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मंगलवार, जनवरी 28, 2020

वार्षिक संगीतमाला 2019 Top 10 : दिल रोई जाए, रोई जाए, रोई जाए Dil Royi Jaye

पिछले कुछ सालों की तुलना ये अजूबा ही रहा कि वार्षिक संगीतमाला 2019 की दसवीं पायदान तक पहुँचने के बाद भी आजुकल के सबसे चहेते गायक अरिजीत सिंह की आवाज़ कानों में नहीं गूँजी। अक्सर ये पार्श्व गायिकाओं की शिकायत रहती है कि एक तो Female Solo फिल्मों में बेहद कम लिए जाते हैं और फिल्म का सबसे अच्छा गीत भी उन्हें ना मिलकर अरिजीत सरीखे गायकों की झोली में ही गिरता है। पर पिछले साल के गीतों को सुनते हुए कई ऐसे कुछ बेहतरीन नग्मे दिखे जिसे एकल या गीत का बड़ा हिस्सा गायिकाओं ने गाया है। श्रेया घोषाल की आवाज़ में आप इस साल तीन गीतों में  सुन ही चुके हैं। इसके आलावा ज्योतिका टांगरी, प्रतिभा सिंह बघेल, जसलीन रायल, हिमानी कपूर और शिल्पा राव की आवाज़ें भी इस साल की संगीतमाला का हिस्सा बनी हैं।


पर ऐसा भी नहीं है कि अरिजीत की आवाज़ का जादू कम हो गया है क्यूँकि इस संगीतमाला में उनके गाए हुए तीन गीत बजने हैं और उनमें से पहला गीत है नवीं पायदान पर फिल्म दे दे प्यार दे से। ऐसे तो ये बड़ी खुशनुमा सी फिल्म थी पर इसका एक गाना ढेर सारा दर्द अपने में समेटे हुए था। अकेले रह रहे एक प्रौढ़ शादीशुदा व्यक्ति का एक युवा स्त्री के प्रेम में पड़ना और उस रिश्ते को स्थायी रूप देने के पहले  परिस्थितिवश अलग हो जाने के क्रम में ये गीत पर्दे पर आता है।

कोई रिश्ता जब टूटता है तो हम चाह कर भी अपने आप को सँभाल नहीं पाते। आँसुओं की झड़ी सी लग जाती है उन पुराने साथ बिताए पलों के बारे में सोचकर। कुमार ने मन की इस स्थिति के लिए फिर एक नया शब्द ईजाद कर दिया दिल रोई जाए,। पानियों सा के बारे में लिखते समय मैंने आपको कुमार के एक साक्षात्कार की बात बताई थी जिसमें उन्होंने कहा था 

"..कि कोई मापदंड थोड़े ही है लफ़्जों का। एक डिक्शनरी बनी होगी उसके पहले खाली होगी। मैं तो कहता हूँ कि आप किसी चीज (गलत शब्द) को कैसे कनेक्ट करते हो ये महत्त्वपूर्ण है।"

रोए जाने और खोए रहने की बात तो आपने सुनी ही होगी पर तुझको पाने से ज़्यादा खोई-खोई जाए..दिल रोई जाए रोई जाए.. भी दिल को छूता ही गुजरता है। रोचक कोहली, कुमार और अरिजीत इससे पहले पिछले साल तेरा यार हूँ मैं में भी साथ नज़र आए थे और वो गीत भी खासा लोकप्रिय हुआ था। 

रोचक कोहली की गिटार में महारत है और उस पर आधारित उनकी धुनें बेहद सुरीली होती हैं।  इस गीत में मुखड़े के पहले और अंतरों के बीच इस्तेमाल होने वाली सिग्नेचर ट्यून में वो कमाल झलकता है। जब ऐसी धुनों को अरिजीत की आवाज़ का साथ मिलता है तो सहज से भाव भी गहरे लगने लगते हैं। 

मेरे हिस्से में तू नहीं है, ये भी ना जानूँ क्यूँ नहीं है
मेरे हिस्से में तू नहीं है, ये भी ना जानूँ क्यूँ नहीं है
इतना ही बस मुझको पता है
मैं तेरा ग़लत, तू मेरा सही है
तेरे बिन ये ग़म हैं, कुछ साँसें कम हैं
क्यूंकि तुझको पाने से ज़्यादा खोई-खोई जाए
दिल रोई जाए, रोई जाए, रोई जाए
आँखों के किनारे बैठा, रोई जाए
दिल रोई जाए, रोई जाए, रोई जाए
यादों के सहारे बैठा, रोई जाए
तेरे बिना ज़िंदगी तो है, पर
जीने से ऐतराज़ है
माने हुए हैं दो दिल, लेकिन
तक़दीरें नाराज़ हैं

कहता है कहानी इश्क़ का ये पानी
सब डूबे, साहिल पे लेकिन कोई-कोई आए
दिल रोई जाए, रोई जाए, रोई जाए
आँखों के किनारे बैठा, रोई जाए
दिल रोई जाए, रोई जाए, रोई जाए
यादों के सहारे बैठा, रोई जाए
रोई जाए (रोई जाए)

तू नहीं हमकदम तो रास्ते बुरे
तू नहीं तो नींद भी आँखों से है परे
ख़ामख़ाह ही पड़ गई दरारें ख़ाब में
तेरे बिन तनहाई सी धड़कनों में चले
तेरे बिन ये ग़म हैं, ....रोई जाए

तो आइए सुनते हैं ग़मगीन करता ये नग्मा। पर्दे पे इसे  फिल्माया गया है अजय देवगन और रकुल प्रीत सिंह पर..


