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रविवार, मार्च 03, 2024

वार्षिक संगीतमाला 2023 : रह जाओ ना

हरिहरण का नाम आते ही एक शास्त्रीय ग़ज़ल गायक की छवि उभर कर सामने आती है हालांकि उन्होंने कई मशहूर हिंदी फिल्मी गीत भी गाए हैं। ज्यादातर उन्हें ऐसे मौके दक्षिण भारतीय संगीत निर्देशकों ने ही दिये हैं जिसमें ए आर रहमान का नाम आप सबसे आगे रख सकते हैं। गुरु का ऍ हैरते आशिक़ी हो या बांबे का तू ही रे, रोज़ा का रोज़ा जानेमन या फिर सपने का चंदा रे चंदा रे, रहमान और हरिहरण की जोड़ी खूब जमी है। पर रहमान के संगीत निर्देशन के परे उनका गाया झोंका हवा का और बाहों के दरमियाँ भी मुझे बेहद पसंद है।


वार्षिक संगीतमाला के लिए गीतों का चुनाव करते समय जब उनकी आवाज़ मेरे कानों से टकराई तो मैं चौंक गया। चौंकने की वज़ह ये भी थी कि फिल्म तेजस का एल्बम युवा संगीतकार शाश्वत सचदेव का था, फिर भी चुनिंदा गीत गानेवाले हरिहरण को उन्होंने इस फिल्म के लिए राजी कर लिया। ख़ैर शाश्वत प्रतिभावन तो हैं ही। उनके हुनर का पहला नमूना तो उनके सबसे पहले एल्बम फिल्लौरी में मैंने देख ही लिया था

हरिहरण  के साथ शाश्वत सचदेव

शाश्वत ने हरिहरण साहब को जो गीत दिया उसमें अपने प्रिय से और रुकने का अनुरोध है। ऐसी भावना लिए कई कालजयी गीत पहले भी बने हैं। मसलन अभी ना जाओ छोड़ कर कि दिल अभी भरा नहीं, न जा कहीं अब न जा दिल के सिवा, ना जाओ सइयाँ छुड़ा के बइयाँ कसम तुम्हारी मैं रो पड़ूँगी और नज़्मों की बात करूँ आज जाने की ज़िद ना करो यूँ ही पहलू में बैठे रहो का जिक़्र कैसे छोड़ा जा सकता है।

गीतकार कुमार के साथ शाश्वत सचदेव


ये गीत उस श्रेणी का तो नहीं फिर भी हरिहरण की आवाज़ में इसे सुनकर मन में एक सुकून सा तारी हो जाता है। कुमार का लिखा मुखड़ा और प्यारा सा अंतरा, शाश्वत का गीत के पार्श्व में बजता पियानो और अंतरों के बीच में सतविंदर पाल सिंह की बजाई सारंगी इस प्रभाव को गहरा करते हैं। 


तो आइए सुनें इस प्यारे से गीत को...

बैठो तो ज़रा यहाँ, कितनी बातें बची हैं अभी
होठों पर तेरे लिए, कबसे रखी हुई है हँसी
कुछ देर के लिए, रह जाओ ना
रह जाओ ना यहीं, रह जाओ ना
अभी तो सितारों को गिनना है बाकी, अधूरी है ख़्वाहिश अभी
अभी बादलों में हमें भींगना है, बची बारिशें हैं कई
बातें बची हैं जो आधी अधूरी वो बात कह जाओ ना
छोड़ दो ये जिद ज़रा मेरा कहना भी मानो अभी
तेरा बाकी अभी रूठना, मेरा बाकी मनाना अभी
कुछ देर के लिए...  रह जाओ ना
अभी तो कहानी के कई मोड़ बाकी, बाकी कई यारियाँ
शैतानियों से खेलने की करनी है तैयारियाँ


वार्षिक संगीतमाला 2023 में मेरी पसंद के पच्चीस गीत
  1. वो तेरे मेरे इश्क़ का
  2. तुम क्या मिले
  3. पल ये सुलझे सुलझे उलझें हैं क्यूँ
  4. कि देखो ना बादल..नहीं जी नहीं
  5. आ जा रे आ बरखा रे
  6. बोलो भी बोलो ना
  7. रुआँ रुआँ खिलने लगी है ज़मीं
  8. नौका डूबी रे
  9. मुक्ति दो मुक्ति दो माटी से माटी को
  10. कल रात आया मेरे घर एक चोर
  11. वे कमलेया
  12. उड़े उड़नखटोले नयनों के तेरे
  13. पहले भी मैं तुमसे मिला हूँ
  14. कुछ देर के लिए रह जाओ ना
  15. आधा तेरा इश्क़ आधा मेरा..सतरंगा
  16. बाबूजी भोले भाले
  17. तू है तो मुझे और क्या चाहिए
  18. कैसी कहानी ज़िंदगी?
  19. तेरे वास्ते फ़लक से मैं चाँद लाऊँगा
  20. ओ माही ओ माही
  21. ये गलियों के आवारा बेकार कुत्ते
  22. मैं परवाना तेरा नाम बताना
  23. चल उड़ चल सुगना गउवाँ के ओर
  24. दिल झूम झूम जाए
  25. कि रब्बा जाणदा

    मंगलवार, जनवरी 28, 2020

    वार्षिक संगीतमाला 2019 Top 10 : दिल रोई जाए, रोई जाए, रोई जाए Dil Royi Jaye

    पिछले कुछ सालों की तुलना ये अजूबा ही रहा कि वार्षिक संगीतमाला 2019 की दसवीं पायदान तक पहुँचने के बाद भी आजुकल के सबसे चहेते गायक अरिजीत सिंह की आवाज़ कानों में नहीं गूँजी। अक्सर ये पार्श्व गायिकाओं की शिकायत रहती है कि एक तो Female Solo फिल्मों में बेहद कम लिए जाते हैं और फिल्म का सबसे अच्छा गीत भी उन्हें ना मिलकर अरिजीत सरीखे गायकों की झोली में ही गिरता है। पर पिछले साल के गीतों को सुनते हुए कई ऐसे कुछ बेहतरीन नग्मे दिखे जिसे एकल या गीत का बड़ा हिस्सा गायिकाओं ने गाया है। श्रेया घोषाल की आवाज़ में आप इस साल तीन गीतों में  सुन ही चुके हैं। इसके आलावा ज्योतिका टांगरी, प्रतिभा सिंह बघेल, जसलीन रायल, हिमानी कपूर और शिल्पा राव की आवाज़ें भी इस साल की संगीतमाला का हिस्सा बनी हैं।


    पर ऐसा भी नहीं है कि अरिजीत की आवाज़ का जादू कम हो गया है क्यूँकि इस संगीतमाला में उनके गाए हुए तीन गीत बजने हैं और उनमें से पहला गीत है नवीं पायदान पर फिल्म दे दे प्यार दे से। ऐसे तो ये बड़ी खुशनुमा सी फिल्म थी पर इसका एक गाना ढेर सारा दर्द अपने में समेटे हुए था। अकेले रह रहे एक प्रौढ़ शादीशुदा व्यक्ति का एक युवा स्त्री के प्रेम में पड़ना और उस रिश्ते को स्थायी रूप देने के पहले  परिस्थितिवश अलग हो जाने के क्रम में ये गीत पर्दे पर आता है।

    कोई रिश्ता जब टूटता है तो हम चाह कर भी अपने आप को सँभाल नहीं पाते। आँसुओं की झड़ी सी लग जाती है उन पुराने साथ बिताए पलों के बारे में सोचकर। कुमार ने मन की इस स्थिति के लिए फिर एक नया शब्द ईजाद कर दिया दिल रोई जाए,। पानियों सा के बारे में लिखते समय मैंने आपको कुमार के एक साक्षात्कार की बात बताई थी जिसमें उन्होंने कहा था 

