साल के पच्चीस बेहतरीन गीतों की इस संगीतमाला का शुरुआती बिगुल बजाने आ गया है फिल्म हिचकी का ये गीत जिसकी धुन बनाई जसलीन कौर रायल ने, गीत के बोल लिखे नीरज राजावत और गाया भी खुद जसलीन ने। पिछले डेढ़ दशक से चल रही एक शाम मेरे नाम की वार्षिक संगीतमालाओं में शायद ये दूसरा मौका है जब किसी महिला संगीतकार का नाम किसी गीत में आया है। इससे पहले Gangs of Wassepur के एक गीत मेरा जूता फेक लेदर की बदौलत स्नेहा खानवलकर इस संगीतमाला का हिस्सा बनी थीं। ये संयोग ही है कि जसलीन आज की आवाज़ों में अमित त्रिवेदी के साथ साथ स्नेहा को भी पसंद करती हैं।
पंजाब के शहर लुधियाना की रहने वाली जसलीन ने दिल्ली के हिंदू कॉलेज से वाणिज्य में स्नातक की डिग्री ली। स्कूल के दिनों में संगीत से उनका पहला जुड़ाव हुआ। हुआ यूँ कि उनके भाई ने (जो उस वक़्त की बोर्ड सीख रहे थे) उन्हें नर्सरी राइम का कुछ हिस्सा बजा कर सुनाया। जसलीन को वो इतना पसंद आया कि उन्होंने अपने से पूरी राइम की धुन निकाल ली। वाद्य यंत्र बजाने और फिर धुनें बनाने व गाने का चस्का उन्हें यहीं से लगा और धीरे धीरे उन्होंने कीबोर्ड के साथ साथ गिटार, माउथ आर्गन और अन्य वाद्यों में भी महारत हासिल कर ली।
फिर तो ये शौक़ कॉलेज में उस समय परवान चढ़ा जब MTV Video Music Award में उन्हें शिव कुमार बटालवी की एक कविता को संगीतबद्ध कर गाने के लिए Best Indie Song का पुरस्कार मिला। इस पुरस्कार ने उनकी राह मुंबई की ओर मोड़ दी। पिछले पाँच सालों में उनकी आवाज़ खूबसूरत, बदलापुर और डियर ज़िदगी में सुनाई दी है । उन्हें बार बार देखो, शिवाय और फिल्लौरी के कुछ गीतों को संगीतबद्ध करने का भी मौका मिला पर हिचकी में वो पूरे एलबम के लिए संगीत निर्देशिका चुनी गयीं।
फिर तो ये शौक़ कॉलेज में उस समय परवान चढ़ा जब MTV Video Music Award में उन्हें शिव कुमार बटालवी की एक कविता को संगीतबद्ध कर गाने के लिए Best Indie Song का पुरस्कार मिला। इस पुरस्कार ने उनकी राह मुंबई की ओर मोड़ दी। पिछले पाँच सालों में उनकी आवाज़ खूबसूरत, बदलापुर और डियर ज़िदगी में सुनाई दी है । उन्हें बार बार देखो, शिवाय और फिल्लौरी के कुछ गीतों को संगीतबद्ध करने का भी मौका मिला पर हिचकी में वो पूरे एलबम के लिए संगीत निर्देशिका चुनी गयीं।
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जसलीन कौर रॉयल |
हिचकी एक ऐसा एलबम है जिसके गीत फिल्म की पटकथा से गहरे जुड़े हैं। यही वजह है कि फिल्म के पाँचों गीत जिसमें कुछ राजशेखर के लिखे गए हैं फिल्म की कहानी को बढ़ाते से नज़र आते हैं। एक शिक्षिका जिसने अपनी ज़िदगी का सफ़र Tourette syndrome से लड़ते हुए पूरा किया हो, को ऐसी कक्षा को सँभालने की जिम्मेदारी दी जाती है जो अनुशासनहीन और उद्दंड है। नायिका अपने शारीरिक विकार से लड़ते हुए नवीन तरीकों से कैसे सफलतापूर्वक ना केवल उस कक्षा की बल्कि पूरे स्कूल के सम्मान की पात्र बनती है, यहीं दास्तां कुछ लफ्जों में गीतकार नीरज राजावत को पिरोनी थी।
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नीरज राजावत |
राजस्थान के अलवर से ताल्लुक रखने वाले नीरज पहले भी जसलीन के साथ फिल्लौरी और डियर डैड के गीत लिख चुके थे। प्रसून जोशी की तरह विज्ञापन जगत से फिल्मी दुनिया में छलाँग लगाने वाले नीरज ने देखिए क्या शानदार मुखड़ा रचा जो जीवन में सतत संघर्ष से मिलने वाली सफलता को रेखांकित करता है
ख्वाबों की नगरी हक़ीक़त बनानी जो
ऐ दिल इक दिन का ये क़िस्सा नहीं
