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सोमवार, फ़रवरी 05, 2018

वार्षिक संगीतमाला 2017 पायदान # 14 : ले जा मुझे साथ तेरे, मुझको ना रहना साथ मेरे. Tere Mere

वार्षिक संगीतमाला की अगली सीढ़ी पर इस साल पहली बार प्रवेश कर रही है संगीतकार अमाल मलिक और गायक अरमान मलिक की जोड़ी। पिछले कुछ सालों में भाइयों की इस जोड़ी ने अलग अलग गीतकारों के साथ कुछ कमाल के गीत दिए हैं। पर जब जब रश्मि विराग यानि रश्मि सिंह और विराग मिश्रा की युगल गीतकार जोड़ी के साथ इन्होंने काम किया है बात कुछ और बनती नज़र आई है। 2016 में इनकी ही तिकड़ी ने मैं रहूँ या ना रहूँ तुम मुझमें कहीं बाकी रहना जैसा कमाल का गीत हम श्रोताओं को दिया था। इसके आलावा बोल दो, ना ज़रा, खामोशियाँ, मुस्कुराने की वज़ह तुम हो जैसे लोकप्रिय गीतों में भी ये टीम शामिल थी।



पिछले साल अक्टूबर में आयी सैफ़ अली खाँ की फिल्म शेफ में यही तिकड़ी एक बार फिर साथ आई। संगीतकार अमाल मलिक को जातीय तौर पर इस गीत से बहुत लगाव है। वो कहते हैं कि पिछले कुछ दिनों से उनकी ज़िदगी में जो अनुभव हुए उसका ही कुछ निचोड़ इस गीत में उभर के आया है।

गीतकार विराग मिश्र इस गीत में जो भाव पैदा कर सके हैं उसका वो बराबर का श्रेय अमाल को देते हैं। ये गीत उन्होंने अमाल के साथ मिल कर लिखा । अमाल के मन में एकदम साफ था कि वो गीत के शब्दों में कौन से भाव उत्पन्न करना चाहते हैं। संगीतकार अपने विचारों में इतना स्पष्ट हो तो ये एक चुनौती होती है गीतकार के लिए कि वो अपनी लेखनी से संगीतकार के जज़्बातों को शब्द दे सके।

विराग मिश्र और अमाल मलिक

ये गीत उस परिस्थिति को बयाँ करता है जब दो चाहने वाले हालात, अहम और गलतफहमियों के कुचक्र में फँसकर अलग हो जाते हैं।  गीत की पंक्ति ना तू ग़लत, ना मैं सही सुनते हुए मुझे येशेर याद आ जाता है..

कुछ तुमको भी अज़ीज़ हैं अपने सभी उसूल
कुछ हम भी इत्तिफाक़ से जिद के मरीज हैं

लेकिन अकेले रहकर नायक समझ पाता है कि उसे अपने हमसफ़र की कितनी ज्यादा जरूरत है। इसलिए विराग लिखते हैं ले जा मुझे साथ तेरे, मुझको ना रहना साथ मेरे.. । बड़ी सहज पर दिल को छूने वाली पंक्तियाँ हैं ये। गीत के अंतरों  में विरह की मानसिक पीड़ा का चित्रण तो है ही, साथ ही ये उम्मीद भी कि राहों  से भटके हुए प्रेमी फिर मिलेंगे। 

अमाल खुद इस गीत के संगीत  संयोजन को पश्चिम और पूर्व का संगम मानते हैं। इस गीत को संगीतबद्ध करते समय उन्हें लगा कि इसमें एक भारतीयता होनी चाहिए और उसे उन्होंने Soft Rock Country Music वाली आवाज़(जिसे वे ख़ुद भी काफी पसंद करते हैं) से मिलाने की कोशिश की।गीत के प्रील्यूड में गिटार की टुनटुनाहट बड़ी प्यारी लगती हे और वो रह रह के पूरे गीत में आ आ कर कानों को सुकून देती हैं। गीत के बोलों के साथ ढोलक और सुराही जैसे ताल वाद्य संगत देते हैं। वहीं इंटरल्यूड्स में एक बार बाँसुरी की धुन भी उभर कर आती है। तो सुनिए अरमान मलिक की आवाज़ में ये नग्मा...