    "..कि कोई मापदंड थोड़े ही है लफ़्जों का। एक डिक्शनरी बनी होगी उसके पहले खाली होगी। मैं तो कहता हूँ कि आप किसी चीज (गलत शब्द) को कैसे कनेक्ट करते हो ये महत्त्वपूर्ण है।"

    रोए जाने और खोए रहने की बात तो आपने सुनी ही होगी पर तुझको पाने से ज़्यादा खोई-खोई जाए..दिल रोई जाए रोई जाए.. भी दिल को छूता ही गुजरता है। रोचक कोहली, कुमार और अरिजीत इससे पहले पिछले साल तेरा यार हूँ मैं में भी साथ नज़र आए थे और वो गीत भी खासा लोकप्रिय हुआ था। 

    रोचक कोहली की गिटार में महारत है और उस पर आधारित उनकी धुनें बेहद सुरीली होती हैं।  इस गीत में मुखड़े के पहले और अंतरों के बीच इस्तेमाल होने वाली सिग्नेचर ट्यून में वो कमाल झलकता है। जब ऐसी धुनों को अरिजीत की आवाज़ का साथ मिलता है तो सहज से भाव भी गहरे लगने लगते हैं। 

    मेरे हिस्से में तू नहीं है, ये भी ना जानूँ क्यूँ नहीं है
    मेरे हिस्से में तू नहीं है, ये भी ना जानूँ क्यूँ नहीं है
    इतना ही बस मुझको पता है
    मैं तेरा ग़लत, तू मेरा सही है
    तेरे बिन ये ग़म हैं, कुछ साँसें कम हैं
    क्यूंकि तुझको पाने से ज़्यादा खोई-खोई जाए
    दिल रोई जाए, रोई जाए, रोई जाए
    आँखों के किनारे बैठा, रोई जाए
    दिल रोई जाए, रोई जाए, रोई जाए
    यादों के सहारे बैठा, रोई जाए
    तेरे बिना ज़िंदगी तो है, पर
    जीने से ऐतराज़ है
    माने हुए हैं दो दिल, लेकिन
    तक़दीरें नाराज़ हैं

    कहता है कहानी इश्क़ का ये पानी
    सब डूबे, साहिल पे लेकिन कोई-कोई आए
    दिल रोई जाए, रोई जाए, रोई जाए
    आँखों के किनारे बैठा, रोई जाए
    दिल रोई जाए, रोई जाए, रोई जाए
    यादों के सहारे बैठा, रोई जाए
    रोई जाए (रोई जाए)

    तू नहीं हमकदम तो रास्ते बुरे
    तू नहीं तो नींद भी आँखों से है परे
    ख़ामख़ाह ही पड़ गई दरारें ख़ाब में
    तेरे बिन तनहाई सी धड़कनों में चले
    तेरे बिन ये ग़म हैं, ....रोई जाए

    तो आइए सुनते हैं ग़मगीन करता ये नग्मा। पर्दे पे इसे  फिल्माया गया है अजय देवगन और रकुल प्रीत सिंह पर..


     

    वार्षिक संगीतमाला 2019 
    01. तेरी मिट्टी Teri Mitti
    02. कलंक नहीं, इश्क़ है काजल पिया 
    03. रुआँ रुआँ, रौशन हुआ Ruan Ruan
    04. तेरा साथ हो   Tera Saath Ho
    05. मर्द  मराठा Mard Maratha
    06. मैं रहूँ या ना रहूँ भारत ये रहना चाहिए  Bharat 
    07. आज जागे रहना, ये रात सोने को है  Aaj Jage Rahna
    08. तेरा ना करता ज़िक्र.. तेरी ना होती फ़िक्र  Zikra
    09. दिल रोई जाए, रोई जाए, रोई जाए  Dil Royi Jaye
    10. कहते थे लोग जो, क़ाबिल नहीं है तू..देंगे वही सलामियाँ  Shaabaashiyaan
    11 . छोटी छोटी गल दा बुरा न मनाया कर Choti Choti Gal
    12. ओ राजा जी, नैना चुगलखोर राजा जी  Rajaji
    13. मंज़र है ये नया Manzar Hai Ye Naya 
    14. ओ रे चंदा बेईमान . बेईमान..बेईमान O Re Chanda
    15.  मिर्ज़ा वे. सुन जा रे...वो जो कहना है कब से मुझे Mirza Ve
    16. ऐरा गैरा नत्थू खैरा  Aira Gaira
    17. ये आईना है या तू है Ye aaina
    18. घर मोरे परदेसिया  Ghar More Pardesiya
    19. बेईमानी  से.. 
    20. तू इतना ज़रूरी कैसे हुआ? Kaise Hua
    21. तेरा बन जाऊँगा Tera Ban Jaunga
    22. ये जो हो रहा है Ye Jo Ho Raha Hai
    23. चलूँ मैं वहाँ, जहाँ तू चला Jahaan Tu chala 
    24.रूह का रिश्ता ये जुड़ गया... Rooh Ka Rishta 

    शनिवार, जनवरी 25, 2020

    वार्षिक संगीतमाला 2019 Top 15 : छोटी छोटी गल दा बुरा न मनाया कर Choti Choti Gal

    अर्जुन हरजाई के संगीत से मेरी पहली मुलाकात लखनऊ सेंट्रल के गीत रंगदारी से हुई थी। उस गीत के बारे में बात करते हुए मैंने आपको बताया था कि किस तरह गीतकार कुमार (यानी कुमार राकेश)अर्जुन के लिए फिल्म जगत में कृष्ण सदृश सारथी साबित हुए थे। लखनऊ सेंट्रल 2017 में आई थी। पिछले दो सालों में फिल्मों में अर्जुन का काम बहुत दिखाई तो नहीं दिया पर ये खबर जरूर मिली कि इसी बीच वो अपनी स्कूल की प्रेमिका से परिणय सूत्र में बँध गए। पिछले साल उनके संगीतबद्ध गीत जज़मेंटल है क्या और मोतीचूर चकनाचूर जैसी फिल्मों में सुनाई दिए। 


    अब क्रिकेट की भाषा में कहूँ तो उन्हें जो दो गेंदे मिलीं उसमें एक में उन्होंने छक्का लगा दिया। ज़ाहिर सी बात है उनके सारथी कुमार का भी इस सफलता में बराबर का हाथ रहा। कुमार को मैं आज के युग का आनंद बक्षी मानता हूँ। वे ज़मीन से उठे एक प्रतिभाशाली गीतकार हैं। जनता की नब्ज़ समझते हैं। कुमार अक़्सर कहा भी करते हैं कि गीतों में वो ऐसी हुकलाइन बनाने की कोशिश करते हैं जो समाज के परिवेश से निकल कर आई हो।
    अगर अपनी बात करूँ तो उनके लिखे तमाम गीतों में मेरे निशां हैं कहाँ, मुझे जो भेजी थी दुआ, पानियों सा, रंगदारी, तेरा यार हूँ मैं बेहद पसंद हैं और इस फेरहिस्त में संगीतमाला की ग्यारहवीं पायदान का ये गीत भी शामिल हो गया है। इस साल की संगीतमाला में भी उनके लिखे तीन गीत हैं जिसमें दूसरा आज आप सुनेंगे।

    अर्जुन हरजाई व कुमार राकेश 
    फिल्म मोतीचूर चकनाचूर की नायिका का ख़्वाब है कि उसे ऍसा पति मिले जो "फॉरेन" यानी विदेशी धरती में ज़िंदगी गुजार रहा हो। अपने सपने को सच करने के लिए वो पड़ोस के अधेड़ लड़के से भी शादी के लिए तैयार हो जाती है पर उसकी नौकरी का सच जानकर नायिका के अरमानों पर ग्रहण लग जाता है।

