हिंदी फिल्म संगीत में शंकर जयकिशन की जोड़ी को ये श्रेय दिया जाता है कि उन्होंने फिल्मी गानों में आर्केस्ट्रा का वृहत पैमाने पर इस्तेमाल सिर्फ फिलर की तरह नहीं बल्कि गीत के भावों का श्रोताओं तक संप्रेषण करने मे भी किया। उनके गीतों में संगीत संयोजन की एक शैली होती थी जिसे आप सुन के पहचान सकते थे कि ये गीत शंकर जयकिशन का है। मराठी फिल्मों से अब हिंदी फिल्मों में पाँव पसारने वाले अजय अतुल नए ज़माने के संगीतकारों में एक ऐसे संगीतकार हैं जिनकी धुनों को आप उनके आर्केस्ट्रा आधारित संगीत से ही पकड़ सकते हैं।
अजय अतुल के संगीत में दो चीजें बड़ी प्रमुखता से आती हैं एक तो पश्चिमी वाद्यों वॉयलिन का कोरस और पियानो के स्वर और दूसरे हिंदुस्तानी ताल वाद्यों की धमक के साथ बाँसुरी की सुरीली तान। इस साल उनका संगीत धड़क, ठग आफ हिंदुस्तान, तुम्बाड और ज़ीरो में सुनाई पड़ा। धड़क के गीत तो इस गीतमाला में बज ही चुके हैं। आज वार्षिक संगीतमाला की दूसरी पॉयदान पर बज रहा है उनकी फिल्म ज़ीरो का गीत।
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अजय व अतुल |
इस गीत के पीछे की जो चौकड़ी है, मुझे नहीं लगता कि पहले कभी साथ आई है। अजय अतुल ज्यादातर अमिताभ भट्टाचार्य के साथ काम करते थे पर यहाँ गीत लिखने का जिम्मा मिला इरशाद कामिल को। अभय जोधपुरकर का तो ये हिंदी फिल्मों का पहला गीत था। शाहरुख भी अक़्सर विशाल शेखर या प्रीतम जैसे बड़े नामों के साथ ज्यादा दिखे हैं पर इस बार उन्होंने अजय अतुल को चुना। इस गीत की सफलता में संगीत संयोजन, बोल और गायिकी तीनों का हाथ रहा है और यही वज़ह है कि ये गीत मेरी गीतमाला का रनर्स अप गीत बन पाया है।
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अभय जोधपुरकर |
सबसे पहले तो आपकी उत्सुकता इस नयी आवाज़ अभय जोधपुरकर के बारे में जानने की होगी। अभय संगीत की नगरी इंदौर में पले बढ़े। चेन्नई में बॉयोटेक्नॉलजी का कोर्स करने गए और वहीं शौकिया तौर पर ए आर रहमान के संगीत विद्यालय में सीखने लगे। रहमान ने दक्षिण भारतीय भाषाओं की फिल्मों में उन्हें गाने का मौका दिया। उनका पहला सबसे सफल गीत मणिरत्नम की फिल्म कदाल से था। 27 वर्षीय अभय ने कुछ साल पहले अजय अतुल की फिल्म का एक कवर गाया जिस पर अतुल की नज़र पड़ी। उन्हें उनकी आवाज़ पसंद आई और फिर ब्रदर के गीत सपना जहाँ को गाने के लिए उन्होंने अभय को बुलाया। अभय तब तो मुंबई नहीं जा पाए पर पिछले अक्टूबर में जब अतुल ने उन्हें एक बार फिर ज़ीरो के लिए संपर्क तो वो अगले ही दिन मुंबई जा पहुँचे।
