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शुक्रवार, फ़रवरी 05, 2021

वार्षिक संगीतमाला 2020 गीत # 12 : ओ हीरिये मेरी सुन ज़रा, है इश्क़ मेरा सरफिरा फ़साना ... Heeriye

इस संगीतमाला की शुरुआत में मैंने आपको हीमेश रेशमिया की फिल्म हैप्पी हार्डी और हीर के दो गाने सुनाए थे। पहला गीत था आदत और दूसरा तेरी मेरी कहानी । वे दोनों गीत तो बीस के नीचे की पायदानों पर सिमट गए थे।आज बारहवीं पायदान पर इस फिल्म का तीसरा और इस संगीतमाला में शामिल होने वाला आखिरी गीत ले कर आया हूँ जिसे गाया है अरिजीत सिंह और श्रेया घोषाल ने। 

ये बात मैंने गौर की है कि प्रीतम की तरह ही हीमेश भी अपने गीतों में सिग्नेचर ट्यून का बारहा इस्तेमाल करते हैं। सिग्नेचर ट्यून मतलब संगीत का एक छोटा सा टुकड़ा जो पूरे गीत में बार बार बजता है। इन टुकड़ों की कर्णप्रियता इतनी ज्यादा होती है कि उसे एक बार सुन लेने के बाद आप उसके गीत में अगली बार बजने का इंतज़ार करते हैं। 

एक खूबसूरत आलाप से ये गीत शुरु होता है और फिर पहले गिटार और उसी धुन का साथ देते तबले का जादू गीत के प्रति श्रोता का आकर्षण तेजी से बढ़ा देता है।  सिग्नेचर ट्यून की तरह इस गीत की एक सिग्नेचर लाइन भी है जो हर अंतरे के बात लगातार दोहराई जाती है। वो पंक्ति है इश्क़ मेरा सरफिरा फ़साना ओ हीरिये मेरी सुन ज़रा, है इश्क़ मेरा सरफिरा फ़साना। इस गीत को लिखने वाले का नाम पढ़ कर मैं चकित रह गया। जी हाँ इस गीत को लिखा है संगीतकार विशाल मिश्रा ने जो संगीतमाला की पिछली पायदान पर गायक की भूमिका निभा रहे थे।



इश्क की भावनाओं से लबरेज इस गीत में विशाल के बिंब और बोलों का प्रवाह देखने लायक है। खासकर शब्दों का दो बार बार दोहराव सुनने में मन को सोहता है। 

है इश्क़ मेरा सरफिरा फ़साना, है इश्क़ मेरा सरफिरा फ़साना 
ओ हीरिये मेरी सुन ज़रा, है इश्क़ मेरा सरफिरा फ़साना 
इश्क़ मज़हब जैसे ख़ुदा, इश्क़ निस्बत जैसे दुआ 
ओ हीरिये मेरी सुन ज़रा है इश्क़ मेरा सरफिरा फ़साना 
है इश्क मेरा सरफिरा फ़साना 

तेरी आँखों में हम अपनी ज़िन्दगी का हर एक सपना देखते हैं ओ रांझणा 
ओ हीरिये मेरी सुन ज़रा है इश्क़ मेरा सरफिरा फ़साना 
है इश्क मेरा सरफिरा फ़साना ...आ आ..

धूप में तुझसे ठंडक, सर्द में तुझसे राहत
रूह की तुम शिद्दत, आह की तुम चाहत
दवा दवा में तू है, ज़फा ज़फा में तू है
सफ़ा सफ़ा में तू है, मेरे ख़ुदा मेरे ख़ुदा
इश्क़ सोहबत जैसे वफ़ा, इश्क़ फितरत जैसे नशा
ओ हीरिये मेरी सुन ज़रा है इश्क मेरा सरफिरा फ़साना 

अश्कों में तेरी खुशियाँ पल में बस बीती सदियाँ 
दिन सी ये लगती रतियाँ, खट्टी मीठी ये बतियाँ 
सबा सबा में तू है, हवा हवा में तू है 
घटा घटा में तू है मेरे ख़ुदा, मेरे ख़ुदा, मेरे ख़ुदा.. 
इश्क कुदरत जैसे फ़ना, इश्क़ तोहमत जैसे सज़ा 
ओ हीरिये मेरी सुन ज़रा है इश्क़ मेरा सरफिरा फ़साना ....

