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बुधवार, जनवरी 15, 2020

वार्षिक संगीतमाला 2019 Top 20 : ये आईना है या तू है, जो रोज़ मुझको सँवारे Ye Aaina Hai..

वार्षिक संगीतमाला की सत्रहवीं पायदान पर वो नग्मा जिसके गीतकार और संगीतकार की उपस्थिति पिछले साल के गीतों में बेहद कम रही। जी हाँ मैं बात कर रहा हूँ अमाल मलिक और इरशाद कामिल की। याद कीजिए 2015 और 2016 के साल अमाल मलिक एम एस धोनी, एयर लिफ्ट, नूर व रॉय जैसी फिल्मों के साथ चर्चा में बड़ी तेजी से आए थे। पिछले तीन सालों में उन्होंने मात्र दर्जन भर गीत किए हैं। एक तो उनकी दिक्कत ये रही कि उन्हें अपना ज्यादा काम मल्टी कम्पोजर फिल्मों में मिला और दूसरे उनसे जिस विविधता की उम्मीद थी उसमें वो पूरी तरह सफल नहीं हुए।

इस साल उनके गीत दे दे प्यार दे और बदला में सुनाई दिए पर जिस गीत ने सबसे ज्यादा सुर्खियाँ बटोरीं वो था कबीर सिंह का ये आईना है या तू है। एक बड़ी ही मुलायम सी रचना जिसे इरशाद ने अपने प्यारे लफ्जों से एक अलग मुकाम पर पहुँचा दिया।


अमाल को इस गाने के लिए निर्देशक संदीप वांगा द्वारा यही कहा गया कि आपको मुझे कुछ बताना नहीं है बस आप फिल्म की परिस्थिति देख लीजिए जहाँ इस गाने को आना है। अमाल ने अर्जुन रेड्डी ने पहले भी देखी थी। ये गीत फिल्म में तब आता है जब कबीर सिंह का ब्रेक अप हो चुका रहता है और वो पशोपेश में हैं कि अपने प्यार से छिटक जाने के ग़म में डूबा रहे या फिर ज़िंदगी में आगे बढ़े। संदीप ने इतना जरूर कहा था कि तुम्हें ये गाना लिखते समय कबीर सिंह को भूल जाना है। याद रखना है तो उस लड़की को जिसके जीवन में कबीर आया है। उसके लिए प्यार के क्या मायने हैं ये सोचना।

अमाल कहते हैं कि वैसे तो लड़कियाँ बड़ी जटिल होती हैं पर मैंने ये चुनौती इरशाद भाई पर छोड़ दी बस उन्हें ये कहते हुए कि आपको प्यार, इश्क़, मोहब्बत जैसे शब्दों से हटकर अपनी बात रखनी है। इरशाद तो ख़ैर धुरंधर हैं ही खिलाड़ी हैं इस ज़मीं के। . रच दिया उन्होंने ये  मुखड़ा 

ये आईना है या तू है, जो रोज़ मुझको सँवारे?
इतना लगी सोचने क्यूँ मैं आज-कल तेरे बारे

पिछले साल लैला मजनूँ के गीतों से रिझाने वाले इरशाद कामिल भी अमाल की तरह इस साल कबीर सिंह के आलावा अपनी दूसरी फिल्म भारत में कुछ ज्यादा कमाल नहीं दिखा सके पर इस गीत में उन्हें मौका मिला अपनी लेखनी की धार दिखाने का और नतीजे में निकली ऐसी खूबसूरत पंक्तियाँ

तू झील खामोशियों की
लफ़्ज़ों की मैं तो लहर हूँ
एहसास की तू है दुनिया
छोटा सा मैं एक शहर हूँ

गीत का अंत भी बड़े मोहक अंदाज़ में किया है उन्होंने ये कहते हुए

सीने पे मुझको सजा के, जो रात सारी गुज़ारे
तो मैं सवेरे से कह दूँ "मेरे शहर तू ना आ, रे"

संगीतमाला के पिछले गीत की तरह ही इस गीत को गाया है श्रेया घोषाल ने। पिछले गीत जैसी शास्त्रीय बंदिश हो या इस गीत की विशुद्ध रूमानियत श्रेया की आवाज़ उसके साथ पूरा न्याय करती है। इस गीत की रिकार्डिंग ने श्रेया ने बीस मिनटों में ही खत्म कर दी। इस साल उनके तीन गीत इस संगीतमाला में हैं। दो गीत तो अब आपने सुन लिए। उनका गाया तीसरा गीत जरूर आपमें से बहुतों के लिए अनसुना होगा। तो इंतज़ार कीजिए उस गीत का और फिलहाल सुनिए कबीर सिंह का ये बोल प्रधान गीत जो अपनी लय में कम से कम संगीत के बीच कानों में बहता सा चला आता है।

पर्दे पर इस गाने को फिल्माया गया है शाहिद कपूर और निकिता दत्ता पर !


वार्षिक संगीतमाला 2019 
01. तेरी मिट्टी Teri Mitti
02. कलंक नहीं, इश्क़ है काजल पिया 
03. रुआँ रुआँ, रौशन हुआ Ruan Ruan
04. तेरा साथ हो   Tera Saath Ho
05. मर्द  मराठा Mard Maratha
06. मैं रहूँ या ना रहूँ भारत ये रहना चाहिए  Bharat 
07. आज जागे रहना, ये रात सोने को है  Aaj Jage Rahna
08. तेरा ना करता ज़िक्र.. तेरी ना होती फ़िक्र  Zikra
09. दिल रोई जाए, रोई जाए, रोई जाए  Dil Royi Jaye
10. कहते थे लोग जो, क़ाबिल नहीं है तू..देंगे वही सलामियाँ  Shaabaashiyaan
11 . छोटी छोटी गल दा बुरा न मनाया कर Choti Choti Gal
12. ओ राजा जी, नैना चुगलखोर राजा जी  Rajaji
13. मंज़र है ये नया Manzar Hai Ye Naya 
14. ओ रे चंदा बेईमान . बेईमान..बेईमान O Re Chanda
15.  मिर्ज़ा वे. सुन जा रे...वो जो कहना है कब से मुझे Mirza Ve
16. ऐरा गैरा नत्थू खैरा  Aira Gaira
17. ये आईना है या तू है Ye aaina
18. घर मोरे परदेसिया  Ghar More Pardesiya
19. बेईमानी  से.. 
20. तू इतना ज़रूरी कैसे हुआ? Kaise Hua
21. तेरा बन जाऊँगा Tera Ban Jaunga
22. ये जो हो रहा है Ye Jo Ho Raha Hai
23. चलूँ मैं वहाँ, जहाँ तू चला Jahaan Tu chala 
24.रूह का रिश्ता ये जुड़ गया... Rooh Ka Rishta 

