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गुरुवार, जनवरी 03, 2019

वार्षिक संगीतमाला 2018 पायदान # 23 : चल, चल वे तू बंदेया जहाँ कोई किसी को ना जाने .. Bandeya

वार्षिक संगीतमाला की अगली सीढ़ी पर जो गीत है उसके संगीतकार हैं तोशी और शरीब साबरी। अगर आप पिछले दो दशकों से टीवी पर आने वाले संगीत शो देखते रहे हों तो आप साबरी भाइयों के नाम से अनजान नहीं होंगे। शास्त्रीय संगीत से जुड़े साबरी खानदान के इन चिरागों में से तोशी को मैंने 2007 में अमूल स्टार वायस आफ इ्डिया में सुना था जबकि उनके छोटे भाई शारिब उसके दो साल पहले सा रे गा मा पा के फाइनलिस्ट रहे थे।

अपनी गायिकी के लिए वाहवाही पाने वाले ये प्रतिभागी आगे चलकर फिल्म उद्योग में संगीतकार की भूमिका निभाएँगे ये कौन जानता था? हालांकि पिछले एक दशक में सवा दर्जन फिल्मों के चुनिंदे नग्मे ही उनकी झोली में गिरे हैं और इस लिहाज से वे हिन्दी फिल्म संगीत में अपने पाँव नहीं जमा पाए हैं।



पिछले दो सालों में उन्हें सिर्फ फुकरे रिटर्न, मित्रों और दिल जंगली के कुछ गानों को संगीतबद्ध करने का मौका मिला है। आपको याद होगा कि 2017 में एक छोटी सी बच्ची की पिटाई करते हुए एक माँ का वीडियो विराट कोहली और अन्य बड़ी हस्तियों के शेयर करने से वायरल हो गया था । बाद में पता चला कि वो बच्ची साबरी बंधुओं की सगी भतीजी है। शायद इन विवादों का असर उनके काम पर भी पड़ा हो। 

तोशी साबरी व शारिब शाबरी
हालांकि 2018  में संगीतबद्ध अपने दो गीतों में से एक बंदेया में वो अपनी शानदार वापसी करते हुए नज़र आए हैं। फिल्म दिल जंगली के लिए  उन्होंने जो गीत रचा है वो एक मायूसी भरा  गीत है जो अपने प्रिय से बिछड़ने का दर्द बयाँ करता हैं। गीत का मुखड़ा मुझे मोहम्मद रफी के उस कालजयी गीत तेरी गलियों में ना रखेंगे कदम आज के बाद. की याद दिलाता है । यहाँ भी गीतकार देवेंद्र काफिर गीत की शुरुआत में इन गलियों को छोड़ने की सलाह देते हैं जहाँ आपके वज़ूद की कीमत  प्रियतम के लिए नहीं रही।

देवेंद्र काफिर
हरियाणा के करनाल से ताल्लुक रखने वाले गीतकार देवेंद्र काफिर पेशे  डॉक्टर रहे हैं पर कविता लिखने का उनका शौक़ उन्हें लगभग एक दशक पहले मायानगरी ले गया। अपने शुरुआती दौर में उन्होंने कई धारावाहिको के लिए गीत लिखे। कविता के अपने शौक़ को जारी रखते हुए अपनी ग़ज़लों की किताब भी प्रकाशित की। हिंदी फिल्मों में उनको पहली बड़ी सफलता कपूर एंड संस के गीत "बोलना" के रूप में मिली। फिर पिछले साल फिरंगी में भी उनके गीत सुने गए। 

इस गीत में मुझे उनकी सबसे बढ़िया पंक्तियाँ वो लगती हैं जब वे कहते हैं.. ख़्वाब जो हुए हैं खंडहर, ख़्वाब ही नहीं थे...इक नींद थी नीम सी ..ख्वाबों के टूटने की तिक्तता को नीम की पत्तियों के कसैले स्वाद से जोड़ने का उनका बिंब एक नयापन लिए था।

अरिजीत उदासियों को स्वर देने वाले गीतों को गाने में माहिर रहे हैं पर कभी कभी उनके  गीतों में एक तरह का दोहराव सा प्रतीत होता है जिसके लिए मैं उनसे ज्यादा उनकी आवाज़ का इस्तेमाल करनेवाले संगीतकारों को दोषी मानता हूँ। इसी साल आई फिल्म "बाजार" में इसी भाव को लिए गीत छोड़ दिया में मुझे ऐसा ही महसूस हुआ था। जहाँ तक "बंदेया" का सवाल है तो गीत के लिए रची गयी साबरी बंधुओं की मधुर लय के साथ अरिजीत  पूरा न्याय करते दिखते हैं।

