए साल का शुभारंभ है। अजी तो मैंने कब कहा कि कुछ और है। पर कल्पना कीजिए कि ये चरखा आपका दिल हो और सूत के रूप आपके मन की भावनाएँ जो किसी की यादों में रची बसी हों तो भला आपको सारी रात प्रेम की चादर बुनने में कितना मज़ा आएगा। इरशाद क़ामिल को भी जरूर आया होगा तभी तो उन्होंने रॉकस्टार के लिए गीत लिखा सारी रात कतिया करूँ। 

वैसे इम्तियाज को मैंने इस गीत के बारे में बताते हुए सुना कि पंजाब में लोग इस जुमले को कुछ यूँ गाते हैं किसी की साइकिल, किसी की मोपेड, सड्डी सुजुकी तू मैं सारी रात कतिया करूँ...:)।इरशाद और मुझे ये जँच गया और हमने फ़ैसला लिया कि इसी जुमले को लेकर क्यूँ ना गीत बनाया जाए।


इस गीत को गाया है हर्षदीप कौर ने। ये वही हर्षदीप हैं जिन्होंने NDTV Imagine के कार्यक्रम जुनूँ कुछ कर दिखाने में राहत की टीम में रहते हुए सूफ़ी गायिकी की कमान थामी थी और फाइनल में लोकगीत गायिका मालिनी अवस्थी को पछाड़ कर 2008 में खिताब जीता था। श्वेता परांदे को दिए साक्षात्कार में हर्षदीप इस गीत की कहानी कुछ यूँ बताती हैं..

"रहमान सर ने एक दिन मुझे पोवइ के स्टूडियो में बुलाया और गीत के बोल पकड़ाते हुए पूछा कि ये कतिया करूँ क्या है ? मैंने उन्हें इसका मतलब समझाते हुए कहा कि इसका मतलब है कि मैं सारी रात तुम्हारी  रूई से सूत कातूँगी। बस तुम मेरे दिल रूपी चरखे की चकरी बन जाओ। मैं तुम्हारे लिए ही जियूँगी और मरूँगी। रहमान सर ने कहा मैं एक ऐसी धुन बनाना चाहता हूँ जो लोगों का तुरंत ध्यान खींचे क्यूँकि गीत की परिस्थिति में नायक नायिका दोनों मस्ती के मूड में हैं। और रहमान ने आनन फानन में यह धुन तैयार कर दी।"

चाहे वो गीत के मुखड़े में टिग लिंग लिंग के साथ की पंजाबी बीट्स हों या बीच के खूबसूरत इंटरल्यूड्स, रहमान अपने संगीत से जो मस्ती पैदा करते हैं वही इस गीत की कर्णप्रियता को बढ़ाता है। तो आइए एक बार फिर सुनें इस नग्मे को


टिंग लिंग लिंग लिंग
लिंग लिंग लिंग लिंग
कतिया करूँ, कतिया करूँ
तेरा रूँ कतिया करूँ
तेरा रूँ, तेरा रूँ,तेरा रूँ
रूँ रूँ रूँ
सारी रातें कतिया करूँ
कतिया करूँ, कतिया करूँ

सारा दिन सोचाँ विंच लँगदा
तेरे नइ हुण जियति मरूँ
एह तन मेरा चरखा होवे
होवे उलफत यार दी चंगा रु...

नचदी फिरूँ, टपदी फिरुँ
कीली मैं नपदी फिरूँ
हद करूँ, हद करूँ, हद करूँ
रूँ रूँ रूँ
यारा बुल्ले लुटिया करूँ
लुटिया करूँ, लुटिया करूँ
मैंनू डर हुण
नइयो जग दा,
तेरे नइ हुण जियति मरूँ, कट्टा रूँ..

फिल्म रॉकस्टार के इस गीत को फिल्माया गया है रणबीर कपूर और नरगिस फाख़री पर...
 

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