सोमवार, जनवरी 22, 2018

वार्षिक संगीतमाला 2017 पायदान #18 : कि चोरी चोरी चुपके से चुपके से रोना है ज़रूरी Hai Zaroori

मनोज मुन्तशिर और अमाल मलिक ये दो ऐसे कलाकार हैं जिनके लिखे और रचे गीत युवाओं में खासे लोकप्रिय हैं। मनोज इस साल अपने हॉफ गर्लफ्रेंड के गीत मैं फिर भी तुम को चाहूँगा के लिए काफी उत्साहित दिखे और ये गीत लोकप्रिय भी हुआ। पर उस गीत से कहीं अच्छी मुझे उसके पीछे की नज़्म लगी जिसे मनोज ने 2001 में लिखा था। वहीं अमल मलिक इस साल बद्रीनाथ की दुल्हनिया में रचे अपने गीतों की सफलता पर बेहद खुश थे हालांकि कुल मिलाकर मुझे उस फिल्म का संगीत औसत ही लगा।  



पिछले साल के सारे गीतों को सुनते हुए मुझे इस जोड़ी की कृतियों में सबसे ज्यादा प्रभावित किया नूर के इस गाने ने। ये गाना इस साल ज्यादा बजा भी नहीं पर फिर भी एक बार सुनते ही इसके बोल और संगीत रचना दिल को अंदर तक छू गयी और यही वज़ह है कि साल के पच्चीस शानदार गीतों में ये नग्मा अपनी जगह बना सका है।

नूर एक ऐसे पत्रकार की कहानी थी जो अपने जीवन की परेशानियों से हताश है। अपने लिए समय की कमी, बढ़ते वजन की चिंता, मनचाहा साथी ना मिल पाने का ग़म और  बॉस की उसके काम से नाराजगी उसकी ज़िंदगी को बेढंगा किए जा रहा था। फिर परिस्थितियों ने ऐसी करवट ली कि नौकरी और निजी ज़िन्दगी में सब कुछ सही सा लगने लगा। पर उसने जिस शख़्स में अपनी भविष्य की खुशियाँ देखीं वही उसका विश्वास तोड़ कर चला गया। 

मनोज मुन्तशिर को नूर के मानसिक हालातों को गीत में शब्द देने थे और ये काम उन्होंने बखूबी किया। हम कितने भी ज़हीन क्यूँ ना हों किसी का असली चेहरा हमेशा नहीं पढ़ पाते। गलतियाँ हो ही जाती हैं और भावनात्मक ठेस से हम टूट जाते हैं। पर ज़िदगी का मजबूती से सामना करने के लिए टूटना भी जरूरी है। आँसुओं को हमेशा कमजोरी की निशानी नहीं समझना चाहिए। ये बहते हैं तो इनके साथ हमारी मुलायमियत भी बह जाती है। रह जाता है तो हमारा लक्ष्य को बेंधने का संकल्प  इसलिए मनोज लिखते हैं 

कभी कभी लगे यही जो मिलना था मिला वही 
बिखरना भी दुआओं का है ज़रूरी 
किसी के वास्ते कहाँ ज़मीन पे आया आसमान 
ये दूरियाँ रही बस दूरियाँ 
कि चोरी चोरी चुपके से चुपके से रोना है ज़रूरी 
कि पानी पानी अँखियों का अँखियों का होना है ज़रूरी.. 

अमाल मलिक का संगीत इस शब्द प्रधान इस गीत के पीछ धीरे धीरे बहता है। इंटरल्यूडस में गिटार और फिर वायलिन की धुन गीत की मायूसी में गुथी नज़र आती है। पियानों की हल्की धनक भी गीत के साथ चलती है। गीत का अंत सेक्सोफोन और पियानो की जुगलबंदी से होता है।

गीत की मनोभावनाओं को प्रकृति कक्कर अपनी आवाज़ से उभारने में कामयाब रही हैं। मेरी समझ से टुटिया दिल के बाद पिछले कुछ सालों में बॉलीवुड के लिए गाया सबसे बेहतरीन गीत है। अंतरों में भी मनोज की कलम उतनी ही मजबूती से चलती है। पागल दिल की आसमानी बातों का जिक्र अपना सा लगता है इसीलिए भाता है। आशा  है इस गीत के साथ आप सब भी अपने दिल के तारों को जोड़ पाएँगे।


कभी कभी लगे यही 
जो होना था हुआ वही 
बदलना भी हवाओं का है ज़रूरी

कभी कभी लगे यही जो मिलना था मिला वही 
बिखरना भी दुआओं का है ज़रूरी 
किसी के वास्ते कहाँ ज़मीन पे आया आसमान 
ये दूरियाँ रही बस दूरियाँ 
कि चोरी चोरी चुपके से चुपके से रोना है ज़रूरी 
कि पानी पानी अंखियों का अंखियों का होना है ज़रूरी.. 
रह गयी आरज़ू एक अधूरी के 
कि कभी कभी ऐसा भी, ऐसा भी होना है ज़रूरी

नासमझ थे हम जो ये भी ना समझे 
वक़्त आने पर सब बदलते हैं 
मंजिलें क्या हैं और रास्ते क्या हैं 
लोग पल भर में यहाँ रब बदलते हैं 
किसी के वास्ते कहाँ किनारे आये कश्तियाँ 
ये दूरियाँ रही बस दूरियाँ 
कि चोरी चोरी  है ज़रूरी 

मुस्कुराने के कितने बहाने थे 
फिर भी आँखों ने क्यूँ नमी चुन ली 
दिल की बातें तो सब आसमानी थी 
हम ही पागल थे इस दिल की जो सुन ली 
किसी के वास्ते कहाँ मिली है रात से सुबह 
कि दूरियाँ रही बस दूरियाँ 
कि चोरी चोरी .... है ज़रूरी

वार्षिक संगीतमाला 2017

शनिवार, जनवरी 28, 2017

वार्षिक संगीतमाला 2016 पायदान # 16 : तुझमें खोया रहूँ मैं, मुझ में खोयी रहे तू ..ख़ुद को ढूँढ लेंगे फिर कभी Phir Kabhie

MS Dhoni The untold story का संगीत पिछले साल के कुछ लोकप्रिय एलबमों में रहा। फिल्म के संगीतकार अमाल मलिक के लिए ये एक बड़ी उपलब्धि रही क्यूँकि ये उनका बतौर संगीतकार पहला एकल एलबम था। वैसे अगर अमाल मलिक से आप अब तक परिचित नहीं हैं तो ये बता दूँ कि वे संगीतकार सरदार मलिक के पोते, अनु मलिक के भतीजे, व डबू मलिक के पुत्र हैं। अब जिस घर में संगीत संयोजन से जुड़े इतने महारथी एक साथ हों तो उस घर के तो उस घर के चिराग संगीतं दक्ष तो होंगे ही। 