    पति पत्नी के इसी मनमुटाव पर कुमार को गीत लिखना था और उन्होंने बेहद प्यारा मुखड़ा लिखा छोटी छोटी गल दा बुरा न मनाया कर.. जे मैं मनावा मन वी जाया कर। अब कौन ऐसा होगा जो छोटी छोटी बातों पर रूठा ना हो या उसने ऐसी किसी बात पे किसी को माया ना हो।

    यही वज़ह है कि जिसने भी इस गीत की मधुर धुन के साथ जब कुमार के इन बोलों को सुना तो उसे दिल में बसा लिया। कुमार की मूल भाषा वैसे भी पंजाबी है पर पंजाबी का इस्तेमाल करते हुए भी उन्होंने गीत का स्वरुप ऐसा रखा है जिसे हिंदीभाषी भी समझ सकें। मुखड़े की पकड़ को कुमार अंतरों में भी बनाए रखते हैं।

    अर्जुन ने गीत में तबले के आलावा बाँसुरी और क्लारिनेट का प्रयोग किया है। इस गीत को गाने वाले भी वहीं हैं और उनके इस गीत की सफलता ये बताती है कि उनकी आवाज़ लोगों के दिलों तक पहुँची है। तो आइए सुनते हैं उनका गाया ये गीत


    मिन्नतां करां मैं तां तेरियाँ वे
    करे या न करे हेरा फेरियाँ वे
    मिन्नतां करां मैं तां तेरियाँ वे
    करे या न करे हेरा फेरियाँ वे

    तेरे ही यकीण ते, मैं तां लग्गा जीण वे
    दिल न दुखाया कर..
    छोटी छोटी गल दा बुरा न मनाया कर
    जे मैं मनावा मन वी जाया कर
    छोटी छोटी गल दा बुरा न मनाया कर
    जे मैं मनावा मन वी जाया कर

    तू न पहचाने रब मेरा जाने
    यारियां मैं पाइयां सच्चियाँ
    जन्मा दे लायी दिल जोड़ेया मैं
    डोरा न समझ कच्चियाँ
    मैनू लग्गे डर वे, मैं जावां मर वे
    अँख न चुराया कर
    छोटी छोटी गल ...मन वी जाया कर

    रूहां उत्ते तेरा नाम लिखेया मैं, कागज ना समझ कोई वे
    छड के मैं सारी दुनियां ओ माही, इक बस तेरी होइ वे
    तैनू दित्ता हक़ वे मैनु कोल रख वे
    हथ न छुड़ाया कर
    छोटी छोटी गल ...मन वी जाया कर


    वार्षिक संगीतमाला 2019 
    01. तेरी मिट्टी Teri Mitti
    02. कलंक नहीं, इश्क़ है काजल पिया 
    03. रुआँ रुआँ, रौशन हुआ Ruan Ruan
    04. तेरा साथ हो   Tera Saath Ho
    05. मर्द  मराठा Mard Maratha
    06. मैं रहूँ या ना रहूँ भारत ये रहना चाहिए  Bharat 
    07. आज जागे रहना, ये रात सोने को है  Aaj Jage Rahna
    08. तेरा ना करता ज़िक्र.. तेरी ना होती फ़िक्र  Zikra
    09. दिल रोई जाए, रोई जाए, रोई जाए  Dil Royi Jaye
    10. कहते थे लोग जो, क़ाबिल नहीं है तू..देंगे वही सलामियाँ  Shaabaashiyaan
    11 . छोटी छोटी गल दा बुरा न मनाया कर Choti Choti Gal
    12. ओ राजा जी, नैना चुगलखोर राजा जी  Rajaji
    13. मंज़र है ये नया Manzar Hai Ye Naya 
    14. ओ रे चंदा बेईमान . बेईमान..बेईमान O Re Chanda
    15.  मिर्ज़ा वे. सुन जा रे...वो जो कहना है कब से मुझे Mirza Ve
    16. ऐरा गैरा नत्थू खैरा  Aira Gaira
    17. ये आईना है या तू है Ye aaina
    18. घर मोरे परदेसिया  Ghar More Pardesiya
    19. बेईमानी  से.. 
    20. तू इतना ज़रूरी कैसे हुआ? Kaise Hua
    21. तेरा बन जाऊँगा Tera Ban Jaunga
    22. ये जो हो रहा है Ye Jo Ho Raha Hai
    23. चलूँ मैं वहाँ, जहाँ तू चला Jahaan Tu chala 
    24.रूह का रिश्ता ये जुड़ गया... Rooh Ka Rishta 

    मंगलवार, जनवरी 07, 2020

    वार्षिक संगीतमाला 2019 Top 25 : तेरा बन जाऊँगा Tera Ban Jaunga

    इस साल की संगीतमाला में छः फिल्में ऐसी है जिनका इस संगीतमाला की पचास फीसदी पायदानों पर कब्जा है यानि तीस में से पन्द्रह गीत इन्हीं फिल्मों के हैं। घोस्ट के दो गीतों से आप परिचित हो ही चुके हैं। ऐसा ही कमाल इस साल कबीर सिंह के गीतों ने भी रचा है।  

    श्रोताओं की जो पसंद मुझे मिली है उसमें भी इस फिल्म के गीतों का अच्छा खासा दखल है। इस फिल्म के सारे तो नहीं पर कुछ गीत एक शाम मेरे नाम की इस वार्षिक संगीतमाला का हिस्सा बने हैं। वे गीत कौन से हैं वो बहुत जल्द ही आप जान जाएँगे। आज गीतमाला की इस सीढ़ी पर जो गीत है उसे संगीतबद्ध किया अखिल सचदेव ने और लिखा कुमार ने। इस युगल गीत को अखिल के साथ आवाज़ दी है तुलसी कुमार ने।


    अब इस गीत की सफलता का श्रेय मैं सबसे ज्यादा अखिल सचदेव के मधुर धुन को देना चाहूँगा। तुलसी कुमार की आवाज़ का मैं शैदाई तो नहीं पर इस गीत में जब जब वो मेरी राहें गाती हैं तो उसे बार बार सुनने का दिल जरूर करता है। आदित्य देव नें फिर यहाँ संगीत की व्यवस्था सँभाली है और क्यू खूबसूरत टुकड़े दिए हैं अंतरों के बीच। रही कुमार साहब की बात तो कुमार के ऐसे गीतकार हैं जिन्हें सहज शब्दों के साथ जनता की नब्ज़ पकड़ने का हुनर मालूम है। उनके शब्दों में इस गीत के अंतरों में कोई खास गहराई नहीं हैं पर कुछ पंक्तियाँ जरूर बेहद प्यारी लगती हैं जैसे मुखड़े में मेरी राहें तेरे तक हैं, तुझपे ही तो मेरा हक़ है इश्क़ मेरा तू बेशक़ है..तुझपे ही तो मेरा हक़ है या फिर अंतरे की ये पंक्तियाँ लखाँ तों जुदा मैं हुई तेरे ख़ातिर..तू ही मंज़िल दिल तेरा मुसाफ़िर...रब नूँ भुला बैठा  तेरे करके..मैं हो गया काफ़िर।



    मेरी राहें तेरे तक हैं
    तुझपे ही तो मेरा हक़ है
    इश्क़ मेरा तू बेशक़ है
    तुझपे ही तो मेरा हक़ है
    साथ छोड़ूँगा ना तेरे पीछे आऊँगा
    छीन लूँगा या खुदा से माँग लाउँगा
    तेरे नाल तक़दीरां लिखवाऊँगा

    मैं तेरा बन जाऊँगा
    मैं तेरा बन जाऊँगा

    सोंह तेरी मैं क़सम यही खाऊँगा
    कित्ते वादेया नूँ मैं निभाऊँगा
    तुझे हर वारी अपणा बनाऊँगा
    मैं तेरा बन जाऊँगा
    मैं तेरा बन जाऊँगा
     शुक्रिया
    दा रा रा रा .....