तेरे मेरे दरमियाँ हैं बातें अनकही
तू वहाँ है मैं यहाँ क्यूँ साथ हम नहीं
फैसले जो किये, फासले ही मिले
राहें जुदा क्यूँ हो गयी, ना तू ग़लत, ना मैं सही
ले जा मुझे साथ तेरे, मुझको ना रहना साथ मेरे..
ले जा मुझे.. ले जा मुझे..

थोड़ी सी दूरियाँ हैं थोड़ी मजबूरियाँ हैं
लेकिन है जानता मेरा दिल
हो.. इक दिन तो आएगा जब तू लौट आयेगा तब
फिर मुस्कुराएगा मेरा दिल सोचता हूँ यहीं
बैठे बैठे यूँ ही
राहें जुदा क्यूँ हो गयी  ले जा मुझे.. ले जा मुझे..

यादों से लड़ रहा हूँ, खुद से झगड़ रहा हूँ
आँखों में नींद ही नहीं है हो..
तुझसे जुदा हुए तो लगता ऐसा है मुझको
दुनिया मेरी बिखर गयी है
दोनों का था सफ़र, मंजिलों पे आकर
राहें जुदा क्यूँ हो गयी  ले जा मुझे.. ले जा मुझे..

सुन मेरे ख़ुदा, बस इतनी सी मेरी दुआ
लौटा दे हमसफ़र मेरा, जाएगा कुछ नहीं तेरा
तेरे ही दर पे हूँ खड़ा, जाऊँ तो जाऊँ मैं कहाँ
तकदीर को बदल मेरी मुझपे होगा करम तेरा..





वार्षिक संगीतमाला में अब तक

15. ये मौसम की बारिश... ये बारिश का पानी
16.  मेरे रश्के क़मर तूने पहली नज़र
17. सपने रे सपने रे
18. कि चोरी चोरी चुपके से चुपके से रोना है ज़रूरी 
19. नज़्म नज़्म 
20 . मीर ए  कारवाँ  
21. गुदगुदी गुदगुदी करने लगा  हर नज़ारा 
22. दिल उल्लू का पठ्ठा है 
23. स्वीटी  तेरा ड्रामा 
24. गलती से mistake 
25 .तेरी मेरी इक कहानी है

शुक्रवार, मई 06, 2016

मैं रहूँ या ना रहूँ ...तुम मुझ में कहीं बाकी रहना Main Rahoon Ya Na Rahoon

अंग्रेजी गानों की तरह बाजार में म्यूजिक वीडियो उतारने का सिलसिला बहुत पुराना नहीं है।  एक दशक पहले की ही तो बात है हीमेश रेशमिया के म्यूजिक एलबम को लोगों ने इतना हाथों हाथ लिया था कि शादी विवाह में जाना मुश्किल हो गया था । जहाँ देखो झलक दिखला जा...आ जा आ जा आ जा ख़ैर पागलपन का वो दौर साल भर चला और फिर थम सा गया। पर पिछले साल टी सीरीज ने सिंगल्स को नए तरीके से बाजार में निकाला। म्यूजिक वीडियो में कलाकार को ना तरज़ीह देकर बड़े बड़े अदाकारों को लिया गया। जाने माने निर्देशकों को फिल्म को शूट करने का काम मिला। गीतों को देख कर विश्वास ही नहीं हुआ कि ये किसी फिल्म के नहीं हैं।


ऐसा ही एक सिंगल रिलीज़ हुआ नवंबर में जो फिल्माया गया इमरान हाशमी और ईशा गुप्ता की जोड़ी पर। क्या बोल रचे रश्मि विराग की जोड़ी ने। हमारी अधूरी कहानीमें इनके लिखे गीतों ने काफी यश कमाया था। इस गीत में कितना हिस्सा रश्मि सिंह और कितना विराग मिश्रा का था ये तो वही जानते हैं पर गीतकार के साथ साथ  इस पति पत्नी की जोड़ी के लिखे गीतों में ये गीत मुझे सबसे बेहतरीन लगता है।


कितनी मासूमियत, कितनी पवित्रता, कितना अपनापन है इस गीत के बोलों में! कितना सलोना सा मुखड़ा रचा इन्होंने मैं रहूँ या ना रहूँ तु मुझ में कहीं बाकी रहना । जितना प्यारा मुखड़ा है उतनी ही नर्मी अंतरों में भी है। प्रकृति के रूपों में अपने हमदम को महसूस करने की बात उन्होंने तरह तरह से कही है। कभी बारिश, कभी धूप तो कभी हवाओं का सहारा ले के। एक बानगी देखिए....

