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बुधवार, जनवरी 31, 2018

वार्षिक संगीतमाला 2017 पायदान 15 :ये मौसम की बारिश... ये बारिश का पानी Baarish

वार्षिक संगीतमाला में अब बची है आखिरी की पन्द्रह सीढ़ियाँ। पन्द्रहवीं सीढ़ी पर गाना वो जिसमें रूमानियत भी है और मधुरता भी। इस गीत का संगीत दिया है फिर एक बार तनिष्क बागची ने और इसे लिखा है अराफात महमूद ने। फिल्म हाफ गर्लफ्रेंड के इस गाने को तो आप पहचान ही गए होंगे। जी हाँ ये गाना है 'बारिश'। अब बारिश की बूँदों चाहे हौले हौले गिरें या तड़तड़ाकर, इनका स्पर्श मन में मखमली सा अहसास तो  जगा ही देता है। 

आप किसी को चाहते हैं पर उसे कह नहीं पाते तो होता ये है कि आपकी सारी भावनाएँ मन में ही घनीभूत होती रहती हैं। गीतकार अराफात महमूद के पास संगीतकार तनिष्क बागची कहानी की ऐसी ही एक परिस्थिति लेकर आए और कहा कि कुछ ऐसा लिखो कि तुम्हारे शब्दों किसी की भी प्रेमिका प्रभावित हो जाए। तनिष्क की चुनौती स्वीकार करते हुए अराफात ने लिखा कभी तुझमें उतरूँ, तो साँसों से गुजरूँ...तो आए दिल को राहत.मैं हूँ बे ठिकाना, पनाह मुझको पाना..हैं तुझमें दे इजाज़त। अराफात इसे अपना गीत का पसंदीदा टुकड़ा मानते हैं।



वैसे अराफात महमूद में एक दशक से फिल्म जगत में सक्रिय हैं पर बमुश्किल उन्होंने बीस के लगभग गीत लिखे होंगे। पहली बार उनका लिखा नग्मा वार्षिक संगीतमाला 2014 में शामिल हुआ था। गाने के बोल थे मैं ढूँढने को ज़माने में जब वफ़ा निकला पता चला कि गलत ले के मैं पता निकला तभी से मुझे उनकी काबिलियत का अंदाजा हो गया था।

बंगाल के आसनसोल से ताल्लुक रखने वाले अराफात ने तालीम AMU से हासिल की। आपको जान कर आश्चर्य होगा कि वो एक इलेक्ट्रिकल इंजीनियर हैं। शायरी से उनका प्रेम उन्हें मुंबई खींच लाया जहाँ आठ नौ सालों की जद्दिज़हद के बाद उन्होंने सफलता का स्वाद चखा। उनका मानना है कि वही काम करना चाहिए जिसमें मजा आए और सीखने की हसरत कभी कम ना हो। अपने वरीय गीतकारों के अच्छे काम को सुनने से ही उन्हें और अच्छा लिखने की प्रेरणा मिलती है।

अराफात गीत के दूसरे अंतरे हवाओं और परिंदों का जिक्र कर मन को गुदगुदाते हैं तो वहीं मौन रहकर भी अपनी प्रेयसी से उनके दिल की बात समझ लेने की गुजारिश भी करते हैं।

संगीतकार तनिष्क गीत की शुरुआत संतूर की मधुर तान से करते हैं और इंटल्यूड्स के समय साथ में गिटार और वायलिन भी ले आते हैं। अपने एक साक्षात्कार में वो ये कहना नहीं भूले कि ये गीत उन्हें उनकी प्रेम कहानी की याद दिला देता है। इस गीत को तनिष्क ने गवाया है ऐश किंग से तो आइए सुनते हैं अर्जुन और श्रद्धा कपूर पर अभिनीत ये गाना...ये गीत आपको अपने किसी ऐसे दोस्त की याद जरूर दिला जाएगा  जिसे बारिश से बेहद प्यार हो


चेहरे में तेरे, खुद को मैं ढूँढूँ
आँखों के दर्मियाँ तू अब है इस तरह
ख़्वाबों को भी जगह ना मिले...

ये मौसम की बारिश ये बारिश का पानी
ये पानी की बूँदें तुझे ही तो ढूँढें .....
ये मिलने की ख्वाहिश, ये ख्वाहिश पुरानी
हो पूरी तुझी से.. मेरी ये कहानी

कभी तुझमें उतरूँ, तो साँसों से गुजरूँ
तो आए दिल को राहत.
मैं हूँ बे ठिकाना, पनाह मुझको पाना
हैं तुझमें दे इजाज़त

ना कोई दर्मियाँ, हम दोनों हैं यहाँ
फिर क्यों हैं तू बता फासले
ये मौसम की बारिश... मेरी ये कहानी

ना ना .....ला ला ...

हवाओं से तेरा पता पूछता हूँ
अब तो आजा तू कहीं से
परिंदों की तरह यह दिल है सफ़र में
तू मिला दे ज़िन्दगी से ....
बस इतनी इल्तजा
तू आके इक दफा जो दिल ने ना कहा
जान ले ......

