
1999 में एक फिल्म आई थी, नाम था संघर्ष ! अक्षय कुमार, प्रीति जिंटा और आशुतोष राणा जैसे कलाकारों से सजी इस फिल्म की बेसिरपैर कहानी को दर्शकों ने एक सिरे से नकार दिया था। पर गीतकार समीर और संगीतकार जतिन-ललित की जोड़ी ने अपना काम बखूबी निभाते हुए इस फिल्म में कर्णप्रिय संगीत दिया था।
'पहली पहली बार वलिए ..' और 'नाराज़ सवेरा...' तो चर्चित हुए ही पर मुझे जिस गीत ने सबसे ज्यादा आनंदित किया वो था सोनू निगम द्वारा गाया हुआ ये एकल गीत जिसकी रूमानियत मुझे इसे सुनते वक़्त हमेशा ही गुदगुदा जाती है। इसलिए ये सोनू के गाए रोमांटिक गीतों में मेरी पहली पसंद है।
सोनू निगम की गायिकी से तो हम आप परिचित ही हैं। जिस भाव प्रवणता के साथ इस गीत को सोनू ने अपनी आवाज़ दी है उसका जवाब नहीं। पहले अंतरे के बाद आप लता जी का पार्श्व से लहराता स्वर सुन सकते हैं।
ये गीत वैसे गीतों में है जिसकी लय पहली बार में ही दिल पर सीधा असर करती है। जब भी मैं इस गीत को गुनगुनाता हूँ, अपने मन को हल्का और खुशमिज़ाज पाता हूँ।
मुझे रात दिन बस मुझे चाहती हो
कहो ना कहो मुझको सब कुछ पता है
हाँ करूँ क्या मुझे तुम बताती नहीं हो
छुपाती हो मुझसे ये तुम्हारी खता है
हाँ मुझे रात दिन ...
मेरी बेकरारी को हद से बढ़ाना
तुम्हें खूब आता है बातें बनाना
निगाहें मिलाके यूँ मेरा चैन लेना
सताके मोहब्बत में यूँ दर्द देना
मुझे देखके ऐसे पलकें झुकाना
शरारत नहीं है तो फिर और क्या है
हाँ मुझे रात दिन ...
तुम्हें नींद आएगी अब ना मेरे बिन
मुझे है यकीं ऐसा आएगा इक दिन
खुली तेरी ज़ुल्फ़ों में सोया रहूँगा
तेरे ही ख्यालों में खोया रहूँगा
कभी गौर से मेरी आँखों में देखो
मेरी जां तुम्हारा ही चेहरा छुपा है
हाँ मुझे रात दिन ...
और अब सुनिए सोनू की दिलकश आवाज़ में ये नग्मा....
वैसे ये बताएँ कि आपको ये गीत कैसा लगता है?