 

वार्षिक संगीतमाला 2019 
01. तेरी मिट्टी Teri Mitti
02. कलंक नहीं, इश्क़ है काजल पिया 
03. रुआँ रुआँ, रौशन हुआ Ruan Ruan
04. तेरा साथ हो   Tera Saath Ho
05. मर्द  मराठा Mard Maratha
06. मैं रहूँ या ना रहूँ भारत ये रहना चाहिए  Bharat 
07. आज जागे रहना, ये रात सोने को है  Aaj Jage Rahna
08. तेरा ना करता ज़िक्र.. तेरी ना होती फ़िक्र  Zikra
09. दिल रोई जाए, रोई जाए, रोई जाए  Dil Royi Jaye
10. कहते थे लोग जो, क़ाबिल नहीं है तू..देंगे वही सलामियाँ  Shaabaashiyaan
11 . छोटी छोटी गल दा बुरा न मनाया कर Choti Choti Gal
12. ओ राजा जी, नैना चुगलखोर राजा जी  Rajaji
13. मंज़र है ये नया Manzar Hai Ye Naya 
14. ओ रे चंदा बेईमान . बेईमान..बेईमान O Re Chanda
15.  मिर्ज़ा वे. सुन जा रे...वो जो कहना है कब से मुझे Mirza Ve
16. ऐरा गैरा नत्थू खैरा  Aira Gaira
17. ये आईना है या तू है Ye aaina
18. घर मोरे परदेसिया  Ghar More Pardesiya
19. बेईमानी  से.. 
20. तू इतना ज़रूरी कैसे हुआ? Kaise Hua
21. तेरा बन जाऊँगा Tera Ban Jaunga
22. ये जो हो रहा है Ye Jo Ho Raha Hai
23. चलूँ मैं वहाँ, जहाँ तू चला Jahaan Tu chala 
24.रूह का रिश्ता ये जुड़ गया... Rooh Ka Rishta 

रविवार, जनवरी 20, 2019

वार्षिक संगीतमाला 2018 पायदान 10 :" पानियों सा" जब कुमार ने रचा हिंदी का नया व्याकरण ! Paniyon Sa

वार्षिक संगीतमाला का ये सफ़र अब जा पहुँचा है साल 2018 की दस शीर्ष पायदानों की ओर। दसवीं पायदान पर गाना वो जिसे इस साल का Love  Anthem  भी कहा जा सकता है। ये गाना है सत्यमेव जयते का पानियों सा। डॉक्टर और इंजीनियरों को तो आपने संगीतकार बनते देखा ही है अब रोचक ने अपने गीतों से ये साबित कर दिया है कि वकील भी रूमानियत भरी धुनें बना सकते हैं। :) 

रोचक कोहली एक ऐसे संगीतकार हैं जो लंबे चौड़े आर्केस्ट्रा आधारित संगीत संयोजन के बजाय मधुर धुनों पर ज्यादा विश्वास करते हैं। देखते देखते, तेरा यार हूँ मैं, लै डूबा, नैन ना जोड़ी और पानियों सा जैसे गीत रचने के बाद उन्हें पिछले साल का मेलोडी का बादशाह कहना अनुचित नहीं होगा। उनकी इन मधुर धुनों को मनोज मुन्तशिर और कुमार जैसे गीतकार और आतिफ असलम, अरिजीत व सुनिधि जैसे कलाकारों को साथ मिला जो उनकी रचनाओं को एक अलग मुकाम पर ले जाने में सफल हुए।


सत्यमेव जयते के रिलीज़ होने के कुछ दिनों पहले जब मैंने ये गीत सुना तो इसकी मधुरता और बोलों ने मुझे कुछ ही क्षणों में अपनी गिरफ्त में ले लिया। इस साल की संगीतमाला में सबसे पहले शामिल होने वाले कुछ गीतों में पानियों सा भी था। साल के अगर सबसे रोमंटिक गीतों में अगर पानियों सा का नाम आ रहा है तो उसके लिए गीतकार कुमार यानि कुमार राकेश भी बधाई के पात्र हैं, भले ही उसके लिए उन्हें हिंदी व्याकरण के नियमों से छेड़छाड़ करनी पड़ी हो। वैसे कुमार के लिए भाषा का तोड़ना मरोड़ना कोई नई बात नहीं है। इस बारे में उनकी एक सीधी सी फिलासफी है जिसे उन्होंने एक साक्षात्कार में बताया था जब बात चल रही थी उनके हिट गीत चिट्टियाँ कलाइयाँ वे..रिक्वेस्टाँ पाइयाँ वे के बारे में
"मुझे request को plural बनाना था। Requests हो सकता है ये भी मुझे पता नहीं था। तो मैंने उसे रिक्वेस्टाँ कर दिया। भूषण जी ने मुझसे कहा ऐसा कोई शब्द नहीं होता। मैंने उनसे कहा कोई मापदंड थोड़े ही है लफ़्जों का। एक डिक्शनरी बनी होगी उसके पहले खाली होगी। उसके बाद परमीशनाँ भी आ गया। मेरे को पब्लिक ने आज़ादी दे दी। भाई तू कर ले। मैं तो कहता हूँ कि आप किसी चीज (गलत शब्द) को कैसे कनेक्ट करते हो ये महत्त्वपूर्ण है।"
रोचक कोहली व  कुमार 
2017 में  उनका एक गीत आया था रंगदारी। रंगदारी का मतलब वो नहीं जानते थे पर गाते गाते ये शब्द  एक धुन में फिट हो गया। बाद में उन्हें पता चला कि इसका मतलब तो टैक्स देना होता है तो उन्होंने कहा कि अब शब्द तो यही रखेंगे बोलों को थोड़ा घुमा लेते हैं और गीत बना ज़िन्दगी तेरे रंगों से रंगदारी ना हो पायी लम्हा लम्हा कोशिश की पर यारी ना हो पायी।

अब देखिए पानियों सा में उन्होंने में कितनी प्यारी पंक्तियाँ लिखीं कि संग तेरे पानियों सा पानियों सा बहता रहूँ..तू सुनती रहे में कहानियाँ सी कहता रहूँ। ....  दो दिलों के बीच का प्यार पानी की तरह तरल रहे, जीवन पर्यन्त बहता रहे और आपस में संवाद बरक़रार रहे  तो इससे ज्यादा खुशनुमा और क्या हो सकता है? अब भले ही हिंदी के जानकार कहें कि भाई द्रव्यसूचक संज्ञा जैसे पानी, तेल, घी, दूध  तो एकवचन में ही इस्तेमाल होती हैं , तुमने ये "पानियों सा" कहाँ से ईजाद  कर लिया? मेरे ख़्याल से कुमार फिर वही जवाब होगा मेरे को पब्लिक ने आज़ादी दे दी। भाई तू कर ले। वैसे भी बोलों को गीत के मीटर में लाने के लिए गीतकार ऐसा करते ही रहे हैं।सही बताऊँ तो कुमार ने गलत लिखते हुए भी गीत की भावनाओं से क्या पूरे देश का कनेक्शन बना दिया। 