श्रेया घोषाल को इस गीत में दो ही पंक्तियाँ मिली हैं पर उतने में ही वो अपना कमाल दिखा जाती हैं। अब इस मिश्री सी मधुर धुन को अरिजित की आवाज़ का साथ मिले तो गीत कैसे ना पसंद आए। तो आइए सुनते हैं हीमेश, विशाल, श्रेया और अरिजीत के इस सम्मिलित कमाल को जो ऐश्वर्या मजूमदार, ॠतुराज, सलमान  शेख और अनु दत्त के कोरस और आलापों से और श्रवणीय हो गया है।


वार्षिक संगीतमाला 2020


बुधवार, जनवरी 06, 2021

वार्षिक संगीतमाला 2020 : गीत # 22 : तेरी मेरी कहानी... Teri Meri Kahani...

वार्षिक संगीतमाला की आज की पायदान पर जो गीत है उसे अगर यू ट्यूब की मानें तो उसे पिछले साल करोड़ों लोगों ने सुना। इस साल की संगीतमाला में शामिल होने वाला ये हैप्पी हार्डी एंड हीर का दूसरा गाना है। हम भारतीयों को ये हमेशा बड़ी खुशी देता है कि कोई आम सा व्यक्ति अपनी प्रतिभा के बल पर रातों रात स्टार बन जाए। ऐसे शख़्स के प्रति जम के प्यार उड़ेलना हमारी फितरत है।

कहाँ रानू मंडल बंगाल के राणाघाट स्टेशन पर इक प्यार का नग्मा जैसे गीत सुना कर दान में जो भी मिलता उससे अपनी जीविका चलाती थीं और अपने वीडियो के वायरल होने के बाद कहाँ वो सीधे मायानगरी मुंबई में हीमेश रेशमिया जैसे संगीतकार के लिए गाने रिकार्ड करने लगीं। 



हीमेश की धुनें ऐसे भी कर्णप्रिय होती हैं उस पर रानू की आवाज़ को फिल्मी गीत में सुनने की सबकी उत्सुकता और फिर उनकी मीठी आवाज़ का हीमेश द्वारा सधा हुआ इस्तेमाल। गाना तो मशहूर होना ही था और  हुआ भी। हीमेश ने भी इस गीत में बखूबी साथ दिया रानू का।

गीतकार शब्बीर अहमद ने भी दो प्रेमियों की कहानी कहने के लिए कुछ अच्छे बिंब  ढूँढ निकाले मसलन 

कभी उड़ती महक, कभी गीली फ़िज़ा, कभी पाक दुआ 
कभी धूप कड़क, कभी छाँव नरम कभी सर्द हवा 
तेरी मेरी, तेरी मेरी तेरी मेरी कहानी...

सच ही लिखा शब्बीर ने ज़िंदगी की कोई भी कहानी इन बदलते रंगों के बिना कहाँ पूरी हो पाती है? जीवन के इस घूमते पहिए को समझने के लिए ज्यादा दूर जाने की जरूरत नहीं। अब रानू की जीवन कथा को ही लीजिए एक हिट गाने ने उन्हें रातों रात स्टार बना दिया पर कोरोना काल में उन्हें आगे कोई विशेष काम ही नहीं मिला और फिलहाल वो फिर राणाघाट में अकेले समय बिताने को विवश हैं।

