शोरगुल इस फिल्म का नाम आपने सुना क्या? सुनें भी तो कैसे? अपने लचर निर्देशन की वज़ह से देश के अधिकतर भागों में ये फिल्म पहले हफ्ते से ज्यादा का सफ़र तय नहीं कर पाई थी। पर वार्षिक संगीतमाला की इक्कीसवीं सीढ़ी पर जो गीत खड़ा है वो इसी फिल्म का है ।
वैसे इस गीत से जुड़ी दो बातें आपको चौंकने पर मजबूर कर देंगी। पहली तो इसके
गीतकार का नाम और दूसरी इसके संगीतकार द्वारा बजाया जाने वाला एक अनूठा
वाद्य यंत्र। इस गीत को रचा है कपिल सिब्बल ने। जी आपने ठीक सुना
वही सिब्बल साहब जो कांग्रेस सरकार में केन्द्रीय मंत्री का पद सँभाल रहे
थे। एक धुरंधर वकील और राजनीतिज्ञ से ऐसे रूमानी गीत के लिखे जाने की
कल्पना कम से कम मैंने तो नहीं की थी। कपिल साहब को कविताएँ लिखने का भी
शौक़ है और जब उन्हें इस फिल्म के गीतों को लिखने का अवसर मिला तो उन्होंने
खुशी खुशी हामी भर दी।
![]() |
नीलाद्रि कुमार |
इस गीत को रचने के लिए कपिल सिब्बल ने मशहूर सितार वादक नीलाद्रि कुमार जो इस फिल्म के संगीतकार भी हैं और कपिल के चहेते वादक भी के साथ नौ महीने का वक़्त लिया। नीलाद्रि कुमार संगीत की दुनिया में उभरता हुआ नाम हैं और अपने द्वारा विकसित किए गए वाद्य यंत्र जिटार के लिए वे काफी चर्चा में रहे थे। आप सोच रहे होंगे कि आख़िर ये जिटार क्या बला है? दरअसल जिटार एक इलेक्ट्रिक सितार है। जिटार को विकसित करने में नीलाद्रि की सोच के पीछे दो कारण थे। पहले तो सितार के प्रति विश्व के संगीतज्ञों का ध्यान आकर्षित करना और दूसरे ताल वाद्यों के शोर में से सितार की ध्वनि को मुखरित करना । नीलाद्रि कहते हैं कि जिटार का एक अपना मुकाम है और इसे सितार और गिटार का संकर नहीं मानना चाहिए।
नीलाद्रि ने इस गीत में पियानो की धुन के बीच उभरते कोरस के साथ गीत की शुरुआत की है। यूँ तो जिटार गीत के पार्श्व में जब तब अपनी उपस्थिति दर्ज कराता रहता है पर गीत में डेढ़ मिनट के बाद इसकी आवाज़ आप स्पष्टता से सुन सकते हैं। ज़िंदगी में बहुत सारे लोग ऐसे होते हैं जो आपके आस पास तो नहीं रहते पर जिनसे दिल का नाता बरसों का रहता है। कपिल ऐसे ही एक किरदार के दिल की बेचैनी को गीत में व्यक्त करते हैं। प्रेम और विरह की बातें बड़े सहज शब्दों में कहते इस गीत को अरिजीत सिंह अपनी गायिकी के शास्त्रीय अंदाज़ से खास बना देते हैं।
तेरे बिना जी ना लगे , तेरे बिना जी ना लगे
नज़रों में भी तू ही दिखे, तुम ना मिले रातों जगे
ख़ामोशी में सब कह गए हैं, जहां मिल गया, जब तुम मिले
आगे बढ़े सब जान के, तेरे लिए हम जी रहे
है याद मुझे तेरी हर अदा, तेरी बातों में नशा ही नशा
खयालों में मैं तेरे खो गया, रहूँ न रहूँ तेरा हो गया
साथी बना साया ही रहा, दूरी में भी करीब ही रहा
मिलने पे भी जी ना भरा, तुम ना रहे सब खो गया
तेरे बिना जी ना लगे , तेरे बिना जी ना लगे
हाँ चलते चलते इस गीत से जुड़े कुछ और रोचक तथ्य। गीत के कोरस में समाज के वंचित वर्गों के बच्चों को प्रशिक्षित कर उनकी आवाज़ का इस्तेमाल किया गया है। पानी के अंदर गीत के एक बड़े हिस्से को फिल्माया गया है तुर्की की मशहूर मॉडल और इस फिल्म की नायिका सूहा पर !
