वार्षिक संगीतमाला की ग्यारहवीं सीढ़ी पर जो गीत आपका इंतजार कर रहा है उसके शीर्षक को ले कर थोड़ा विवाद है। जब पहली बार मैंने फिल्म लव आज कल का ये गीत सुना था तो समझ नहीं आया कि इसे मेहरमा लिख कर क्यूँ प्रचारित किया जा रहा है। उर्दू में इससे एक मिलता जुलता शब्द जरूर है महरम जिसका शाब्दिक अर्थ होता है एक बेहद अतरंग मित्र। अगर आपको याद हो तो फिल्म कहानी के सीक्वल कहानी 2 ने इसी शब्द को केंद्र में रखकर अमिताभ भट्टाचार्य ने एक गीत भी लिखा था। गीत में गायक दर्शन रावल इस शब्द को मेहरवाँ जैसा उच्चारित करते हैं जो कि मेहरबाँ के करीब है।

क़ायदे से बात माशूका की मेहरबानी की हो रही थी तो इसे मेहरबां नाम से ही प्रमोट किया जाना चाहिए था। पता नहीं इरशाद कामिल जैसे नामी गीतकार और निर्देशक इम्तियाज़ अली का ध्यान इस ओर क्यूँ नहीं गया। बहरहाल लव आज कल का ये गीत आज गीतमाला की इस ऊँचाई पर पहुँचा है तो इसके सबसे बड़े हक़दार इसके संगीतकार प्रीतम हैं।
प्रीतम के बारे में एक बात सारे निर्देशक कहते हैं कि वो संगीत रिलीज़ होने के अंत अंत तक अपनी धुनों में परिवर्तन करते रहते हैं। उनकी इस आदत से निर्माता निर्देशक खीजते रहते हैं पर वे ये भी जानते हैं कि प्रीतम की ये आदत संगीत को और परिष्कृत ढंग से श्रोताओं को पहुँचाने की है। मैंने पिछली पोस्ट में प्रीतम के गीतों में सिग्नेचर ट्यून के इस्तेमाल का जिक्र किया था। यहाँ भी उन्होंने शिशिर मल्होत्रा की बजाई वॉयला की आरंभिक धुन से श्रोताओं का दिल जीता है।
प्रीतम ने इस गीत में दर्शन रावल और अंतरा मित्रा की आवाज़ों का इस्तेमाल किया है। अंतरा प्रीतम की संगीतबद्ध फिल्मों का अभिन्न हिस्सा रही हैं। उनकर गाए सफल गीतों में दिलवाले का गेरुआ और कलंक का ऐरा गैरा याद आता है जिनमें प्रीतम का ही संगीत निर्देशन था। यहाँ उन्हें एक ही अंतरा मिला है नायिका के तन्हा मन को टटोलने का।
दर्शन रावल पहली बार एक शाम मेरे नाम की वार्षिक संगीतमाला का हिस्सा बने हैं। इसलिए मेरा फर्ज बनता है कि उनसे आप सब का परिचय करा दूँ। यू ट्यूब के स्टार तो वो पहले ही से थे पर चोगड़ा तारा की सफलता के बाद से बॉलीवुड में अपनी पहचान बनाने वाले चौबीस वर्षीय दर्शन रावल गुजरात के अहमदाबाद शहर से ताल्लुक रखते हैं। बचपन से उन्हें कविता लिखने और उसे गाने का शौक़ लग चुका था। स्कूल में जब उन्हें समूह गान में पीछे की पंक्ति में रखा जाता था तो वे उतना ही जोर से गाने लगते थे ताकि उनकी आवाज़ अनसुनी ना रह जाए। अपनी इस आदत की वज़ह से उन्हें कई बार उस सामूहिक गीत से ही हटा दिया जाता था। इंजीनियरिंग में भी वे खुराफात करते रहे और एक बार पर्चा लीक करने की क़वायद में कॉलेज से बाहर कर दिए गए। पर उन्हें तो हमेशा से गायक ही बनना था और देखिए स्कूल व कॉलेज का वही नटखट लड़का अब अपनी आवाज़ की बदौलत युवाओं में कितना लोकप्रिय हो रहा है।
नायक नायिका के बिछोह से उपजे इस गीत का दर्द भी उनकी आवाज़ में बखूबी उभरा है। तो आइए सुनते हैं एक बार फिर इस गीत को
ना कहीं कभी मेरा दिल लगा, कैसा समझदार है
मैं ना पहुँचूँ क्यों वहां पे. जाना चाहूँ मैं जहाँ
मैं कहाँ खो गया, ऐसा क्या हो गया
ओ मेहरवाँ क्या मिला यूँ जुदा हो के बता
ओ मेहरवाँ क्या मिला यूँ जुदा होके बता
ना ख़बर अपनी रही ना ख़बर अपनी रही
ना रहा तेरा पता ओ मेहरवाँ ...
जो शोर का हिस्सा हुई वो आवाज़ हूँ
लोगो में हूँ पर तन्हा हूँ मैं, हाँ तन्हा हूँ मैं
दुनिया मुझे मुझ से जुदा ही करती रहे
बोलूँ मगर ना बातें करूँ, ये क्या हूँ मैं
सब है लेकिन मैं नही हूँ
वो जो थोड़ा था सही,
वो हवा हो गया, क्यों खफा हो गया
ओ मेहरवाँ क्या मिला....
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वार्षिक संगीतमाला 2020