अमाल पियानो पर तो सिद्धस्थ हैं ही, साथ ही उन्होंने पश्चिमी शास्त्रीय संगीत की विधिवत पढ़ाई भी की है। 2014 में जय हो के गीत से अपनी बॉलीवुड की पारी शुरु करने वाले अमाल ने इस साल MS Dhoni The untold story के गीतों के आलावा  अज़हर में बोल दो ना ज़रातू ही ना जाने, सरबजीत में सलामत और सनम रे में ग़ज़ब का ये दिन जैसे मधुर गीत दिए जिस श्रोताओं ने खूब सराहा।


जहाँ तक धोनी के गीतों की बात है मुझे फिर कभी और बेसब्रियाँ सबसे ज्यादा अच्छे लगे जबकि इस फिल्म का गीत कौन तुझे आम जनता में सबसे ज्यादा सुना गया। बहरहाल अमाल को इस फिल्म के गीतों को बनाने के लिए धोनी की जीवन यात्रा को आत्मसात करना पड़ा। इस प्रक्रिया में उन्हें डेढ़ साल का वक़्त लगा। इस दौरान सत्ताइस धुनें निर्देशक नीरज पांडे के समक्ष रखी गयीं जिनमें छः को अंत में चुना गया। सूरज डूबा, मैं हूँ  हीरो और नैना जैसे चंद गीतों से जाने जाने वाले अरमान के लिए कहानी के साथ गीतों को रचना एक बड़ी चुनौती था जिसे उन्होंने सफलतापूर्वक संपादित किया।

धोनी के गीतों को सुनते समय फिर कभी के बोल और संगीत और अरिजीत की गायिकी पहली बार सुनते ही मेरे दिमाग में चढ़ से गए थे और यही वज़ह है कि ये गीत वार्षिक संगीतमाला में अपनी जगह बनाने में कामयाब रहा है।

गीत के बोल रचने में अमाल मलिक का  साथ दिया मनोज मुन्तशिर ने। गीत का पहला मजबूत पक्ष है इस गीत की गिटार पर आधारित कर्णप्रिय शुरुआती धुन जो पहले बीस सेकेंड्स में ही आपको एक अच्छे मूड में ले आती है और फिर तो मनोज के शब्द प्यार में डूबे हुए दिल के जज़्बातों की कहानी सहज शब्दों में व्यक्त कर देते हैं। प्रेम  में एक दूसरे के व्यक्तित्व के नए पहलुओं को परखते और सराहते कभी कभी हम ख़ुद को भूल से जाते हैं। इसी बात को मनोज गीत के मुखड़े में यूँ व्यक्त करते हैं

ये लम्हा जो ठहरा है, मेरा है या तेरा है
ये लम्हा मैं जी लूँ ज़रा

तुझमें खोया रहूँ मैं, मुझ में खोयी रहे तू
ख़ुद को ढूँढ लेंगे फिर कभी
तुझसे मिलता रहूँ मैं, मुझसे मिलती रहे तू
ख़ुद से हम मिलेंगे फिर कभी
हाँ फिर कभी

क्यूँ बेवजह गुनगुनाएँ, क्यूँ बेवजह मुस्कुराएँ
पलकें चमकने लगी है, अब ख़्वाब कैसे छुपायें
बहकी सी बातें कर लें, हँस हँस के आँखें भर लें
ये बेहोशियाँ फिर कहाँ..
तुझमें खोया रहूँ मैं...हाँ फिर कभी

दिल पे तरस आ रहा है, पागल कहीं हो ना जाएँ
वो भी मैं सुनने लगा हूँ, जो तुम कभी कह ना पाए
ये सुबह फिर आएगी, ये शामें फिर आएँगी
ये नजदीकियाँ फिर कहाँ...
तुझमें खोया रहूँ मैं...हाँ फिर कभी

वहीं मनोज का ये कहना पलकें चमकने लगी है, अब ख़्वाब कैसे छुपायें अंतरों की सबसे बेहतर पंक्तियों में लगता है। अंतरे में अमाल का संगीत संयोजन प्रीतम की याद दिलाता है और ये स्वाभाविक भी हैं क्यूँकि अमाल प्रीतम के तीन वर्षों तक सहायक रह चुके हैं। अरिजीत ने  यहाँ भले  कुछ नया कुछ नहीं किया हो पर  हमेशा की तरह उनकी गायिकी सधी हुई है । गीत का फिल्मांकन सुशांत सिंह राजपूत के साथ दिशा पटानी पर हुआ। दिशा अपने हाव भावों और खूबसूरती से गाने के प्रभाव को बढ़ाती नज़र आती हैं।



वार्षिक संगीतमाला  2016 में अब तक

बुधवार, जनवरी 04, 2017

वार्षिक संगीतमाला 2016 पायदान # 23 : पत्ता पत्ता जानता है, इक तू ही ना जाने हाल मेरा Tu Hi Na Jaane..

पिछले साल हमारा फिल्म उद्योग क्रिकेटरों पर बड़ा मेहरबान रहा। एक नहीं बल्कि दो दो फिल्में बनी हमारे भूतपूर्व क्रिकेट कप्तानों पर। हाँ भई अब तो अज़हर के साथ हमारे धोनी भी तो भूतपूर्व ही हो गए। बॉलीवुड ने इन खिलाड़ियों की जीवनियाँ तो पेश की हीं साथ ही साथ इनके व्यक्तित्व को भी बेहद रोमांटिक बना दिया। 

अब हिंदी फिल्मों में जहाँ रोमांस होगा तो वहाँ ढेर सारे गाने भी होंगे। सो इन दोनों फिल्मों के नग्मे  रूमानियत से भरपूर रहे। ऐसा ही एक गीत विराजमान है वार्षिक संगीतमाला की 23 वीं सीढ़ी पर फिल्म अज़हर से। पूरे एलबम के  लिहाज़ से अज़हर फिल्म का संगीत  काफी मधुर रहा। अमल मलिक का संगीतबद्ध और अरमान मलिक का गाया गीत बोल दो तो ना ज़रा मैं किसी से कहूँगा नहीं और अतिथि संगीतकार प्रीतम की मनोज यादव द्वारा लिखी रचना इतनी सी बात है मुझे तुमसे प्यार है खूब सुने और सराहे  गए।


मुझे भी ये दोनों गीत अच्छे लगे पर सोनू निगम की आवाज़ में अमल मलिक की उदास करती धुन दिल से एक तार सा जोड़ गई। काश इस गीत को थोड़े और अच्छे शब्दों और गायिका का साथ मिला होता तो इससे आपकी मुलाकात कुछ सीढ़ियाँ ऊपर होती। सोनू निगम की आवाज़ इस साल भूले भटके ही सुनाई दी। इस गीत के आलावा फिल्म वज़ीर के गीत  तेरे बिन में वो श्रेया के साथ सुरों का जादू बिखेरते रहे। समझ नहीं आता उनकी आवाज़ का इस्तेमाल संगीतकार और क्यों नहीं करते  ?