खुद के होने की पहेली सुलझानी जो
ऐ दिल इक दिन का ये क़िस्सा नहीं
कदमों में जमा जो थकान, चैन की नींदें आती वहाँ
इतनी सुहानी बना, हो न पुरानी तेरी दास्तां…
जसलीन की गायिकी से ज्यादा इस गीत और पूरे एलबम में उनके संगीत निर्देशन ने प्रभावित किया। तेरी दास्तान मेरी समझ से उनकी इस फिल्म की सबसे बेहतरीन रचना है। इस गीत का संगीत उन्होंने फिल्म के सेट पर रचा है। जिस तरह गीत के बीच और इंटरल्यूड्स में उन्होंने वॉयलिन के साथ पियानो का प्रयोग किया है वो गीत के मूड को अच्छी तरह पकड़ता है। नीरज अंतरों में भी बोलों की सार्थकता बनाए रखते हैं। नीरज का कहना है कि इन बोलों को अंतिम रूप देते देते जसलीन ने उनकी पेन की पूरी स्याही खर्च करवा दी। हल्के फुल्के और थोड़े गंभीर झगड़े भी हुए पर जैसे जैसे गीत अपना स्वरूप लेता गया, मजा आने लगा।
हम तो न कहते अँधेरा कहता
जुगनू में रहता इक तारा रहता
आँसू मोती खर्चो न, खामियाँ ख़ास समझो न
इतनी सुहानी बना, हो न पुरानी तेरी दास्तां…
सुन लो न ग़लतियों का है कहना
नादानियों में तजुर्बा बैठा
जज़्बातों की बातों में न आना
जज़्बाती नज़रों को दिखता धुँधला
आंसू मोती खर्चो न, .... पुरानी तेरी दास्तां…
फिल्म में गीत का एक अंतरा जो नहीं इस्तेमाल हुआ कुछ यूँ था..
चंदा तक पक्का सा रास्ता बनाना जो
ऐ दिल इक दिन का ये क़िस्सा नहीं
बंददिल बाहों को है खुलना सिखाना जो
ऐ दिल इक दिन का ये क़िस्सा नहीं
हो न पुरानी तेरी दास्तां…
नए साल के इस पहले दिन हम सब क्यूँ ना यही मनोभाव अपने मन में पैदा करें कि जीवन के संघर्षों से घबराने की बजाए उनसे मुकाबला कर ऐसी सुहानी राह बनानी है जिस पर अपने और पराए दोनों ही रश्क कर सकें।
वार्षिक संगीतमाला 2018
1. मेरे होना आहिस्ता आहिस्ता
2. जब तक जहां में सुबह शाम है तब तक मेरे नाम तू
3. ऐ वतन, वतन मेरे, आबाद रहे तू
4. आज से तेरी, सारी गलियाँ मेरी हो गयी
5. मनवा रुआँसा, बेकल हवा सा
6. तेरा चाव लागा जैसे कोई घाव लागा
7. नीलाद्रि कुमार की अद्भुत संगीत रचना हाफिज़ हाफिज़
8. एक दिल है, एक जान है
9 . मुड़ के ना देखो दिलबरो
10. पानियों सा... जब कुमार ने रचा हिंदी का नया व्याकरण !
11 . तू ही अहम, तू ही वहम
12. पहली बार है जी, पहली बार है जी
13. सरफिरी सी बात है तेरी
14. तेरे नाम की कोई धड़क है ना
15. तेरा यार हूँ मैं
16. मैं अपने ही मन का हौसला हूँ..है सोया जहां, पर मैं जगा हूँ
17. बहुत दुखा रे, बहुत दुखा मन हाथ तोरा जब छूटा
18. खोल दे ना मुझे आजाद कर
19. ओ मेरी लैला लैला ख़्वाब तू है पहला
20. मैनू इश्क़ तेरा लै डूबा
21. जिया में मोरे पिया समाए
1. मेरे होना आहिस्ता आहिस्ता
2. जब तक जहां में सुबह शाम है तब तक मेरे नाम तू
3. ऐ वतन, वतन मेरे, आबाद रहे तू
4. आज से तेरी, सारी गलियाँ मेरी हो गयी
5. मनवा रुआँसा, बेकल हवा सा
6. तेरा चाव लागा जैसे कोई घाव लागा
7. नीलाद्रि कुमार की अद्भुत संगीत रचना हाफिज़ हाफिज़
8. एक दिल है, एक जान है
9 . मुड़ के ना देखो दिलबरो
10. पानियों सा... जब कुमार ने रचा हिंदी का नया व्याकरण !
11 . तू ही अहम, तू ही वहम
12. पहली बार है जी, पहली बार है जी
13. सरफिरी सी बात है तेरी
14. तेरे नाम की कोई धड़क है ना
15. तेरा यार हूँ मैं
16. मैं अपने ही मन का हौसला हूँ..है सोया जहां, पर मैं जगा हूँ
17. बहुत दुखा रे, बहुत दुखा मन हाथ तोरा जब छूटा
18. खोल दे ना मुझे आजाद कर
19. ओ मेरी लैला लैला ख़्वाब तू है पहला
20. मैनू इश्क़ तेरा लै डूबा
21. जिया में मोरे पिया समाए
