पुराना साल बीत गया और नया शुरु भी हो गया पर एक शाम मेरे नाम की वार्षिक संगीतमाला चालू ही नहीं हो पाई। अब क्या करें जनाब यूँ तो नए पुराने गानों पर तो हमेशा नज़र रहती है और एक महीने से तो लगातार ही पिछले साल की फिल्मों को चुन चुन कर उसके गीत सुन रहे हैं पर कहना जरूर होगा कि इस साथ सुरीले गीतों की कड़की जरूर रही। ऊपर से पद्मावती के पद्मावत बनने के प्रकरण की वजह से इस फिल्म के गीतों को गीतमाला से अलग करना पड़ा। नतीजा ये रहा कि साल के पच्चीस बेहतरीन गीतों की फेरहिस्त पूरी करने का मामला थोड़ा खिंच गया।
तो वार्षिक संगीतमाला 2017 की शुरुआत एक सिंगल से। पश्चिमी देशों की तरह भारत में भी आजकल फिल्मों के इतर इकलौते गीत रिलीज़ किए जा रहे हैं और उनमें कुछ खासे लोकप्रिय भी हुए हैं। पच्चीसवीं सीढ़ी पर विराजमान ये गीत एक हल्का फुल्का रोमांटिक गीत है जिसे गजेंद्र वर्मा में गाया, लिखा और संगीतबद्ध किया है।
गजेंद्र वर्मा यूँ तो हरियाणा के सिरसा से ताल्लुक रखते हैं पर वे पहली बार 2011 में अजीबो गरीब वाक़ये के कारण चर्चा में आए। इंटरनेट पर एक गीत Emptiness रोहन राठौड़ के नाम से आया जिसमें दावा किया गया कि IIT गुवहाटी के इस छात्र ने ये गीत अपनी प्रेमिका के ठुकराए जाने पर लिखा था और गीत रिकार्ड करने के पन्द्रह दिनों बाद कैंसर की बीमारी की वज़ह से चल बसा। अब कहानी और इस गीत का दर्द सोशल मीडिया पर यूँ गूँजा कि देखते ही देखते ये लाखों लोगों की पसंद बन गया। बाद में पता चला कि रोहन राठोड़ के नाम से तो IIT गुवहाटी में कोई है ही नहीं और इस के असली रचयिता गजेंद्र हैं।
कुछ लोगों ने इसे उनका पब्लिसिटी स्टंट माना पर गजेंद्र ने आरापों को खारिज करते हुए इसे किसी की शरारत बताया। बहरहाल गजेंद्र उसके बाद गाहे बगाहे हिंदी फिल्मों में बतौर संगीत देते रहें हैं और ख़ुद के सिंगल्स भी निकालते हैं। उनकी मुलायम आवाज़ हिंदी व अंग्रेजी दोंनों में गाए रूमानी गीतों में खासा असर छोड़ती है।
तो वार्षिक संगीतमाला 2017 की शुरुआत एक सिंगल से। पश्चिमी देशों की तरह भारत में भी आजकल फिल्मों के इतर इकलौते गीत रिलीज़ किए जा रहे हैं और उनमें कुछ खासे लोकप्रिय भी हुए हैं। पच्चीसवीं सीढ़ी पर विराजमान ये गीत एक हल्का फुल्का रोमांटिक गीत है जिसे गजेंद्र वर्मा में गाया, लिखा और संगीतबद्ध किया है।
गजेंद्र वर्मा यूँ तो हरियाणा के सिरसा से ताल्लुक रखते हैं पर वे पहली बार 2011 में अजीबो गरीब वाक़ये के कारण चर्चा में आए। इंटरनेट पर एक गीत Emptiness रोहन राठौड़ के नाम से आया जिसमें दावा किया गया कि IIT गुवहाटी के इस छात्र ने ये गीत अपनी प्रेमिका के ठुकराए जाने पर लिखा था और गीत रिकार्ड करने के पन्द्रह दिनों बाद कैंसर की बीमारी की वज़ह से चल बसा। अब कहानी और इस गीत का दर्द सोशल मीडिया पर यूँ गूँजा कि देखते ही देखते ये लाखों लोगों की पसंद बन गया। बाद में पता चला कि रोहन राठोड़ के नाम से तो IIT गुवहाटी में कोई है ही नहीं और इस के असली रचयिता गजेंद्र हैं।
कुछ लोगों ने इसे उनका पब्लिसिटी स्टंट माना पर गजेंद्र ने आरापों को खारिज करते हुए इसे किसी की शरारत बताया। बहरहाल गजेंद्र उसके बाद गाहे बगाहे हिंदी फिल्मों में बतौर संगीत देते रहें हैं और ख़ुद के सिंगल्स भी निकालते हैं। उनकी मुलायम आवाज़ हिंदी व अंग्रेजी दोंनों में गाए रूमानी गीतों में खासा असर छोड़ती है।
तो आइए सुनते हैं ये गाना जिसके शब्द तो मामूली हैं पर धुन ऐसी कि गुनगुनाने का मन करे। वैसे भी जिसके साथ आपकी कहानी जम गयी हो उसके लिए ये कहना तो पसंद करेंगे ना आप...
जिक्र बिना तेरे होंगी ना बातें मेरी
चाँद, बिना तेरे पूरी ना रातें मेरी
भीनी भीनी सी तेरी महक को
शाम ओ सुबह तो ढूँढें हैं साँसें मेरी
तू ही मेरी जिंदगानी है
तेरी मेरी इक कहानी है
वार्षिक संगीतमाला 2017
1. कुछ तूने सी है मैंने की है रफ़ू ये डोरियाँ
2. वो जो था ख़्वाब सा, क्या कहें जाने दे
3. ले जाएँ जाने कहाँ हवाएँ हवाएँ
6. मन बेक़ैद हुआ
7. फिर वही.. फिर वही..सौंधी यादें पुरानी फिर वही
8. दिल दीयाँ गल्लाँ
9. खो दिया है मैंने खुद को जबसे हमको है पाया
10 कान्हा माने ना ..
13. ये इश्क़ है
17. सपने रे सपने रे
19. नज़्म नज़्म
20 . मीर ए कारवाँ
24. गलती से mistake
2. वो जो था ख़्वाब सा, क्या कहें जाने दे
3. ले जाएँ जाने कहाँ हवाएँ हवाएँ
7. फिर वही.. फिर वही..सौंधी यादें पुरानी फिर वही
8. दिल दीयाँ गल्लाँ
9. खो दिया है मैंने खुद को जबसे हमको है पाया
10 कान्हा माने ना ..