सदियों पहले मीर तक़ी मीर ने एक बेहतरीन ग़ज़ल कही थी जिसका मतला था पत्ता पत्ता बूटा बूटा हाल हमारा जाने है, जाने ना जाने गुल ही ना जाने बाग़ तो सारा जाने है। इस मतले का गीत के मुखड़े के रूप में मज़रूह सुल्तानपूरी ने आज से करीब 35 वर्ष पूर्व फिल्म एक नज़र में प्रयोग  किया था। लता और रफ़ी की आवाज़ में वो गीत  बड़ा मशहूर हुआ था। 

गीतकार कुमार की प्रेरणा भी वही ग़ज़ल रही और सोनू ने क्या निभाया इसे। जब वो पत्ता पत्ता जानता है, इक तू ही ना जाने हाल मेरा तक पहुँचते हैं दिल में मायूसी के बादल और घने हो जाते हैं। सोनू अपनी आवाज़ से उस प्रेमी की बेबसी को उभार लाते हैं जो अपने प्रिय के स्नेह की आस में छटपटा रहा है, बेचैन है।

अमल मालिक और सोनू निगम
रही बात प्रकृति कक्कड़ की तो अपना अंतरा तो उन्होंने ठीक ही गाया है पर मुखड़े के बाद की पंक्ति में इक तेरे पीछे माही का उनका उच्चारण बिल्कुल स्पष्ट नहीं है। इस गीत को सुनते हुए अमल मलिक के बेहतरीन संगीत संयोजन  पर ध्यान दीजिए। गिटार और बाँसुरी के प्रील्यूड के साथ गीत शुरु होता है। इटरल्यूड्स में रॉक बीट्स के साथ बजता गिटार और फिर पंजाबी बोलों के बाद सारंगी (2.10) का बेहतरीन इस्तेमाल मन को सोहता है। अंतिम अंतरे के पहले गिटार, बाँसुरी और अन्य वाद्यों का मिश्रित टुकड़ा (3.30-3.45) को सुनकर भी आनंद आ जाता  है।

समंदर से ज्यादा मेरी आँखों में आँसू
जाने ये ख़ुदा भी है ऐसा क्यूँ

तुझको ही आये ना ख़्याल मेरा
पत्ता पत्ता जानता है
इक तू ही ना जाने हाल मेरा
पत्ता पत्ता जानता है
इक तू ही ना जाने हाल मेरा

नित दिन नित दिन रोइयाँ मैं, सोंह रब दी ना सोइयाँ मैं
इक तेरे पीछे माही, सावन दियां रुतां खोइयाँ मैं

दिल ने धडकनों को ही तोड़ दिया,
टूटा हुआ सीने में छोड़ दिया
हो दिल ने धडकनों को ही तोड़ दिया
टूटा हुआ सीने में छोड़ दिया

खुशियाँ ले गया, दर्द  कितने दे गया
ये प्यार तेरा..पत्ता पत्ता ...

मेरे हिस्से आई तेरी परछाईयां
लिखी थी लकीरों में तनहाइयाँ
हाँ मेरे हिस्से आई तेरी परछाईयां
लिखी थी लकीरों में तनहाइयाँ

हाँ करूँ तुझे याद मैं
है तेरे बाद इंतज़ार तेरा..., पत्ता पत्ता ...

रविवार, सितंबर 11, 2016

तुझमें खोया रहूँ मैं , मुझमें खोयी रहे तू... खुद को ढूँढ लेंगे फिर कभी : मधुर है M S Dhoni The Untold Story का संगीत

जिस दो किमी के रास्ते से आप सुबह शाम आफिस जाते हों। जहाँ के मैदानों में घूमते टहलते या खेल का आनंद लेने के लिए कई हँसती मुस्कुराती सुबहें आपने फुर्सत में गुजारी हों। जिस मोहल्ले में आपके साथी सहकर्मी रहते हों उन्हें सिनेमा के रूपहले पर्दे पर देखना कितना रोमांचक होगा। धोनी अपने जीवन पर बनी फिल्म M S Dhoni The Untold Story की बदौलत हमारे चौक चौबारों को आपके ड्राइंगरूम तक ले आए हैं। फिल्म के रिलीज़ होने में अभी भी लगभग तीन हफ्तों का समय शेष है पर पिछले महीने से इसके गाने पहले आडियो और फिर वीडियो के रूप में रिलीज़ हो रहे हैं। फिल्म ने आशाएँ तो जगा दी हैं पर फिलहाल तो इसका संगीत हमारे सामने है तो क्यूँ ना उसके बारे में थोड़ी बातें कर लें।

M S Dhoni The Untold Story नीरज पांडे द्वारा निर्देशित फिल्म हैं। ये वहीं नीरज पांडे हैं जिन्होंने A Wednesday, Special 26, Baby और हाल फिलहाल में रुस्तम जैसी सफल फिल्म का निर्देशन किया है। फिल्म का संगीत निर्देशन किया है उभरते हुए संगीतकार गीतकार अमाल मलिक ने व  किरदारों की भावनाओं को शब्द दिए हैं गीतकार  मनोज मुन्तशिर ने।



फिल्म में यूँ तो कुल छः गाने हैं। अगर आप पूरा एलबम सुनेंगे तो आप समझ लेंगे कि हर गीत धोनी की ज़िदगी के विभिन्न हिस्सों से जुड़ा हुआ है।  फुटबाल से क्रिकेट का खिलाड़ी बनना, बतौर क्रिकेटर स्कूल व फिर झारखंड की रणजी टीम में चयनित होना। पिता के दबाव में क्रिकेट के साथ टीटी की नौकरी करना और फिर झारखंड जैसी अपेक्षाकृत कमजोर टीम से भारत के लिए चयनित होना। बेसब्रियाँ, धोनी की इन छोटे छोटे सपनों को पूरा कर एक बड़े स्वप्न की ओर कदम बढ़ाने की इसी ज़द्दोज़हद को व्यक्त करता है। 

