तोची रैना लेबलों वाले संदेश दिखाए जा रहे हैं. सभी संदेश दिखाएं
तोची रैना लेबलों वाले संदेश दिखाए जा रहे हैं. सभी संदेश दिखाएं

बुधवार, फ़रवरी 26, 2014

वार्षिक संगीतमाला 2013 पायदान संख्या 5 : कैसी तेरी खुदगर्जी तू धूप चुने या छाँव.. (Kabira...)

वार्षिक संगीतमाला की अगली पायदान का गीत जब भी सुनता हूँ तो कुछ सोचने के लिए मजबूर हो जाता हूँ। व्यक्ति आख़िर किसके लिये ये जीवन जीता है ? अपने सपनों को पूरा करने के लिए या परिवार तथा समाज द्वारा दिए गए दायित्वों का निर्वाह करने के लिए? 

आप कहेंगे कि इसमें मुश्किल क्या है? इन दोनों को साथ ले कर क्यूँ नहीं चला जा सकता ? मुश्किल है जनाब ! अपनी निजी महत्त्वाकांक्षाओं को पूरा करने की राह में कई बार प्रेम आड़े आ जाता है तो कई बार पारिवारिक जिम्मेदारियों मुँह उठाए आगे चली आती हैं। फिर आपके मन को ये प्रश्न भी सालता है कि अगर अपने संगी साथियों को छोड़कर वो सब कुछ पा भी लिया तो क्या मन का सूखापन मिट पाएगा? क्या मुझे दुनिया एक सफल इंसान के रूप में आकेंगी या मैं एक खुदगर्ज इंसान माना जाऊँगा?
 

ये कुछ ऐसे प्रश्न हैं जिसका कोई सीधा जवाब नहीं। फिल्म ये जवानी है दीवानी में सिनेमाई अंदाज़ में ही सही पर कुछ ऐसी ही उधेड़बुन की गिरफ्त में नायक भी अपने आप को पाता है। सारी दुनिया देखने का ख़्वाब और उन सपनों को पूरा करने का हुनर एक तरफ और दोस्तों, परिवार और माशूका का साथ दूसरी तरफ़। कोई भी रास्ता ऐसा नहीं जिसे आसानी से चुना या छोड़ा जा सके। अमिताभ भट्टाचार्य का लिखा ये गीत एक घुमक्कड़ मन के अंदर की इस बेचैनी को कुछ हद तक टटोलता जरूर है। हालांकि अमिताभ फिल्म की कहानी के अनुरूप अपनों का साथ नहीं छोड़ने की बात करते हैं पर अगर आपको The Alchemist  की कथा याद हो तो वहाँ अपने ख़्वाबों को पूरा करना ही आपकी नियति बताया जाता है।

बहरहाल अमिताभ सूफ़ियत की चादर ओढ़े इस गीत में टूटी चारपाई, ठंडी पुरवाई जैसे कुछ नए पर बेहतरीन रूपकों का प्रयोग करते हैं। तोची रैना और रेखा भारद्वाज की आवाज़ ऐसे गीतों के लिए ही जानी जाती है और उनकी गायिकी एक सुकून देने के साथ साथ गीत की भावनाओं में डूबने पर मज़बूर करती है। संगीतकार प्रीतम का संगीत मुख्यतः गिटार और ड्रम्स के ज़रिए पार्श्व से सहयोग देता नज़र आता है। 
 
 तो आइए सुनें इस गीत को

कैसी तेरी खुदगर्जी ना धूप चुने या छाँव
कैसी तेरी खुदगर्जी  किसी ठौर टिके ना पाँव
बन लिया अपना पैगंबर,तर लिया तू सात समंदर
फिर भी सूखा मन के अंदर क्यूँ रह गया

रे कबीरा मान जा रे फकीरा मान जा
आजा तुझको पुकारे तेरी परछाइयाँ
रे कबीरा मान जा रे फकीरा मान जा
कैसा तू है निर्मोही कैसा हरजाइया
 टूटी चारपाई वही,ठंडी पुरवाई रस्ता देखे
दूधों की मलाई वही, मिट्टी की सुराही रस्ता देखे

कैसी तेरी खुदगर्जी लब नमक रमे ना मिसरी
कैसी तेरी खुदगर्जी तुझे प्रीत पुरानी बिसरी
मस्त मौला मस्त कलंदर तू हवा का एक बवंडर
बुझ के यूँ अंदर ही अंदर क्यूँ रह गया..


