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शनिवार, जनवरी 18, 2020

वार्षिक संगीतमाला 2019 Top 15 : ओ राजा जी, नैना चुगलखोर राजा जी Rajaji

एक शाम मेरे नाम की वार्षिक संगीतमाला अब उस हिस्से में पहुँच गयी है जहाँ से ऊपर बजने वाला हर एक गीत मेरे दिल के बेहद करीब है। मेरा यकीन है कि इन पन्द्रह गीतों में से आधे गीत ऐसे होंगे जिनको आपने शायद पिछले साल सुना ही नहीं होगा। ऊपर की इन पन्द्रह पायदानों में जो पहला गीत है वो है फिल्म मणिकर्णिका से। 


आप तो जानते ही हैं कि इस फिल्म के गीत लिखे हैं प्रसून जोशी ने और साल के इस बेहतरीन एलबम के संगीतकार हैं शंकर एहसान लॉय! ये हस्तियाँ तो इतनी नामी हैं कि उनके बारे में आज ना बात करते हुए मैं आपको मिलवाना चाहूँगा इस गीत की गायिका प्रतिभा सिंह बघेल से। प्रतिभा की बहुमुखी प्रतिभा की झलकियाँ मैं पिछले एक दशक से देख रहा हूँ पर बतौर पार्श्व गायिका उन्हें इतना बड़ा ब्रेक मिलता देख मुझे दिल से खुशी हुई।

मध्यप्रदेश के शहर रीवाँ से ताल्लुक रखने वाली प्रतिभा भी सा रे गा मा पा के मंच की ही खोज हैं। वर्ष 2008 के चैलेंज में सा रे गा मा पा लक्ष्य घराने से अंतिम पाँच में जगह बनाने वाली प्रतिभा पिछले एक दशक से बतौर पार्श्व गायिका अपना मुकाम बनाने के लिए प्रयत्नशील हैं। ऐसा नहीं हैं कि उन्हें फिल्मों में इसके पहले गाने के अवसर नहीं मिले। आपने उनके गाए गीत इसक, शोरगुल, बॉलीवुड डायरीज़, हम्पटी शर्मा की दुल्हनिया जैसी फिल्मों में सुने होंगे पर सा रे गा मा पा के अपने पहले गुरु शंकर महादेवन द्वारा दिया गया अवसर इस पुलिस इंस्पेक्टर की बेटी के लिए एक विशेष मायने रखता है। 

कंगना रणावत जैसी अभिनेत्री और भारतीय इतिहास की वीर नायिका रानी लक्ष्मी बाई की आवाज़ बनना उनके कैरियर के लिए एक अहम पड़ाव होगा ऐसा मुझे लगता है। प्रतिभा एक ऐसे परिवार में पली बढ़ी हैं जहाँ गाने और बजाने का शौक तो सबको था पर इसे बतौर कैरियर अपनाने का काम अपने काका के बाद प्रतिभा ने ही किया।

शास्त्रीय संगीत में पारंगत प्रतिभा जिस सहजता से ठुमरियाँ गाती हैं उतने ही मनोयोग से गुलाम अली, मेहदी हसन और हरिहरण की ग़ज़लों को भी गुनगुना लेती हैं। पिछले साल से उन्होंने संगीत नाटिका मुगलेआज़म और उमराव जान के मंचन में गायिका के साथ साथ अभिनय पर भी हाथ आजमाया है। आने वाले दिनों में आप उनकी ग़ज़ल का एक एलबम भी सुन पाएँगे।

तो चलिए लौटते हैं  इस गीत की तरफ। मणिकर्णिका के इस गीत के लिए शंकर ने उन्हें इतना ही कहा कि तुम गाओ..  टेंशन नहीं लेना। रिकार्डिंग के समय प्रतिभा थोड़ी नर्वस थीं और उन्होंने शंकर जी से जाकर कहा भी कि सर अगर अच्छा नहीं हुआ हो तो मैं दुबारा गा लूँगी पर उसकी नौबत ही नहीं आई। उन्होंने इसी फिल्म के लिए एक लोरी भी गायी है 'टकटकी' जो भले ही इस संगीतमाला का हिस्सा ना हो पर है एक प्यारा गीत।

मुखड़े के पहले का संगीत मन को शांत कर देता है और उसी के बीच प्रतिभा की मीठी आवाज़ अपने राजाजी को पुकारती हुई उभरती है। प्रसून मन की रुनझुन को खनकते, चितचोर, चुगलखोर नैनों से प्रकट करते हुए जब दिल का हाल कुछ यूँ बताते हैं ...सिंदूरी भोर, नहीं ओर-छोर....बाँधी कैसी ये डोर...धड़कन बेताल, सपने गुलाल....किया कैसा हाल, राजा जी...तो उनके शब्दों के इस कमाल पर शाबासी देने की इच्छा होती है। शंकर अहसान लॉय की संगीतकार त्रयी ने गीत में कोरस और बाँसुरी का बेहतरीन इस्तेमाल किया है। प्रतिभा के गाए इस गीत की अंतिम पंक्तियों में साथ दिया है रवि मिश्रा ने।