कौन तुझे गर उनके पहले प्रेम की आवाज़ है तो फिर कभी उसी प्रेम में रचता बसता उस रिश्ते को बड़े प्यारे तरीके से आगे बढ़ाता है। वक़्त के हाथ कैसे इस रिश्ते को अनायास ही तोड़ देते हैं वो तो आप फिल्म में ही देखियेगा। फिल्म का अगला गीत जब तक उनकी ज़िदगी में नए शख़्स के आने की बात करता है। परवाह नहीं में जीवन की राह में लड़ते हुए आगे बढ़ने का संदेश है तो पढ़ोगे लिखोगे बनोगे खराब खेलोगे कूदेगे बनोगे नवाब दशकों से घर घर में कही जा रही है हमारी कहावत को उल्टा कर माता पिता के परम्परागत दृष्टिकोण को बदलने की चुटीली कोशिश करता है।


अमाल मलिक का संगीत कुछ अलग सा भले नहीं हो पर उसमें मधुरता पूरी है। परवाह नहीं छोड़ दें जिसकी प्रकृति भिन्न है तो बाकी गीत  हवा के नरम फाहों की तरह कानों को सुकून देते हुए कब खत्म हो जाते हैं पता ही नहीं लगता। गिटार और पियानो का जैसा प्रयोग उन्होंने किया है वो मन को सोहता है। गीत के बोलों पर वे संगीत को हावी नहीं होने देते। बेसब्रियाँ में उनका संगीत संयोजन अमित त्रिवेदी की फिल्म उड़ान की याद दिलाता है तो फिर कभी के इंटरल्यूड्स प्रीतम के गीत जाने क्या चाहे मन बावरा से प्रभावित दिखते हैं।



मनोज मुन्तशिर की शब्द रचना नीरज पांडे की फिल्म बेबी में उनके गीत मैं तुझसे प्यार नहीं करती में मुझे बहुत प्यारी लगी थी। रही इस फिल्म की बात तो उन्होंने इस एलबम के हर गीत में कुछ पंक्तियाँ ऍसी दी हैं जो आपके ज़ेहन से जल्दी नहीं जाएँगी। "बेसब्रियाँ " के इन प्रेरणादायक बोलों पर गौर करें

क्या ये उजाले, क्या ये अँधेरे....दोनों से आगे हैं मंज़र तेरे
क्यूँ रोशनी तू बाहर तलाशे.. तेरी मशाले हैं अंदर तेरे

"जब तक" में उनका ये रूमानी अंदाज़ भी खूब भाने वाला है युवाओं को

जब तक मेरी उँगलियाँ तेरे बालों से कुछ कह ना लें
जब तक तेरी लहर में ख्वाहिशें मेरी बह ना लें
हाँ मेरे पास तुम रहो जाने की बात ना करो..

या फिर पलक की मिश्री सी आवाज़ में गाए हुए गीत "कौन तुझे" की इन पंक्तियों को लें।

तू जो मुझे आ मिला सपने हुए सरफिरे
हाथों में आते नहीं, उड़ते हैं लम्हे मेरे

पर मनोज की जो पंक्तियाँ फिलहाल मेरे होठों पर हैं वो है गीत फिर कभी से जिसे अरिजीत सिंह ने अपनी आवाज़ दी है..

तुझमें खोया रहूँ मैं , मुझमें खोयी रहे तू
खुद को ढूँढ लेंगे फिर कभी
तुझसे मिलता रहूँ मैं, मुझसे मिलती रहे तू
ख़ुद से हम मिलेंगे फिर कभी, हाँ फिर कभी


बेहद सहजता व आसान लफ़्जों में प्रभावी ढंग से आम लोगों की मोहब्बत की कहानी कह दी है मनोज मुन्तशिर ने। तो सुनिए ये पूरा एलबम और बताइए कौन सा गाना आपको सबसे ज्यादा पसंद आया इस एलबम का...

शुक्रवार, मई 06, 2016

मैं रहूँ या ना रहूँ ...तुम मुझ में कहीं बाकी रहना Main Rahoon Ya Na Rahoon

अंग्रेजी गानों की तरह बाजार में म्यूजिक वीडियो उतारने का सिलसिला बहुत पुराना नहीं है।  एक दशक पहले की ही तो बात है हीमेश रेशमिया के म्यूजिक एलबम को लोगों ने इतना हाथों हाथ लिया था कि शादी विवाह में जाना मुश्किल हो गया था । जहाँ देखो झलक दिखला जा...आ जा आ जा आ जा ख़ैर पागलपन का वो दौर साल भर चला और फिर थम सा गया। पर पिछले साल टी सीरीज ने सिंगल्स को नए तरीके से बाजार में निकाला। म्यूजिक वीडियो में कलाकार को ना तरज़ीह देकर बड़े बड़े अदाकारों को लिया गया। जाने माने निर्देशकों को फिल्म को शूट करने का काम मिला। गीतों को देख कर विश्वास ही नहीं हुआ कि ये किसी फिल्म के नहीं हैं।


ऐसा ही एक सिंगल रिलीज़ हुआ नवंबर में जो फिल्माया गया इमरान हाशमी और ईशा गुप्ता की जोड़ी पर। क्या बोल रचे रश्मि विराग की जोड़ी ने। हमारी अधूरी कहानीमें इनके लिखे गीतों ने काफी यश कमाया था। इस गीत में कितना हिस्सा रश्मि सिंह और कितना विराग मिश्रा का था ये तो वही जानते हैं पर गीतकार के साथ साथ  इस पति पत्नी की जोड़ी के लिखे गीतों में ये गीत मुझे सबसे बेहतरीन लगता है।


कितनी मासूमियत, कितनी पवित्रता, कितना अपनापन है इस गीत के बोलों में! कितना सलोना सा मुखड़ा रचा इन्होंने मैं रहूँ या ना रहूँ तु मुझ में कहीं बाकी रहना । जितना प्यारा मुखड़ा है उतनी ही नर्मी अंतरों में भी है। प्रकृति के रूपों में अपने हमदम को महसूस करने की बात उन्होंने तरह तरह से कही है। कभी बारिश, कभी धूप तो कभी हवाओं का सहारा ले के। एक बानगी देखिए....

