वार्षिक संगीतमाला की चौथी पायदान पर एक ऐसा गीत है जिसे शायद ही आपमें से ज्यादातर लोगों ने पहले सुना हो। बड़े बजट की फिल्मों के आने के पहले शोर भी ज़रा ज्यादा होता है। प्रोमो भी इतनी चतुराई से किये जाते हैं कि पहले उसके संगीत और बाद में फिल्मों के प्रति उत्सुकता बढ़ जाती है। पर छोटे बजट की फिल्मों को ये सुविधा उपलब्ध नहीं होती। फिल्म रिलीज़ होने एक दो हफ्ते पहले एक दो गीत दिखने को मिलते हैं। फिल्म अगर पहले हफ्ते से दूसरे हफ्ते में गई तो बाकी गीतों का नंबर आता हैं नहीं तो बेचारे बिना बजे और सुने निकल जाते हैं। पर इतना सब होते हुए भी हीमेश रेशमिया की अभिनीत और संगीतबद्ध फिल्म Xpose पहले हफ्ते में इतना जरूर चल गई कि अपना खर्च निकाल सके। फिल्म की इस आंशिक सफलता में इसके कर्णप्रिय संगीत का भी बड़ा हाथ था।
हीमेश रेशमिया की गणना मैं एक अच्छे संगीतकार के रूप में करता हूँ जो गायिकी के लिहाज़ से एक औसत गायक हैं और आजकल धीरे धीरे अभिनय के क्षेत्र में अपनी पैठ बनाने में जुटे हैं। एक वो भी दौर था कि लोग उनकी गायिकी की Nasal tone के इस क़दर दीवाने थे कि उनका हर एलबम और यहाँ तक की पहली फिल्म आप का सुरूर खूब चली थी। पर वक़्त ने करवट ली। अगली फिल्मों में उन्हें विफलता का मुख देखना पड़ा। दो साल उन्होंने फिर इंडस्ट्री को अपनी शक़्ल नहीं दिखाई। पर इस अज्ञातवास में भी वो अपनी धुनों पर काम करते हुए हर दिन लगभग एक रचना वो संगीतबद्ध करते रहे। Xpose के इस गीत में उनकी मेहनत रंग लाई दिखती है।
हीमेश ने फिल्म के एलबम में इस गीत के दो वर्सन डाले हैं। एक जिसे अंकित तिवारी ने गाया है और दूसरा जिसे रेखा भारद्वाज जी ने आपनी आवाज़ दी है। हीमेश के साथ रेखा जी का ये पहला गीत नहीं हैं। आपको अगर याद हो तो पाँच साल पहले भी हीमेश ने उनसे अपनी फिल्म रेडियो का गीत पिया जैसे लड्डू मोतीचूर वाले भी गवाया था। रेखा जी की गायिकी का तो मैं पहले से ही मुरीद हूँ और इस गीत में तो मानो उन्होंने बोलों से निकलता सारा दर्द ही अपनी आवाज़ में उड़ेल दिया है।
बुजुर्ग ऐसे नहीं कह गए हैं कि प्रेम आदमी को निकम्मा कर के छोड़ देता है। सोते जागते उठते बैठते दिलो दिमाग पर बस एक ही फितूर सवार रहता है। उसकी यादें, उसकी बातें इनके आलावा कुछ सूझता ही नहीं। जरा सोचिए तो अगर इतनी भावनात्मक उर्जा लगाने के बाद उस रिश्ते की दीवार ही दरक जाए तो कैसे ख्याल मन में आएँगे..सारी दुनिया ही उलटी घूमती नज़र आएगी। किसी पर विश्वास करने का जी नहीं चाहेगा। कितने भी सुंदर हों, नज़ारे सुकून नहीं दे पाएँगे। संगीतमाला की चौथी सीढ़ी पर का गीत कुछ ऐसे ही भावों को अपने में समेटे हुए है..।