संगीतमाला के अगले गीत में है लोकगीत वाली मिठास सुनना ना भूलिएगा।

वार्षिक संगीतमाला 2020


गुरुवार, फ़रवरी 04, 2016

वार्षिक संगीतमाला 2015 पायदान #10 क्या अर्थ है इन जलते दीयों का? Jalte Diye

वार्षिक संगीतमाला में वक्त आ गया है साल के मेरे पसंदीदा प्रथम दस गीतों से रूबरू होने का। आठ फिल्मों से लिये इन नग्मों में से कुछ में शास्त्रीयता की बहार है, तो कही शब्दों की खूबसूरत बयार। कहीं गायिकी ऐसी जो गीत के बोलों और संगीत को एक अलग धरातल पर ही ले जाए या कोई धुन ऐसी जो मन से गुम होने का नाम ही ना ले। 

प्रथम दस गीतों की पहली सीढ़ी यानि दसवीं पायदान पर नग्मा वो जिसकी धुन बनाई हीमेश रेशमिया ने, बोल लिखे इरशाद क़ामिल ने और अपनी आवाज़ें दी विनीत सिंह, अन्वेशा, हर्षदीप कौर व शादाब साबरी। इतने गायकों के योगदान से आपको भ्रम हो सकता है कि ये एक समूह गीत हो पर वास्तव में ये युगल गीत है जिसके अंतरों में कोरस का अच्छा इस्तेमाल हुआ है। अगर ये गीत प्रथम दस में अपना स्थान बना पाया है तो उसकी वज़ह है एक अच्छी धुन के साथ इन चारों गायकों की मधुर गायिकी ! खुशी होती है ये देखकर कि इनमें से तीन कलाकार विनीत सिंह, अन्वेषा व हर्षदीप रियालटी शो में अच्छा करने के बाद इस मुकाम तक पहुँचे हैं। हीमेश ने इन्हें जो मौका दिया है इसके लिए वो भी बधाई के उतने ही हक़दार हैं।


गीत शुरु होता है ग़ज़ल के माहौल से। हर्षदीप को पूरे गीत में दो पंक्तियाँ ही गाने को मिली हैं पर उन सहज बोलों को मन की भावनाओं के जोर से उन्होंने इतना प्रभावी बनाया कि बस मूड बन जाता है।

आज अगर मिलन की रात होती
जाने क्या बात होती, तो क्या बात होती


हीमेश गीत की ताल यानि टेम्पो को अचानक ही बदल देते हैं धिन धिन धिन तक तक तक तक धिन धिन धा धा ताल से जो हीमेश के अनुसार कम प्रयुक्त होने वाला ताल है। हर्षदीप जहाँ से गीत को छोड़ती हैं अन्वेशा  वही से उसे पकड़ लेती हैं। जहाँ अन्वेशा श्रेया का छोटा अवतार लगती हैं वहीं विनीत को जिसने पहले गाते ना सुना हो उसे तो यही संशय हो जाए कि अरे कहीं सोनू निगम तो नहीं गा रहा इस गाने को। गीत के बोल कैसे अस्तित्व में आए उसकी भी एक अलग दास्तान है। जहाँ शूटिंग चल रही थी वहीं बगल के घर में बिजली गुल थी। एक स्त्री बड़े मनोयोग से दीये में खाना बना रही थी मानो दीये की रोशनी उसे मन में उजाला फैला रही हो। निर्देशक सूरज बड़जात्या ने मन में आए इसी विचार को इरशाद कामिल से गीत की शक़्ल में ढालने की जिम्मेदारी दी।

गीतकार इरशाद कामिल गीत के बारे में कहते हैं

"यहाँ दीयों की बात नहीं हो रही। वो तो बस एक रूपक है। दीये में आग होती है पर वो ख़ुद आग नहीं है। वो तो प्रतीक है एक तरह के उत्सव का, रोशनी का, गर्माहट का। मुझे तो इस प्रतीक का इस्तेमाल बस एक नए व नाज़ुक तरीके से इस तरह करना था कि जो फिल्म के चरित्र दिल में महसूस कर रहे हें वो शब्दों में व्यक्त हो जाए।"