सोमवार, जनवरी 30, 2012

वार्षिक संगीतमाला 2011 - पॉयदान संख्या 11 :धीरे धीरे ..जिया को धीरे धीरे भायो रे साएबो !

वार्षिक संगीतमाला की पिछली दो पॉयदानों पर आपने सुने मिथुन शर्मा और प्रीतम द्वारा संगीतबद्ध दो बेहद कर्णप्रिय नग्मे। आज जिस गीत को आपके सामने प्रस्तुत कर रहा हूँ वो भी उतना ही मधुर है। इस गीत की ख़ासियत है कि इसके गीत , संगीत और गायिकी सभी में अलग अलग जोड़ियों का हाथ रहा है। इसे संगीतबद्ध किया है नवोदित संगीतकार जोड़ी सचिन-जिगर ने। बोल लिखे हैं समीर और प्रिया पंचाल ने और इस युगल गीत को आवाज़ें दी हैं श्रेया घोषाल और तोची रैना ने। गीत तो आप पहचान ही गए होंगे 'धीरे धीरे नैणों को धीरे धीरे , जिया को धीरे धीरे भायो रे साएबो...।  कमाल की धुन बनाई है संगीतकार सचिन जिगर ने। गीत के शब्दों के विपरीत ये नग्मा धीरे धीरे नहीं बल्कि एक बार सुनते ही दौड़ के दिलो दिमाग पर हावी हो जाता है।

पर गीत की बात करने के पहले आपकी मुलाकात तो करा दूँ इस संगीतकार जोड़ी से। सचिन यानि सचिन संघवी और ज़िगर यानि ज़िगर सरैया की ये जोड़ी श्रोताओं के लिए नई जरूर है पर फिल्म जगत में ये पिछले कुछ सालों से काम कर रहे हैं। पहले संगीतकार  राजेश रोशन और फिर प्रीतम के लिए काम करने के बाद पिछले साल इन्होंने स्वतंत्र रूप से काम करना शुरु किया।
 
शास्त्रीय संगीत की शिक्षा लिये हुए सचिन के मन में संगीतकार बनने का ख़वाब ए आर रहमान ने पैदा किया। सचिन रोज़ा में रहमान के संगीत संयोजन से इस क़दर प्रभावित हुए कि उन्होंने ठान लिया कि मुझे भी यही काम करना है। अपने मित्र अमित त्रिवेदी के ज़रिए उनकी मुलाकात ज़िगर से हुई। दो गुजरातियों का ये मेल  एक नई जोड़ी का अस्तित्व ले बैठा। सचिन ज़िगर अपने साक्षात्कारों में प्रीतम की तारीफ़ करना कभी नहीं भूलते। वे हमेशा कहते हैं कि प्रीतम जिस तरह से कच्ची धुन से पक्के गीत की प्रक्रिया को विभिन्न भागों में बाँटकर अनुशासित रूप में गुजरते हैं उस क़वायद से हम जैसे नए लोगों ने बहुत कुछ सीखा।

सचिन ज़िगर को अपनी पहली सफलता फिल्म फालतू के डांस नंबर चार बज गए मगर पार्टी .....से मिली। पिछले साल उन्होंने 'हम तुम शबाना' और शोर  इन दि सिटी के कुछ गीतों का भी संगीत संयोजन किया। शोर इन दि सिटी के इस गीत में गिटार और वॉयलिन का बेहद खूबसूरत उपयोग किया है सचिन जिगर ने। पहले इंटरल्यूड में वॉयलिन की धुन क्या कमाल की है। जरा ध्यान दीजिएगा..