हवाओं में लिपटा हुआ मैं 
गुज़र जाऊँगा तुमको छू के 
अगर मन हो तो रोक लेना 
ठहर जाऊँगा इन लबों पे

हाय ! ऐसे अंतरे को सुन के कौन ना मचल मचल जाए। वैसे प्रेम की परिणिति है ही वो स्थिति जहाँ कुछ नहीं कहते हुए भी अपने अंदर की भावनाओं के ज्वार को हम उन तक पहुँचा देते हैं इसलिए तो गीतकार ने लिखा है कुछ कहूँ  या ना  कहूँ...तुम मुझको सदा सुनते रहना.। रश्मि का ख़ुद अपने गीतों के बारे में कहना है
"मेरे गीत दर्द, प्यार और आशा का एक खुला ख़त है। मैं चाहती हूँ कि इन्हें हर कोई पढ़े। दुनिया से जाने के बाद लोग मेरे गीतों को याद रखें और उन्हें सुनकर मुस्कुराएँ। आप मेरे गीतों को उन तिनकों की तरह समझ सकते हैं जो मैंने आपके दिल रूपी सागर की तरफ फेंका  है। मैं रहूँ या ना रहूँ के ज़रिए बतौर लेखक मैंने बेहतर करने की कोशिश की है अपने आप को सहज, विनम्र और बेफिक्र रखते हुए।"
संगीतकार अमल मलिक (जो संगीतकार अनु मलिक के भतीजे हैं) कहते हैं कि जब मैंने रश्मि विराग के इन खूबसूरत शब्दों को सुना तो मुझे लगा कि इसमें गायक की आवाज़ को ही ऊपर रखना होगा गिटार, पियानो और बॉस को अंडरप्ले करते हुए। अमल की इस मधुर संगीत रचना ने रश्मि विराग के बोलों में एक नई जान फूँक दी और बाकी का काम तो उनके छोटे भाई अरमान मलिक ने अपनी गायिकी से बखूबी किया ही।



मैं रहूँ या ना रहूँ 
तुम मुझ में कहीं बाकी रहना 
मुझे नींद आये जो आखिरी 
तुम ख्वाबों में आते रहना
बस इतना है तुमसे कहना...
मैं रहूँ या ना रहूँ ...

किसी रोज़ बारिश  जो आये 
समझ लेना बूँदों  में मैं हूँ 
सुबह धूप तुमको सताए 
समझ लेना किरणों में मैं हूँ  

कुछ कहूँ  या ना  कहूँ 
तुम मुझको सदा सुनते रहना
बस इतना है तुमसे कहना...

हवाओं में लिपटा हुआ मैं 
गुज़र जाऊँगा तुमको छू के 
अगर मन हो तो रोक लेना 
ठहर जाऊँगा इन लबों पे

मैं दिखूँ  या ना दिखूँ 
तुम मुझको महसूस करना
मैं रहूँ या ना रहूँ 
तुम मुझ में कहीं बाकी रहना 

गीत के वीडियो की शूटिंग हुई गोवा में और इमरान और ईशा की जोड़ी को लोगों ने इस वीडियो में खासा पसंद भी किया । इमरान कहते हैं कि इस गीत की मेलोडी और बोल एक बार सुनते ही मैंने इसे करने की हामी निर्माता भूषण कुमार को दे दी थी। हाँ, पर एक मुगालता रह गया कि मेरी फिल्मों के उलट, यहाँ लड़की मुझे नहीं मिली।




सोमवार, जनवरी 11, 2016

वार्षिक संगीतमाला 2015 पायदान # 21 : सूरज डूबा है यारों Sooraj Dooba Hai Yaaron...

संगीतमाला की अगली पायदान सुरक्षित है एक ऐसे गीत के लिए जिसके बोल और संगीत के साथ पिछले साल देश की युवा पीढ़ी के सबसे ज्यादा पैर थिरके होंगे।  फिल्म रॉय के इस गीत में अमल द्वारा दिए गए नृत्य के लिए मन माफिक संगीत संयोजन के साथ अरिजित सिंह की आवाज़ और कुमार के बोल मस्ती का वो माहौल तैयार करते हैं कि मन सब कुछ भूल इस गीत की रिदम के साथ बहता चला जाता है। बतौर फिल्म रॉय कोई खास तो नहीं चली पर इसके संगीत को आम जन में लोकप्रियता खूब मिली। 


कुमार का लिखा ये गीत हमें अपनी अभी की परेशानियों को भूल कर बेफिक्री के कुछ पल अपने आप को देने की ताकीद करता है। सच बेफिक्री का भी अपना ही मज़ा है। जीवन में काम तो लगे ही रहते हैं पर उसमें अपनी ज़िंदगी इतनी भी ना उलझा लीजिए कि ख़ुद अपने लिए वक़्त ही ना रहे। जब तक चिंतामुक्त होकर अपने अंदर की आवाज़ को हम बीच बीच में नहीं टटोलेंगे तो बस एक मशीन बन कर ही रह जाएँगे।  अब ये अलग बात है कि कुछ लोग इस अहसास तक पहुंचने के लिए नशे का सहारा लेते हैं तो कुछ स्वाभाव से ही मस्तमौला होते हैं। 

अपने देश में तो मद्यपान बहस का विषय है पर इस गीत के मुखड़े को सुन कर मुझे जापान के लोग याद आ जाते हैं। आपको विश्वास नहीं होगा कि वहाँ दिन भर लोग कड़े अनुशासन में मेहनत से काम करते हैं पर शाम ढलते ही उनका सारा ध्यान इस बात पर रहता है कि कब उन्हें मदिरा पान का सुख मिलेगा। पश्चिमी संस्कृति की तरह जापानी समाज के बहुत बड़े तबके का रिलैक्स होने का यही तरीका है। मतलब जिस तरह ये गीत यहाँ लोकप्रिय हुआ है वैसा जापान में भी हो जाता। :)

इस गीत के युवा संगीतकार हैं अमल मलिक जो गायक व संगीतकार अरमान मलिक के भाई और अनु मलिक के भतीजे हैं। अमल के कैरियर की शुरुआत 23 साल की छोटी उम्र में सलमान खाँ की फिल्म जय हो से हुई थी। पिछले साल खूबसूरत में भी उनके गाने सराहे गए थे। अपने संगीत में वो ज्यादा जटिलताएँ नहीं चाहते। उनके लिए अच्छे संगीत का मतलब वो है जिससे आम जन अपने आप को जोड़ सकें। अगर आपने किसी पार्टी में हफ्ते में चार शनिवार होने चाहिए वाला गीत सुना है तो ये उनकी ही कृति है। ख़ैर ये उनके शुरुआती दिन हैं। वक्त के साथ उनकी इस सोच में और गंभीरता आएगी ये उम्मीद तो अभी उनसे रखी ही जा सकती है।

अरिजित सिंह की आवाज़ के हम सब शैदाई हैं और उन्होंने इस गीत में नया कुछ भले ना किया हो पर सुनने वालों को निराश भी नहीं किया। गीत में उनका साथ दिया है अदिति सिंह शर्मा ने। तो आइए सुनते हैं झूमने झुमाने वाला ये गीत..