इसीलिए मुखड़े में उन्होंने लिखा सुनते हैं जब प्यार हो तो दीये जल उठते हैं..। पर चरित्रों को मनोदशा आख़िर यहाँ है क्या? अब देखिए पिछली पॉयदान पर रॉय के गीत में नायक इस असमंजस में था कि नायिका उसे भी उतना चाहती है या नहीं। पर यहाँ मामला कुछ उल्टा है। नायिका तो यहाँ दिलो जान से अपने प्रेम का इज़हार कर रही है पर नायक इस उधेड़बुन  मे है कि वो उसे पसंद तो करता है पर उससे प्यार तो शायद ही करता है। इसलिए तो क़ामिल साहब उससे  कहलवा रहे हैं मेरा नहीं है वो दीया जो जल रहा है मेरे लिए... । 

ख़ैर ये फिल्म तो मैंने नहीं देखी पर इस गाने की मधुरता व गायिकी की वज़ह से इसे बार बार सुनने का मन जरूर करता है। तो आइए एक बार फिर सुनते हैं आपके साथ...

  

आज अगर मिलन की रात होती
जाने क्या बात होती, तो क्या बात होती

सुनते हैं जब प्यार हो तो
दीये जल उठते हैं
तन में, मन में और नयन में
दीये जल उठते हैं
आजा पिया आजा, आजा पिया आजा हो
आजा पिया आजा, तेरे ही तेरे लिए जलते
दीये
बितानी तेरे साए में साए में
जिंदगानी बिताई तेरे साए में साए में

कभी कभी, कभी कभी ऐसे दीयों से
लग है जाती आग भी
धुले धुले से आंचलों पे
लग है जाते दाग भी
हैं वीरानों में बदलते
देखे मन के बाग़ भी

सपनों में श्रृंगार हो तो
दीये जल उठते हैं
ख्वाहिशों के और शर्म के
दीये जल उठते हैं

आजा पिया आजा... ... तेरे साए में साए में

मेरा नहीं, मेरा नहीं है वो दीया जो
जल रहा है मेरे लिए
मेरी तरफ क्यूँ ये उजाले आए हैं
इनको रोकिये
यूँ बेगानी रौशनी में, कब तलक कोई जिए

साँसों में झंकार हो तो, दीये जल उठते हैं
झाँझरों में कंगनों में, दीये जल उठते हैं
आजा पिया, हम्म जलते दिए...
साए में, साए तेरे.. साए में, साए तेरे
साए में, साए तेरे.. साए में, साए तेरे 


   

वार्षिक संगीतमाला 2015

सोमवार, फ़रवरी 23, 2015

वार्षिक संगीतमाला 2014 पायदान # 4 : शीशे का समंदर, पानी की दीवारें. Sheeshe ka Samundar !

वार्षिक संगीतमाला की चौथी पायदान पर एक ऐसा गीत है जिसे शायद ही आपमें से ज्यादातर लोगों ने पहले सुना हो। बड़े बजट की फिल्मों के आने के पहले शोर भी ज़रा ज्यादा होता है। प्रोमो भी इतनी चतुराई से किये जाते हैं कि पहले उसके संगीत और बाद में फिल्मों के प्रति उत्सुकता बढ़ जाती है। पर छोटे बजट की फिल्मों को ये सुविधा उपलब्ध नहीं होती। फिल्म रिलीज़ होने एक दो हफ्ते पहले एक दो गीत दिखने को मिलते हैं। फिल्म अगर पहले हफ्ते से दूसरे हफ्ते में गई तो बाकी गीतों का नंबर आता हैं नहीं तो बेचारे बिना बजे और सुने निकल जाते हैं।  पर इतना सब होते हुए भी हीमेश रेशमिया की अभिनीत और संगीतबद्ध फिल्म Xpose पहले हफ्ते में इतना जरूर चल गई कि अपना खर्च निकाल सके। फिल्म की इस आंशिक सफलता में इसके कर्णप्रिय संगीत का भी बड़ा हाथ था।