ये तो हम सभी जानते हैं कि नए नए पिया यानि अपने 'साइबो' धीरे धीरे ही दिल में उतरते हैं।  दो दिलों को पास आने के लिए आँखों, लबों की कितनी कही अनकही बातों से होकर गुजरना पड़ता है , गीतकार द्वय यही तो बता रहे हैं हमें इस प्यारे से गीत में। गीत में एक ओर तो श्रेया की मिश्री सी आवाज़ है तो दूसरी ओर तोची रैना का बुलंद ज़मीनी स्वर। पर दोनों मिलकर एक ऐसा प्रभाव उत्पन्न करते हैं कि मन इस गीत का हो के रह जाता है...


मन ये साहेब जी, जाणे है सब जी
फिर भी बनाए बहाने
नैणा नवाबी जी देखें हैं सब जी
फिर भी ना समझे इशारे
मन ये साहेब जी, हाँ करता बहाने
नैणा नवाबी जी ना समझे इशारे
धीरे धीरे नैणों को धीरे धीरे
जिया को धीरे धीरे भायो रे साएबो
धीरे धीरे बेगाना धीरे धीरे
अपना सा धीरे धीरे लागे रे साएबो


सुर्खियाँ है हवाओं में, दो दिलों के मिलने की
अर्जियाँ है नज़ारों मे, लमहा ये थम जाने की
कैसी हजूरी जी ये लब दिखलाएँ
चुप्पी लगा के भी गज़ब है ये ढाएँ

धीरे धीरे नैणों को धीरे धीरे
जिया को धीरे धीरे भायो रे साएबो
धीरे धीरे बेगाना धीरे धीरे
अपना सा धीरे धीरे लागे रे साएबो



वार्षिक संगीतमाला 2011 पहुँच चुकी है उस मुकाम पर जहाँ से शुरु होती है प्रथम दस यानि TOP 10 गीतों की आख़िरी दस सीढ़ियाँ ! इन दस गीतों में रूमानियत की हवाएँ भी हैं और सूफ़ियत की झंकार भी। दुखों के बादल भी हैं और ज़िदगी को मुड कर देखने की कोशिश भी। आशा हैं हम सब मिलकर एक साथ महसूस करेंगे गीतों के इन विविध रंगों को आने वाली कड़ियों में..
 

मेरी पसंदीदा किताबें...

सुवर्णलता
Freedom at Midnight
Aapka Bunti
Madhushala
कसप Kasap
Great Expectations
उर्दू की आख़िरी किताब
Shatranj Ke Khiladi
Bakul Katha
Raag Darbari
English, August: An Indian Story
Five Point Someone: What Not to Do at IIT
Mitro Marjani
Jharokhe
Mailaa Aanchal
Mrs Craddock
Mahabhoj
मुझे चाँद चाहिए Mujhe Chand Chahiye
Lolita
The Pakistani Bride: A Novel


Manish Kumar's favorite books »

स्पष्टीकरण

इस चिट्ठे का उद्देश्य अच्छे संगीत और साहित्य एवम्र उनसे जुड़े कुछ पहलुओं को अपने नज़रिए से विश्लेषित कर संगीत प्रेमी पाठकों तक पहुँचाना और लोकप्रिय बनाना है। इसी हेतु चिट्ठे पर संगीत और चित्रों का प्रयोग हुआ है। अगर इस चिट्ठे पर प्रकाशित चित्र, संगीत या अन्य किसी सामग्री से कॉपीराइट का उल्लंघन होता है तो कृपया सूचित करें। आपकी सूचना पर त्वरित कार्यवाही की जाएगी।

एक शाम मेरे नाम Copyright © 2009 Designed by Bie