स्टूडियो में अजय के आलावा, इरशाद कामिल और निर्देशक आनंद एल राय पहले से ही मौज़ूद थे। अभय से कुछ पंक्तियाँ अलग अलग तरह से गवाई गयीं और फिर पूरा गीत रिकार्ड हुआ। गीत की आधी रिकार्डिंग हो चुकी थी जब अभय और निर्देशक आनंद राय को भूख लग आई पर अजय ने विराम लेने से ये कह कर मना कर दिया कि अभी तुम्हारी आवाज़ में जो चमक है वो खाने के बाद रहे ना रहे। नतीजा ये हुआ कि अभय को इस गीत का एक हिस्सा खाली पेट ही रिकार्ड करना पड़ा जिसमेंके ऊँचे सुरों वाला दूसरा अंतरा भी था। ये गीत जितना मधुर बना पड़ा है उससे तो अब यही कहा जा सकता है कि उन्होंने "भूखे भजन ना होए गोपाला" वाली उक्ति को गलत साबित कर दिया।😀
गीत की शुरुआत वरद कथापुरकर द्वारा बजाई बाँसुरी की मोहक धुन से होती है। उसके बाद बारी बारी से पियानो और वायलिन का आगमन होता है। इरशाद कामिल के लिखे प्यारे मुखड़े के बीच भी वॉयलिन का कोरस सिर उठाता रहता है। मेरा नाम तू आते आते ताल वाद्य भी अपनी गड़गड़ाहट से अपनी उपस्थिति दर्ज करा देते हैं। अजय अतुल के आर्केस्ट्रा में संगीत का बरबस उतार चढ़ाव दृश्य की नाटकीयता बढ़ाने में सहायक होता है। यहाँ भी इंटरल्यूड्स में वैसे ही टुकड़े हैं। खास बात ये कि गीत का दूसरा अंतरा पहले अंतरे की तरह शुरु नहीं होता और अभय की आवाज़ को ऊँचे सुरों पर जाना पड़ता है।
गीत की रूमानियत अंतरों में भी बरक़रार रहती है। वैसे तो गीत के पूरे बोल ही मुझे पसंद हैं पर ये पंक्ति खास अच्छी लगती है जब कामिल कहते हैं टुकड़े कर चाहे ख़्वाबों के तू मेरे ..टूटेंगे भी तू रहने हैं वो तेरे। अभय की आवाज़ में येसूदास की आवाज़ का एक अक्स दिखाई पड़ा। बड़े दिल ने उन्होंने इस गीत को निभाया है। तो चलिए इसे एक बार और सुन लें अगर आपने इसे पहले ना सुना हो।
वो रंग भी क्या रंग है
मिलता ना जो तेरे होठ के रंग से हूबहू
वो खुशबू क्या खुशबू
ठहरे ना जो तेरी साँवरी जुल्फ के रूबरू
तेरे आगे ये दुनिया है फीकी सी
मेरे बिन तू ना होगी किसी की भी
अब ये ज़ाहिर सरेआम है, ऐलान है
जब तक जहां में सुबह शाम है
तब तक मेरे नाम तू
जब तक जहान में मेरा नाम है
तब तक मेरे नाम तू
उलझन भी हूँ तेरी, उलझन का हल भी हूँ मैं
थोड़ा सा जिद्दी हूँ, थोड़ा पागल भी हूँ मैं
बरखा बिजली बादल झूठे
झूठी फूलों की सौगातें
सच्ची तू है सच्चा मैं हूँ
सच्ची अपने दिल की बातें
दस्तख़त हाथों से हाथों पे कर दे तू
ना कर आँखों पे पलकों के परदे तू
क्या ये इतना बड़ा काम है, ऐलान है
जब तक जहान ... मेरे नाम तू
मेरे ही घेरे में घूमेगी हर पल तू ऐसे
सूरज के घेरे में रहती है धरती ये जैसे
पाएगी तू खुदको ना मुझसे जुदा
तू है मेरा आधा सा हिस्सा सदा
टुकड़े कर चाहे ख़्वाबों के तू मेरे
टूटेंगे भी तू रहने हैं वो तेरे
तुझको भी तो ये इल्हाम है, ऐलान है
वो रंग भी क्या रंग है
मिलता ना जो तेरे होठ के रंग से हूबहू