कुमार पंजाब के जालंधर से हैं। आजकल फिल्मों में  हिंदी मिश्रित पंजाबी गीतों का जो चलन है उसने उन्हें खूब काम और यश दिलाया है। माँ का लाडला, बेबी डॉल, इश्क़ तेरा तड़पाए और चिट्टियाँ कलाइयाँ जैसे गीतों ने उनकी लोकप्रियता युवाओं में तो खासी बढ़ा दी। मुझे ये खिचड़ी उतनी पसंद नहीं आती थी तो मैं उन्हें एक कामचलाऊ गीतकार ही मानता था जो दिल से कम और बाजार की माँग के अनुरूप ज्यादा लिखता है। फिर उन्होंने जब जो माँगी थी दुआ और मै तो नहीं हूँ इंसानों में  जैसे दिल छूते गीत लिखे तो मुझे समझ आया कि बंदे में दम है। 

जो तेरे संग लागी प्रीत मोहे 
रूह बार बार तेरा नाम ले 
कि रब से है माँगी ये ही दुआ 
तू हाथों की लकीरें थाम ले

चुप हैं बातें, दिल कैसे बयां में करूँ 
तू ही कह दे, वो जो बात मैं कह न सकूँ
कि संग तेरे पानियों सा पानियों सा
पानियों सा बहता रहूँ 
तू सुनती रहे मैं कहानियाँ सी कहता रहूँ 
कि संग तेरे बादलों सा बादलों सा 
बादलों सा उड़ता रहूँ 
तेरे एक इशारे पे तेरी और मुड़ता रहूँ 

आधी ज़मीं आधा आसमां था 
आधी मंजिलें आधा रास्ता था 
इक तेरे आने से मुकम्मल हुआ सब ये 
बिन तेरे जहां भी बेवज़ह था 
तेरा दिल बन के में साथ तेरे धड़कूँ 
खुद को तुझसे अब दूर न जाने दूँ 
कि संग तेरे ...मुड़ता रहूँ


इस गीत को गाया है आतिफ असलम और तुलसी कुमार ने। ज़ाहिर है टी सीरिज़ वाले तुलसी कुमार को प्रमोट करने का मौका नहीं छोड़ते भले ही उनसे लाख गुना बेहतर गायिकाएँ फिल्म उद्योग में मौज़ूद हैं। आतिफ जैसा एक अच्छा गायक गीत को कहाँ ले जाता है वो आप तुलसी के सोलो वर्सन को यहाँ सुन कर महसूस कर सकते हैं। 



वार्षिक संगीतमाला 2018  
1. मेरे होना आहिस्ता आहिस्ता 
2जब तक जहां में सुबह शाम है तब तक मेरे नाम तू
3.  ऐ वतन, वतन मेरे, आबाद रहे तू
4.  आज से तेरी, सारी गलियाँ मेरी हो गयी
5.  मनवा रुआँसा, बेकल हवा सा 
6.  तेरा चाव लागा जैसे कोई घाव लागा
7.  नीलाद्रि कुमार की अद्भुत संगीत रचना हाफिज़ हाफिज़ 
8.  एक दिल है, एक जान है 
9 . मुड़ के ना देखो दिलबरो
10. पानियों सा... जब कुमार ने रचा हिंदी का नया व्याकरण !
11 . तू ही अहम, तू ही वहम
12. पहली बार है जी, पहली बार है जी
13. सरफिरी सी बात है तेरी
14. तेरे नाम की कोई धड़क है ना
15. तेरा यार हूँ मैं
16. मैं अपने ही मन का हौसला हूँ..है सोया जहां, पर मैं जगा हूँ 
17. बहुत दुखा रे, बहुत दुखा मन हाथ तोरा जब छूटा
18. खोल दे ना मुझे आजाद कर
19. ओ मेरी लैला लैला ख़्वाब तू है पहला
20. मैनू इश्क़ तेरा लै डूबा  
21. जिया में मोरे पिया समाए 
24. वो हवा हो गए देखते देखते
25.  इतनी सुहानी बना हो ना पुरानी तेरी दास्तां

शनिवार, जनवरी 12, 2019

वार्षिक संगीतमाला 2018 पायदान # 15 : तेरा यार हूँ मैं Tera Yaar Hoon Main

वार्षिक संगीतमाला में अब बढ़ रहे हैं प्रथम पन्द्रह गीतों की तरफ।  यारी दोस्ती पर हिंदी फिल्म जगत में गीत बनते रहे हैं। अगर अपनी याददाश्त पर ज़ोर डालूँ तो ये दोस्ती हम नहीं तोड़ेंगे, यारी है ईमान मेरा यार मेरी ज़िंदगी, तेरे जैसा यार कहाँ, दोस्त दोस्त ना रहा, दीये जलते हैं, सलामत रहे दोस्ताना हमारा जैसे गीत तुरंत दिमाग में उतरते हैं। अब आप कहेंगे कि ये सारे तो बेहद पुराने गीत हैं तो नए गीतों में दिल चाहता है हम रहे ना रहें कभी यारों के बिन, अल्लाह वारियाँ ओ टूटी यारियाँ मिला दे ओए, जाने नहीं देंगे तुझे जैसे चंद जिनका ख्याल अभी आ रहा है। दोस्तों के बिना तो इस दुनिया में किसी इंसान का जी पाना दुश्वार है। जब भी कोई सुरीला नग्मा दोस्ती की बात करता है तो वो जल्द ही सबके मन में बस जाता है। इस साल इसी कड़ी में अपनी अलग पहचान बनाता हुआ जुड़ा है सोनू के टीटू की स्वीटी फिल्म का गीत तेर यार हूँ मैं।




सोनू के टीटू की स्वीटी जैसे नाम वाली फिल्मों से तो यही आशा थी कि इसके गाने मौज मस्ती वाले ही होंगे और वे थे भी वैसे ही सिवाय इस गीत के जिसका एक अलग ही मिज़ाज था। बड़ी संजीदा और मधुर धुन तैयार की रोचक कोहली ने इस गीत के लिए। इस फिल्म की कहानी तो आप जानते ही हैं कि दोस्त की मंगेतर के तौर तरीके नायक के पसंद नहीं आते। दोस्त बेचारा मित्र और मंगेतर के बीच इसी असमंजस में है कि चुने तो किसको चुने? दोनों ही उसे प्रिय हैं। 