चल, चल वे तू बंदेया उस गलिए
जहाँ कोई किसी को ना जाने
क्या रहना वहाँ पर सुण बंदेया
जहाँ अपने ही ना पहचाने
रह गये हैं जो तुझमें
मेरे लमहे लौटा दे
मेरी आँखों में आ के
मुझे थोड़ा रुला दे
चल, चल वे तू बंदेया…

ख्वाब जो हुए हैं खंडहर
ख़्वाब ही नहीं थे
इक नींद थी नीम सी ..हाये
खो दिया है तूने जिसको
तेरा ही नहीं था
इक हार थी जीत सी
कितना रुलाएगा ये तो बता
रब्बा वे तुझे है तेरे रब दा वास्ता
चल, चल वे तू बंदेया…

तो आइए सुनते हैं दिल जंगली फिल्म का ये नग्मा

 


वार्षिक संगीतमाला 2018  
1. मेरे होना आहिस्ता आहिस्ता 
2जब तक जहां में सुबह शाम है तब तक मेरे नाम तू
3.  ऐ वतन, वतन मेरे, आबाद रहे तू
4.  आज से तेरी, सारी गलियाँ मेरी हो गयी
5.  मनवा रुआँसा, बेकल हवा सा 
6.  तेरा चाव लागा जैसे कोई घाव लागा
7.  नीलाद्रि कुमार की अद्भुत संगीत रचना हाफिज़ हाफिज़ 
8.  एक दिल है, एक जान है 
9 . मुड़ के ना देखो दिलबरो
10. पानियों सा... जब कुमार ने रचा हिंदी का नया व्याकरण !
11 . तू ही अहम, तू ही वहम
12. पहली बार है जी, पहली बार है जी
13. सरफिरी सी बात है तेरी
14. तेरे नाम की कोई धड़क है ना
15. तेरा यार हूँ मैं
16. मैं अपने ही मन का हौसला हूँ..है सोया जहां, पर मैं जगा हूँ 
17. बहुत दुखा रे, बहुत दुखा मन हाथ तोरा जब छूटा
18. खोल दे ना मुझे आजाद कर
19. ओ मेरी लैला लैला ख़्वाब तू है पहला
20. मैनू इश्क़ तेरा लै डूबा  
21. जिया में मोरे पिया समाए 
24. वो हवा हो गए देखते देखते
25.  इतनी सुहानी बना हो ना पुरानी तेरी दास्तां

रविवार, फ़रवरी 22, 2015

वार्षिक संगीतमाला 2014 पायदान # 5 : मैं तैनू समझावाँ की, न तेरे बिना लगदा जी .. Main Tenu Samjhawan Ki ..

वार्षिक संगीतमाला की पाँचवी पायदान पर गाना है 'हम्पटी शर्मा की दुल्हनिया' का। मेरे ख्याल से इस फिल्म के गीत समझावाँ से आप सभी भली भांति परिचित होंगे। पिछले साल ये गीत अपनी मधुरता की वज़ह से हम सभी के दिल में जगह बनाने में कामयाब रहा था। यूँ तो फिल्म में इस गीत को अरिजित सिंह और श्रेया घोषाल ने गाया है पर फिल्म के प्रदर्शित होने के समय इस गीत का एक और वर्सन अभिनेत्री अलिया भट्ट की आवाज़ में रिकार्ड हुआ। एक पेशेवर गायिका ना होने के बावज़ूद अलिया ने इस गीत को जितने करीने से निभाया है वो तारीफ़ करने योग्य है।


वैसे फिल्म में प्रयुक्त ये गीत सबसे पहले भारत व पाकिस्तान के संयुक्त प्रयास से बनी एक पंजाबी फिल्म विरसा यानि विरासत में राहत फतेह अली खाँ की आवाज़ में रिकार्ड हुआ था। उस फिल्म में इस गीत को संगीतबद्ध किया था जावेद अहमद ने और इसके पंजाबी बोल लिखे थे अहमद अनीस ने। पंजाबी व हिंदी फिल्मों के गीतकार कुमार ने गीत के कुछ हिस्सों को बदल दिया वहीं संगीतकार जोड़ी शरीब तोशी ने इसके संगीत संयोजन को परिवर्तित किया। जो वर्सन अलिया ने गाया है उसका संगीत संयोजन मुझे तो मूल गीत से भी लाजवाब लगता है। मुखड़े के पहले वाली ताल वाद्यों की हल्की हल्की ठपकी हो या फिर इ्टरल्यूड्स में गिटार के साथ उसका मधुर संगम .... उसे सुनते हुए कानों में शहद सा घुलता महसूस होता है।