ये मौसम की बारिश... मेरी ये कहानी


वार्षिक संगीतमाला 2017

शनिवार, जनवरी 24, 2015

वार्षिक संगीतमाला 2014 पायदान # 14 : मैं ढूँढने को ज़माने में जब वफ़ा निकला.. पता चला कि गलत ले के मैं पता निकला

वार्षिक संगीतमाला की पिछली पायदान पर के गीत के उलट आज जिस गीत को आप सबसे मिलवाने जा रहा हूँ वो शायद ही आपने पहले सुना होगा। ये गीत है पिछले साल फरवरी में प्रदर्शित हुई फिल्म Heartless का। इस संगीतमाला में बतौर संगीतकार आप एक डॉक्टर अर्को प्रावो मुखर्जी से मिल चुके हैं, आज मिलिए IIM Ahemdabad से MBA करने वाले गौरव डागोनकर से। आज से ठीक तीन साल पहले फिल्म लंका के लिए सीमा सैनी द्वारा लिखे गीत शीत लहर है, भींगे से पर हैं थोड़ी सी धूप माँगी है ने गौरव की प्रतिभा से मेरा पहला परिचय करवाया था। 

एक उच्च मध्यम वर्गीय पढ़े लिखे परिवार से जुड़े गौरव ने अपनी डिग्री, पैसे सब को अपने पहले प्रेम संगीत के प्रति न्योछावर कर दिया। पर फिल्म उद्योग में सिर्फ प्रतिभा होना ही काफी नहीं, आपको सही मौके भी मिलने चाहिए। पिछले तीन सालों में गौरव की झोली में कुछ ज्यादा गीत नहीं आए और यही वज़ह है कि अपना समय उन्होंने अपने बैंड Synchronicity को दिया जिसके वो मुख्य गायक भी हैं। फ्यूजन के इस युग में उन्होंने हिंदी के कई गीतों को मशहूर अंग्रेजी गीतों के साथ जोड़ा और ये गीत इंटरनेट पर काफी सराहे भी गए। कुछ दिनों पहले उन्होंने श्रीलंका की सिंहला भाषा में भी गीत गाया जो वहाँ काफी लोकप्रिय हुआ। 


पर जहाँ तक हिंदी फिल्म संगीत की बात है 2014 की शुरुआत में फिल्म Heartless का संगीत देने का मौका उन्हें जरूर मिला। Heartless ज्यादा नहीं चली और यही वज़ह रही कि फिल्म में अरिजित सिंह का गाया ये शानदार नग्मा मैंने फिल्म प्रदर्शित होने के कई महीने बाद सुना। इस गीत के बोल लिखे हैं अराफ़ात महमूद ने। महमूद साहब अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय के छात्र रहे हैं। अपने लिखे इस गीत के बारे में उनका कहना है

कई गीतों को लिखने के बाद ऐसा एक गीत बाहर आता है जो कि आपके लिखे हजार गानों पर भारी पड़ता है। ऐसी सिर्फ मेरी राय नहीं बल्कि सबकी राय थी। अरिजित जब इस गाने को गा रहे थे तो वो बेहद खुश थे कि देखो क्या गाना मिल गया है।
वैसे गौरव ने जब इस गीत हे बारे में शेखर सुमन को बताया तब तक फिल्म की शूटिंग पूरी हो चुकी थी और फिल्म में इसे रखने की जगह नहीं बची थी। शेखर ने तब फिल्म के Promotional Song की तरह इसका इस्तेमाल किया। वार्षिक संगीतमाला के गीतों को चुनते समय पहली बार जब मैंने गीत का मुखड़ा सुना तो मेरे दिल से सीधे वाह वाह निकली... मैं ढूँढने को ज़माने में जब वफ़ा निकला.. पता चला कि गलत ले के मैं पता निकला। प्यार की राह में टूटे दिलों की दास्तान को इन दो पंक्तियों में किस सहजता से उभार लाए महमूद साहब। मुखड़े का ये आकर्षण गीत के अगले दो अंतरों में भी वे जस का तस बनाए रखने में सफल रहे हैं।

गीत पियानो की मधुर धुन से शुरु होता है और फिर लहराती हुई अरिजित की आवाज़ गीत के जानदार मुखड़े से आपका तआरुफ कराती है। बोलों से दर्द की छुअन आप महसूस कर ही रहे होते हैं कि वॉयलिन से सजा संगीत संयोजन उसे और प्रगाढ़ कर जाता है।  आराफ़ात साहब जब जब गीत गीत में वफ़ा, ख़ुदा और जीने की वज़ह ढूँढने को निकलते हैं मन की कचोट कुछ और गहरी हो उठती है।

तो आइए सुनते हैं ये गीत..





मैं ढूँढने को ज़माने में जब वफ़ा निकला
पता चला कि गलत ले के मैं पता निकला
आ हा...

जिसके आने से मुकम्मल हो गई थी ज़िदगी
दस्तकें खुशियों ने दी थी, मिट गई थी हर ग़मी
क्यूँ बेवज़ह दी ये सज़ा, क्यूँ ख्वाब दे के वो ले गया
जियें जो हम, लगे सितम, अज़ाब ऐसे वो दे गया
मैं ढूँढने को उसके दिल में जो ख़ुदा निकला
पता चला कि गलत ले के मैं पता निकला आ हा...
मैं ढूँढने को ज़माने में वफ़ा निकला..

ढूँढता था एक पल में दिल जिसे ये सौ दफ़ा
है सुबह नाराज उस बिन, रूठी शामें, दिन ख़फा
वो आएँ ना ले जाएँ ना
हाँ उसकी यादे जो हैं यहाँ
ना रास्ता, ना कुछ पता
मैं उसको ढूँढूगा अब कहाँ
मैं ढूँढने जो कभी जीने की वज़ह निकला
पता चला कि गलत ले के मैं पता निकला आ हा...

वार्षिक संगीतमाला 2014
 

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