इस गीत में गीतकार कुमार ( जिनका पूरा नाम राकेश कुमार है।) को शब्दों के माध्यम से उन मंज़रों का खाका खींचना था जो दो मित्रों के बीच बचपन से दोस्ती की गाँठ को मजबूत करते आए थे। मनोज की तरह कुमार अपनी भाषा को सहज रखते हुए श्रोताओं के दिल तक पहुँचने की कोशिश करते हैं। कुमार ने बचपन की शरारतों, खिलौने के लिए मार पीट, छोटी मोटी कहा सुनी जैसी बातों का जिक्र कर ये काम बखूबी किया। अरिजीत की आवाज़ का दर्द रोचक की मायूस करती धुन में घुलता जाता है। 


तू जो रूठा तो कौन हँसेगा
तू जो छूटा तो कौन रहेगा
तू चुप है तो ये डर लगता है
अपना मुझको अब कौन कहेगा
तू ही वजह.
तेरे बिना बेवजह बेकार हूँ मैं
तेरा यार हूँ मैं, तेरा यार हूँ मैं

आजा लड़ें फिर खिलौनों के लिए
तू जीते मैं हार जाऊँ
आजा करें फिर वही शरारतें
तू भागे मैं मार खाऊँ

मीठी सी वो गाली तेरी
सुनने को तैयार हूँ मैं
तेरा यार हूँ मैं, हम्म. तेरा यार हूँ मैं

ओ जाते नहीं कहीं रिश्ते पुराने
किसी नए के आ जाने से
जाता हूँ मैं तो मुझे तू जाने दे
क्यूँ परेशां है मेरे जाने से

टूटा है तो जुड़ा है क्यूँ
मेरी तरफ तू मुड़ा है क्यूँ
हक नहीं तू ये कहे की
यार अब हम ना रहे
एक तेरी यारी का ही

सातों जनम हक़दार हूँ मैं, तेरा यार हूँ मैं

गीत के प्रील्यूड में ताल वाद्यों और गिटार का जो सामंजस्य उन्होंने रचा है वो कानों को सोहता है। रोचक कोहली के लिए ये साल बेहद सफल साबित हुआ है। इस साल की संगीतमाला में अब तक आप उन्हें देखते देखते और ले डूबा में सुन चुके हैं। इन गीतों में एक गौर करने वाली बात ये है कि अपनी संगीतबद्ध रचनाओं में वो ज्यादा वाद्य यंत्रों का प्रयोग नहीं करते और उनकी धुनें सहज पर सुरीली होती हैं जो तेजी से कानों से दिल तक जगह बना लेती हैं। इस संगीतमाला में उनका गीतकार कुमार के साथ एक गीत और है। उस गीत की बारी आने पर इन दो कलाकारों के बारे में और बातें होंगी। तो आइए सुने अरिजीत सिंह की आवाज़ में ये गीत।



वार्षिक संगीतमाला 2018  
1. मेरे होना आहिस्ता आहिस्ता 
2जब तक जहां में सुबह शाम है तब तक मेरे नाम तू
3.  ऐ वतन, वतन मेरे, आबाद रहे तू
4.  आज से तेरी, सारी गलियाँ मेरी हो गयी
5.  मनवा रुआँसा, बेकल हवा सा 
6.  तेरा चाव लागा जैसे कोई घाव लागा
7.  नीलाद्रि कुमार की अद्भुत संगीत रचना हाफिज़ हाफिज़ 
8.  एक दिल है, एक जान है 
9 . मुड़ के ना देखो दिलबरो
10. पानियों सा... जब कुमार ने रचा हिंदी का नया व्याकरण !
11 . तू ही अहम, तू ही वहम
12. पहली बार है जी, पहली बार है जी
13. सरफिरी सी बात है तेरी
14. तेरे नाम की कोई धड़क है ना
15. तेरा यार हूँ मैं
16. मैं अपने ही मन का हौसला हूँ..है सोया जहां, पर मैं जगा हूँ 
17. बहुत दुखा रे, बहुत दुखा मन हाथ तोरा जब छूटा
18. खोल दे ना मुझे आजाद कर
19. ओ मेरी लैला लैला ख़्वाब तू है पहला
20. मैनू इश्क़ तेरा लै डूबा  
21. जिया में मोरे पिया समाए 
24. वो हवा हो गए देखते देखते
25.  इतनी सुहानी बना हो ना पुरानी तेरी दास्तां

रविवार, जनवरी 06, 2019

वार्षिक संगीतमाला 2018 पायदान # 20 : मैनू इश्क़ तेरा लै डूबा Lae Dooba

वार्षिक संगीतमाला में अब दौर आ गया है प्रथम बीस गीतों का और आज इस पड़ाव पर फिल्म अय्यारी का एक ऐसा गीत है जो आपकी ये शाम रूमानी बनाने में कोई कसर नहीं छोड़ेगा। इस गीत को गाया है सुनिधि चौहान ने। जब श्रेया और सुनिधि अपने कैरियर के सबसे व्यस्ततम मोड़ पर थीं तो अक्सर ऐसा होता था कि श्रेया की झोली में रोमांटिक और गंभीर गीत ज्यादा आते थे और सुनिधि तेज बीट्स वाले डांस और आइटम नंबर्स में छाई रहती थीं। ऐसी छवि की वजह से उनके कैरियर में उन्हें कई अच्छी रचनाओं से हाथ धोना पड़ा। 