हवाओं में लिपटा हुआ मैं 
गुज़र जाऊँगा तुमको छू के 
अगर मन हो तो रोक लेना 
ठहर जाऊँगा इन लबों पे

हाय ! ऐसे अंतरे को सुन के कौन ना मचल मचल जाए। वैसे प्रेम की परिणिति है ही वो स्थिति जहाँ कुछ नहीं कहते हुए भी अपने अंदर की भावनाओं के ज्वार को हम उन तक पहुँचा देते हैं इसलिए तो गीतकार ने लिखा है कुछ कहूँ  या ना  कहूँ...तुम मुझको सदा सुनते रहना.। रश्मि का ख़ुद अपने गीतों के बारे में कहना है
"मेरे गीत दर्द, प्यार और आशा का एक खुला ख़त है। मैं चाहती हूँ कि इन्हें हर कोई पढ़े। दुनिया से जाने के बाद लोग मेरे गीतों को याद रखें और उन्हें सुनकर मुस्कुराएँ। आप मेरे गीतों को उन तिनकों की तरह समझ सकते हैं जो मैंने आपके दिल रूपी सागर की तरफ फेंका  है। मैं रहूँ या ना रहूँ के ज़रिए बतौर लेखक मैंने बेहतर करने की कोशिश की है अपने आप को सहज, विनम्र और बेफिक्र रखते हुए।"
संगीतकार अमल मलिक (जो संगीतकार अनु मलिक के भतीजे हैं) कहते हैं कि जब मैंने रश्मि विराग के इन खूबसूरत शब्दों को सुना तो मुझे लगा कि इसमें गायक की आवाज़ को ही ऊपर रखना होगा गिटार, पियानो और बॉस को अंडरप्ले करते हुए। अमल की इस मधुर संगीत रचना ने रश्मि विराग के बोलों में एक नई जान फूँक दी और बाकी का काम तो उनके छोटे भाई अरमान मलिक ने अपनी गायिकी से बखूबी किया ही।



मैं रहूँ या ना रहूँ 
तुम मुझ में कहीं बाकी रहना 
मुझे नींद आये जो आखिरी 
तुम ख्वाबों में आते रहना
बस इतना है तुमसे कहना...
मैं रहूँ या ना रहूँ ...

किसी रोज़ बारिश  जो आये 
समझ लेना बूँदों  में मैं हूँ 
सुबह धूप तुमको सताए 
समझ लेना किरणों में मैं हूँ  

कुछ कहूँ  या ना  कहूँ 
तुम मुझको सदा सुनते रहना
बस इतना है तुमसे कहना...

हवाओं में लिपटा हुआ मैं 
गुज़र जाऊँगा तुमको छू के 
अगर मन हो तो रोक लेना 
ठहर जाऊँगा इन लबों पे

मैं दिखूँ  या ना दिखूँ 
तुम मुझको महसूस करना
मैं रहूँ या ना रहूँ 
तुम मुझ में कहीं बाकी रहना 

गीत के वीडियो की शूटिंग हुई गोवा में और इमरान और ईशा की जोड़ी को लोगों ने इस वीडियो में खासा पसंद भी किया । इमरान कहते हैं कि इस गीत की मेलोडी और बोल एक बार सुनते ही मैंने इसे करने की हामी निर्माता भूषण कुमार को दे दी थी। हाँ, पर एक मुगालता रह गया कि मेरी फिल्मों के उलट, यहाँ लड़की मुझे नहीं मिली।




सोमवार, जनवरी 11, 2016

वार्षिक संगीतमाला 2015 पायदान # 21 : सूरज डूबा है यारों Sooraj Dooba Hai Yaaron...