मतलबी हो जा ज़रा मतलबी
दुनिया की सुनता है क्यूँ
ख़ुद की भी सुन ले कभी

कुछ बात ग़लत भी हो जाए
कुछ देर ये दिल खो जाए
बेफिक्र धड़कने, इस तरह से चले
शोर गूँजे यहाँ से वहाँ

सूरज डूबा है यारों दो घूँट नशे के मारो
रस्ते भुला दो सारे घर बार के
सूरज डूबा है यारों दो घूँट नशे के मारो
ग़म तुम भुला दो सारे संसार के

Ask me for anything, I can give you everything
रस्ते भुला दो सारे घर बार के
Ask me for anything, I can give you everything
ग़म तुम भुला दो सारे संसार के

अता पता रहे ना किसी का हमें
यही कहे ये पल ज़िन्दगी का हमें
अता पता रहे ना किसी का
यही कहे ये पल ज़िन्दगी का
की ख़ुदग़र्ज़ सी, ख्वाहिश लिए
बे-साँस भी हम तुम जियें
है गुलाबी गुलाबी समां, सूरज डूबा है यारों... 

चलें नहीं उड़ें आसमां पे अभी 
पता न हो है जाना कहाँ पे अभी
चलें नहीं उड़ें आसमां पे
पता न हो है जाना कहाँ पे
कि बेमंजिलें हो सब रास्ते
दुनिया से हो जरा फासलें
कुछ ख़ुद से भी हो दूरियाँ

वार्षिक संगीतमाला 2015

गुरुवार, जनवरी 01, 2015

वार्षिक संगीतमाला 2014 पायदान # 25 : नैना नूँ पता है, नैना दी ख़ता है

साल का शुभारंभ और स्वागत है आपका एक शाम मेरे नाम की वार्षिक संगीतमाला 2014 में पिछले साल के 25 बेहतरीन गीतों के साथ। एक शाम मेरे नाम पर वार्षिक संगीतमाला के इस सिलसिले का दसवाँ वर्ष है और और पिछली संगीतमालाओं में शामिल होने वाले गीतों की फेरहिस्त आप यहाँ देख सकते हैं


पिछले हफ्ते मैंने आपसे उन ग्यारह गीतों की बात की थी जो इस संगीतमाला के पहले पच्चीस गीतों में अपनी जगह बनाने में बेहद करीब से चूक गए। इस बार जिन पच्चीस गीतों को मैंने चुना है वे 23 अलग अलग फिल्मों से हैं। यानि किसी एक एलबम का दबदबा इस संगीतमाला पर आपको देखने को नहीं मिलेगा। तो चलिए आपको मिलवाते हैं संगीत माला की पच्चीस वीं पायदान पर के गीत से जिसे लिया हैं मैंने फिल्म खूबसूरत से। 

आपको जानकर अचरज होगा कि शुरुआत में इस गीत को फिल्म में रखा ही नही गया था। फिल्म की संगीतकार स्नेहा खानवलकर जो अपने प्रयोगधर्मी संगीत के लिए जानी जाती हैं के रचे पाँच गीत ही थे एलबम में। निर्माता निर्देशक को आख़िर में पता चला कि एक लोक धुन जिसका इस्तेमाल फिल्म में हो रहा था उसका कॉपीराइट ही उनके पास नहीं है। ऐसे हालात में युवा संगीतकार अमल मलिक जो संगीतकार अनु मलिक के भतीजे हैं की सेवाएँ ली गयीं। 23 वर्षीय अमल ने  धुन बनाने में बस एक दिन का वक़्त लिया। और देखिए ना ये एक दिन की मेहनत नैना को फिल्म खूबसूरत का सबसे खूबसूरत गीत बना गई। गीत तो बन गया पर शूटिंग तो पहले ही हो चुकी थी सो गीत के बोलों के हिसाब से दोबारा फिल्मांकन हुआ।

गिटार से शुरु होता अमल का सुरीला संगीत संयोजन  तब और असरदार हो जाता है जब वो सोना और अरमान के पार्श्व से आते आलाप का इस्तेमाल इंटल्यूड्स में करते हैं।  19 वर्षीय अरमान मलिक अमल के छोटे भाई हैं और अपने हुनर के जलवे सा रे गा मा लिटिल चैम्पस में भी दिखला चुके हैं। सोना महापात्र की आवाज़ का शैदाई तो मैं पहले से ही हूँ। एक उड़िया होकर भी पंजाबी लफ्ज़ो को वो इतनी स्पष्टता से बोलती हैं कि दिल खुश हो जाता है। ये कमाल वो पिछले साल अम्बरसरिया में भी कर चुकी हैं।  

गीतकार कुमार ने बोल भी प्यारे ही लिखे हैं। गीत में कुमार कहते हैं कि आँखों को जी सब पता होता है अपनी करतूतों का। किस पर इनके तीर चले और कौन बेचारा घायल हुआ? अब इनके प्रताप से चोट दोनों ओर लगे तो  फिर भुगतना तो पड़ता ही है। सच भूख प्यास, नींद, चैन सब तो उड़ जाता है इश्क़ में । समझिए कि आदमी ना हुआ चलता फिरता फकीर हो गया। वैसे दिल का काम ही दिल को चुराना है। पर ऐसी चोरियाँ करते करते कभी ना इसके ख़ुद के घर में सेंध लग जाती है और फिर ख़ुद ही ख्वाबों ख्यालों के पुल बनाने बैठ जाता है ये, बिन जाने कि दूसरे हृदय में क्या चल रहा है। 

तो आइए सुनते हैं ये गीत। आशा है गीत की मधुरता इसे पहली बार ही आपको अपने दिल में जगह बनाने पर मजबूर कर देगी।



नैना नूँ पता है, नैना दी ख़ता है
सानू किस गलदी पर मिलदी सज़ा है
नींद उड़ जावे, चैन छड जावे
इश्क़ दी फकीरी जद लग जावे

ऐ मन करदा ए ठगीठोरियाँ
ऐ मन करदा ए सीनाजोरियाँ
ऐने सीख लेयाँ दिल  चोरियाँ
ऐ मन दीयाँ ने कमजोरियाँ

मन मन की सुनता जाए
सुनता नहीं मनवालों की
मन ही मन में बनाए
दुनिया एक ख्यालों की

पास कोई आवे, दूर कोई जावे
होता है ये क्यूँ कोई समझावे

ऐ मन करदा ए ...
नैना नूँ पता है...

खूबसूरत फिल्म का ये गीत फिल्माया गया है सोनम कपूर और फावद खान पर


वार्षिक संगीतमाला 2014

सोमवार, फ़रवरी 07, 2011

तुझमें खोया रहूँ मैं , मुझमें खोयी रहे तू .. खुद को ढूँढ लेंगे फिर कभी : मधुर है M S Dhoni The Untold Story का संगीत !