हीमेश रेशमिया की गणना मैं एक अच्छे संगीतकार के रूप में करता हूँ जो  गायिकी के लिहाज़ से एक औसत गायक हैं और आजकल धीरे धीरे अभिनय के क्षेत्र में अपनी पैठ बनाने में जुटे हैं। एक वो भी दौर था कि लोग उनकी गायिकी की Nasal tone के इस क़दर दीवाने थे कि उनका हर एलबम और यहाँ तक की पहली फिल्म आप का सुरूर खूब चली थी। पर वक़्त ने करवट ली। अगली फिल्मों में उन्हें विफलता का मुख देखना पड़ा। दो साल उन्होंने फिर इंडस्ट्री को अपनी शक़्ल नहीं दिखाई। पर इस अज्ञातवास में भी वो अपनी धुनों पर काम करते हुए हर दिन लगभग एक रचना वो संगीतबद्ध करते रहे। Xpose के इस गीत में उनकी मेहनत रंग लाई दिखती है।

हीमेश ने फिल्म के एलबम में इस गीत के दो वर्सन डाले हैं। एक जिसे अंकित तिवारी ने गाया है और दूसरा जिसे रेखा भारद्वाज जी ने आपनी आवाज़ दी है। हीमेश के साथ रेखा जी का ये पहला गीत नहीं हैं। आपको अगर याद हो तो पाँच साल पहले भी हीमेश ने उनसे अपनी फिल्म रेडियो का गीत पिया जैसे लड्डू मोतीचूर वाले भी गवाया था। रेखा जी की गायिकी का तो मैं पहले से ही मुरीद हूँ और इस गीत में तो मानो उन्होंने बोलों से निकलता सारा दर्द ही अपनी आवाज़ में उड़ेल दिया है।

बुजुर्ग ऐसे नहीं कह गए हैं कि प्रेम आदमी को निकम्मा कर के छोड़ देता है। सोते जागते उठते बैठते दिलो दिमाग पर बस एक ही फितूर सवार रहता है। उसकी यादें, उसकी बातें इनके आलावा कुछ सूझता ही नहीं। जरा सोचिए तो अगर इतनी भावनात्मक उर्जा लगाने के बाद उस रिश्ते की दीवार ही दरक जाए तो कैसे ख्याल मन  में आएँगे..सारी दुनिया ही उलटी घूमती नज़र आएगी। किसी पर विश्वास करने का जी नहीं चाहेगा। कितने भी सुंदर हों, नज़ारे सुकून नहीं दे पाएँगे। संगीतमाला की चौथी सीढ़ी पर का गीत कुछ ऐसे ही भावों को अपने में समेटे हुए है..।

Xpose के इस गीत को लिखा है समीर ने। यूँ तो समीर साहब का लिखा हुआ मुझे कुछ खास पसंद नहीं आता पर इस गीत में उनकी सोच ने लीक से थोड़ा हटकर काम जरूर किया है़। समीर अपने लफ्ज़ों में इन असहाय परिस्थितियों में व्यक्ति के हृदय में उठते इस झंझावात को अपनी अनूठी उपमाओं के ज़रिए टटोलते हैं। जब व्यक्ति का अपनों से भरोसा उठ जाए तो फिर जगत का कौन सा सत्य उसे प्रामाणिक लगेगा ? ऐसे में बादल सोने के और बारिशें पत्थर सरीखी लगें तो क्या आश्चर्य? ये छलावा पानी की दीवारों और शीशे के समंदर का ही तो रूप लेगा ना ।

हीमेश का गिटार पर आधारित संगीत संयोजन दुख की इस बहती धारा को और प्रगाढ़ कर देता है। रेखा जब माया है भरम है...इस दुनिया में जो भी गया वो तो गया  गाती हैं दिल अपने आपको एक गहरी नदी में डूबता पाता है... यकीं नहीं तो इस गीत को सुन के देखिए जनाब