संगीतमाला की अगली पायदान सुरक्षित है एक ऐसे गीत के लिए जिसके बोल और संगीत के साथ पिछले साल देश की युवा पीढ़ी के सबसे ज्यादा पैर थिरके होंगे।  फिल्म रॉय के इस गीत में अमल द्वारा दिए गए नृत्य के लिए मन माफिक संगीत संयोजन के साथ अरिजित सिंह की आवाज़ और कुमार के बोल मस्ती का वो माहौल तैयार करते हैं कि मन सब कुछ भूल इस गीत की रिदम के साथ बहता चला जाता है। बतौर फिल्म रॉय कोई खास तो नहीं चली पर इसके संगीत को आम जन में लोकप्रियता खूब मिली। 


कुमार का लिखा ये गीत हमें अपनी अभी की परेशानियों को भूल कर बेफिक्री के कुछ पल अपने आप को देने की ताकीद करता है। सच बेफिक्री का भी अपना ही मज़ा है। जीवन में काम तो लगे ही रहते हैं पर उसमें अपनी ज़िंदगी इतनी भी ना उलझा लीजिए कि ख़ुद अपने लिए वक़्त ही ना रहे। जब तक चिंतामुक्त होकर अपने अंदर की आवाज़ को हम बीच बीच में नहीं टटोलेंगे तो बस एक मशीन बन कर ही रह जाएँगे।  अब ये अलग बात है कि कुछ लोग इस अहसास तक पहुंचने के लिए नशे का सहारा लेते हैं तो कुछ स्वाभाव से ही मस्तमौला होते हैं। 

अपने देश में तो मद्यपान बहस का विषय है पर इस गीत के मुखड़े को सुन कर मुझे जापान के लोग याद आ जाते हैं। आपको विश्वास नहीं होगा कि वहाँ दिन भर लोग कड़े अनुशासन में मेहनत से काम करते हैं पर शाम ढलते ही उनका सारा ध्यान इस बात पर रहता है कि कब उन्हें मदिरा पान का सुख मिलेगा। पश्चिमी संस्कृति की तरह जापानी समाज के बहुत बड़े तबके का रिलैक्स होने का यही तरीका है। मतलब जिस तरह ये गीत यहाँ लोकप्रिय हुआ है वैसा जापान में भी हो जाता। :)

इस गीत के युवा संगीतकार हैं अमल मलिक जो गायक व संगीतकार अरमान मलिक के भाई और अनु मलिक के भतीजे हैं। अमल के कैरियर की शुरुआत 23 साल की छोटी उम्र में सलमान खाँ की फिल्म जय हो से हुई थी। पिछले साल खूबसूरत में भी उनके गाने सराहे गए थे। अपने संगीत में वो ज्यादा जटिलताएँ नहीं चाहते। उनके लिए अच्छे संगीत का मतलब वो है जिससे आम जन अपने आप को जोड़ सकें। अगर आपने किसी पार्टी में हफ्ते में चार शनिवार होने चाहिए वाला गीत सुना है तो ये उनकी ही कृति है। ख़ैर ये उनके शुरुआती दिन हैं। वक्त के साथ उनकी इस सोच में और गंभीरता आएगी ये उम्मीद तो अभी उनसे रखी ही जा सकती है।

अरिजित सिंह की आवाज़ के हम सब शैदाई हैं और उन्होंने इस गीत में नया कुछ भले ना किया हो पर सुनने वालों को निराश भी नहीं किया। गीत में उनका साथ दिया है अदिति सिंह शर्मा ने। तो आइए सुनते हैं झूमने झुमाने वाला ये गीत..


मतलबी हो जा ज़रा मतलबी
दुनिया की सुनता है क्यूँ
ख़ुद की भी सुन ले कभी

कुछ बात ग़लत भी हो जाए
कुछ देर ये दिल खो जाए
बेफिक्र धड़कने, इस तरह से चले
शोर गूँजे यहाँ से वहाँ

सूरज डूबा है यारों दो घूँट नशे के मारो
रस्ते भुला दो सारे घर बार के
सूरज डूबा है यारों दो घूँट नशे के मारो
ग़म तुम भुला दो सारे संसार के

Ask me for anything, I can give you everything
रस्ते भुला दो सारे घर बार के
Ask me for anything, I can give you everything
ग़म तुम भुला दो सारे संसार के

अता पता रहे ना किसी का हमें
यही कहे ये पल ज़िन्दगी का हमें
अता पता रहे ना किसी का
यही कहे ये पल ज़िन्दगी का
की ख़ुदग़र्ज़ सी, ख्वाहिश लिए
बे-साँस भी हम तुम जियें
है गुलाबी गुलाबी समां, सूरज डूबा है यारों... 