जिस दो किमी के रास्ते से आप सुबह शाम आफिस जाते हों। जहाँ के मैदानों में घूमते टहलते या खेल का आनंद लेने के लिए कई हँसती मुस्कुराती सुबहें आपने फुर्सत में गुजारी हों। जिस मोहल्ले में आपके साथी सहकर्मी रहते हों उन्हें सिनेमा के रूपहले पर्दे पर देखना कितना रोमांचक होगा। धोनी अपनी  फिल्म M S Dhoni The Untold Story की बदौलत हमारे चौक चौबारों को आप के ड्राइंगरूम तक ले आए हैं। फिल्म के रिलीज़ होने में अभी भी लगभग तीन हफ्तों का समय शेष है पर पिछले महीने से इसके गाने पहले आडियो और फिर वीडियो के रूप में रिलीज़ हो रहे हैं। फिल्म ने आशाएँ तो जगा दी हैं पर फिलहाल तो इसका संगीत हमारे सामने है तो क्यूँ ना उसके बारे में आज थोड़ी बातें कर लें। 

M S Dhoni The Untold Story नीरज पांडे द्वारा निर्देशित फिल्म हैं। ये वहीं नीरज पांडे हैं जिन्होंने  A Wednesday, Special 26, Baby और हाल फिलहाल में रुस्तम  जैसी सफल फिल्म का निर्देशन किया है। फिल्म का संगीत निर्देशन किया है उभरते हुए संगीतकार अमल मलिक ने और इन गीतों में किरदारों की भावनाओं को शब्द दिए हैं हुनरमंद गीतकार मनोज मुन्तशिर ने।


फिल्म में यूँ तो कुल छः गाने हैं। अगर आप पूरा एलबम सुनेंगे तो आप समझ लेंगे कि हर गीत धोनी की ज़िदगी के विभिन्न हिस्सों से जुड़ा हुआ है।  फुटबाल से क्रिकेट का खिलाड़ी बनना, बतौर क्रिकेटर स्कूल व फिर झारखंड की रणजी टीम में चयनित होना। पिता के दबाव में क्रिकेट के साथ टीटी की नौकरी करना और फिर झारखंड जैसी अपेक्षाकृत कमजोर टीम से भारत के लिए चयनित होना। बेसब्रियाँ धोनी की छोटे छोटे सपनों को पूरा कर एक बड़े स्वप्न की ओर कदम बढ़ाने की इसी ज़द्दोज़हद को व्यक्त करता है।

कौन तुझे  (Kaun Tujhe..) गर उनके पहले प्रेम की आवाज़ है तो फिर कभी (Phir Kabhi...) उसी प्रेम में रचता बसता उस रिश्ते को बड़े प्यारे तरीके से आगे बढ़ाता है। वक़्त के हाथ कैसे इस रिश्ते को अनायास ही तोड़ देते हैं वो तो आप फिल्म में ही देखियेगा। फिल्म का अगला गीत जब तक (Jab Tak...) उनकी ज़िदगी में नए शख़्स के आने की बात करता है। परवाह नहीं (Parwah Nahin...) में जीवन की राह में लड़ते हुए आगे बढ़ने का संदेश है तो पढ़ोगे लिखोगे बनोगे खराब खेलोगे कूदेगे बनोगे नवाब दशकों से घर घर में कही जा रही है हमारी कहावत को उल्टा कर माता पिता के परम्परागत दृष्टिकोण को बदलने की चुटीली कोशिश करता है।

Manoj Muntashir (Left) with Amaal Malik
अमल मलिक का संगीत कुछ अलग सा भले नहीं हो पर उसमें मधुरता पूरी है। परवाह नहीं छोड़ दें जिसकी प्रकृति भिन्न है तो बाकी गीत कानों को सुकून देते हुए कब खत्म हो जाते हैं पता ही नहीं लगता। गिटार और पियानो  का जैसा प्रयोग उन्होंने किया है वो मन को सोहता है। गीत के बोलों पर वे संगीत को हावी नहीं होने देते। बेसब्रियाँ में उनका संगीत संयोजन अमित त्रिवेदी की फिल्म उड़ान की याद दिलाता है तो फिर कभी के इंटरल्यूड्स प्रीतम के गीत जाने क्या चाहे मन बावरा से प्रभावित दिखते हैं।



मनोज मुन्तशिर की नीरज पांडे की फिल्म बेबी में उनके गीत मैं तुझसे प्यार नहीं करती में मुझे बहुत प्यारी लगी थी। उन्होंने इस एलबम के हर गीत में कुछ पंक्तियाँ ऍसी दी हैं जो आपके ज़ेहन से जल्दी नहीं जाएँगी। बेसब्रियाँ के इन प्रेरणादायक बोलों पर गौर करें

क्या ये उजाले, क्या ये अँधेरे....दोनों से आगे हैं मंज़र तेरे
क्यूँ रोशनी तू बाहर तलाशे.. तेरी मशाले हैं अंदर तेरे


जब तक में उनका ये रूमानी अंदाज़ भी खूब भाने वाला है युवाओं को

जब तक मेरी उँगलियाँ तेरे बालों से कुछ कह ना लें
जब तक तेरी लहर में ख्वाहिशें मेरी बह ना लें
हाँ मेरे पास तुम रहो जाने की बात ना करो..


या फिर पलक की मिश्री सी आवाज़ में गाए हुए गीत कौन तुझे की इन पंक्तियों को लें।

तू जो मुझे आ मिला सपने हुए सरफिरे
हाथों में आते नहीं, उड़ते हैं लम्हे मेरे


पर मनोज की जो पंक्तियाँ फिलहाल मेरे होठों पर हैं वो है गीत फिर कभी से जिसे अरिजीत सिंह ने अपनी आवाज़ दी है..

तुझमें खोया रहूँ मैं , मुझमें खोयी रहे तू
खुद को ढूँढ लेंगे फिर कभी
तुझसे मिलता रहूँ मैं, मुझसे मिलती रहे तू
ख़ुद से हम मिलेंगे फिर कभी, हाँ फिर कभी




बेहद सहजता व आसान लफ़्जों में प्रभावी ढंग से आम लोगों की मोहब्बत की कहानी कह दी है मनोज मुन्तसिर ने। तो सुनिए ये पूरा एलबम और बताइए कौन सा गाना आपको सबसे ज्यादा पसंद आया इस एलबम का...
 

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स्पष्टीकरण

इस चिट्ठे का उद्देश्य अच्छे संगीत और साहित्य एवम्र उनसे जुड़े कुछ पहलुओं को अपने नज़रिए से विश्लेषित कर संगीत प्रेमी पाठकों तक पहुँचाना और लोकप्रिय बनाना है। इसी हेतु चिट्ठे पर संगीत और चित्रों का प्रयोग हुआ है। अगर इस चिट्ठे पर प्रकाशित चित्र, संगीत या अन्य किसी सामग्री से कॉपीराइट का उल्लंघन होता है तो कृपया सूचित करें। आपकी सूचना पर त्वरित कार्यवाही की जाएगी।

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