अलिया ने इससे पहले फिल्म हाइवे  में जेब के साथ गीत सूहा साहा में एक अंतरे को गाया था जिसकी विस्तार से चर्चा हो चुकी है। पर यहाँ उनके सामने मुखड़े और दो अंतरे गाने के साथ गीत के ऊँचे सुरों को निभाने की भी चुनौती थी जिसे उन्होंने भली भांति निभाया। उन्होंने गीत की भावनाओं को अपनी आवाज़ में क़ैद करने की अच्छी कोशिश की है। कई बार फिल्म के प्रमोशन के दौरान इस गीत को गाते वक्त, गीत का दर्द उन्हें रुला भी गया। अपने गायन के बारे में अलिया को कोई मुगालता नहीं है। हाल ही में उन्होंने अपने साक्षात्कार में कहा था
"मुझे नर्म मुलायमित भरे गीत पसंद हैं। इस गीत को गाने का मतलब ये नहीं कि मैं पेशेवर पार्श्व गायिका बनने की सोच रही हूँ। ईमानदारी से कहूँ तो मैं एक बाथरूम सिंगर ही हूँ।"
इस साल हिंदी गीतों में पंजाबी का इस्तेमाल इतना बढ़ा है कि एक आम हिंदी संगीत प्रेमी भी उत्सुकतावश कुछ ना कुछ पंजाबी सीख ही गया है। वैसे तो इस गीत की पंजाबी समझने में उतनी मुश्किल नहीं है फिर भी आपकी सहूलियत के लिए उसका अनुवाद करने की कोशिश की है। तो आइए अब सुनते हैं हमारी नायिका की अपने प्रेमी को की गई ये करुण पुकार जिसे सुनकर मन कुछ गुमसुम और भींगा भींगा सा हो जाता है...



नहीं जीना तेरे बाजू, नहीं जीना, नहीं जीना
नहीं जीना तेरे बाजू, नहीं जीना, नहीं जीना

मैं तैनू समझावाँ की, न तेरे बिना लगदा जी
तू की जाने प्यार मेरा, मैं करूँ इंतजार तेरा
तू दिल, तुइयो जान मेरी
मैं तैनू समझावाँ की, न तेरे बिना लगदा जी

मेरे दिल ने चुन लईया ने, तेरे दिल दिया राहाँ
तू जो मेरे नाल तू रहता, तुरपे मेरीया साहां
जीना मेरा, हाए, हुण है तेरा, की मैं करां
तू कर ऐतबार मेरा, मैं करूँ इन्तज़ार तेरा
तू दिल तुइयो जान मेरी
मैं तैनू समझावाँ की, न तेरे बिना लगदा जी

मैं तुम्हारे बिना नहीं जीना चाहती। में तुम्हें कैसे समझाऊँ कि तुम्हारे बिना एक पल भी मन नहीं लगता मेरा। तुम्हीं तो मेरा हृदय, मेरी आत्मा हो। तुम्हारे इंतज़ार में घड़ियाँ गिनती रहती हूँ मैं। तुम क्या समझो मेरे प्रेम को? मेरे दिल ने तो तुम्हारे दिल की राहें चुन ली हैं। ये ज़िदगी मेरे लिए कितनी आसान हो जाती गर तू मेरे पास रहता। अब तो मैंने ये जीवन तेरे नाम कर दिया है। तुम्ही बताओ मैं तुम्हें ये यकीन दिलाने के लिए क्या करूँ ?


वे चंगा नईयों कीता बीवा
वे चंगा नईयों कीता बीवा
दिल मेरा तोड़ के
वे बड़ा पछताईयां अखाँ
वे बड़ा पछताईयां अखाँ
नाल तेरे जोड़ के

तेनु छड्ड के कित्थे जावाँ, तू मेरा परछावाँ

तेरे मुखड़े विच ही मैं तान, रब नू अपने पावाँ
मेरी दुआ हाय, सजदा तेरा करदी सदा
तू सुन इक़रार मेरा, मैं करूँ इंतज़ार तेरा
तू दिल तुइयो जान मेरी
मैं तैनु समझावां की

ओ साजन मेरा दिल तोड़ कर तुमने अच्छा नहीं किया । ये आँखे उस दिन को पछता रही हैं जिस दिन वो तुम्हारे नैनों से जुड़ गई थीं। तुम्हीं बताओ तुम्हें छोड़ कर अब मैं कहाँ जाऊँ? आख़िर तुम तो मेरी परछाई की तरह थे। तुम्हारे इस सलोने चेहरे में मैं अपना भगवान देखा करती थी। अब तो बस यही इच्छा है कि तेरी प्रार्थना में डूब कर जब मैं अपने प्रेम की स्वीकारोक्ति करूँ तो तू उसे सुन ले।

वार्षिक संगीतमाला 2014
 

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