शीशे का समंदर, पानी की दीवारें
माया है, भरम है मोहब्बत की दुनिया
इस दुनिया में जो भी गया वो तो गया

बर्फ की रेतों पे, शरारों का ठिकाना
गर्म सेहराओं में नर्मियों का फ़साना
यादों का आईना टूटता है जहाँ
सच की परछाइयाँ हर जगह आती हैं नज़र


सोने के हैं बादल, पत्थरों की बारिश
माया है, भरम है मोहब्बत की दुनिया
इस दुनिया में जो भी गया वो तो गया

दिल की इस दुनिया में सरहदें होती नहीं
दर्द भरी आँखों में राहतें सोती नहीं

जितने अहसास हैं अनबुझी प्यास हैं
ज़िंदगी का फलसफ़ा प्यार की पनाहों में छुपा

धूप की हवाएँ, काँटों के बगीचे
माया है, भरम है मोहब्बत की दुनिया
इस दुनिया में जो भी गया वो तो गया


वार्षिक संगीतमाला 2014

गुरुवार, जनवरी 12, 2012

वार्षिक संगीतमाला 2011 - पॉयदान संख्या 19 :तेरी मेरी मेरी तेरी प्रेम कहानी दो लफ़्ज़ों में बयाँ ना हो पाए.....

कभी कभी सीधे सहज बोल भी एक अच्छी धुन पर बेहतरीन गायकों द्वारा गाए जाएँ तो कानों को भले लगते हैं। वार्षिक संगीतमाला की 19 वीं पॉयदान पर भी एक ऐसा ही नग्मा है जिसे गाया है एक बार फिर राहत साहब ने, कोकिल कंठी श्रेया घोषाल के साथ। फिल्म बॉडीगार्ड का ये गीत संगीत रिलीज़ होने के कुछ ही दिन बाद लोगों की जुबाँ पर आ गया। गीत तो आप पहचान ही गए होंगे तेरी मेरी मेरी तेरी प्रेम कहानी दो लफ़्ज़ों में बयाँ ना हो पाए......। इस गीत को लिखा है गीतकार शब्बीर अहमद ने।

बॉडीगार्ड के साथ हीमेश रेशमिया ने फिल्म जगत से लिया अपना अस्थायी अवकाश खत्म कर दिया था। गायक और अभिनेता के किरदार की अपेक्षा वो संगीतकार के रूप में मुझे ज्यादा जँचे हैं। इस साल आई उनकी फिल्म दमादम में भी कुछ अच्छी धुनें थीं और बाडीगार्ड का गीत संगीत तो लोकप्रिय हुआ ही है। पर जहाँ तक हीमेश के इस गीत की बात आती है तो इसे एक प्रेरित यानि inspired कम्पोजीशन कहना ही उचित होगा। गीत में राहत का आलाप और बीच का अंतरा तो हीमेश का रचा हुआ है पर  मुखड़े की धुन, जो गीत में बार बार दोहरायी जाती है हूबहू इस रोमानियन ईसाई गीत La Betleem..से मेल खाती है।