    लखाँ तों जुदा मैं हुई तेरे ख़ातिर
    तू ही मंज़िल दिल तेरा मुसाफ़िर
    रब नूँ भुला बैठा तेरे करके
    मैं हो गया काफ़िर
    तेरे लिए मैं जहां से टकराऊँगा
    सब कुछ खो के तुझको ही पाऊँगा
    दिल बन के दिल धडकाऊँगा
    मैं तेरा बन जाऊँगा, मैं तेरा बन जाऊँगा

    सोंह तेरी मैं क़सम यही खाऊँगा
    कित्ते वादेयाँ नूँ मैं निभाऊँगा
    तुझे हर वारी अपणा बनाऊँगा
    मैं तेरा बन जाऊँगा, मैं तेरा बन जाऊँगा
    मेरी राहें तेरे तक हैं

    आपमें से बहुतों के लिए ये प्रश्न होगा कि आख़िर ये अखिल सचदेव हैं कौन? मैं तो यही कहूँगा कि वो अभिनेत्री हुमा कुरैशी के सहपाठी  हैं। अब अगर आप ये पूछेंगे कि ये इस हुनरमंद संगीतकार का कैसा परिचय है तो उसके लिए मुझे एक कहानी सुनानी पड़ेगी आपको। आज से करीब एक दशक पहले अखिल ने जब गिटार अपने हाथों में लिया तो उन्हें लगा कि संगीत ही उनका असली प्रेम है। वर्ष 2011 में उन्होंने अपना एक रॉक सूफी बैंड नशा बनाया। 
    अखिल सचदेव व  तुलसी कुमार
    एक बार गिटार पर उन्होंने धुन बनाकर हुमा को सुनाई। हुमा ने धुन की तारीफ़ की और बात आई गयी हो गयी। एक दफ़ा जब अखिल मुंबई पहुँचे तो हुमा के घर खाने पर गए। वहाँ फिल्मी कलाकारों की महफिल जमीं थी। भोजन के पश्चात गाना बजाना शुरु हुआ तो हुमा ने अखिल को मिलवाते हुए कहा कि ये हैं हमारे असली संगीतकार। अखिल ने अपनी उसी धुन को सुनाया और सबने उसे खूब पसंद किया। शशांक खेतान भी वहीं मौज़ूद थे। वे उस वक़्त बद्रीनाथ की दुल्हनिया की पटकथा पर काम कर रहे थे। उन्होंने अखिल से कहा कि ये गाना उन्हें अपनी फिल्म के लिए चाहिए पर उसे बनने में अभी डेढ़ साल तक का वक़्त लग सकता है। 

    अखिल तो वापस दिल्ली आ गए पर शशांक ने अपना वादा पूरा किया। लगभग साल भर बाद फिल्म की शूटिंग शुरु होते ही शशांक का फोन अखिल के लिए आ गया। यानी अपनी दोस्त की मदद से अखिल का हिंदी फिल्मों  में गायक व संगीतकार बनने का सपना एक साथ पूरा हुआ। वो गीत था हमसफ़र जो कि खासा लोकप्रिय भी हुआ। 

    गीत की सफलता को देखते हुए इसका एक और वर्सन भी बना जिसे सिर्फ अखिल ने गाया है। इस गीत के इतने सारे श्रोता प्रेमी हैं तो मुझे लगा कि उपहार स्वरूप उन्हें गीत का ये रूप भी सुना देना चाहिए।

     

    वार्षिक संगीतमाला 2019 
    01. तेरी मिट्टी Teri Mitti
    02. कलंक नहीं, इश्क़ है काजल पिया 
    03. रुआँ रुआँ, रौशन हुआ Ruan Ruan
    04. तेरा साथ हो   Tera Saath Ho
    05. मर्द  मराठा Mard Maratha
    06. मैं रहूँ या ना रहूँ भारत ये रहना चाहिए  Bharat 
    07. आज जागे रहना, ये रात सोने को है  Aaj Jage Rahna
    08. तेरा ना करता ज़िक्र.. तेरी ना होती फ़िक्र  Zikra
    09. दिल रोई जाए, रोई जाए, रोई जाए  Dil Royi Jaye
    10. कहते थे लोग जो, क़ाबिल नहीं है तू..देंगे वही सलामियाँ  Shaabaashiyaan
    11 . छोटी छोटी गल दा बुरा न मनाया कर Choti Choti Gal
    12. ओ राजा जी, नैना चुगलखोर राजा जी  Rajaji
    13. मंज़र है ये नया Manzar Hai Ye Naya 
    14. ओ रे चंदा बेईमान . बेईमान..बेईमान O Re Chanda
    15.  मिर्ज़ा वे. सुन जा रे...वो जो कहना है कब से मुझे Mirza Ve
    16. ऐरा गैरा नत्थू खैरा  Aira Gaira
    17. ये आईना है या तू है Ye aaina
    18. घर मोरे परदेसिया  Ghar More Pardesiya
    19. बेईमानी  से.. 
    20. तू इतना ज़रूरी कैसे हुआ? Kaise Hua
    21. तेरा बन जाऊँगा Tera Ban Jaunga
    22. ये जो हो रहा है Ye Jo Ho Raha Hai
    23. चलूँ मैं वहाँ, जहाँ तू चला Jahaan Tu chala 
    24.रूह का रिश्ता ये जुड़ गया... Rooh Ka Rishta 

    रविवार, जनवरी 20, 2019

    वार्षिक संगीतमाला 2018 पायदान 10 :" पानियों सा" जब कुमार ने रचा हिंदी का नया व्याकरण ! Paniyon Sa

    वार्षिक संगीतमाला का ये सफ़र अब जा पहुँचा है साल 2018 की दस शीर्ष पायदानों की ओर। दसवीं पायदान पर गाना वो जिसे इस साल का Love  Anthem  भी कहा जा सकता है। ये गाना है सत्यमेव जयते का पानियों सा। डॉक्टर और इंजीनियरों को तो आपने संगीतकार बनते देखा ही है अब रोचक ने अपने गीतों से ये साबित कर दिया है कि वकील भी रूमानियत भरी धुनें बना सकते हैं। :) 

    रोचक कोहली एक ऐसे संगीतकार हैं जो लंबे चौड़े आर्केस्ट्रा आधारित संगीत संयोजन के बजाय मधुर धुनों पर ज्यादा विश्वास करते हैं। देखते देखते, तेरा यार हूँ मैं, लै डूबा, नैन ना जोड़ी और पानियों सा जैसे गीत रचने के बाद उन्हें पिछले साल का मेलोडी का बादशाह कहना अनुचित नहीं होगा। उनकी इन मधुर धुनों को मनोज मुन्तशिर और कुमार जैसे गीतकार और आतिफ असलम, अरिजीत व सुनिधि जैसे कलाकारों को साथ मिला जो उनकी रचनाओं को एक अलग मुकाम पर ले जाने में सफल हुए।