सुनिधि एक ऐसी गायिका हैं जो हर मूड के गीत को बखूबी निभाने की काबिलियत रखती हैं। सुनिधि ग्यारह साल की उम्र से ही हिंदी फिल्म संगीत का हिस्सा हैं। सालों बाद उन्होंने अपने होने वाले बच्चे के लिए ब्रेक लिया पर माँ बनने के बाद से फिर से काम शुरु भी कर दिया। अब बच्चे का भाग्य कहिए कि साल 2018 सुनिधि चौहान के लिए एक बेहद सफल वर्ष साबित हुआ है। उन्हें काफी अच्छे गाने मिले और उसे उन्होंने पूरी लगन से निभाया भी। यही वजह है कि इस साल उनके तीन एकल गीत इस गीतमाला का हिस्सा हैं, वो भी तब जबकि इस इंडस्ट्री में जितने एकल गीत बनते हैं उनका लगभग एक चौथाई हिस्सा ही महिला गायिकाओं के हिस्से में आता है। 
सुनिधि चौहान
सुनिधि ने अय्यारी के इस मधुर गीत को अपनी अदाएगी से और मधुर बना दिया है। जिस तरह वो गीत में बार बार लै डूबा दोहराती हैं तो दिल डूबता सा ही महसूस होता है। सुनिधि अपनी गायिकी से  ऍसा प्रभाव ला सकीं क्यूँकि रोचक कोहली और मनोज मुन्तशिर की जोड़ी ने धुन और बोलोँ काउन्हें  ऍसा गुलदान दिया जिसे उन्होंने अपनी फूल सी आवाज़ से खूबसूरत बना दिया। 

अय्यारी सेना पर आधारित फिल्म थी। छोटा सा एलबम था तीन गीतों का। इसमें सबसे ज्यादा लोकप्रियता लै  डूबा ने हासिल की। गीत की धुन इतनी सुरीली है कि रोचक कोहली को संगीत संयोजन के नाम पर गिटार के कुछ तार ही झनझनाने पड़े हैं प्रील्यूड व इंटरल्यूड में। वैसे क्या आप जानते हैं कि गिटार से इतनी अच्छी धुनें निकालने वाले रोचक कोहली  वकालत की पढ़ाई कर चुके थे  और संगीत के क्षेत्र में अपना दखल देने के पहले उन्होंने आठ साल तक रेडियो स्टेशन में नौकरी भी की थी?  मुझे लगता है कि व्यक्ति जीवन की किसी भी मोड़ पर सफलता हासिल कर सकता है बशर्ते कि वो हर समय अपने अंदर छुपे हुनर को टटोलता और माँजता रहे।

मनोज मुन्तशिर और रोचक कोहली
आखिर ले डूबा में ऐसा क्या है जो श्रोताओं को अपनी ओर खींचता है? जो लोग प्रेम में पड़े हों उन्हें अच्छी तरह पता होगा कि इसका शुरुआती दौर दिल के लिए कितनी उथल पुथल ले कर पाता है।  मनोज मुन्तशिर ने बस ऐसे ही कुछ लमहे पकड़े हैं इस गीत में जो हर किसी को इस दौर की खट्टी मीठी  याद दिलाने के लिए काफी हैं। 

तो आइए थोड़ा डूब के देखते हैं इन रूमानी भावों में मनोज, रोचक और सुनिधि के साथ..

मैनू इश्क़ तेरा लै डूबा, हाँ इश्क़ तेरा लै डूबा
ऐसा क्यूँ होता है, तेरे जाने के बाद 
लगता है हाथों में, रह गए तेरे हाथ 
तू शामिल है मेरे, हँसने में रोने में 
है क्या कोई कमी, मेरे पागल होने में
मैनू इश्क़ तेरा लै डूबा.... 

हर दफ़ा... वही जादू होता है, तू जो मिले 
हो.. सब संवर, जाता है, यारा अन्दर मेरे 
इक लम्हे में कितनी, यादें बन जाती हैं 
मैं इतना हँसती हूँ, आँखें भर आती हैं 
मैनू इश्क़ तेरा लै डूबा.... 

फुरसतें कहाँ आँखों को है मेरी आज कल 
हो.. देखने में तुझे, सारा दिन जाए निकल 
और फिर आहिस्ता से, जब छू के तू निकले 
तेरी आँच में दिल मेरा, धीमे धीमे पिघले
मैनू इश्क़ तेरा लै डूबा.... 





वार्षिक संगीतमाला 2018  
1. मेरे होना आहिस्ता आहिस्ता 
2जब तक जहां में सुबह शाम है तब तक मेरे नाम तू
3.  ऐ वतन, वतन मेरे, आबाद रहे तू
4.  आज से तेरी, सारी गलियाँ मेरी हो गयी
5.  मनवा रुआँसा, बेकल हवा सा 
6.  तेरा चाव लागा जैसे कोई घाव लागा
7.  नीलाद्रि कुमार की अद्भुत संगीत रचना हाफिज़ हाफिज़ 
8.  एक दिल है, एक जान है 
9 . मुड़ के ना देखो दिलबरो
10. पानियों सा... जब कुमार ने रचा हिंदी का नया व्याकरण !
11 . तू ही अहम, तू ही वहम
12. पहली बार है जी, पहली बार है जी
13. सरफिरी सी बात है तेरी
14. तेरे नाम की कोई धड़क है ना
15. तेरा यार हूँ मैं
16. मैं अपने ही मन का हौसला हूँ..है सोया जहां, पर मैं जगा हूँ 
17. बहुत दुखा रे, बहुत दुखा मन हाथ तोरा जब छूटा
18. खोल दे ना मुझे आजाद कर
19. ओ मेरी लैला लैला ख़्वाब तू है पहला
20. मैनू इश्क़ तेरा लै डूबा  
21. जिया में मोरे पिया समाए 
24. वो हवा हो गए देखते देखते
25.  इतनी सुहानी बना हो ना पुरानी तेरी दास्तां

बुधवार, जनवरी 02, 2019

वार्षिक संगीतमाला 2018 पायदान # 24 : वो हवा हो गए देखते देखते Dekhte Dekhte

संगीतमाला की अगली सीढ़ी पर विराजमान है संगीतकार रोचक कोहली, गीतकार मनोज मुन्तशिर और गायक आतिफ असलम की तिकड़ी "बत्ती गुल मीटर चालू" के इस गीत के साथ, जिसका मुखड़ा नुसरत फतेह अली खाँ की कव्वाली से प्रेरित है। लगता है मेरे रश्के क़मर के पिछले साल हिट हो जाने के बाद नुसरत साहब की कव्वालियों को फिर से बनाने की माँग, निर्माताओं ने बढ़ा दी है। यही वजह कि इस साल फिल्म Raid  में सानू इक पल चैन ना आवे , फन्ने खान में ये जो हल्का हल्का सुरूर है और सिम्बा में तेरे बिन नहीं लगदा दिल ढौलना की गूँज है।

