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शनिवार, मार्च 01, 2025

वार्षिक संगीतमाला 2024 : #25 रात अकेली थी तो बात निकल गई

प्रीतम एक प्रतिभाशाली संगीतकार हैं । अपने संगीत को माँजने में अक्सर बड़ी मेहनत करते हैं। उनके बारे में मशहूर है कि गीत रिलीज़ होने के एक दिन पहले तक वो अपने संगीत संयोजन में परिवर्तन करते रहते हैं। उनके सहायक के रूप में कई नए चेहरे आए जो बाद में ख़ुद एक संगीतकार बन गए और कुछ गायक। उनमें एक हमारे अरिजीत सिंह भी हैं जिन्हें आज का युवा अपने सिर आँखों पर बिठाकर रखता है।

पर 2024 में यही प्रीतम कुछ खास कमाल नहीं दिखा सके। उनके जो कुछ गीत थोड़े बजे भी उनकी धुनों में मुझे एक दोहराव सा प्रतीत हुआ। साल 2024 की शुरुआत में उनकी एक फिल्म आई थी मेरी क्रिसमस। इस थ्रिलर के निर्देशक थे श्रीराम राघवन। प्रीतम ने इन्हीं के साथ 2012 में भी एक फिल्म की थी जिसका नाम था Agent Vinod। इस फिल्म का एक गीत था राब्ता। वार्षिक संगीतमाला की 25 वीं पायदान पर मैंने जिस गीत को रखा है वो मुझे राब्ता की याद दिला देता है। क्यूँ दिला देता है वो इस गीत को सुन कर देखियेगा। बहरहाल अरिजीत और अंतरा मित्रा की जोड़ी के साथ वरुण के बोलों ने इस गीत को इतना कर्णप्रिय जरूर बना दिया है कि वो इस संगीतमाला का हिस्सा बन पाए।

 

प्रीतम ज्यादातर अमिताभ भट्टाचार्य और इरशाद कामिल जैसे गीतकारों के साथ काम करते रहे हैं पर इस बार उन्होने इस फिल्म के लिए अपनी जोड़ी बनाई वरुण ग्रोवर के साथ। वरुण ग्रोवर ने बातचीत के अंदाज़ में कुछ प्यारे से बोल लिखे हैं..

रात अकेली थी तो बात निकल गई
तन्हा शहर में वो तन्हा सी मिल गई
मैंने उससे पूछा, "हम पहले भी मिले हैं कहीं क्या?"
फिर?

उसकी नज़र झुकी, चाल बदल गई
ज़रा सा क़रीब आई, और सँभल गई
हौले से जो बोली, मेरी जान बहल गई, हाँ
क्या बोली?

हाँ, हम मिले हैं १००-१०० दफ़ा
मैं धूल हूँ, तू कारवाँ
इक-दूसरे में हम यूँ लापता
मैं धूल हूँ, तू कारवाँ

क्या आपने इस फिल्म के बाकी गाने सुने हैं? इस फिल्म का एक और गीत है मेरी इस संगीतमाला में। उसे बाद में सुनवाता हूँ । फिलहाल इसे सुन लीजिए।



रविवार, फ़रवरी 07, 2021

वार्षिक संगीतमाला 2020 : गीत # 11 ओ मेहरबाँ क्या मिला यूँ जुदा हो के बता Meharbaan

वार्षिक संगीतमाला की ग्यारहवीं सीढ़ी पर जो गीत आपका इंतजार कर रहा है उसके शीर्षक को ले कर थोड़ा विवाद है। जब पहली बार मैंने फिल्म लव आज कल का ये गीत सुना था तो समझ नहीं आया कि इसे मेहरमा लिख कर क्यूँ प्रचारित किया जा रहा है। उर्दू में इससे एक मिलता जुलता शब्द जरूर है महरम जिसका शाब्दिक अर्थ होता है एक बेहद अतरंग मित्र। अगर आपको याद हो तो फिल्म कहानी के सीक्वल कहानी 2 ने इसी शब्द को केंद्र में रखकर अमिताभ भट्टाचार्य ने एक गीत भी लिखा था। गीत में गायक दर्शन रावल इस शब्द को मेहरवाँ जैसा उच्चारित करते हैं जो कि मेहरबाँ के करीब है। 


क़ायदे से बात माशूका की मेहरबानी की हो रही थी तो इसे मेहरबां नाम से ही प्रमोट किया जाना चाहिए था। पता नहीं इरशाद कामिल जैसे नामी गीतकार और निर्देशक इम्तियाज़ अली का ध्यान इस ओर क्यूँ नहीं गया। बहरहाल लव आज कल का ये गीत आज गीतमाला की इस ऊँचाई पर पहुँचा है तो इसके सबसे बड़े हक़दार इसके संगीतकार प्रीतम हैं। 