वो खुशबू क्या खुशबू
ठहरे ना जो तेरी साँवरी जुल्फ के रूबरू
तेरे आगे ये दुनिया है फीकी सी
मेरे बिन तू ना होगी किसी की भी
अब ये ज़ाहिर सरेआम है, ऐलान है
जब तक जहां में सुबह शाम है
तब तक मेरे नाम तू
जब तक जहान में मेरा नाम है
तब तक मेरे नाम तू
उलझन भी हूँ तेरी, उलझन का हल भी हूँ मैं
थोड़ा सा जिद्दी हूँ, थोड़ा पागल भी हूँ मैं
बरखा बिजली बादल झूठे
झूठी फूलों की सौगातें
सच्ची तू है सच्चा मैं हूँ
सच्ची अपने दिल की बातें
दस्तख़त हाथों से हाथों पे कर दे तू
ना कर आँखों पे पलकों के परदे तू
क्या ये इतना बड़ा काम है, ऐलान है
जब तक जहान ... मेरे नाम तू
मेरे ही घेरे में घूमेगी हर पल तू ऐसे
सूरज के घेरे में रहती है धरती ये जैसे
पाएगी तू खुदको ना मुझसे जुदा
तू है मेरा आधा सा हिस्सा सदा
टुकड़े कर चाहे ख़्वाबों के तू मेरे
टूटेंगे भी तू रहने हैं वो तेरे
तुझको भी तो ये इल्हाम है, ऐलान है
वार्षिक संगीतमाला 2018
1. मेरे होना आहिस्ता आहिस्ता
2. जब तक जहां में सुबह शाम है तब तक मेरे नाम तू
3. ऐ वतन, वतन मेरे, आबाद रहे तू
4. आज से तेरी, सारी गलियाँ मेरी हो गयी
5. मनवा रुआँसा, बेकल हवा सा
6. तेरा चाव लागा जैसे कोई घाव लागा
7. नीलाद्रि कुमार की अद्भुत संगीत रचना हाफिज़ हाफिज़
8. एक दिल है, एक जान है
9 . मुड़ के ना देखो दिलबरो
10. पानियों सा... जब कुमार ने रचा हिंदी का नया व्याकरण !
11 . तू ही अहम, तू ही वहम
12. पहली बार है जी, पहली बार है जी
13. सरफिरी सी बात है तेरी
14. तेरे नाम की कोई धड़क है ना
15. तेरा यार हूँ मैं
16. मैं अपने ही मन का हौसला हूँ..है सोया जहां, पर मैं जगा हूँ
17. बहुत दुखा रे, बहुत दुखा मन हाथ तोरा जब छूटा
18. खोल दे ना मुझे आजाद कर
19. ओ मेरी लैला लैला ख़्वाब तू है पहला
20. मैनू इश्क़ तेरा लै डूबा
21. जिया में मोरे पिया समाए
1. मेरे होना आहिस्ता आहिस्ता
2. जब तक जहां में सुबह शाम है तब तक मेरे नाम तू
3. ऐ वतन, वतन मेरे, आबाद रहे तू
4. आज से तेरी, सारी गलियाँ मेरी हो गयी
5. मनवा रुआँसा, बेकल हवा सा
6. तेरा चाव लागा जैसे कोई घाव लागा
7. नीलाद्रि कुमार की अद्भुत संगीत रचना हाफिज़ हाफिज़
8. एक दिल है, एक जान है
9 . मुड़ के ना देखो दिलबरो
10. पानियों सा... जब कुमार ने रचा हिंदी का नया व्याकरण !
11 . तू ही अहम, तू ही वहम
12. पहली बार है जी, पहली बार है जी
13. सरफिरी सी बात है तेरी
14. तेरे नाम की कोई धड़क है ना
15. तेरा यार हूँ मैं
16. मैं अपने ही मन का हौसला हूँ..है सोया जहां, पर मैं जगा हूँ
17. बहुत दुखा रे, बहुत दुखा मन हाथ तोरा जब छूटा
18. खोल दे ना मुझे आजाद कर
19. ओ मेरी लैला लैला ख़्वाब तू है पहला
20. मैनू इश्क़ तेरा लै डूबा
21. जिया में मोरे पिया समाए
