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बुधवार, फ़रवरी 05, 2020

वार्षिक संगीतमाला 2019 Top 10 : तेरा साथ है Tera Saath Hai

असम के गायक अंगराग महन्ता  जिन्हें हम सब पापोन के नाम से जानते हैं की आवाज़ अपनी अलग बनावट की वज़ह से मुझे हमेशा से प्रिय रही है। एक शाम मेरे नाम की संगीतमालाओं में उनकी आवाज़ का जादू दो बार सरताज गीत बनकर गूँजा है। एक तो दम लगा के हइसा का मोह मोह के धागे और दूसरा बर्फी का क्यूँ ना हम तुम। 

आज एक बार फिर पापोन के स्वर में संगीतमाला की चौथी पायदान पर अनजान सी फिल्म का बेहद मधुर गीत है। ये फिल्म थी पिछले साल अक्टूबर में रिलीज़ हुई Jacqueline I Am Coming  जो अपने एक अलग  विषय के बावज़ूद प्रचार प्रसार के अभाव में सिनेमा के पर्दों पर ज्यादा दिन तक टिक नहीं पाई। इस फिल्म के इस एकमात्र गीत का शानदार संगीत दिया है विपिन पटवा ने और इसके बोल लिखे हैं उनके कई सालों के जोड़ीदार डॉक्टर सागर ने। अगर आपको याद हो तो कुछ साल पहले भी इस तिकड़ी का एक गीत इस संगीतमाला में दाखिल हुआ था। फिल्म थी बॉलीवुड डायरीज़ और गीत के बोल थे ख्बाबों को सच करने के लिए तितली ने सारे रंग बेच दिए


उत्तर प्रदेश के एक व्यापारी परिवार में जन्मे विपिन का शुरुआत से संगीत के प्रति रुझान और फिर शास्त्रीय संगीत की विधिवत शिक्षा लेकर बतौर संगीतकार और गायक मुंबई की ओर रुख करने की बात तो मैं आपको पहले यहाँ बता ही चुका हूँ। 

रही बात गीतकार सागर की तो उनका ताल्लुक उत्तर प्रदेश के पूर्वी जिले बलिया से रहा है। अत्यंत गरीब परिवार में जन्मे सागर को स्कूल से ही भोजपुरी में कविता लिखने का शौक था। जिस स्कूल में वो पढ़ते थे वहाँ चार पाँच गाँवों के बच्चे पढ़ने आते थे। स्कूल में उनकी कविताई यूँ चमकी कि स्कूल तो स्कूल पूरे इलाके के लोकगीत कलाकार उनसे गीत लिखवाने के लिए उनके गाँव आने लगे। दो जून रोटी के संघर्ष ने उन्हें स्कूल के बाद कुछ सालों के लिए पढ़ाई लिखाई से दूर कर दिया पर उनकी जीवटता और कविता का प्रेम उन्हें ऐसे लोगों से मिलवाता गया जिनकी मदद से उन्होंने JNU से हिंदी में अपनी पीएचडी पूरी की। 

विपिन पटवा और डॉ सागर
दिल्ली में ही एक बार उनकी मुलाकात विपिन से हुई और बरसों बाद जब वे मुंबई पहुँचे तो ये पुरानी पहचान गीतकार संगीतकार की एक जोड़ी में तब्दील हो गई। विपिन के संगीत निर्देशन में उनका पहला गीत फिल्म ये स्टूपिड प्यार के लिए था जिसे विपिन के साथ श्रेया घोषाल ने गाया था। पिछले आठ सालों में इस जोड़ी ने बॉलीवुड डॉयरीज और दास देव जैसी फिल्मों के लिए अच्छा काम किया है। 

बहरहाल लौटते हैं Jacqueline I Am Coming के इस गीत की तरफ। Jacqueline I Am Coming  की कहानी एक अधेड़ अविवाहित पुरुष की कहानी है जो अकेला जीवन जीते जीते एक युवा ईसाई स्त्री से प्रेम कर बैठता है। प्रेम, सामाजिक विरोध के बीच विवाह और फिर नायिका की मानसिक बीमारी की वजह से आने वाली परेशानियों के बीच फिल्म का एकमात्र गीत आता है और नायक के मन की भावनाओं और कठिनाइयों पर विजय पाने की उसकी उम्मीदों की बात कह जाता है। 