Xpose के इस गीत को लिखा है समीर ने। यूँ तो समीर साहब का लिखा हुआ मुझे कुछ खास पसंद नहीं आता पर इस गीत में उनकी सोच ने लीक से थोड़ा हटकर काम जरूर किया है़। समीर अपने लफ्ज़ों में इन असहाय परिस्थितियों में व्यक्ति के हृदय में उठते इस झंझावात को अपनी अनूठी उपमाओं के ज़रिए टटोलते हैं। जब व्यक्ति का अपनों से भरोसा उठ जाए तो फिर जगत का कौन सा सत्य उसे प्रामाणिक लगेगा ? ऐसे में बादल सोने के और बारिशें पत्थर सरीखी लगें तो क्या आश्चर्य? ये छलावा पानी की दीवारों और शीशे के समंदर का ही तो रूप लेगा ना ।
हीमेश का गिटार पर आधारित संगीत संयोजन दुख की इस बहती धारा को और प्रगाढ़ कर देता है। रेखा जब माया है भरम है...इस दुनिया में जो भी गया वो तो गया गाती हैं दिल अपने आपको एक गहरी नदी में डूबता पाता है... यकीं नहीं तो इस गीत को सुन के देखिए जनाब
शीशे का समंदर, पानी की दीवारें
माया है, भरम है मोहब्बत की दुनिया
इस दुनिया में जो भी गया वो तो गया
बर्फ की रेतों पे, शरारों का ठिकाना
गर्म सेहराओं में नर्मियों का फ़साना
यादों का आईना टूटता है जहाँ
सच की परछाइयाँ हर जगह आती हैं नज़र
सोने के हैं बादल, पत्थरों की बारिश
माया है, भरम है मोहब्बत की दुनिया
इस दुनिया में जो भी गया वो तो गया
दिल की इस दुनिया में सरहदें होती नहीं
दर्द भरी आँखों में राहतें सोती नहीं
जितने अहसास हैं अनबुझी प्यास हैं
ज़िंदगी का फलसफ़ा प्यार की पनाहों में छुपा
धूप की हवाएँ, काँटों के बगीचे
माया है, भरम है मोहब्बत की दुनिया
इस दुनिया में जो भी गया वो तो गया
वार्षिक संगीतमाला 2014
- 01 क्या वहाँ दिन है अभी भी पापा तुम रहते जहाँ हो Papa
- 02 मनवा लागे, लागे रे साँवरे Manwa Lage
- 03 काफी नहीं है चाँद हमारे लिए अभी Kaafi Nahin hai Chaand
- 04 शीशे का समंदर, पानी की दीवारें. Sheeshe ka Samundar !
- 05 मैं तैनू समझावाँ की . Main Tenu Samjhawan Ki ..
- 06 ज़हनसीब..ज़हनसीब, तुझे चाहूँ बेतहाशा ज़हनसीब .. Zehnaseeb
- 07. पटाखा गुड्डी ! (Patakha Guddi)
- 08. किन्ना सोणा यार हीर वेखदी नज़ारा .. Ranjha
- 09. ऐसे तेरा मैं, जैसे मेरा तू.. Jaise Mera Tu
- 10. अल्लाह वारियाँ..... Allah Waariyaan
- 11.चाँदनिया तो बरसे फिर क्यूँ मेरे हाथ अँधेरे लगदे ने. Chaandaniya
- 12. ये बावला सा सपना Ye Bawla sa Sapna
- 13. गुलों मे रंग भरे, बाद-ए-नौबहार चले Gulon Mein Rang Bhare.
- 14. मैं ढूँढने को ज़माने में जब वफ़ा निकला Main dhoondhne ko..
- 15. तेरी गलियाँ, गलियाँ तेरी गलियाँ Teri Galiyan
- 16. अर्जियाँ दे रहा है दिल आओ..Arziyan
- 17. कोई मुझको यूँ मिला है, जैसे बंजारे को घर .Banjara.
- 18. पलकें ना भिगोना, ना उदास होना...नानी माँ Nani Maan
- 19. चार कदम बस चार कदम, चल दो ना साथ मेरे Char Kadam
- 20. सोने दो .. ख़्वाब बोने दो Sone Do..
- 21. सूहा साहा Sooha Saaha
- 22. सुनो ना संगमरमर Suno Na Sangmarmar
- 23. दिलदारा Dildaara
- 24. पैर अनाड़ी ढूँढे कुल्हाड़ी Pair Anadi
- 25. नैना नूँ पता है, नैना दी ख़ता है Naina
- दावत ए इश्क़ वो ग्यारह रूमानी गीत जो अंतिम पच्चीस में स्थान बनाने से ज़रा से चूके
