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मंगलवार, जून 03, 2008

मुझे रात दिन बस मुझे चाहती हो..कहो ना कहो मुझको सब कुछ पता है

1999 में एक फिल्म आई थी, नाम था संघर्ष ! अक्षय कुमार, प्रीति जिंटा और आशुतोष राणा जैसे कलाकारों से सजी इस फिल्म की बेसिरपैर कहानी को दर्शकों ने एक सिरे से नकार दिया था। पर गीतकार समीर और संगीतकार जतिन-ललित की जोड़ी ने अपना काम बखूबी निभाते हुए इस फिल्म में कर्णप्रिय संगीत दिया था।

'पहली पहली बार वलिए ..' और 'नाराज़ सवेरा...' तो चर्चित हुए ही पर मुझे जिस गीत ने सबसे ज्यादा आनंदित किया वो था सोनू निगम द्वारा गाया हुआ ये एकल गीत जिसकी रूमानियत मुझे इसे सुनते वक़्त हमेशा ही गुदगुदा जाती है। इसलिए ये सोनू के गाए रोमांटिक गीतों में मेरी पहली पसंद है।

सोनू निगम की गायिकी से तो हम आप परिचित ही हैं। जिस भाव प्रवणता के साथ इस गीत को सोनू ने अपनी आवाज़ दी है उसका जवाब नहीं। पहले अंतरे के बाद आप लता जी का पार्श्व से लहराता स्वर सुन सकते हैं।

ये गीत वैसे गीतों में है जिसकी लय पहली बार में ही दिल पर सीधा असर करती है। जब भी मैं इस गीत को गुनगुनाता हूँ, अपने मन को हल्का और खुशमिज़ाज पाता हूँ। 

मुझे रात दिन बस मुझे चाहती हो
कहो ना कहो मुझको सब कुछ पता है
हाँ करूँ क्या मुझे तुम बताती नहीं हो
छुपाती हो मुझसे ये तुम्हारी खता है
हाँ मुझे रात दिन ...

मेरी बेकरारी को हद से बढ़ाना
तुम्हें खूब आता है बातें बनाना
निगाहें मिलाके यूँ मेरा चैन लेना
सताके मोहब्बत में यूँ दर्द देना
मुझे देखके ऐसे पलकें झुकाना
शरारत नहीं है तो फिर और क्या है
हाँ मुझे रात दिन ...

तुम्हें नींद आएगी अब ना मेरे बिन
मुझे है यकीं ऐसा आएगा इक दिन
खुली तेरी ज़ुल्फ़ों में सोया रहूँगा
तेरे ही ख्यालों में खोया रहूँगा
कभी गौर से मेरी आँखों में देखो
मेरी जां तुम्हारा ही चेहरा छुपा है
हाँ मुझे रात दिन ...


और अब सुनिए सोनू की दिलकश आवाज़ में ये नग्मा....

 

 वैसे ये बताएँ कि आपको ये गीत कैसा लगता है?

बुधवार, जनवरी 17, 2007

गीत # 16 : ये साजिश है बूंदों की , देखो ना देखो ना....

तो थोड़ा सा रूमानी हुआ जाए :) ?

कम से कम इस गीत को सुनने के बाद कुछ असर तो होगा जरूर, अगर वो भी आस पास हो कहीं :p
पेश है १६ वीं पायदान पर एक बेहद ही रोमांटिक गीत जिसे अपनी आवाज से संवारा सोनू निगम और सुनिधि चौहान ने। इसकी मोहक धुन बनाई जतिन-ललित ने । फना के इस गीत को लिखा प्रसून जोशी ने और मुझे ये गीत बोल के लिहाज से सबसे प्यारा लगता है ।

बारिश की गिरती बूंदों के साथ गर बलखाती मस्त हवा हो तो दिल में पहले सी सुलगती आग को भड़कने से भला कौन रोक सकता है?