    सत्यमेव जयते के रिलीज़ होने के कुछ दिनों पहले जब मैंने ये गीत सुना तो इसकी मधुरता और बोलों ने मुझे कुछ ही क्षणों में अपनी गिरफ्त में ले लिया। इस साल की संगीतमाला में सबसे पहले शामिल होने वाले कुछ गीतों में पानियों सा भी था। साल के अगर सबसे रोमंटिक गीतों में अगर पानियों सा का नाम आ रहा है तो उसके लिए गीतकार कुमार यानि कुमार राकेश भी बधाई के पात्र हैं, भले ही उसके लिए उन्हें हिंदी व्याकरण के नियमों से छेड़छाड़ करनी पड़ी हो। वैसे कुमार के लिए भाषा का तोड़ना मरोड़ना कोई नई बात नहीं है। इस बारे में उनकी एक सीधी सी फिलासफी है जिसे उन्होंने एक साक्षात्कार में बताया था जब बात चल रही थी उनके हिट गीत चिट्टियाँ कलाइयाँ वे..रिक्वेस्टाँ पाइयाँ वे के बारे में
    "मुझे request को plural बनाना था। Requests हो सकता है ये भी मुझे पता नहीं था। तो मैंने उसे रिक्वेस्टाँ कर दिया। भूषण जी ने मुझसे कहा ऐसा कोई शब्द नहीं होता। मैंने उनसे कहा कोई मापदंड थोड़े ही है लफ़्जों का। एक डिक्शनरी बनी होगी उसके पहले खाली होगी। उसके बाद परमीशनाँ भी आ गया। मेरे को पब्लिक ने आज़ादी दे दी। भाई तू कर ले। मैं तो कहता हूँ कि आप किसी चीज (गलत शब्द) को कैसे कनेक्ट करते हो ये महत्त्वपूर्ण है।"
    रोचक कोहली व  कुमार 
    2017 में  उनका एक गीत आया था रंगदारी। रंगदारी का मतलब वो नहीं जानते थे पर गाते गाते ये शब्द  एक धुन में फिट हो गया। बाद में उन्हें पता चला कि इसका मतलब तो टैक्स देना होता है तो उन्होंने कहा कि अब शब्द तो यही रखेंगे बोलों को थोड़ा घुमा लेते हैं और गीत बना ज़िन्दगी तेरे रंगों से रंगदारी ना हो पायी लम्हा लम्हा कोशिश की पर यारी ना हो पायी।

    अब देखिए पानियों सा में उन्होंने में कितनी प्यारी पंक्तियाँ लिखीं कि संग तेरे पानियों सा पानियों सा बहता रहूँ..तू सुनती रहे में कहानियाँ सी कहता रहूँ। ....  दो दिलों के बीच का प्यार पानी की तरह तरल रहे, जीवन पर्यन्त बहता रहे और आपस में संवाद बरक़रार रहे  तो इससे ज्यादा खुशनुमा और क्या हो सकता है? अब भले ही हिंदी के जानकार कहें कि भाई द्रव्यसूचक संज्ञा जैसे पानी, तेल, घी, दूध  तो एकवचन में ही इस्तेमाल होती हैं , तुमने ये "पानियों सा" कहाँ से ईजाद  कर लिया? मेरे ख़्याल से कुमार फिर वही जवाब होगा मेरे को पब्लिक ने आज़ादी दे दी। भाई तू कर ले। वैसे भी बोलों को गीत के मीटर में लाने के लिए गीतकार ऐसा करते ही रहे हैं।सही बताऊँ तो कुमार ने गलत लिखते हुए भी गीत की भावनाओं से क्या पूरे देश का कनेक्शन बना दिया। 

    कुमार पंजाब के जालंधर से हैं। आजकल फिल्मों में  हिंदी मिश्रित पंजाबी गीतों का जो चलन है उसने उन्हें खूब काम और यश दिलाया है। माँ का लाडला, बेबी डॉल, इश्क़ तेरा तड़पाए और चिट्टियाँ कलाइयाँ जैसे गीतों ने उनकी लोकप्रियता युवाओं में तो खासी बढ़ा दी। मुझे ये खिचड़ी उतनी पसंद नहीं आती थी तो मैं उन्हें एक कामचलाऊ गीतकार ही मानता था जो दिल से कम और बाजार की माँग के अनुरूप ज्यादा लिखता है। फिर उन्होंने जब जो माँगी थी दुआ और मै तो नहीं हूँ इंसानों में  जैसे दिल छूते गीत लिखे तो मुझे समझ आया कि बंदे में दम है। 

    जो तेरे संग लागी प्रीत मोहे 
    रूह बार बार तेरा नाम ले 
    कि रब से है माँगी ये ही दुआ 
    तू हाथों की लकीरें थाम ले

    चुप हैं बातें, दिल कैसे बयां में करूँ 
    तू ही कह दे, वो जो बात मैं कह न सकूँ
    कि संग तेरे पानियों सा पानियों सा
    पानियों सा बहता रहूँ 
    तू सुनती रहे मैं कहानियाँ सी कहता रहूँ 
    कि संग तेरे बादलों सा बादलों सा 
    बादलों सा उड़ता रहूँ 
    तेरे एक इशारे पे तेरी और मुड़ता रहूँ 

    आधी ज़मीं आधा आसमां था 
    आधी मंजिलें आधा रास्ता था 
    इक तेरे आने से मुकम्मल हुआ सब ये 
    बिन तेरे जहां भी बेवज़ह था 
    तेरा दिल बन के में साथ तेरे धड़कूँ 
    खुद को तुझसे अब दूर न जाने दूँ 
    कि संग तेरे ...मुड़ता रहूँ


    इस गीत को गाया है आतिफ असलम और तुलसी कुमार ने। ज़ाहिर है टी सीरिज़ वाले तुलसी कुमार को प्रमोट करने का मौका नहीं छोड़ते भले ही उनसे लाख गुना बेहतर गायिकाएँ फिल्म उद्योग में मौज़ूद हैं। आतिफ जैसा एक अच्छा गायक गीत को कहाँ ले जाता है वो आप तुलसी के सोलो वर्सन को यहाँ सुन कर महसूस कर सकते हैं। 



    वार्षिक संगीतमाला 2018  
    1. मेरे होना आहिस्ता आहिस्ता 
    2जब तक जहां में सुबह शाम है तब तक मेरे नाम तू
    3.  ऐ वतन, वतन मेरे, आबाद रहे तू
    4.  आज से तेरी, सारी गलियाँ मेरी हो गयी
    5.  मनवा रुआँसा, बेकल हवा सा 
    6.  तेरा चाव लागा जैसे कोई घाव लागा
    7.  नीलाद्रि कुमार की अद्भुत संगीत रचना हाफिज़ हाफिज़ 
    8.  एक दिल है, एक जान है 
    9 . मुड़ के ना देखो दिलबरो
    10. पानियों सा... जब कुमार ने रचा हिंदी का नया व्याकरण !
    11 . तू ही अहम, तू ही वहम
    12. पहली बार है जी, पहली बार है जी
    13. सरफिरी सी बात है तेरी
    14. तेरे नाम की कोई धड़क है ना
    15. तेरा यार हूँ मैं
    16. मैं अपने ही मन का हौसला हूँ..है सोया जहां, पर मैं जगा हूँ 
    17. बहुत दुखा रे, बहुत दुखा मन हाथ तोरा जब छूटा
    18. खोल दे ना मुझे आजाद कर
    19. ओ मेरी लैला लैला ख़्वाब तू है पहला
    20. मैनू इश्क़ तेरा लै डूबा  
    21. जिया में मोरे पिया समाए 
    24. वो हवा हो गए देखते देखते
    25.  इतनी सुहानी बना हो ना पुरानी तेरी दास्तां

    शनिवार, जनवरी 12, 2019

    वार्षिक संगीतमाला 2018 पायदान # 15 : तेरा यार हूँ मैं Tera Yaar Hoon Main

    वार्षिक संगीतमाला में अब बढ़ रहे हैं प्रथम पन्द्रह गीतों की तरफ।  यारी दोस्ती पर हिंदी फिल्म जगत में गीत बनते रहे हैं। अगर अपनी याददाश्त पर ज़ोर डालूँ तो ये दोस्ती हम नहीं तोड़ेंगे, यारी है ईमान मेरा यार मेरी ज़िंदगी, तेरे जैसा यार कहाँ, दोस्त दोस्त ना रहा, दीये जलते हैं, सलामत रहे दोस्ताना हमारा जैसे गीत तुरंत दिमाग में उतरते हैं। अब आप कहेंगे कि ये सारे तो बेहद पुराने गीत हैं तो नए गीतों में दिल चाहता है हम रहे ना रहें कभी यारों के बिन, अल्लाह वारियाँ ओ टूटी यारियाँ मिला दे ओए, जाने नहीं देंगे तुझे जैसे चंद जिनका ख्याल अभी आ रहा है। दोस्तों के बिना तो इस दुनिया में किसी इंसान का जी पाना दुश्वार है। जब भी कोई सुरीला नग्मा दोस्ती की बात करता है तो वो जल्द ही सबके मन में बस जाता है। इस साल इसी कड़ी में अपनी अलग पहचान बनाता हुआ जुड़ा है सोनू के टीटू की स्वीटी फिल्म का गीत तेर यार हूँ मैं।