चलें नहीं उड़ें आसमां पे अभी 
पता न हो है जाना कहाँ पे अभी
चलें नहीं उड़ें आसमां पे
पता न हो है जाना कहाँ पे
कि बेमंजिलें हो सब रास्ते
दुनिया से हो जरा फासलें
कुछ ख़ुद से भी हो दूरियाँ

वार्षिक संगीतमाला 2015

गुरुवार, जनवरी 01, 2015

वार्षिक संगीतमाला 2014 पायदान # 25 : नैना नूँ पता है, नैना दी ख़ता है

साल का शुभारंभ और स्वागत है आपका एक शाम मेरे नाम की वार्षिक संगीतमाला 2014 में पिछले साल के 25 बेहतरीन गीतों के साथ। एक शाम मेरे नाम पर वार्षिक संगीतमाला के इस सिलसिले का दसवाँ वर्ष है और और पिछली संगीतमालाओं में शामिल होने वाले गीतों की फेरहिस्त आप यहाँ देख सकते हैं


पिछले हफ्ते मैंने आपसे उन ग्यारह गीतों की बात की थी जो इस संगीतमाला के पहले पच्चीस गीतों में अपनी जगह बनाने में बेहद करीब से चूक गए। इस बार जिन पच्चीस गीतों को मैंने चुना है वे 23 अलग अलग फिल्मों से हैं। यानि किसी एक एलबम का दबदबा इस संगीतमाला पर आपको देखने को नहीं मिलेगा। तो चलिए आपको मिलवाते हैं संगीत माला की पच्चीस वीं पायदान पर के गीत से जिसे लिया हैं मैंने फिल्म खूबसूरत से। 

आपको जानकर अचरज होगा कि शुरुआत में इस गीत को फिल्म में रखा ही नही गया था। फिल्म की संगीतकार स्नेहा खानवलकर जो अपने प्रयोगधर्मी संगीत के लिए जानी जाती हैं के रचे पाँच गीत ही थे एलबम में। निर्माता निर्देशक को आख़िर में पता चला कि एक लोक धुन जिसका इस्तेमाल फिल्म में हो रहा था उसका कॉपीराइट ही उनके पास नहीं है। ऐसे हालात में युवा संगीतकार अमल मलिक जो संगीतकार अनु मलिक के भतीजे हैं की सेवाएँ ली गयीं। 23 वर्षीय अमल ने  धुन बनाने में बस एक दिन का वक़्त लिया। और देखिए ना ये एक दिन की मेहनत नैना को फिल्म खूबसूरत का सबसे खूबसूरत गीत बना गई। गीत तो बन गया पर शूटिंग तो पहले ही हो चुकी थी सो गीत के बोलों के हिसाब से दोबारा फिल्मांकन हुआ।

गिटार से शुरु होता अमल का सुरीला संगीत संयोजन  तब और असरदार हो जाता है जब वो सोना और अरमान के पार्श्व से आते आलाप का इस्तेमाल इंटल्यूड्स में करते हैं।  19 वर्षीय अरमान मलिक अमल के छोटे भाई हैं और अपने हुनर के जलवे सा रे गा मा लिटिल चैम्पस में भी दिखला चुके हैं। सोना महापात्र की आवाज़ का शैदाई तो मैं पहले से ही हूँ। एक उड़िया होकर भी पंजाबी लफ्ज़ो को वो इतनी स्पष्टता से बोलती हैं कि दिल खुश हो जाता है। ये कमाल वो पिछले साल अम्बरसरिया में भी कर चुकी हैं।  

गीतकार कुमार ने बोल भी प्यारे ही लिखे हैं। गीत में कुमार कहते हैं कि आँखों को जी सब पता होता है अपनी करतूतों का। किस पर इनके तीर चले और कौन बेचारा घायल हुआ? अब इनके प्रताप से चोट दोनों ओर लगे तो  फिर भुगतना तो पड़ता ही है। सच भूख प्यास, नींद, चैन सब तो उड़ जाता है इश्क़ में । समझिए कि आदमी ना हुआ चलता फिरता फकीर हो गया। वैसे दिल का काम ही दिल को चुराना है। पर ऐसी चोरियाँ करते करते कभी ना इसके ख़ुद के घर में सेंध लग जाती है और फिर ख़ुद ही ख्वाबों ख्यालों के पुल बनाने बैठ जाता है ये, बिन जाने कि दूसरे हृदय में क्या चल रहा है। 

