दो हफ्तों के इस सफ़र में आधी दूरी पार कर के अब बारी साल के बारह ऐसे गीतों की जो मुझे बेहद पसंद रहे हैं। इन बारह गीतों में एक तिहाई शायद ऐसे भी गीत होंगे जिन्हें इस साल बेहद कम सुना गया है। कौन हैं वो गीत उसके लिए तो आपको हुजूर साथ साथ चलना होगा इस संगीतमाला के। आज एक बार फिर मैं हूँ अजय अतुल के इस गीत के साथ जिससे जुड़ी चर्चा दो सीढ़ियों पहले यानि धड़क के शीर्षक गीत के बारे में बात करते हुए मैंने की थी। बड़ा प्यारा गीत है ये। अजय अतुल ने ये गीत सबसे पहले अपनी फिल्म सैराट के लिए संगीतबद्ध किया था और फिर उसे धड़क के लिए हिंदी बोलों के साथ फिर से बनाया गया। ये गीत मिसाल है किस तरह पश्चिमी वाद्य यंत्रों से निकली सिम्फनी को हिंदुस्तानी वाद्यों के साथ मिलाकर खूबसूरत माहौल रचा जा सकता है।
अजय अतुल के आर्केस्टा में वॉयलिन बड़ी प्रमुखता से बजता है। साथ में कई बार पियानो भी होता है। छोटे शहरों से आगे निकल कर बढ़े इन भाइयों को पश्चिमी शास्त्रीय संगीत से कैसे लगाव हुआ इसकी भी अलग एक कहानी है। 1989 में इन्होंने इलयराजा की संगीतबद्ध फिल्म अप्पू राजा देखी। फिल्म में इस्तेमाल हुए संगीत से वे बहुत प्रभावित हुए । इलयराजा के संगीत को सुनते सुनते ही उनमें पश्चिमी शास्त्रीय संगीत के प्रति उत्सुकता जगी। मोत्सार्ट, बीथोवन और बॉक की सिम्फनी ने उन्हें बेहद आकर्षित किया। फिर हॉलीवुड के संगीतज्ञों जॉन विलियम्स और ज़िमर की धुनों को भी उन्होंने काफी सुना। यही वज़ह कि सलिल चौधरी के अंदाज़ में उनके गीतों में पश्चिमी सिम्फनी आर्केस्ट्रा की स्वरलहरियाँ बार बार उभरती हैं।
सैराट या बाद में धड़क में पश्चिमी संगीत का ऐसा माहौल रचने के पीछे अजय अतुल के मन में एक और वजह भी थी। वो ये कि उन्होंने अक्सर गौर किया था कि वॉयलिन और गिटार से सजी धुने उच्च वर्ग की प्रेम गीतों और कहानियों तक सीमित रह जाती हैं जिसमें हीरो लंबी कारों को ड्राइव करता है और आलीशान कॉलेजों में पढ़ता है। सैराट के चरित्र ज़मीन से जुड़े थे, मामूली लोगों की बातें करते थे पर उन्होंने सोचा कि उनका प्रेम पर्दे पर बड़ा दिखना चाहिए। संगीत में नाटकीयता झलकनी चाहिए और उसका स्वरूप अंतरराष्ट्रीय होना चाहिए। इस सोच का नतीजा ये हुआ कि अजत अतुल ने इस गीत की शुरुआत वायलिन के एक कोरस से की जो प्रील्यूड के आख़िर में बाँसुरी की मधुर धुन से जा मिलता है।
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अजय अतुल |
हर अंतरे के शुरु की पंक्तियाँ के दौरान पीछे वाद्य बेहद धीमे बजते हैं और फिर जैसे जैसे गीत की लय तेज होती है संगीत भी मुखर हो उठता है और दूसरे अंतरे के शुरुआत के साथ वापस अपनी पुरानी लय में चला जाता है। पहला इंटरल्यूड अपनी प्रकृति में पूरी तरह यूरोपीय है तो दूसरे में ताल वाद्यों के साथ बाँसुरी की वही मधुर धुन फिर प्रकट होती है।
गीत के बोलों में गीतकार अमिताभ भट्टाचार्य ने शुरुआती प्रेम के लक्षणों को इतनी सहजता से पकड़ा है कि कहीं उन्हें सुनते हुए आप मुस्कुरा उठते हैं तो कभी उन यादों में डूब जाते हैं जब ऐसा ही कुछ आपके या आपके दोस्तों के साथ घटित हुआ था। अजय ने मराठी फिल्म में भी इस गीत को अपनी आवाज़ दी है और यहाँ भी उसे दोहराने का लोभ छोड़ नहीं सके हैं। उनकी गायिकी मुझे पसंद है पर यही गीत अरिजीत गाते तो शायद इस गीत का प्रभाव थोड़ा और बढ़ जाता...
