वार्षिक संगीतमाला की तीसरी पायदान पर एक ऐसा गीत है जिसके मुखड़े को गुनगुना कर उसमें छुपी मधुरता को आप महसूस कर लेते हैं। पिछले छः महिने से इस गीत की गिरफ्त में हूँ और आज भी इसे सुनते हुए मेरा जी नहीं भरता। ये गीत है फिल्म स्पेशल 26 से और इसके संगीतकार हैं एम एम करीम ( M M Kreem)। आपको जानकर ताज्जुब होगा कि इस नाम का वो प्रयोग सिर्फ हिंदी फिल्मों के लिए करते हैं। वैसे उनका असली नाम एम एम कीरावानी (M M Keeravani) है।
आँध्रप्रदेश से आने वाले करीम ने सभी दक्षिण भारतीय भाषाओं में संगीत दिया है। हिंदी फिल्मों में अपना हुनर दिखाने का पिछले दो दशकों में जब भी उन्हें मौका मिला है, उन्होंने अपने प्रशंसकों को कभी निराश नहीं किया है। याद कीजिए नब्बे के दशक मैं फिल्म क्रिमिनल के गीत तुम मिले दिल खिले और जीने को क्या चाहिए ने क्या धमाल मचाया था। फिर फिल्म इस रात की सुबह नहीं का उनका गीत तेरे मेरे नाम नहीं है और चुप तुम रहो बेहद चर्चित हुए थे। इसके बाद जख़्म, सुर, जिस्म और रोग जैसी फिल्मों में उनका संगीत सराहा गया।
फिल्म स्पेशल 26 के लिए करीम ने बतौर गीतकार इरशाद क़ामिल को चुना और देखिए क्या मुखड़ा लिखा उन्होंने..
कौन मेरा, मेरा क्या तू लागे
क्यों तू बाँधे, मन से मन के धागे
बस चले ना क्यों मेरा तेरे आगे
समझ नहीं आता ना कि जब हम किसी अनजान को पसंद करने लगते हैं तो फिर दिल के तार उसकी हर बात और सोच से जुड़ने से लगते हैं और फिर ये असर इतना गहरा हो जाता है कि अपने आप पर भी वश नहीं रहता।
कौन मेरा, मेरा क्या तू लागे
क्यों तू बाँधे, मन से मन के धागे
बस चले ना क्यों मेरा तेरे आगे
समझ नहीं आता ना कि जब हम किसी अनजान को पसंद करने लगते हैं तो फिर दिल के तार उसकी हर बात और सोच से जुड़ने से लगते हैं और फिर ये असर इतना गहरा हो जाता है कि अपने आप पर भी वश नहीं रहता।
एम एम करीम ने इस रूमानी गीत को तीन अलग अलग कलाकारों पापोन, सुनिधि चौहान और चैत्रा से गवाया है। पर मुझे इन सबमें चैत्रा अम्बादिपुदी (Chaitra Ambadipudi) का गाया वर्सन पसंद है। करीम गीत की शुरुआत पिआनो और फिर बाँसुरी से करते हैं। इंटरल्यूड्स में वॉयलिन की धुन आपका ध्यान खींचती है पर इन सब के बीच चैत्रा अपनी मीठी पर असरदार आवाज़ से श्रोताओं का मन मोह लेती हैं।
तेलुगु फिल्मों में ज्यादातर गाने वाली बाइस वर्षीय चैत्रा के लिए हिंदी फिल्मों में गाने का ये पहला अवसर था। दिलचस्प बात यह भी है कि चैत्रा एक पार्श्व गायिका के साथ साथ सॉफ्टवेयर इंजीनियर भी हैं और फिलहाल माइक्रोसॉफ्ट में कार्यरत हैं। अपनी गुरु गीता हेगड़े से शास्त्रीय संगीत की शिक्षा लेने वाली चैत्रा दक्षिण भारतीय फिल्मों में सौ से भी ज़्यादा नग्मों में अपनी आवाज़ दे चुकी हैं। वैसे उन्हें जितना संगीत से लगाव है उतना ही सॉफ्टवेयर से भी है और वे दोनों क्षेत्रों में अपना हुनर दिखाना चाहती हैं। तो आइए पहले सुनें उनकी सुरीली आवाज़ में ये बेहद मधुर नग्मा
कौन मेरा, मेरा क्या तू लागे
क्यों तू बाँधे, मन से मन के धागे
बस चले ना क्यों मेरा तेरे आगे
छोड़ कर ना तू कहीं भी दूर अब जाना
तुझको कसम हैं
साथ रहना जो भी हैं तू
झूठ या सच हैं, या भरम हैं
अपना बनाने का जतन कर ही चुके अब तो
बैयाँ पकड़ कर आज चल मैं दूँ, बता सबको
ढूंढ ही लोगे मुझे तुम हर जगह अब तो
मुझको खबर हैं
हो गया हूँ तेरा जब से मैं हवा में हूँ
तेरा असर है
तेरे पास हूँ, एहसास में, मैं याद में तेरी
तेरा ठिकाना बन गया अब साँस में मेरी
इस गीत का पापोन वाला वर्सन भी श्रवणीय है। उनकी आवाज़ का तो मैं हमेशा से कायल रहा हूँ। एम एम करीम ने बस यहाँ संगीत का कलेवर पश्चिमी रंग में रँगा है।
