पियानो के दिल पर चोट से करते नोट्स..वायलिन की उदास करती धुन और फिर अरिजीत की दर्द की चाशनी में डूबती उतरती आवाज़ के साथ जो गीत आज मैं आपको सुनाने जा रहा हूँ वो है फिल्म हमारी अधूरी कहानी का।
ज़िदगी ज्यूँ ज्यूँ आगे बढ़ती है हमारे रिश्तों की पोटली भी भारी होने लगती है। कई रिश्तों को हम ताउम्र ढोते रहते हैं तो कईयों को चाहे अनचाहे अपने से अलग कर देते हैं। अपने इर्द गिर्द की परिस्थितियाँ हमारे रिश्तों के दायरों को तय करती हैं। ज़ाहिर है इश्क़ के जिस मुकाम की तलाश में हम भटकते हैं वो इन दायरों की तंग गलियों में फँस कर कई बार मंज़िल से दूर ही रह जाता है। कभी विकलता से छटपटाता हुआ तो कभी हालात से समझौता करता हुआ। पर भले ही कहानियाँ दम तोड़ देती हैं इश्क़ वहीं का वहीं रहता है दिल के किसी कोने में सुलगता हुआ।
ज़िदगी ज्यूँ ज्यूँ आगे बढ़ती है हमारे रिश्तों की पोटली भी भारी होने लगती है। कई रिश्तों को हम ताउम्र ढोते रहते हैं तो कईयों को चाहे अनचाहे अपने से अलग कर देते हैं। अपने इर्द गिर्द की परिस्थितियाँ हमारे रिश्तों के दायरों को तय करती हैं। ज़ाहिर है इश्क़ के जिस मुकाम की तलाश में हम भटकते हैं वो इन दायरों की तंग गलियों में फँस कर कई बार मंज़िल से दूर ही रह जाता है। कभी विकलता से छटपटाता हुआ तो कभी हालात से समझौता करता हुआ। पर भले ही कहानियाँ दम तोड़ देती हैं इश्क़ वहीं का वहीं रहता है दिल के किसी कोने में सुलगता हुआ।
फिल्म हमारी अधूरी कहानी का ये शीर्षक गीत मन में कुछ ऐसी ही भावनाओं का संचार करता है। इस गीत को लिखा है रश्मि सिंह ने। रश्मि के लिखे गीतों को पहली बार मैंने पिछले साल फिल्म सिटीलाइट्स में सुना था और उनका लिखा नग्मा सोने दो ख़्वाब बोने दो... पिछले साल की संगीतमाला में शामिल भी हुआ था। इसी फिल्म के एक अन्य गीत मुस्कुराने की वज़ह के लिए उन्हें पिछले साल फिल्मफेयर ने सर्वश्रेष्ठ गीतकार के पुरस्कार से नवाज़ भी था।
रश्मि आजकल अपने जोड़ीदार पटकथालेखक व गीतकार विराग मिश्रा के साथ रश्मि विराग के नाम से साझा गीत रच रही हैं। शीर्षक गीत होने की वज़ह से गीतकार द्वय के सामने हर अंतरे को हमारी अधूरी कहानी से इस तरह ख़त्म करने की चुनौती थी कि वो सार्थक भी लगे और गीत की लय भी बनी रहे और उन्होंने गीत में बखूबी ये कर भी दिखाया है। गीत में एक पंक्ति आती है कि इश्क़ सच्चा वही..जिसको मिलती नहीं मंज़िलें मंज़िलें.. आशावादी इससे सहमत तो नहीं होंगे पर शायद लेखिका ने कहना ये चाहा हो कि दूरियाँ इश्क़ की पवित्रता उसकी प्रगाढ़ता को बनाए रखती हैं।
रश्मि आजकल अपने जोड़ीदार पटकथालेखक व गीतकार विराग मिश्रा के साथ रश्मि विराग के नाम से साझा गीत रच रही हैं। शीर्षक गीत होने की वज़ह से गीतकार द्वय के सामने हर अंतरे को हमारी अधूरी कहानी से इस तरह ख़त्म करने की चुनौती थी कि वो सार्थक भी लगे और गीत की लय भी बनी रहे और उन्होंने गीत में बखूबी ये कर भी दिखाया है। गीत में एक पंक्ति आती है कि इश्क़ सच्चा वही..जिसको मिलती नहीं मंज़िलें मंज़िलें.. आशावादी इससे सहमत तो नहीं होंगे पर शायद लेखिका ने कहना ये चाहा हो कि दूरियाँ इश्क़ की पवित्रता उसकी प्रगाढ़ता को बनाए रखती हैं।
संगीतकार जीत गाँगुली मुकेश भट्ट मोहित सूरी की फिल्मों के हाल फिलहाल के अनिवार्य अंग रहे हैं। फिल्म के अपने इकलौते गीत में पियानो, बाँसुरी के साथ उन्होंने वॉयलिन का प्रमुखता से इस्तेमाल किया है पर इस गीत को चार चाँद लगाया है अरिजीत सिंह ने अपनी आवाज़ से। गीत के बोलो के अंदर के भावों को जिस ईमानदारी से उन्होंने पकड़ा है वो दिल को छू जाता है। तो आइए याद करें अपनी अधूरी कहानियों को और सुनें ये संवेदनशील नग्मा..
पास आए..
दूरियाँ फिर भी कम ना हुई
एक अधूरी सी हमारी कहानी रही
आसमान को ज़मीन ये ज़रूरी नहीं ...जा मिले.. जा मिले..
इश्क़ सच्चा वही..जिसको मिलती नहीं मंज़िलें मंज़िलें
रंग थे, नूर था जब करीब तू था, इक जन्नत सा था, ये जहान
वक़्त की रेत पे कुछ मेरे नाम सा, लिख के छोड़ गया तू कहाँ
हमारी अधूरी कहानी....
खुश्बुओं से तेरी यूँ ही टकरा गए
चलते चलते देखो ना हम कहाँ आ गए
जन्नतें गर यहीं, तू दिखे क्यूँ नहीं, चाँद सूरज सभी है यहाँ
इंतज़ार तेरा सदियों से कर रहा, प्यासी बैठी है कब से यहाँ
हमारी अधूरी कहानी
प्यास का ये सफर खत्म हो जायेगा
कुछ अधूरा सा जो था पूरा हो जायेगा
झुक गया आसमान, मिल गए दो जहान, हर तरफ है मिलन का समाँ
डोलियां हैं सजी, खुशबुएँ हर कहीं, पढ़ने आया ख़ुदा ख़ुद यहाँ
हमारी अधूरी कहानी...
वार्षिक संगीतमाला 2015