ओ राजा जी, ओ महाराजा जी
नैना चुगलखोर राजा जी

मन की रुनझुन छुप ना पाए
खनक-खनक खनके नैना
बड़ी अजब है रीत प्रीत की
बिन बोले सब कुछ कहना
कुनकुनी-सी धूप बिखरी
जाए रे मनवा कुहू-कुहू बौराये रे
ओ राजा जी, नैना चुगलखोर, राजा जी
ओ महाराजा जी, नैना हैं चितचोर, राजा जी

सिंदूरी भोर, नहीं ओर-छोर
बाँधी कैसी ये डोर
धड़कन बेताल, सपने गुलाल
किया कैसा हाल, राजा जी

तेरा ध्यान भी छैल-छबीला
लचक-मचक के आए रे
मन ख़ुद से ही बातें करके
मन ही मन मुस्काए रे
कुनकुनी-सी धूप बिखरी...राजा जी

मन-अँगना कोई आया
शीतल छैयाँ बन छाया
इक चंचल नदिया को रस्तों से मिलाया
इक बहती हवा ने कानों में कहना सीखा
कल-कल जल ने इक पल रुकके रहना सीखा
पगडंडी को रस्ते मिल गये
धीरे-धीरे राहें नयी खुलती जाएँ रे


ये गीत गाने में इतना आसान भी नहीं हैं पर प्रतिभा ने गीत के उतार चढ़ावों को भली भांति निभाया हैं। ये गीत उन गीतों में से है जो धीरे धीरे आपके मन में बसता है और एक बार बस जाए तो फिर निकलने का नाम नहीं लेता। 😊



वार्षिक संगीतमाला 2019 
01. तेरी मिट्टी Teri Mitti
02. कलंक नहीं, इश्क़ है काजल पिया 
03. रुआँ रुआँ, रौशन हुआ Ruan Ruan
04. तेरा साथ हो   Tera Saath Ho
05. मर्द  मराठा Mard Maratha
06. मैं रहूँ या ना रहूँ भारत ये रहना चाहिए  Bharat 
07. आज जागे रहना, ये रात सोने को है  Aaj Jage Rahna
08. तेरा ना करता ज़िक्र.. तेरी ना होती फ़िक्र  Zikra
09. दिल रोई जाए, रोई जाए, रोई जाए  Dil Royi Jaye
10. कहते थे लोग जो, क़ाबिल नहीं है तू..देंगे वही सलामियाँ  Shaabaashiyaan
11 . छोटी छोटी गल दा बुरा न मनाया कर Choti Choti Gal
12. ओ राजा जी, नैना चुगलखोर राजा जी  Rajaji
13. मंज़र है ये नया Manzar Hai Ye Naya 
14. ओ रे चंदा बेईमान . बेईमान..बेईमान O Re Chanda
15.  मिर्ज़ा वे. सुन जा रे...वो जो कहना है कब से मुझे Mirza Ve
16. ऐरा गैरा नत्थू खैरा  Aira Gaira
17. ये आईना है या तू है Ye aaina
18. घर मोरे परदेसिया  Ghar More Pardesiya
19. बेईमानी  से.. 
20. तू इतना ज़रूरी कैसे हुआ? Kaise Hua
21. तेरा बन जाऊँगा Tera Ban Jaunga
22. ये जो हो रहा है Ye Jo Ho Raha Hai
23. चलूँ मैं वहाँ, जहाँ तू चला Jahaan Tu chala 
24.रूह का रिश्ता ये जुड़ गया... Rooh Ka Rishta 

शनिवार, फ़रवरी 01, 2014

वार्षिक संगीतमाला 2013 पायदान संख्या 11 : झीनी रे झीनी याद चुनरिया (Jheeni Re Jheeni Yaad Chunaria)

वार्षिक संगीतमाला की पिछली चौदह सीढ़ियाँ चढ़ कर आ पहुँचे है हम ग्यारहवीं पायदान पर। ग्यारहवीं पायदान का ये गीत संगीतमाला में शामिल अन्य सभी गीतों से एक बात में अलहदा है और वो है इसकी लंबाई। करीब साढ़े सात मिनट लंबे युगल गीत पर जो सम्मिलित परिश्रम इसके संगीतकार, गीतकार और गायक द्वय ने किया है वो निश्चय ही काबिलेतारीफ़ है। ये गीत है फिल्म 'इसक' का और इसके संगीतकार हैं सचिन ज़िगर, जबकि शब्द रचना है नीलेश मिश्रा की।