मैं पुराने गीतों के फिर बने वर्जन को मूल गीतों की अपेक्षा कम अहमियत देता हूँ क्यूँकि फिल्म संगीत में चली ये प्रवृति कलाकारों की रचनात्मकता को कम करती है। ये सही है कि एक जमे  जमाए गीत को फिर से recreate कर लोकप्रियता हासिल करना आसान नहीं क्यूँकि सुनने वाला उसकी तुलना तुरंत पुराने गीत से करने लगता है पर ये भी उतना ही सही है कि ऐसे गीत पुराने गीतों के लोकप्रिय मुखड़ों का इस्तेमाल कर लोगों के ज़ेहन में जल्दी बैठ जाते हैं। बहरहाल इसके बावजूद भी अगर ये गीत इस गीतमाला में है तो उसकी वजह इसके सहज पर शायराना बोल हैं। वैसे तो रोचक और आतिफ ने इस गीत में अपनी अपनी भूमिकाएँ निभायी हैं पर इसी कारण से मैं इस गीत का असली नायक मनोज मुन्तशिर को मानता हूँ।




मनोज मुन्तशिर एक शाम मेरे नाम की संगीतमालाओं के लिए कोई नए नाम नहीं हैं। पिछले चार पाँच सालों में उनके दर्जन भर गीत मेरी संगीतमाला में शामिल रहे हैं। मनोज की खासियत है कि वो रूमानियत को सहज शब्दों की शायराना चाशनी में इस तरह घोलते हैं कि बात सुनने वाले तक तुरंत पहुँच जाती है। यही वजह है कि उनकी लोकप्रियता युवाओं में इतनी ज्यादा है। तेरे संग यारा, फिर कभी, ले चला, तेरी गलियाँ जैसे उनके दर्जनों गीतों की लोकप्रियता उनके शब्दों की मुलायमियत में छिपी है। मैंने ये भी देखा है कि जब जब इस ढर्रे से निकल कर भी उन्होंने लिखा है, कमाल ही किया है। मैं तुझसे प्यार नहीं करती, बड़े नटखट है तोरे कँगना, माया ठगनी, है जरूरी जैसे गीतों को मैं इसी श्रेणी का मानता हूँ। आशा है आने वाले सालों में मनोज को कुछ ऐसी पटकथाएँ भी मिलेंगी जहाँ उनके शब्दों को विविधता लिए गहरे और पेचीदा मनोभावों में डूबने का मौका मिले।

मनोज मुन्तशिर और रोचक कोहली
तो लौटें इस गीत पर। आपको याद होगा कि पिछले साल भी नुसरत साहब की कव्वाली मेरे रश्के क़मर तूने पहली नज़र को भी मनोज ने अपने शब्दों मे ढालकर खासी लोकप्रियता अर्जित की थी। अगर आप यहाँ भी नुसरत साहब की मूल कव्वाली सुनने के बाद ये गीत सुनेंगे तो हुक लाइन को छोड़ देने से लगेगा कि आप एक नया ही गीत सुन रहे हैं। 

मनोज मुन्तशिर का  कहना है कि कई बार सीधे सहज शब्दों की ताकत का सही इस्तेमाल नहीं हो पाता और मैंने इस में यही करने की कोशिश की है। इसका सबसे बड़ा उदाहरण मुझे इस गीत की इन पंक्तियाँ में लगता है कि आते जाते थे जो साँस बन के कभी.. वो हवा हो गए देखते देखते। वाह भाई साँसों को हवा हो जाने के मुहावरे से इस खूबसूरती से जोड़ने के लिए वो दिल से दाद के काबिल हैं। 

रज्ज के रुलाया, रज्ज के हंसाया
मैंने दिल खो के इश्क़ कमाया
माँगा जो उसने एक सितारा
हमने ज़मीं पे चाँद बुलाया

जो आँखों से.. हाय
वो जो आँखों से इक पल ना ओझल हुए
लापता हो गए देखते देखते
सोचता हूँ..सोचता हूँ कि वो कितने मासूम थे
क्या से क्या हो गए देखते देखते

वो जो कहते थे बिछड़ेंगे ना हम कभी
अलविदा हो गए देखते देखते
सोचता हूँ..

एक मैं एक वो, और शामें कई
चाँद रोशन थे तब आसमां में कई
यारियों का वो दरिया उतर भी गया
और हाथों में बस रेत ही रह गयी

कोई पूछे के.. हाय
कोई पूछे के हमसे खता क्या हुई
क्यूँ खफ़ा हो गए देखते देखते

आते जाते थे जो साँस बन के कभी
वो हवा हो गए देखते देखते
वो हवा हो गए.. हाय..ओह हो हो..

वो हवा हो गए देखते देखते
अलविदा हो गए देखते देखते
लापता हो गए देखते देखते
क्या से क्या हो गए देखते देखते

जीने मरने की हम थे वजह और हम ही
बेवजह हो गए देखते देखते..
सोचता हूँ..

रोचक कोहली की गिटार पर महारत जग जाहिर है। पिछले साल आप उनका कमाल लखनऊ सेंट्रल के गीत मीर ए कारवाँ में सुन ही चुके हैं। इस गीत का प्रील्यूड भी उन्होंने गिटार पर ही रचा है। ताल वाद्यों की बीट्स पूरे गीतों के साथ चलती है तो आइए सुनते हैं ये गीत आतिफ असलम की आवाज़ में। इस नग्मे को फिल्माया गया है शाहिद और श्रद्धा कपूर की जोड़ी पर।




वार्षिक संगीतमाला 2018  
1. मेरे होना आहिस्ता आहिस्ता 
2जब तक जहां में सुबह शाम है तब तक मेरे नाम तू
3.  ऐ वतन, वतन मेरे, आबाद रहे तू
4.  आज से तेरी, सारी गलियाँ मेरी हो गयी
5.  मनवा रुआँसा, बेकल हवा सा 
6.  तेरा चाव लागा जैसे कोई घाव लागा
7.  नीलाद्रि कुमार की अद्भुत संगीत रचना हाफिज़ हाफिज़ 
8.  एक दिल है, एक जान है 
9 . मुड़ के ना देखो दिलबरो
10. पानियों सा... जब कुमार ने रचा हिंदी का नया व्याकरण !
11 . तू ही अहम, तू ही वहम
12. पहली बार है जी, पहली बार है जी
13. सरफिरी सी बात है तेरी
14. तेरे नाम की कोई धड़क है ना
15. तेरा यार हूँ मैं
16. मैं अपने ही मन का हौसला हूँ..है सोया जहां, पर मैं जगा हूँ 
17. बहुत दुखा रे, बहुत दुखा मन हाथ तोरा जब छूटा
18. खोल दे ना मुझे आजाद कर
19. ओ मेरी लैला लैला ख़्वाब तू है पहला
20. मैनू इश्क़ तेरा लै डूबा  
21. जिया में मोरे पिया समाए 
24. वो हवा हो गए देखते देखते
25.  इतनी सुहानी बना हो ना पुरानी तेरी दास्तां