प्रीतम के बारे में एक बात सारे निर्देशक कहते हैं कि वो संगीत रिलीज़ होने के अंत अंत तक अपनी धुनों में परिवर्तन करते रहते हैं। उनकी इस आदत से निर्माता निर्देशक खीजते रहते हैं पर वे ये भी जानते हैं कि प्रीतम की ये आदत संगीत को और परिष्कृत ढंग से श्रोताओं को पहुँचाने की है। मैंने पिछली पोस्ट में प्रीतम के गीतों में सिग्नेचर ट्यून के इस्तेमाल का जिक्र किया था। यहाँ भी उन्होंने शिशिर मल्होत्रा की बजाई वॉयला की आरंभिक धुन से श्रोताओं का दिल जीता है।

प्रीतम ने इस गीत में दर्शन रावल और अंतरा मित्रा की आवाज़ों का इस्तेमाल किया है। अंतरा प्रीतम की संगीतबद्ध फिल्मों का अभिन्न हिस्सा रही हैं। उनकर गाए सफल गीतों में दिलवाले का गेरुआ और कलंक का ऐरा गैरा याद आता है जिनमें प्रीतम का ही संगीत निर्देशन था। यहाँ उन्हें एक ही अंतरा मिला है नायिका के तन्हा मन को टटोलने का। 

दर्शन रावल पहली बार एक शाम मेरे नाम की वार्षिक संगीतमाला का हिस्सा बने हैं। इसलिए मेरा फर्ज बनता है कि उनसे आप सब का परिचय करा दूँ। यू ट्यूब के स्टार तो वो पहले ही से थे पर चोगड़ा तारा की सफलता के बाद से बॉलीवुड में अपनी पहचान बनाने वाले चौबीस वर्षीय दर्शन रावल गुजरात के अहमदाबाद शहर से ताल्लुक रखते हैं। बचपन से उन्हें कविता लिखने और उसे गाने का शौक़ लग चुका था। स्कूल में जब उन्हें समूह गान में पीछे की पंक्ति में रखा जाता था तो वे उतना ही जोर से गाने लगते थे ताकि उनकी आवाज़ अनसुनी ना रह जाए। अपनी इस आदत की वज़ह से उन्हें कई बार उस सामूहिक गीत से ही हटा दिया जाता था। इंजीनियरिंग में भी वे खुराफात करते रहे और एक बार पर्चा लीक करने की क़वायद में कॉलेज से बाहर कर दिए गए। पर उन्हें तो हमेशा से गायक ही बनना था और देखिए स्कूल व कॉलेज का वही नटखट लड़का अब अपनी आवाज़ की बदौलत युवाओं में कितना लोकप्रिय हो रहा है। 

नायक नायिका के बिछोह से उपजे इस गीत का दर्द भी उनकी आवाज़ में बखूबी उभरा है।  तो आइए सुनते हैं एक बार फिर इस गीत को

चाहिए किसी साये में जगह, चाहा बहुत बार है 
ना कहीं कभी मेरा दिल लगा, कैसा समझदार है 
मैं ना पहुँचूँ क्यों वहां पे. जाना चाहूँ मैं जहाँ 
मैं कहाँ खो गया, ऐसा क्या हो गया 
ओ मेहरवाँ क्या मिला यूँ जुदा हो के बता 
ओ मेहरवाँ क्या मिला यूँ जुदा होके बता 
ना ख़बर अपनी रही ना ख़बर अपनी रही 
ना रहा तेरा पता ओ मेहरवाँ ... 

जो शोर का हिस्सा हुई वो आवाज़ हूँ 
लोगो में हूँ पर तन्हा हूँ मैं, हाँ तन्हा हूँ मैं 
दुनिया मुझे मुझ से जुदा ही करती रहे 
बोलूँ मगर ना बातें करूँ, ये क्या हूँ मैं 

सब है लेकिन मैं नही हूँ 
वो जो थोड़ा था सही, 
वो हवा हो गया, क्यों खफा हो गया 
ओ मेहरवाँ क्या मिला.... 


 .

वार्षिक संगीतमाला 2020


मंगलवार, जनवरी 12, 2016

वार्षिक संगीतमाला 2015 पायदान # 20 : रंग दे तू मोहे गेरुआ Rang De Tu Mohe Gerua

वार्षिक संगीतमाला के इस सफ़र में हम आ पहुँचे हैं बीसवीं पायदान के गीत पर। आइसलैंड की खूबसूरत वादियाँ में फिल्माया ये चर्चित गीत है फिल्म दिलवाले का जिसे आपने पिछले महीने एफ एम रेडियो या संगीत के चैनल्स पर जरूर सुना होगा। गाना तो आप पहचान ही गए होंगे रंग दे तू मोहे गेरुआ। इस गीत के बारे में आज बातें तो होंगी ही पर साथ ही आपको बताएँगे इस गीत के अहम किरदारों के बारे में और ये भी कि ये गीत कैसे अस्तित्व में आया?