    सोनू के टीटू की स्वीटी जैसे नाम वाली फिल्मों से तो यही आशा थी कि इसके गाने मौज मस्ती वाले ही होंगे और वे थे भी वैसे ही सिवाय इस गीत के जिसका एक अलग ही मिज़ाज था। बड़ी संजीदा और मधुर धुन तैयार की रोचक कोहली ने इस गीत के लिए। इस फिल्म की कहानी तो आप जानते ही हैं कि दोस्त की मंगेतर के तौर तरीके नायक के पसंद नहीं आते। दोस्त बेचारा मित्र और मंगेतर के बीच इसी असमंजस में है कि चुने तो किसको चुने? दोनों ही उसे प्रिय हैं। 

    इस गीत में गीतकार कुमार ( जिनका पूरा नाम राकेश कुमार है।) को शब्दों के माध्यम से उन मंज़रों का खाका खींचना था जो दो मित्रों के बीच बचपन से दोस्ती की गाँठ को मजबूत करते आए थे। मनोज की तरह कुमार अपनी भाषा को सहज रखते हुए श्रोताओं के दिल तक पहुँचने की कोशिश करते हैं। कुमार ने बचपन की शरारतों, खिलौने के लिए मार पीट, छोटी मोटी कहा सुनी जैसी बातों का जिक्र कर ये काम बखूबी किया। अरिजीत की आवाज़ का दर्द रोचक की मायूस करती धुन में घुलता जाता है। 


    तू जो रूठा तो कौन हँसेगा
    तू जो छूटा तो कौन रहेगा
    तू चुप है तो ये डर लगता है
    अपना मुझको अब कौन कहेगा
    तू ही वजह.
    तेरे बिना बेवजह बेकार हूँ मैं
    तेरा यार हूँ मैं, तेरा यार हूँ मैं

    आजा लड़ें फिर खिलौनों के लिए
    तू जीते मैं हार जाऊँ
    आजा करें फिर वही शरारतें
    तू भागे मैं मार खाऊँ

    मीठी सी वो गाली तेरी
    सुनने को तैयार हूँ मैं
    तेरा यार हूँ मैं, हम्म. तेरा यार हूँ मैं

    ओ जाते नहीं कहीं रिश्ते पुराने
    किसी नए के आ जाने से
    जाता हूँ मैं तो मुझे तू जाने दे
    क्यूँ परेशां है मेरे जाने से

    टूटा है तो जुड़ा है क्यूँ
    मेरी तरफ तू मुड़ा है क्यूँ
    हक नहीं तू ये कहे की
    यार अब हम ना रहे
    एक तेरी यारी का ही

    सातों जनम हक़दार हूँ मैं, तेरा यार हूँ मैं

    गीत के प्रील्यूड में ताल वाद्यों और गिटार का जो सामंजस्य उन्होंने रचा है वो कानों को सोहता है। रोचक कोहली के लिए ये साल बेहद सफल साबित हुआ है। इस साल की संगीतमाला में अब तक आप उन्हें देखते देखते और ले डूबा में सुन चुके हैं। इन गीतों में एक गौर करने वाली बात ये है कि अपनी संगीतबद्ध रचनाओं में वो ज्यादा वाद्य यंत्रों का प्रयोग नहीं करते और उनकी धुनें सहज पर सुरीली होती हैं जो तेजी से कानों से दिल तक जगह बना लेती हैं। इस संगीतमाला में उनका गीतकार कुमार के साथ एक गीत और है। उस गीत की बारी आने पर इन दो कलाकारों के बारे में और बातें होंगी। तो आइए सुने अरिजीत सिंह की आवाज़ में ये गीत।



    वार्षिक संगीतमाला 2018  
    1. मेरे होना आहिस्ता आहिस्ता 
    2जब तक जहां में सुबह शाम है तब तक मेरे नाम तू
    3.  ऐ वतन, वतन मेरे, आबाद रहे तू
    4.  आज से तेरी, सारी गलियाँ मेरी हो गयी
    5.  मनवा रुआँसा, बेकल हवा सा 
    6.  तेरा चाव लागा जैसे कोई घाव लागा
    7.  नीलाद्रि कुमार की अद्भुत संगीत रचना हाफिज़ हाफिज़ 
    8.  एक दिल है, एक जान है 
    9 . मुड़ के ना देखो दिलबरो
    10. पानियों सा... जब कुमार ने रचा हिंदी का नया व्याकरण !
    11 . तू ही अहम, तू ही वहम
    12. पहली बार है जी, पहली बार है जी
    13. सरफिरी सी बात है तेरी
    14. तेरे नाम की कोई धड़क है ना
    15. तेरा यार हूँ मैं
    16. मैं अपने ही मन का हौसला हूँ..है सोया जहां, पर मैं जगा हूँ 
    17. बहुत दुखा रे, बहुत दुखा मन हाथ तोरा जब छूटा
    18. खोल दे ना मुझे आजाद कर
    19. ओ मेरी लैला लैला ख़्वाब तू है पहला
    20. मैनू इश्क़ तेरा लै डूबा  
    21. जिया में मोरे पिया समाए 
    24. वो हवा हो गए देखते देखते
    25.  इतनी सुहानी बना हो ना पुरानी तेरी दास्तां

    सोमवार, फ़रवरी 19, 2018

    वार्षिक संगीतमाला 2017 पायदान #11 ज़िन्दगी तेरे रंगों से, रंगदारी ना हो पायी.. Rangdari

    वार्षिक संगीतमाला में दूसरी बार प्रवेश ले रहा है लखनऊ सेंट्रल का एक और गीत जिसमें मायूसी भी है और जीवटता भी। इसे फिर अपनी आवाज़ से सँवारा है अरिजीत सिंह ने। पर इस गीत के साथ जो नया नाम जुड़ा है वो है युवा संगीतकार अर्जुन हरजाई का। 


    अर्जुन की मुंबई फिल्म जगत में संघर्ष गाथा करीब एक दशक पुरानी है। घर में संगीत का माहौल था। माँ पिताजी गायिकी से जुड़े थे । 2006 की बात है जब  इंटर के बाद  मुंबई में संगीत सीखने के लिए उन्होंने  सुरेश वाडकर के संगीत संस्थान में दाखिला लिया। साथ ही साथ साउंड इंजीनियरिंग की विधा में उनकी सीखने की पहल ज़ारी रही।  फिर कुछ दिनों बाद उनका काम माँगने का सिलसिला शुरु हुआ। ख़ैर फिल्मों में काम तो नहीं मिला पर जिंगल को संगीतबद्ध करने का प्रस्ताव मिला जिसे उन्होंने बखूबी निभाया। फिर तो विज्ञापनों के लिए संगीत देने के प्रस्तावों की झड़ी लग गयी।  फिल्मों में बतौर संगीत निर्देशक पहली बार वो 2014 TITU MBA और फिर गुड्डू इंजीनियर में नज़र आए। पर उन्हें बड़ा ब्रेक टीवी धारावाहिक POW बंदी युद्ध के में मिला।