तो आइए सुनते हैं ये गीत। आशा है गीत की मधुरता इसे पहली बार ही आपको अपने दिल में जगह बनाने पर मजबूर कर देगी।



नैना नूँ पता है, नैना दी ख़ता है
सानू किस गलदी पर मिलदी सज़ा है
नींद उड़ जावे, चैन छड जावे
इश्क़ दी फकीरी जद लग जावे

ऐ मन करदा ए ठगीठोरियाँ
ऐ मन करदा ए सीनाजोरियाँ
ऐने सीख लेयाँ दिल  चोरियाँ
ऐ मन दीयाँ ने कमजोरियाँ

मन मन की सुनता जाए
सुनता नहीं मनवालों की
मन ही मन में बनाए
दुनिया एक ख्यालों की

पास कोई आवे, दूर कोई जावे
होता है ये क्यूँ कोई समझावे

ऐ मन करदा ए ...
नैना नूँ पता है...

खूबसूरत फिल्म का ये गीत फिल्माया गया है सोनम कपूर और फावद खान पर


वार्षिक संगीतमाला 2014

सोमवार, फ़रवरी 07, 2011

तुझमें खोया रहूँ मैं , मुझमें खोयी रहे तू .. खुद को ढूँढ लेंगे फिर कभी : मधुर है M S Dhoni The Untold Story का संगीत !

जिस दो किमी के रास्ते से आप सुबह शाम आफिस जाते हों। जहाँ के मैदानों में घूमते टहलते या खेल का आनंद लेने के लिए कई हँसती मुस्कुराती सुबहें आपने फुर्सत में गुजारी हों। जिस मोहल्ले में आपके साथी सहकर्मी रहते हों उन्हें सिनेमा के रूपहले पर्दे पर देखना कितना रोमांचक होगा। धोनी अपनी  फिल्म M S Dhoni The Untold Story की बदौलत हमारे चौक चौबारों को आप के ड्राइंगरूम तक ले आए हैं। फिल्म के रिलीज़ होने में अभी भी लगभग तीन हफ्तों का समय शेष है पर पिछले महीने से इसके गाने पहले आडियो और फिर वीडियो के रूप में रिलीज़ हो रहे हैं। फिल्म ने आशाएँ तो जगा दी हैं पर फिलहाल तो इसका संगीत हमारे सामने है तो क्यूँ ना उसके बारे में आज थोड़ी बातें कर लें। 

M S Dhoni The Untold Story नीरज पांडे द्वारा निर्देशित फिल्म हैं। ये वहीं नीरज पांडे हैं जिन्होंने  A Wednesday, Special 26, Baby और हाल फिलहाल में रुस्तम  जैसी सफल फिल्म का निर्देशन किया है। फिल्म का संगीत निर्देशन किया है उभरते हुए संगीतकार अमल मलिक ने और इन गीतों में किरदारों की भावनाओं को शब्द दिए हैं हुनरमंद गीतकार मनोज मुन्तशिर ने।


फिल्म में यूँ तो कुल छः गाने हैं। अगर आप पूरा एलबम सुनेंगे तो आप समझ लेंगे कि हर गीत धोनी की ज़िदगी के विभिन्न हिस्सों से जुड़ा हुआ है।  फुटबाल से क्रिकेट का खिलाड़ी बनना, बतौर क्रिकेटर स्कूल व फिर झारखंड की रणजी टीम में चयनित होना। पिता के दबाव में क्रिकेट के साथ टीटी की नौकरी करना और फिर झारखंड जैसी अपेक्षाकृत कमजोर टीम से भारत के लिए चयनित होना। बेसब्रियाँ धोनी की छोटे छोटे सपनों को पूरा कर एक बड़े स्वप्न की ओर कदम बढ़ाने की इसी ज़द्दोज़हद को व्यक्त करता है।