इससे पहले उन्होंने 2011 में अपने गीत धीरे धीरे नैणों को धीरे धीरे , जिया को धीरे धीरे भायो रे साएबो से मुझे प्रभावित किया था। सचिन जिगर के संगीतकार बनने से पहले की दास्तान मैं आपको यहाँ बता चुका हूँ। पिछला साल तो इस जोड़ी के लिए फीका रहा पर इस साल रमैया वस्तावइया, ABCD, इसक और शुद्ध देशी रोमांस में उनके संगीतबद्ध गीतों को साल भर सुना जाता रहा। जब जब सचिन जिगर ने लीक से हटकर संगीत देने की कोशिश की है उनका काम शानदार रहा है। अब इसी गीत को लें हिंदुस्तानी वाद्यों से सजे संगीत संयोजन में तबले व सारंगी का कितना सुरीला इस्तेमाल किया हैं उन्होंने। इंटरल्यूड्स के बीच पार्श्व से आती सरगम की ध्वनि भी मन को बेहद सुकून पहुँचाती है।

गीतकार नीलेश मिश्रा एक बार फिर अपने हुनर का ज़ौहर दिखलाने में सफल रहे हैं। इतना लंबा गीत होने के बावज़ूद वे अपने खूबसूरत अंतरों द्वारा श्रोताओं का ध्यान गीत की भावनाओं से हटने नहीं देते। मिसाल के तौर पर इन पंक्तियों पर गौर करें ज़हर चखा है आग है पीली...चाँदनी कर गई पीड़ नुकीली..पर यादों की झालन चमकीली या फिर धूप में झुलस गए दूरियों से हारे...पार क्या मिलेंगे कभी छाँव के किनारे । मन खुश कर देती हैं ये पंक्तियाँ  खासकर तब जब उस्ताद राशिद खाँ और प्रतिभा वाघेल उसे अपनी आवाज़ से सँवारते हैं।


उस्ताद राशिद खाँ तो किसी परिचय के मुहताज नहीं पर प्रतिभा वघेल के बारे में ये बताना जरूरी होगा कि वर्ष 2009 में वो जी सारेगामा के फाइनल राउंड में पहुँची थीं। रीवा से ताल्लुक रखने वाली प्रतिभा बघेल ने शास्त्रीय संगीत की विधिवत शिक्षा ली है।अपना अधिकतर समय संगीत से जुड़े कार्यक्रमों में बिताने वाली प्रतिभा की 'प्रतिभा' को हिंदी फिल्म संगीत में और मौके मिलेंगे इसकी उम्मीद रहेगी। राशिद साहब की भारी आवाज़ के सामने प्रतिभा का स्वर मिश्री की डली सा लगता है।

इससे पहले की आप ये गीत सुनें ये बता दूँ कि शायद गीत की लय की वज़ह से राशिद खाँ साहब इस गीत के मुखड़े में याद को 'यद' की तरह उच्चारित करते हैं जो पहली बार सुनने पर थोड़ा अटपटा लग सकता है।




अखिया किनारों से जो, बोली थी इशारों से जो
कह दे फिर से तू ज़रा
फूल से छुआ था तोहे, तब क्या हुआ था मोहे
सुन ले जो फिर से तू ज़रा
झीनी रे झीनी याद चुनरिया..लो फिर से तेरा नाम लिया

सारे जख़म अब मीठे लागें,
कोई मलहम भला अब क्या लागे
दर्द ही सोहे मोहे जो भी होवे
टूटे ना टूटे ना. टूटे ना टूटे ना......

सूझे नाही बूझे कैसे जियरा पहेली
मिलना लिखा ना लिखा पढ़ले हथेली
पढ़ली हथेली पिया, दर्द सहेली पिया
ग़म का है ग़म  अब ना हमें
रंग ये लगा को ऐसो, रंगरेज़ को भी जैसो
रंग देवे अपने रंग में
झीनी रे झीनी याद चुनरिया..लो फिर से तेरा नाम लिया

सुन रे मदा हूँ तेरे जैसी
काहे सताये आधी रात निदिया बैरी भयी
ज़हर चखा है आग है पीली
चाँदनी कर गई पीर नुकीली
पर यादों की झालन चमकीली
टूटे ना टूटे ना. टूटे ना टूटे ना......

धूप में झुलस गए दूरियों से हारे
पार क्या मिलेंगे कभी छाँव के किनारे
छाँव के किनारे कभी, कहीं मझधारे कभी
हम तो मिलेंगे देखना
तेरे सिराहने कभी, नींद के बहाने कभी
आएँगे हम ऐसे देखना
झीनी रे झीनी याद चुनरिया



 

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