पहली बार है जी, पहली बार है जी
इस कदर किसी की, धुन सवार है जी
जिसकी आस में, हुई सुबह से दोपहर
शाम को उसी का इंतज़ार है जी
होश है ज़रा, ज़रा-ज़रा खुमार है जी
छेड़ के गया, वो ऐसे दिल के तार है जी
पहली बार है जी ... इंतज़ार है जी
हड़बड़ी में हर घड़ी है, धड़कनें हुई बावरी
सारा दिन, उसे ढूँढते रहे, नैनो की लगी नौकरी
दिख गयी तो है उसी में, आज की कमाई मेरी
मुस्कुरा भी दे, तो मुझे लगे, जीत ली कोई लॉटरी.
दिल की हरकतें. मेरी समझ के पार है जी
हे.. इश्क है इसे, या मौसमी बुखार है जी.
पहली बार है जी..पहली बार है जी...हम्म.
सारी सारी रात जागूँ, रेडियो पे गाने सुनूँ
छत पे लेट के, गिन चुका हूँ जो
रोज वो सितारे गिनूँ
क्यूँ न जानूँ दोस्तों की, दोस्ती में दिल ना लगे
सबसे वास्ता तोड़ ताड़ के, चाहता हूँ तेरा बनूँ
अपने फैसले पे मुझको ऐतबार है जी
ओ हो. तू भी बोल दे कि तेरा क्या विचार है जी.
हम्म हम्म.ला रे ला रा रा.
वार्षिक संगीतमाला 2018
1. मेरे होना आहिस्ता आहिस्ता
2. जब तक जहां में सुबह शाम है तब तक मेरे नाम तू
3. ऐ वतन, वतन मेरे, आबाद रहे तू
4. आज से तेरी, सारी गलियाँ मेरी हो गयी
5. मनवा रुआँसा, बेकल हवा सा
6. तेरा चाव लागा जैसे कोई घाव लागा
7. नीलाद्रि कुमार की अद्भुत संगीत रचना हाफिज़ हाफिज़
8. एक दिल है, एक जान है
9 . मुड़ के ना देखो दिलबरो
10. पानियों सा... जब कुमार ने रचा हिंदी का नया व्याकरण !
11 . तू ही अहम, तू ही वहम
12. पहली बार है जी, पहली बार है जी
13. सरफिरी सी बात है तेरी
14. तेरे नाम की कोई धड़क है ना
15. तेरा यार हूँ मैं
16. मैं अपने ही मन का हौसला हूँ..है सोया जहां, पर मैं जगा हूँ
17. बहुत दुखा रे, बहुत दुखा मन हाथ तोरा जब छूटा
18. खोल दे ना मुझे आजाद कर
19. ओ मेरी लैला लैला ख़्वाब तू है पहला
20. मैनू इश्क़ तेरा लै डूबा
21. जिया में मोरे पिया समाए
1. मेरे होना आहिस्ता आहिस्ता
2. जब तक जहां में सुबह शाम है तब तक मेरे नाम तू
3. ऐ वतन, वतन मेरे, आबाद रहे तू
4. आज से तेरी, सारी गलियाँ मेरी हो गयी
5. मनवा रुआँसा, बेकल हवा सा
6. तेरा चाव लागा जैसे कोई घाव लागा
7. नीलाद्रि कुमार की अद्भुत संगीत रचना हाफिज़ हाफिज़
8. एक दिल है, एक जान है
9 . मुड़ के ना देखो दिलबरो
10. पानियों सा... जब कुमार ने रचा हिंदी का नया व्याकरण !
11 . तू ही अहम, तू ही वहम
12. पहली बार है जी, पहली बार है जी
13. सरफिरी सी बात है तेरी
14. तेरे नाम की कोई धड़क है ना
15. तेरा यार हूँ मैं
16. मैं अपने ही मन का हौसला हूँ..है सोया जहां, पर मैं जगा हूँ
17. बहुत दुखा रे, बहुत दुखा मन हाथ तोरा जब छूटा
18. खोल दे ना मुझे आजाद कर
19. ओ मेरी लैला लैला ख़्वाब तू है पहला
20. मैनू इश्क़ तेरा लै डूबा
21. जिया में मोरे पिया समाए
