कभी कभी संगीत का कोई छोटा सा टुकड़ा संगीतकार के तरकश से चलता है और श्रोता के दिल में ऍसे बस जाता है कि उस टुकड़े को कितनी बार सुनते हुए भी उसे दिल से निकालने की इच्छा नहीं होती। अगर मैं कहूँ कि वार्षिक संगीतमाला की तेरहवीं पायदान पर फिल्म बदलापुर के गीत के यहाँ होने की एक बड़ी वज़ह संगीतकार सचिन जिगर का मुखड़े के बाद बाँसुरी से बजाया गया मधुर टुकड़ा है तो अतिश्योक्ति नहीं होगी ।
पूरे गीत में गिटार और बाँसुरी का प्रमुखता से इस्तेमाल हुआ है। बाँसुरी की जिस धुन का मैंने उल्लेख किया है वो आपको गीत के पहले मिनट के बाद बीस सेकेंड के लिए और फिर 2.26 पर सुनने को मिलती है। इसे बजाया है वादक शिरीष मल्होत्रा ने।
बदलापुर के इस गीत को गाने की जिम्मेदारी सौंपी गई आतिफ़ असलम को जो कुछ सालों तक बॉलीवुड में अपना डंका बजवाने के बाद इधर हिंदी फिल्मों में कम नज़र आ रहे थे। जिगर का अपने इस चुनाव के बारे में कहना था
"दरअसल इस गीत में गायक की प्रवीणता से ज्यादा उसकी गीत की भावनाओं के प्रति ईमानदारी की आवश्यकता थी और आतिफ़ असलम ने इस गीत को बिल्कुल अपने दिल से गाया है। गीत की शुरुआत और अंतरे के पहले जब वो गुनगुनाते हैं तो ऐसा लगता है कि कोई आपके में बैठा इस गीत को गा रहा है।"
ये गीत ज्यादा लंबा नहीं है और इसमें बस एक अंतरा ही है। पर इतने छोटे गीत को लिखने के लिए दो लोगों को श्रेय दिया गया है। एक तो निर्माता दीपक विजन को व दूसरे गीतकार प्रिया सरैया को। दीपक विजन इसकी वज़ह ये बताते हैं कि सारे गीत खूब सारी बतकही, हँसी मजाक व सुझावों के आदान प्रदान के बाद बने। वाकई गीत प्रेम में समर्पण की भावना को सहज व्यक्त करता हुआ दिल को छू जाता है। पर मुझे लगता है कि इतनी अच्छी धुन को इससे ज्यादा बेहतर शब्दों और कम से कम एक और अंतरे का साथ मिलना चाहिए था। तो आइए सुनते हैं बदलापुर फिल्म का ये गीत
दहलीज़ पे मेरे दिल की
जो रखे हैं तूने क़दम
तेरे नाम पे मेरी ज़िन्दगी
लिख दी मेरे हमदम
हाँ सीखा मैंने जीना जीना कैसे जीना
हाँ सीखा मैंने जीना मेरे हमदम
ना सीखा कभी जीना जीना कैसे जीना
ना सीखा जीना तेरे बिना हमदम
सच्ची सी हैं ये तारीफें, दिल से जो मैंने करी हैं
जो तू मिला तो सजी हैं दुनिया मेरी हमदम
हो आसमां मिला ज़मीं को मेरी
आधे-आधे पूरे हैं हम
तेरे नाम पे मेरी ज़िन्दगी...
सच्ची सी हैं ये तारीफें, दिल से जो मैंने करी हैं
जो तू मिला तो सजी हैं दुनिया मेरी हमदम
हो आसमां मिला ज़मीं को मेरी
आधे-आधे पूरे हैं हम
तेरे नाम पे मेरी ज़िन्दगी...
वार्षिक संगीतमाला 2015