इन प्रेरित धुनों के बारे में अपना नज़रिया मैं पहले भी अपने एक लेख में स्पष्ट कर चुका हूँ
भारतीय संगीतकार अपनी धुनों के साथ साथ पाश्चात्य धुनों को भारतीयता के रंग में ढाल कर उसे भारतीय श्रोताओं के सामने प्रस्तुत करते रहे और वाह वाही और निंदा दोनों लूटते रहे। मुझे इस तरह विदेशी धुनों पर हिंदी गीत बनाने में कोई आपत्ति नहीं है बशर्ते धुन के वास्तविक रचनाकार के नाम को पूरे क्रेडिट के साथ फिल्म और उसके एलबम में दिखाया जाए। पर पता नहीं क्यूँ हमारे नामी संगीतकार भी ऐसा करने से कतराते रहे हैं। कई बार ये संगीतकार गीतकारों की मदद से गीत को उसके आरिजनल से भी बेहतर बना देते हैं। पर उनकी ये मेहनत उसके मूल रचनाकार से बिना अनुमति व बिना क्रेडिट के धुल जाती है।
गीत पर पूरी वाह वाही लूटने के बाद जब हीमेश से इस बाबत पूछा गया तो उन्होंने कहा कि मैंने गीत के कुछ अंश जरूर सलमान की बताई एक लोक धुन पर आधारित किए पर बाकी तो मेरा खुद की संगीतबद्ध रचना है। हीमेश जी, अगर गीत के क्रेडिट्स में ही इस बात का उल्लेख होता तो इससे आपका कद बढ़ता ही। ख़ैर चलिए विवादों को परे रख ये प्रेम गीत सुनते हैं।



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मंगलवार, जनवरी 02, 2007

गीत # 24 : वादा तैनू याद राखियो....

इससे पहले कि किसी के एक पुराने वादे की आपको याद दिलाऊँ, ये साफ करना चाहूँगा कि संगीत निर्देशक के रूप में हीमेश रेशमिया मुझे प्रतिभावान लगते हैं पर नैसल टोन लिये हुए उनका गायिकी का तरीका और उनके गीतों के पार्श्व में उठता शोरनुमा संगीत मुझे कभी पसंद नहीं आया । पर आज देश में उनकी लोकप्रियता का आलम ये है कि शादी-विवाह की शायद ही कोई पार्टी हो जिसमें उनके गाने ना बजते हों । इसकी वजह ये है कि ऍसी जगहों पर गीत की लय पर लोगों का ज्यादा ध्यान रहता है, आखिर शब्दों के पीछे कौन माथापच्ची करे ?

पर हीमेश का गाया ये गीत उनके अन्य गीतों से थोड़ा हट के है । इस गीत का संगीत हारमोनियम, बांसुरी और गिटार के सुंदर प्रयोग की वजह से काफी मधुर बन पड़ा है। सादगी भरे शब्दों में गीत का मुखड़ा और उसकी सुरीली धुन देर तक हृदय में बनी रहती है ।

गीतमाला की २४ वीं सीढ़ी पर खड़े इस गीत को मैं समर्पित करना चाहूँगा अपने साथी चिट्ठाकार
ई-छाया को जो नये शहर में शिफ्ट होने के बाद जल्द ही वापस आने का वायदा कर के तो गए पर अभी तक लौटे नहीं...आशा करता हूँ कि इस गीत की आवाज उन तक अवश्य पहुँचेगी ।

वादा तैनू याद राखियो
वादा तैनू याद राखियो ऽऽ
दूर जैयो जैयो ना, जैयो जैयो ना, जैयो जैयो ना दूर
तेरे बिन दिल नहीं लागे
टूटे ना वफा के धागे
मैनू नहीं झूठ बोलिया ऽऽ
दूर जैयो जैयो ना, जैयो जैयो ना, जैयो जैयो ना दूर...


'आप का सुरूर' एलबम के इस गीत को आप
यहाँ सुन सकते हैं ।
 

मेरी पसंदीदा किताबें...

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स्पष्टीकरण

इस चिट्ठे का उद्देश्य अच्छे संगीत और साहित्य एवम्र उनसे जुड़े कुछ पहलुओं को अपने नज़रिए से विश्लेषित कर संगीत प्रेमी पाठकों तक पहुँचाना और लोकप्रिय बनाना है। इसी हेतु चिट्ठे पर संगीत और चित्रों का प्रयोग हुआ है। अगर इस चिट्ठे पर प्रकाशित चित्र, संगीत या अन्य किसी सामग्री से कॉपीराइट का उल्लंघन होता है तो कृपया सूचित करें। आपकी सूचना पर त्वरित कार्यवाही की जाएगी।

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