    अर्जुन अपने कैरियर में सबसे बड़ा योगदान गीतकार कुमार का मानते हैं जिन्होंने उनकी भेंट निर्माता व निर्देशक निखिल आडवाणी से करायी। POW के बाद निखिल ने लखनऊ सेंट्रल के लिए तीन गीतों को संगीतबद्ध करने का जिम्मा अर्जुन को सौंपा। इसी फिल्म के एक और चर्चित गीत तीन कबूतर में अर्जुन ने गिटार के आलावा आम जरूरत की चीजों से बाकी का संगीत तैयार किया क्यूँकि गाना जेल के अंदर क़ैदियों पर फिल्माना था जिनके पास गिटार के आलावा कुछ भी नहीं था। जहाँ तक रंगदारी की बात है ये एक शब्द प्रधान गीत है जिसमें अर्जुन द्वारा  गिटार और बाँसुरी पर आधारित संगीत संयोजन  कुमार यानि गीतकार राकेश कुमार के भावों को उभारने में मदद करता है।

    इस गीत को लिखा कुमार ने जो पंजाबी फिल्मों के जाने माने गीतकार हैं और हिंदी पंजाबी मिश्रित डांस नंबर्स लिख लिख कर हिंदी फिल्मों में खासा नाम कमा चुके हैं। पर मैं उनसे तब ज्यादा प्रभावित हुआ हूँ जब उन्होंने अपने गीतों में दर्द के बीज बोए हैं। उनके लिखे दो गीत मुझे खास तौर पर दिल के बेहद करीब लगे थे। एक तो शंघाई फिल्म का गाना जो भेजी थी दुआ और दूसरे Oh My God का मेरे निशाँ हैं कहाँ

    इसी कड़ी में जुड़ा है लखनऊ सेंट्रल का ये गीत जो एक ऐसे इंसान की व्यथा का चित्रण कर रहा है जों जिंदगी के रंगों से अपना तारतम्य नहीं बैठा पाया है। फिर भी नायक ने  जिंदगी से प्रेम करना नहीं छोड़ा है।  जिंदगी ने कभी उससे दुश्मनी निभाई भी है तो कभी वो बिल्कुल पास आ कर धड़कन की तरह धड़की भी है। इसीलिए वो ज़िदगी से परेशान जरूर है पर नाउम्मीद नहीं। उसके मन की ऊहापोह को कुमार कुछ यूं व्यक्त करते हैं... 

    ज़िन्दगी तेरे रंगों से, रंगदारी ना हो पायी
    लम्हा लम्हा कोशिश की, पर यारी ना हो पायी
    तू लागे मुझे दुश्मन सी, कभी लगे धड़कन सी
    जुड़ी जुड़ी बातें हैं, टूटे हुए मन की..रंगदारी..



    कुमार कहते हैं कि अगर ख़्वाबों को पूरा करना कठिन हो जाए तो इसका ये मतलब नहीं कि आँखें ख़्वाब देखना छोड़ दें। आखिर मंजिल की राह दुर्गम ही क्यूँ ना हो सच्चा राही तो उन पर चलता ही चलेगा । इन भावों में रंगदारी शब्द का प्रयोग अनूठा भी है और सार्थक भी।


    रंगदारी..रंगदारी.. रंगदारी रंगदारी
    आँखों से ना छूटेगी, ख़्वाबों की रंगदारी
    रंगदारी..रंगदारी.. रंगदारी रंगदारी
    राहों से ना रूठेगी, मंजिल की रंगदारी.. रंगदारी..

    चाहे मुझे तोड़ दे तू, दर्दों में छोड़ दे
    मेरी ओर आते हुए, रास्तों को मोड़ दे
    मोड़ दे.. मोड़ दे
    तोहमतें लगा दे चाहे, सर पे इल्ज़ाम दे
    कर दे  ख़ुदा से दूर, काफिरों का नाम दे
    नाम दे.. नाम दे
    ये ख्वाहिशें है पागल सी, आसमां के बादल सी
    बरसी तो धुल जाएगी, रौशनी ये काजल सी

    ज़िन्दगी तेरे रंगों से...

    गीत के अंतिम अंतरे में जीवन से  लड़ने की नायक की जुझारु प्रवृति को उन्होंने उभारने  की कोशिश की है। बादलों से पागल ख़्वाहिशों की उनकी तुलना और फिर उसके बरसने से कालिमा के छँटने का  भाव श्रोताओं में एक धनात्मक उर्जा का संचार कर देता है। अरिजीत एक बार फिर नायक की पीड़ा को अपनी गायिकी से यूँ बाहर ले आते हैं कि सुनने वाला भी नायक के चरित्र से अपने आपको एकाकार पाता है। तो आइए सुनते हैं ये गीत.. 

    वार्षिक संगीतमाला 2017

    बुधवार, जनवरी 04, 2017

    वार्षिक संगीतमाला 2016 पायदान # 23 : पत्ता पत्ता जानता है, इक तू ही ना जाने हाल मेरा Tu Hi Na Jaane..

    पिछले साल हमारा फिल्म उद्योग क्रिकेटरों पर बड़ा मेहरबान रहा। एक नहीं बल्कि दो दो फिल्में बनी हमारे भूतपूर्व क्रिकेट कप्तानों पर। हाँ भई अब तो अज़हर के साथ हमारे धोनी भी तो भूतपूर्व ही हो गए। बॉलीवुड ने इन खिलाड़ियों की जीवनियाँ तो पेश की हीं साथ ही साथ इनके व्यक्तित्व को भी बेहद रोमांटिक बना दिया। 

    अब हिंदी फिल्मों में जहाँ रोमांस होगा तो वहाँ ढेर सारे गाने भी होंगे। सो इन दोनों फिल्मों के नग्मे  रूमानियत से भरपूर रहे। ऐसा ही एक गीत विराजमान है वार्षिक संगीतमाला की 23 वीं सीढ़ी पर फिल्म अज़हर से। पूरे एलबम के  लिहाज़ से अज़हर फिल्म का संगीत  काफी मधुर रहा। अमल मलिक का संगीतबद्ध और अरमान मलिक का गाया गीत बोल दो तो ना ज़रा मैं किसी से कहूँगा नहीं और अतिथि संगीतकार प्रीतम की मनोज यादव द्वारा लिखी रचना इतनी सी बात है मुझे तुमसे प्यार है खूब सुने और सराहे  गए।


    मुझे भी ये दोनों गीत अच्छे लगे पर सोनू निगम की आवाज़ में अमल मलिक की उदास करती धुन दिल से एक तार सा जोड़ गई। काश इस गीत को थोड़े और अच्छे शब्दों और गायिका का साथ मिला होता तो इससे आपकी मुलाकात कुछ सीढ़ियाँ ऊपर होती। सोनू निगम की आवाज़ इस साल भूले भटके ही सुनाई दी। इस गीत के आलावा फिल्म वज़ीर के गीत  तेरे बिन में वो श्रेया के साथ सुरों का जादू बिखेरते रहे। समझ नहीं आता उनकी आवाज़ का इस्तेमाल संगीतकार और क्यों नहीं करते  ?