प्रीतम जब दिलवाले की धुन को रच रहे थे तब निर्देशक रोहित शेट्टी बुल्गारिया में शूटिंग कर रहे थे। शाहरुख को भी वहाँ जाना था पर जाने के पहले वो गीत को अंतिम रूप में सुन लेना चाहते थे।  वहाँ जाने के पहले तय हुआ कि शाहरुख प्रीतम के स्टूडियो में गाना सुनने आएँगे। प्रीतम ने मुखड़े की धुन तो रच ली थी पर गाना तैयार नहीं हुआ था।  उन्होंने गीतकार अमिताभ भट्टाचार्य को कहा कि जब तक शाहरुख बाद्रा से अँधेरी पहुँचे तब तक हमें गीत तैयार कर लेना है। 

प्रीतम की धुन पर अमिताभ ने लिखा रांझे की दिल से है दुआ ..रंग दे तू मोहे गेरुआ । अब इसमें जो गेरुआ शब्द है वो प्रीतम को जँचा नहीं। हिंदी भाषा से वो ज्यादा परिचित नहीं थे तो उन्हें ये कम प्रयुक्त होने वाला शब्द अटपटा सा लगा। पर अमिताभ अड़े रहे। अंत में प्रीतम को झुकना पड़ा। ख़ैर पैंतालीस मिनट के भीतर गीत का मुखड़ा क्या अंतरा तक बन गया। शाहरुख ने भी गाना सुन यही कहा कि  गेरुआ सुनने में तो अच्छा लग रहा है पर पता नहीं नया शब्द होने की वज़ह से  देखने वाले उसे कैसे लेंगे पर फिर भी गीत वैसे ही बना।

अरिजीत तो बर्फी के ज़माने से ही प्रीतम के प्रिय रहे हैं। स्त्री स्वर के लिए उन्होंने नवोदित गायिका अंतरा मित्रा को चुना। ये वही अंतरा थीं जिन्होंने प्रीतम ने  आर राजकुमार में साड़ी का फॉल सा तुझे मैच किया रे में मौका दिया था। बंगाल के संथालपरगना जिले के एक छोटे से शहर से ताल्लुक रखने वाली अंतरा यूँ तो संगीत बचपन से सीखती रहीं पर इसे कैरियर बनाने का ख़्याल उन्हें तब आया जब वो इंडियन आइडल  कार्यक्रम के अंतिम पाँच प्रतियोगियों में जगह बनाने में कामयाब रहीं। वर्ना इससे पहले वो मेडिकल की प्रतियोगिता परीक्षा की तैयारी कर रही थीं। दिलवाले के इस गीत के लिए उन्हें एक डमी सिंगर की हैसियत से बुलाया गया था ताकि ये अंदाज़ा लगे कि स्त्री स्वर में ये गीत कैसा लग रहा है। गीत की रिकार्डिंग रात तीन बजे हुई।  बाद में रोहित व शाहरुख ने उनके उस रात गाए वर्सन को ही स्वीकृति दे दी और वो फिल्म का हिस्सा बन गया।

गीत की शुरुआत (पहले बीस सेकेंड निकलने के बाद) प्रीतम ने इसी फिल्म के दूसरे गीत जनम जनम की सिग्नेचर धुन से की है। बाकी का संगीत संयोजन कुछ deja vu सा अहसास दिलाता है। अमिताभ के बोल भी जितना मुखड़े में आकर्षित करते हैं उतनी पकड़ अंतरों में नहीं रख पाते पर संपूर्णता में गीत को सुनना अच्छा ही लगता है। 

और हाँ ये तो बताइए कि अमिताभ रंग दे तू मोहे गेरुआ द्वारा कहना क्या चाहते हैं? नायक नायिका से कहना ये चाह रहा है कि तुम मुझे अपने प्रेम में जोगी बना दो यानि गेरुए रंग में रंग दो..

धूप से निकल के, छाँव से फिसल के
हम मिले जहाँ पर, लम्हा थम गया
आसमां पिघल के, शीशे में ढल के
जम गया तो तेरा, चेहरा बन गया
दुनिया भुला के तुमसे मिला हूँ
निकली है दिल से ये दुआ
रंग दे तू मोहे गेरुआ
रांझे की दिल से है दुआ
रंग दे तू मोहे गेरुआ
हाँ निकली है दिल से ये दुआ
हो रंग दे तू मोहे गेरुआ

हो तुमसे शुरू.. तुमपे फ़ना
है सूफियाना ये दास्तां
मैं कारवाँ मंज़िल हो तुम
जाता जहाँ को हर रास्ता
तुमसे जुड़ा जो, दिल ज़रा संभल के
दर्द का वो सारा , कोहरा छन गया
दुनिया भुला के तुमसे मिला हूँ ....रंग दे तू मोहे गेरुआ

हो वीरान था, दिल का जहान
जिस दिन से तू दाखिल हुआ
इक जिस्म से इक जान का
दर्ज़ा मुझे हासिल हुआ
हाँ फीके हैं सारे, नाते जहाँ के
तेरे साथ रिश्ता गहरा बन गया
दुनिया भुला के तुमसे मिला हूँ ....रंग दे तू मोहे गेरुआ

ये गाना इस साल के सबसे खूबसूरत फिल्माए गानों की उपाधि  के लिए सबसे मजबूत दावेदार हैं। आइसलैंड की खूबसूरती को रोहित शेट्टी ने बड़े क़रीने से उतारा है रुपहले पर्दे पर इस गीत के माध्यम से..

वार्षिक संगीतमाला 2015

 

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