आज ये गीत, गीतमाला के प्रथम दस गीतों में शामिल हुआ है तो उसकी सबसे बड़ी वजह विपिन पटवा की शानदार धुन और संगीत संयोजन है जिसे पापोन की दिल छूती गायिकी और सागर के सहज बोलों का भरपूर साथ मिला है। ये गीत इस बात को भी साबित करता है कि भारतीय वाद्य यंत्रों की अपनी एक अलग ही मिठास है जिसका स्वाद कभी फीका नहीं पड़ता।

गीत की शुरुआत में विपिन ने ताल वाद्य के रूप में घड़े का इस्तेमाल किया है तो अंतरे में सितार की झुनझुनाहट है। गीत के अंत में मुखड़े के साथ शहनाई बजती है और उसके बाद आख़िर के आधे मिनट में जो संगीत बजता है वो मेरी आँखें तो हमेशा नम कर जाता है। 

इन सब के बीच मुखड़े की मोहक धुन पापोन की आवाज़ के साथ फूल और खुशबू बन कर मन में समा जाती है। इतना ही नहीं पर्दे पर जब आप रघुबीर यादव जैसे अद्भुत कलाकार को इस गीत को अभिनीत करते देखते हैं तो गीत की सीधी सादी भावनाएँ और गहरी होकर उतर जाती हैं।


तेरा साथ है हाथों में हाथ है
फूलों सा दिन अब मेरा
खुशबू सी रात है

तेरे बिना कैसे रहूँ
मेरा अधूरा है आशियाँ
तेरे सिवा जाऊँ कहाँ
कोई  नहीं है मेरा यहाँ

तेरा साथ है हाथों में हाथ है
फूलों सा दिन अब मेरा
खुशबू सी रात है

पूरब से आने लगा है उजाला
बादल जो घेरे हैं वो छट जाएँगे
तेरे संग अब मेरी ज़िंदगी के
लमहे सुकूँ से कट जाएँगे

तेरा साथ है हाथों में हाथ है
फूलों सा दिन अब मेरा
खुशबू सी रात है

तो आइए सुनें पापोन की दिलकश आवाज़ में ये नग्मा जो पहले आपने शायद ही सुना हो



वार्षिक संगीतमाला 2019 
01. तेरी मिट्टी Teri Mitti
02. कलंक नहीं, इश्क़ है काजल पिया 
03. रुआँ रुआँ, रौशन हुआ Ruan Ruan
04. तेरा साथ हो   Tera Saath Ho
05. मर्द  मराठा Mard Maratha
06. मैं रहूँ या ना रहूँ भारत ये रहना चाहिए  Bharat 
07. आज जागे रहना, ये रात सोने को है  Aaj Jage Rahna
08. तेरा ना करता ज़िक्र.. तेरी ना होती फ़िक्र  Zikra
09. दिल रोई जाए, रोई जाए, रोई जाए  Dil Royi Jaye
10. कहते थे लोग जो, क़ाबिल नहीं है तू..देंगे वही सलामियाँ  Shaabaashiyaan
11 . छोटी छोटी गल दा बुरा न मनाया कर Choti Choti Gal
12. ओ राजा जी, नैना चुगलखोर राजा जी  Rajaji
13. मंज़र है ये नया Manzar Hai Ye Naya 
14. ओ रे चंदा बेईमान . बेईमान..बेईमान O Re Chanda
15.  मिर्ज़ा वे. सुन जा रे...वो जो कहना है कब से मुझे Mirza Ve
16. ऐरा गैरा नत्थू खैरा  Aira Gaira
17. ये आईना है या तू है Ye aaina
18. घर मोरे परदेसिया  Ghar More Pardesiya
19. बेईमानी  से.. 
20. तू इतना ज़रूरी कैसे हुआ? Kaise Hua
21. तेरा बन जाऊँगा Tera Ban Jaunga
22. ये जो हो रहा है Ye Jo Ho Raha Hai
23. चलूँ मैं वहाँ, जहाँ तू चला Jahaan Tu chala 
24.रूह का रिश्ता ये जुड़ गया... Rooh Ka Rishta 

रविवार, जनवरी 01, 2017

वार्षिक संगीतमाला 2016 पायदान #25 : ख़्वाबों को सच करने के लिए तितली ने सारे रंग बेच दिए Titli ne sare rang bech diye

स्वागत है आप सब का एक शाम मेरे नाम की वार्षिक संगीतमाला के इस ग्यारहवें संस्करण में जिसकी पहली पेशकश है फिल्म बॉलीवुड डायरीज़ से। पिछले साल फरवरी 2016 में प्रदर्शित बॉलीवुड डायरीज़ फिल्म अपने यथार्थ को छूते कथानक के लिए सराही गयी थी। इस गीत के संगीतकार हैं विपिन पटवा और गीत के बोल लिखे हैं डा. सागर ने। विपिन पटवा का संगीत और सागर द्वारा रचे बोल इस फिल्म के लिए  निश्चय ही ज्यादा सुर्खियाँ बटोरने की ताकत रखते थे। पर फिल्म और उसका संगीत ज्यादा ध्यान खींचे बिना ही सिनेमाघर के पर्दों से बाहर हो गया।