    सदियों पहले मीर तक़ी मीर ने एक बेहतरीन ग़ज़ल कही थी जिसका मतला था पत्ता पत्ता बूटा बूटा हाल हमारा जाने है, जाने ना जाने गुल ही ना जाने बाग़ तो सारा जाने है। इस मतले का गीत के मुखड़े के रूप में मज़रूह सुल्तानपूरी ने आज से करीब 35 वर्ष पूर्व फिल्म एक नज़र में प्रयोग  किया था। लता और रफ़ी की आवाज़ में वो गीत  बड़ा मशहूर हुआ था। 

    गीतकार कुमार की प्रेरणा भी वही ग़ज़ल रही और सोनू ने क्या निभाया इसे। जब वो पत्ता पत्ता जानता है, इक तू ही ना जाने हाल मेरा तक पहुँचते हैं दिल में मायूसी के बादल और घने हो जाते हैं। सोनू अपनी आवाज़ से उस प्रेमी की बेबसी को उभार लाते हैं जो अपने प्रिय के स्नेह की आस में छटपटा रहा है, बेचैन है।

    अमल मालिक और सोनू निगम
    रही बात प्रकृति कक्कड़ की तो अपना अंतरा तो उन्होंने ठीक ही गाया है पर मुखड़े के बाद की पंक्ति में इक तेरे पीछे माही का उनका उच्चारण बिल्कुल स्पष्ट नहीं है। इस गीत को सुनते हुए अमल मलिक के बेहतरीन संगीत संयोजन  पर ध्यान दीजिए। गिटार और बाँसुरी के प्रील्यूड के साथ गीत शुरु होता है। इटरल्यूड्स में रॉक बीट्स के साथ बजता गिटार और फिर पंजाबी बोलों के बाद सारंगी (2.10) का बेहतरीन इस्तेमाल मन को सोहता है। अंतिम अंतरे के पहले गिटार, बाँसुरी और अन्य वाद्यों का मिश्रित टुकड़ा (3.30-3.45) को सुनकर भी आनंद आ जाता  है।

    समंदर से ज्यादा मेरी आँखों में आँसू
    जाने ये ख़ुदा भी है ऐसा क्यूँ

    तुझको ही आये ना ख़्याल मेरा
    पत्ता पत्ता जानता है
    इक तू ही ना जाने हाल मेरा
    पत्ता पत्ता जानता है
    इक तू ही ना जाने हाल मेरा

    नित दिन नित दिन रोइयाँ मैं, सोंह रब दी ना सोइयाँ मैं
    इक तेरे पीछे माही, सावन दियां रुतां खोइयाँ मैं

    दिल ने धडकनों को ही तोड़ दिया,
    टूटा हुआ सीने में छोड़ दिया
    हो दिल ने धडकनों को ही तोड़ दिया
    टूटा हुआ सीने में छोड़ दिया

    खुशियाँ ले गया, दर्द  कितने दे गया
    ये प्यार तेरा..पत्ता पत्ता ...

    मेरे हिस्से आई तेरी परछाईयां
    लिखी थी लकीरों में तनहाइयाँ
    हाँ मेरे हिस्से आई तेरी परछाईयां
    लिखी थी लकीरों में तनहाइयाँ

    हाँ करूँ तुझे याद मैं
    है तेरे बाद इंतज़ार तेरा..., पत्ता पत्ता ...

    सोमवार, जनवरी 11, 2016

    वार्षिक संगीतमाला 2015 पायदान # 21 : सूरज डूबा है यारों Sooraj Dooba Hai Yaaron...

    संगीतमाला की अगली पायदान सुरक्षित है एक ऐसे गीत के लिए जिसके बोल और संगीत के साथ पिछले साल देश की युवा पीढ़ी के सबसे ज्यादा पैर थिरके होंगे।  फिल्म रॉय के इस गीत में अमल द्वारा दिए गए नृत्य के लिए मन माफिक संगीत संयोजन के साथ अरिजित सिंह की आवाज़ और कुमार के बोल मस्ती का वो माहौल तैयार करते हैं कि मन सब कुछ भूल इस गीत की रिदम के साथ बहता चला जाता है। बतौर फिल्म रॉय कोई खास तो नहीं चली पर इसके संगीत को आम जन में लोकप्रियता खूब मिली। 


    कुमार का लिखा ये गीत हमें अपनी अभी की परेशानियों को भूल कर बेफिक्री के कुछ पल अपने आप को देने की ताकीद करता है। सच बेफिक्री का भी अपना ही मज़ा है। जीवन में काम तो लगे ही रहते हैं पर उसमें अपनी ज़िंदगी इतनी भी ना उलझा लीजिए कि ख़ुद अपने लिए वक़्त ही ना रहे। जब तक चिंतामुक्त होकर अपने अंदर की आवाज़ को हम बीच बीच में नहीं टटोलेंगे तो बस एक मशीन बन कर ही रह जाएँगे।  अब ये अलग बात है कि कुछ लोग इस अहसास तक पहुंचने के लिए नशे का सहारा लेते हैं तो कुछ स्वाभाव से ही मस्तमौला होते हैं। 

    अपने देश में तो मद्यपान बहस का विषय है पर इस गीत के मुखड़े को सुन कर मुझे जापान के लोग याद आ जाते हैं। आपको विश्वास नहीं होगा कि वहाँ दिन भर लोग कड़े अनुशासन में मेहनत से काम करते हैं पर शाम ढलते ही उनका सारा ध्यान इस बात पर रहता है कि कब उन्हें मदिरा पान का सुख मिलेगा। पश्चिमी संस्कृति की तरह जापानी समाज के बहुत बड़े तबके का रिलैक्स होने का यही तरीका है। मतलब जिस तरह ये गीत यहाँ लोकप्रिय हुआ है वैसा जापान में भी हो जाता। :)

    इस गीत के युवा संगीतकार हैं अमल मलिक जो गायक व संगीतकार अरमान मलिक के भाई और अनु मलिक के भतीजे हैं। अमल के कैरियर की शुरुआत 23 साल की छोटी उम्र में सलमान खाँ की फिल्म जय हो से हुई थी। पिछले साल खूबसूरत में भी उनके गाने सराहे गए थे। अपने संगीत में वो ज्यादा जटिलताएँ नहीं चाहते। उनके लिए अच्छे संगीत का मतलब वो है जिससे आम जन अपने आप को जोड़ सकें। अगर आपने किसी पार्टी में हफ्ते में चार शनिवार होने चाहिए वाला गीत सुना है तो ये उनकी ही कृति है। ख़ैर ये उनके शुरुआती दिन हैं। वक्त के साथ उनकी इस सोच में और गंभीरता आएगी ये उम्मीद तो अभी उनसे रखी ही जा सकती है।

    अरिजित सिंह की आवाज़ के हम सब शैदाई हैं और उन्होंने इस गीत में नया कुछ भले ना किया हो पर सुनने वालों को निराश भी नहीं किया। गीत में उनका साथ दिया है अदिति सिंह शर्मा ने। तो आइए सुनते हैं झूमने झुमाने वाला ये गीत..


    मतलबी हो जा ज़रा मतलबी
    दुनिया की सुनता है क्यूँ
    ख़ुद की भी सुन ले कभी

    कुछ बात ग़लत भी हो जाए
    कुछ देर ये दिल खो जाए
    बेफिक्र धड़कने, इस तरह से चले
    शोर गूँजे यहाँ से वहाँ

    सूरज डूबा है यारों दो घूँट नशे के मारो
    रस्ते भुला दो सारे घर बार के
    सूरज डूबा है यारों दो घूँट नशे के मारो
    ग़म तुम भुला दो सारे संसार के

    Ask me for anything, I can give you everything
    रस्ते भुला दो सारे घर बार के
    Ask me for anything, I can give you everything
    ग़म तुम भुला दो सारे संसार के

    अता पता रहे ना किसी का हमें
    यही कहे ये पल ज़िन्दगी का हमें
    अता पता रहे ना किसी का
    यही कहे ये पल ज़िन्दगी का
    की ख़ुदग़र्ज़ सी, ख्वाहिश लिए
    बे-साँस भी हम तुम जियें
    है गुलाबी गुलाबी समां, सूरज डूबा है यारों... 

    चलें नहीं उड़ें आसमां पे अभी 
    पता न हो है जाना कहाँ पे अभी
    चलें नहीं उड़ें आसमां पे
    पता न हो है जाना कहाँ पे
    कि बेमंजिलें हो सब रास्ते
    दुनिया से हो जरा फासलें
    कुछ ख़ुद से भी हो दूरियाँ

    वार्षिक संगीतमाला 2015

     

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