कौन तुझे  (Kaun Tujhe..) गर उनके पहले प्रेम की आवाज़ है तो फिर कभी (Phir Kabhi...) उसी प्रेम में रचता बसता उस रिश्ते को बड़े प्यारे तरीके से आगे बढ़ाता है। वक़्त के हाथ कैसे इस रिश्ते को अनायास ही तोड़ देते हैं वो तो आप फिल्म में ही देखियेगा। फिल्म का अगला गीत जब तक (Jab Tak...) उनकी ज़िदगी में नए शख़्स के आने की बात करता है। परवाह नहीं (Parwah Nahin...) में जीवन की राह में लड़ते हुए आगे बढ़ने का संदेश है तो पढ़ोगे लिखोगे बनोगे खराब खेलोगे कूदेगे बनोगे नवाब दशकों से घर घर में कही जा रही है हमारी कहावत को उल्टा कर माता पिता के परम्परागत दृष्टिकोण को बदलने की चुटीली कोशिश करता है।

Manoj Muntashir (Left) with Amaal Malik
अमल मलिक का संगीत कुछ अलग सा भले नहीं हो पर उसमें मधुरता पूरी है। परवाह नहीं छोड़ दें जिसकी प्रकृति भिन्न है तो बाकी गीत कानों को सुकून देते हुए कब खत्म हो जाते हैं पता ही नहीं लगता। गिटार और पियानो  का जैसा प्रयोग उन्होंने किया है वो मन को सोहता है। गीत के बोलों पर वे संगीत को हावी नहीं होने देते। बेसब्रियाँ में उनका संगीत संयोजन अमित त्रिवेदी की फिल्म उड़ान की याद दिलाता है तो फिर कभी के इंटरल्यूड्स प्रीतम के गीत जाने क्या चाहे मन बावरा से प्रभावित दिखते हैं।



मनोज मुन्तशिर की नीरज पांडे की फिल्म बेबी में उनके गीत मैं तुझसे प्यार नहीं करती में मुझे बहुत प्यारी लगी थी। उन्होंने इस एलबम के हर गीत में कुछ पंक्तियाँ ऍसी दी हैं जो आपके ज़ेहन से जल्दी नहीं जाएँगी। बेसब्रियाँ के इन प्रेरणादायक बोलों पर गौर करें

क्या ये उजाले, क्या ये अँधेरे....दोनों से आगे हैं मंज़र तेरे
क्यूँ रोशनी तू बाहर तलाशे.. तेरी मशाले हैं अंदर तेरे


जब तक में उनका ये रूमानी अंदाज़ भी खूब भाने वाला है युवाओं को

जब तक मेरी उँगलियाँ तेरे बालों से कुछ कह ना लें
जब तक तेरी लहर में ख्वाहिशें मेरी बह ना लें
हाँ मेरे पास तुम रहो जाने की बात ना करो..


या फिर पलक की मिश्री सी आवाज़ में गाए हुए गीत कौन तुझे की इन पंक्तियों को लें।

तू जो मुझे आ मिला सपने हुए सरफिरे
हाथों में आते नहीं, उड़ते हैं लम्हे मेरे


पर मनोज की जो पंक्तियाँ फिलहाल मेरे होठों पर हैं वो है गीत फिर कभी से जिसे अरिजीत सिंह ने अपनी आवाज़ दी है..

तुझमें खोया रहूँ मैं , मुझमें खोयी रहे तू
खुद को ढूँढ लेंगे फिर कभी
तुझसे मिलता रहूँ मैं, मुझसे मिलती रहे तू
ख़ुद से हम मिलेंगे फिर कभी, हाँ फिर कभी




बेहद सहजता व आसान लफ़्जों में प्रभावी ढंग से आम लोगों की मोहब्बत की कहानी कह दी है मनोज मुन्तसिर ने। तो सुनिए ये पूरा एलबम और बताइए कौन सा गाना आपको सबसे ज्यादा पसंद आया इस एलबम का...
 

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स्पष्टीकरण

इस चिट्ठे का उद्देश्य अच्छे संगीत और साहित्य एवम्र उनसे जुड़े कुछ पहलुओं को अपने नज़रिए से विश्लेषित कर संगीत प्रेमी पाठकों तक पहुँचाना और लोकप्रिय बनाना है। इसी हेतु चिट्ठे पर संगीत और चित्रों का प्रयोग हुआ है। अगर इस चिट्ठे पर प्रकाशित चित्र, संगीत या अन्य किसी सामग्री से कॉपीराइट का उल्लंघन होता है तो कृपया सूचित करें। आपकी सूचना पर त्वरित कार्यवाही की जाएगी।

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