बाद में भले आप सारा इलजाम उस मुयी बेशर्म सी हवा पर लगायें .....
या आसमान से लगातार रिसती उस फुहार पर जिसकी संगत में आपके हमसफर का रूप कुछ यूँ निखर आया कि ख्वाहिशें बेलगाम हो उठीं ।

अब ऍसे ही कुछ हालातों को सोनू और सुनिधि मिल कर दिखा रहे हैं , आप भी देखिए ना ....

ये साजिश है बूंदों की , कोई ख्वाहिश है चुप-चुप सी
देखो ना, देखो ना....देखो ना, देखो ना....
हवा कुछ हौले-हौले, जुबां से क्या कुछ बोले
क्यूँ दूरी है अब दरमियांऽऽ, देखो ना देखो ना....

फिर ना हवायें होगीं इतनी बेशरम
फिर ना डगमग-डगमग होंगे ये कदम
हाऽऽ ! सावन ये सीधा नहीं खुफिया बड़ा
कुछ तो बरसते हुए कह रहा
समझो ना , समझो ना...समझो ना , समझो ना...
हवा कुछ हौले हौले.....

जुगनू जैसी चाहत देखो जले बुझे
मीठी सी मुश्किल है कोई क्या करे ?
हम्म..... होठों की अर्जी ठुकराओ ना
सासों की मर्जी को झुठलाओ ना
छू लो ना, छू लो ना....छू लो ना, छू लो
हवा कुछ हौले-हौले, जुबां से क्या कुछ बोले
ना दूरी है अब दरमियांऽऽ, देखो ना देखो ना....


शुक्रवार, जनवरी 12, 2007

गीत # 19 : चाँद सिफारिश जो करता हमारी, देता वो तुमको बता

कार्यालय के काम - काज से मुझे बैंगलूरू के पास भद्रावती में जाना पड़ा और इसी वजह से इस गीतमाला पर मुझे लेना पड़ गया चार दिनों का दीर्घ विराम ।

खैर, अब वापस आ गया हूँ एक बार फिर सीढ़ियाँ चढ़ने की कवायद जारी रखने !

१९ वीं पायदान पर के इस गीत में कई खास बाते हैं । पहली तो ये के इसके गीतकार, संगीतकार और यहाँ तक की गायक भी पहली बार इस गीतमाला में तशरीफ रख रहे हैं । इस गीत को लिखा प्रसून जोशी ने, धुन बनाई जतिन-ललित ने और गायक वो जिनके आज ही साक्षात दर्शन करने का सुअवसर मिला । जी हाँ मैं 'शान' की ही बात कर रहा हूँ । आज बैंगलूरू से कोलकाता की विमान यात्रा खत्म हुई तो पाया कि जनाब हमारे साथ ही सफर कर रहे हैं । खैर सामने ना सही पर टी वी स्क्रीन पर सा रे गा मा...कार्यक्रम में आप सब इन से रूबरू हो चुके होंगे । वैसे २००० में उनके एलबम 'तनहा दिल' की सफलता के बाद से शान यानि शान्तनु मुखर्जी ने पीछे मुड़ कर नहीं देखा । इस गीत की लोकप्रियता में शान की सुरमयी आवाज का काफी हाथ है।

और गर ये गीत आपने ध्यान से सुना हो तो जतिन-ललित ने यहाँ ताली का इस्तेमाल एक निराले ढंग से किया जो निश्चय ही तारीफ योग्य है।

चाँद सिफारिश जो करता हमारी, देता वो तुमको बता
शर्म - ओ - हया के पर्दे गिरा के, करनी है हमको खता..
जिद है अब तो है खुद को मिटाना, होना है तुझमें फना


चलते चलते एक सवाल आप सब से..क्या आपको पता है कि इस गीत की शुरुआत में सुभान अल्लाह की मधुर तान किसने छेड़ी है ?



इस गीत के पूरे बोल
यहाँ पढ़ सकते हैं ।
 

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