शुक्रवार, जनवरी 19, 2018

वार्षिक संगीतमाला 2017 पायदान 20 :मीर-ए-कारवाँ Meer e Kaarwan

एक हफ्ते के विराम के बाद वार्षिक संगीतमाला का कारवाँ फिर चल पड़ा है साल के बचे हुए बीस शानदार गीतों के सफ़र पर  संगीतमाला की बीसवीं पायदान पर गीत वो जिसे लिखा नवोदित गीतकार अधीश वर्मा ने, धुन बनाई संगीतकार रोचक कोहली ने और जिसमें आवाज़े दीं नीति मोहन व अमित मिश्रा ने । जी हाँ मैं बात कर रहा हूँ फिल्म लखनऊ सेंट्रल के गीत मीर ए कारवाँ की।

चंडीगढ़ से ताल्लुक रखने वाले रोचक कोहली का सितारा पहली बार आयुष्मान के साथ रचे उनके गीत पानी दा रंग के साथ चमका था। आरंभिक कुछ सालों में आयुष्मान के साथ अपना फिल्म संगीत की शुरुआत करने वाले रोचक कोहली इस साल नाम शबाना, करीब करीब सिंगल और लखनऊ सेंट्रल से बतौर संगीतकार अपनी व्यक्तिगत पैठ बनाते दिखे। चाहे विकी डोनर का पानी दा रंग हो या हवाईज़ादा कासपना है निजाम का ,रोचक की गिटार पर महारत देखते ही बनती है।


मीर ए कारवाँ में भी मुखड़े के पहले  गिटार के साथ तबले का अद्भुत मेल श्रोताओं का ध्यान एक बार ही में आकर्षित कर लेता है। गिटार और तबले की ये संगत ऐसी है जिसे बार बार सुनने का मन  होता है और रोचक इसीलिए उसका प्रयोग इंटरल्यूड्स में भी करते हैं। ये कहना लाजिमी होगा कि संगीत का ये टुकड़ा इस गीत की सिग्नेचर ट्यून बन कर उभरा है। रोचक कोहली ने अधीश की मदद से इस गीत को सूफियत का जामा पहनाने की कोशिश की है। पर गीत के कुछ हिस्से "मितवा" की याद दिला देते हैं जिससे बचा जा सकता था।

फिल्म के गीतकार अधीश वर्मा का फिल्मों के लिए लिखा गया दूसरा गीत है। इससे पहले वे रोचक के साथ बैंक चोर  का एक गीत लिख चुके थे। मीर ए कारवाँ एक ऐसा गीत है जो फिल्म की कहानी में ज़िंदगी की अलग अलग राहों से भटकते हुए किरदारों को संगीत के माध्यम से जोड़ता है। जेल की सलाखों में बंद इन किरदारों को एक नयी मंज़िल की तलाश है।

अधीश ने गीत में मीर-ए-कारवाँ का जुमला उछाला है। दरअसल सफ़र में साथ चलने वाले समूह के नेता को ही 'मीर-ए-कारवाँ' कहा जाता  है। पर अधीश ने इस गीत में कहना चाहा है कि जब हम जीवन की जटिल राहों में अकेले ही संघर्ष करते हैं तो हमारी उम्मीद की किरण, हमारे सफ़र का मसीहा यानि हमारा मीर ए कारवाँ बस एक ऊपर वाला होता है। अधीश इसी मीर ए कारवाँ से अपने किरदारों (जो जीवन की इस गहरी स्याह रात से होकर गुज़र रहे हैं ) के लिए नए उजाले की दुआ करते हैं। 

बहार क्यूँ तेरे दर ना आती.. वाले अंतरे में अधीश किरदारों की अपने आस पास की परिस्थितियों से उपजी हताशा को बखूबी रेखांकित करते हैं। नीति मोहन की आवाज़ मुझे हमेशा से प्यारी लगती रही है। इस गीत में उनका अमित मिश्रा  ने भी बखूबी साथ दिया  है तो आइए सुनें इन दोनों के स्वर में फिल्म लखनऊ सेंट्रल का ये गाना...


ओ बंदेया ओ बंदेया
ओ बंदेया ओ बंदेया
ओ बंदेया ओ बंदेया

तेरी मंज़िलें हुईं गुमशुदा
फिर भी रास्ता है तेरा मेहेरबां
ओ मीर-ए-कारवाँ 
तेरी राहों पे रवाँ
कि मेरे नसीबों में
हो कोई तो दुआ
ओ मीर-ए-कारवाँ
ले चल मुझे वहाँ
ये रात बने जहाँ सुबह
मीर-ए-कारवाँ, ओ मीर-ए-कारवाँ

ओ बस कर दिल अब बस कर भी
हो बस कर दिल अब बस कर भी
उस राह मुझे जाना ही नहीं
पल दो पल का साथ सफ़र फिर
होगी जुदा रहगुज़र
नदिया थाम के जो बहते रहे
मिलते हैं वो किनारे कहाँ

ओ मीर-ए-कारवाँ, तेरी राहों पे रवाँ...