उत्तर प्रदेश के एक व्यापारी परिवार से जन्मे विपिन को बचपन से ही शास्त्रीय संगीत में रुचि थी। पंडित हरीश तिवारी से आरंभिक शिक्षा लेने वाले विपिन स्नातक करने के बाद कुछ दिनों तक आकाशवाणी के लिए काम करते रहे। सात आठ साल पहले उन्होंने मायानगरी में कदम रखा और तीन चार छोटी मोटी फिल्में भी कीं। पर बॉलीवुड डायरीज़ मेरी समझ से उनका संगीत निर्देशित अब तक का सबसे बेहतर एलबम है। तितली के आलावा इस फिल्म के अन्य गीत  मनवा बहरुपिया और मन का मिरगा ध्यान आकर्षित करते हैं। मनवा बहरुपिया सुनकर मुझे कभी अलविदा ना कहना के चर्चित गीत मितवा कहे धड़कनें तुझसे क्या की याद आ गयी।

विपिन पटवा
तो बात करते हैं तितली की। दरअसल ये फिल्म मुंबई की फिल्मी दुनिया में पहुँचने की हसरत लिए तीन अलग अलग किरदारों की कहानी है जिनके सपनों के तार उन्हें एक दूसरे से जोड़ देते हैं। इन सपनों को पूरा करने के लिए वे क्या कुछ खोते हैं इसी व्यथा को व्यक्त करता है पच्चीसवीं पॉयदान का ये गीत। डा. सागर जिनकी शिक्षा दिक्षा जे एन यू से हुई है ने इस गीत के लिए जो बोल लिखे हैं उनमें ख़्वाबों को सच करने के लिए तितली ने सारे रंग बेच दिए वाली पंक्ति मन को सीधे कचोट जाती है। 

बाहर से ये दुनिया हमें जितनी रंग बिरंगी दिखती है उतनी अंदर से होती नहीं। पर जब तक उसके इस रूप का दर्शन होता है हम बहुत कुछ दाँव पर लगा देते हैं। उस दलदल को पार करना ही एक रास्ता बचता है वापस लौटना नहीं। ऐसी परिस्थितियों में व्यक्ति अंदर ही अंदर घुलता जाता है पर कुछ कह नहीं पाता। सागर इन मनोभावों को गीत के अंतरे में बखूबी व्यक्त करते हैं।

पियानो और सारंगी के मधुर संगीत संयोजन से गीत के मुखड़े की शुरुआत होती है। इंटरल्यूड्स में भी विपिन भारतीय वाद्यों सारंगी और सरोद का खूबसूरत इस्तेमाल करते हैं। पापोन की शुरुआती तान गीत की पीड़ा को सामने ले आती है। वैसे इस गीत को एलबम में सोमेन चौधरी ने भी गाया है पर पापोन अपनी गायिकी से कहीं ज्यादा प्रभावित करते हैं।

कैसा ये कारवाँ, कैसे हैं रास्ते
ख़्वाबों को सच करने के लिए तितली ने सारे रंग बेच दिए...

सारा सुकूँ हैं खोया खुशियों की चाहत में
दिल ये सहम सा जाए छोटी सी आहट में
कुछ भी समझ ना आये जाना हैं कहाँ
ख़्वाबों को सच करने के लिए तितली ने सारे रंग बेच दिए...

अलफ़ाज़ साँसों में ही आ के बिखरते जाए
खामोशियों में बोले ये आँखे बेजुबान
परछाइयाँ हैं साथी, चलता ही जाए राही
कोई ना देखे अब तो ज़ख्मों के निशान
कुछ भी समझ ना आये जाना हैं कहाँ
ख़्वाबों को सच करने के लिए तितली ने सारे रंग बेच दिए...

ना रौशनी हैं कोई, आशाएँ खोयी खोयी
टूटा फूटा हैं ये उम्मीदों का ज़हाँ
ना बेकरारी कोई, बंदिश रिहाई कोई
अब तो निगाहों में ना कोई इंतज़ार
कुछ भी समझ ना आये जाना हैं कहाँ
ख़्वाबों को सच करने के लिए तितली ने सारे रंग बेच दिए...



 

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