बहार क्यूँ तेरे दर ना आती
है क्या भरम जो नज़र दिखाती
अब और कितनी ये रात बाक़ी
है रात बाक़ी, ये रात बाक़ी
निगल ना जायें तुझे ये साये
गले में घुटती हैं सर्द आहें
बता ओ बंदे क्यूँ मात खाये
क्यूँ मात खाये रे

लागे ना दिल अब लागे नहीं
लागे ना दिल अब लागे नहीं
मेरे पैरों तले निकली जो ज़मीं
इस बस्ती में था मेरा घर
उसे किस की लगी फिर नज़र
वो जो सपनों का था काफ़िला
ऐसा झुलसा की अब है धुआँ

ओ मीर-ए-कारवाँ, तेरी राहों पे रवाँ...
चल अकेला राही, चल चल अकेला राही
हाफ़िज़ तेरा इलाही, हाफ़िज़ तेरा इलाही



वार्षिक संगीतमाला 2017


सोमवार, जनवरी 04, 2016

वार्षिक संगीतमाला 2015 पायदान #25 : सपना है निज़ाम का ..अपने तुर्रम खाँ का Turram Khan

तो मेहरबान और कद्रदान हो जाइए तैयार एक शाम मेरे नाम की वार्षिक संगीतमाला के साथ, जो है तो वैसे ग्यारह बरस पुरानी पर इस हिंदी ब्लॉग पर आज अपनी दसवीं वर्षगाँठ मना रही है। हर साल की तरह इस साल भी पिछले साल प्रदर्शित मेरी पसंद के पच्चीस गीतों का ये सिलसिला दो महीनों तक ज़ारी रहेगा। जो लोग एक शाम मेरे शाम की वार्षिक संगीतमाला से वाकिफ़ ना हों वो पिछली संगीतमालाओं और गीतों की चयन प्रक्रिया से यहाँ रूबरू हो सकते हैं


पच्चीस वीं पायदान के लिए मैंने जो गाना चुना है वो है फिल्म हवाईज़ादा का। अगर गीत का शीर्षक देख आपके चेहरे पर मुस्कुराहट की रेखा उभर आई है तो यक़ीन मानिए इसे सुनने के बाद गीत की मस्ती से अपने आप को अछूता नहीं रख पाएँगे। पिछले साल जनवरी में प्रदर्शित ये फिल्म एक ऐसे शख़्स की कहानी है जिसका सपना एक  हवाईजहाज बनाने का है जिसमें बैठ कर लोग उड़ सकें। पर एक गरीब आदमी क्या इतने बड़े सपने देख सकता है?

यही वज़ह थी कि फिल्म के निर्देशक व गीतकार विभु वीरेंद्र पुरी के मन में गीत के लिए तुर्रम खाँ का चरित्र उभरा। वैसे अगर आपने बचपन में शेखचिल्ली की कहानियाँ पढ़ी हों तो वहाँ भी एक तुर्रम खाँ हुआ करते थे जो तीसमार खाँ के अग्रज होने के आलवा बड़े बड़े कामों को अंज़ाम दिया करते थे। इन कथा कहानियों ने तुर्रम खान के चरित्र को एक लोकोक्ति में ही ढाल दिया और हर औकात से ज्यादा सपने देखने वालों के लिए लोग कहने लगे कि बड़ा तुर्रम खान बना फिरता है। यही बात हवाइज़ादे पर भी लागू होती है। हमारा ये हवाईज़ादा अपने ख्वाबों को पूरा करने के लिए घर से भागता है पर पैसे कमाने के लिए जिस काम में हाथ लगाता है उसका सत्यानाश कर देता है। पर उसकी उम्मीद फिर भी मरती नहीं है।

गीत का संगीत दिया हे रोचक कोहली ने। चंडीगढ़ से ताल्लुक रहने वाले रोचक पिछले तीन चार सालों से आयुष्मान खुराना के साथ संगीत संयोजन करते रहें हैं। रोचक की पहचान विकी डोनर के गीत पानी दा रंग देख के से रही है। गिटार का प्रमुखता से इस्तेमाल करने वाले इस गीत में हल्की सी मायूसी, ढेर सारी आशा और जबरदस्त मस्ती है। सबसे मजा तब आता है जब गायक पापोन साथियों के साथ तु तु तु तुर्रू तु....तु तु तु तु तुर्रू ता.... तु तु तु तु तुर्रम खान का आलाप करते हैं  और मन गीत की लय के साथ झूमने लगता है।

तो चलिए आपको सुनाते हैं ये हल्का फुल्का नग्मा..


ज़िंदगी की सरकस में है सीखा
सब को सलाम करके जीता
अरे चाबुक खाते बेजुबान तुर्रम खाँ का
सपना निज़ाम तु तु तु तुर्रू तु
तु तु तु तु तुर्रू ता, तु तु तु तु तुर्रम खान का
सपना है निज़ाम का
अपने जैसे आम का
तु तु तु तु तुर्रम खाँ का
तु तु तु तुर्रू, तु तु तु तुर्रू
तु तु तु तु तुर्रम खाँ का


ऐ ज़िंदगी भर दो में दो है जोड़ा
हाथ में बचा हे फिर भी थोड़ा
करते करते काम नाकाम तुर्रम खाँ का
सपना निज़ाम तु तु तु तुर्रू तु
तु तु तु तु तुर्रू ता, तु तु तु तु तुर्रम खान का....

हो ..मुस्कुराता बेबसी में
फूट फूट रोता है खुशी में
अरे मुस्कुराता साला बेबसी में
फूट फूट रोता है खुशी में
गरीबी में पलते महान तुर्रम खान का...
सपना निज़ाम तु तु तु तुर्रू तु
तु तु तु तु तुर्रू ता, तु तु तु तु तुर्रम खान का....

एक दिन चमकेगा मेरा तारा
मीठा लगेगा सुखारा
एक दिन चमकेगा मेरा तारा
ख़्वाब देखे जो बेलगाम तुर्रम खान का....
सपना निज़ाम तु तु तु तुर्रू तु
तु तु तु तु तुर्रू ता, तु तु तु तु तुर्रम खान का....


इस गीत को आयुष्मान खुराना व पल्लवी शारदा पर फिल्माया गया है..

वार्षिक संगीतमाला 2015

 

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इस चिट्ठे का उद्देश्य अच्छे संगीत और साहित्य एवम्र उनसे जुड़े कुछ पहलुओं को अपने नज़रिए से विश्लेषित कर संगीत प्रेमी पाठकों तक पहुँचाना और लोकप्रिय बनाना है। इसी हेतु चिट्ठे पर संगीत और चित्रों का प्रयोग हुआ है। अगर इस चिट्ठे पर प्रकाशित चित्र, संगीत या अन्य किसी सामग्री से कॉपीराइट का उल्लंघन होता है तो कृपया सूचित करें। आपकी सूचना पर त्वरित कार्यवाही की जाएगी।

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